NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
चुनावों में नॉर्थ-ईस्ट की एक स्पष्ट झलक
आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन और हिंसा की कुछ छुटपुट घटनाओं को छोड़कर मतदान ज़्यादातर शांतिपूर्ण रहा है।
विवान एबन
22 Apr 2019
Translated by महेश कुमार
चुनावों में नॉर्थ-ईस्ट  की एक स्पष्ट झलक

18 अप्रैल 2019 को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के समापन के साथ, पूर्वोत्तर के अधिकांश राज्यों में असम और त्रिपुरा को छोड़कर मतदान पूरा हो गया है। मिज़ोरम, नागालैंड और सिक्किम जहाँ एक-एक और अरुणाचल प्रदेश और मेघालय जहाँ दो-दो निर्वाचन क्षेत्र हैं, वहाँ पहले चरण में मतदान पूरा हो गया था। मणिपुर की पहाड़ियों पर पहले चरण में चुनाव हुआ, और घाटी ने दूसरे चरण में मतदान किया। असम और त्रिपुरा तीसरे चरण में मतदान करने के लिए तैयार हैं। आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन और हिंसा की कुछ घटनाओं को छोड़कर, मतदान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ है।

अरुणाचल प्रदेश 

हालांकि अरुणाचल प्रदेश में 11 अप्रैल को पहले चरण में विधानसभा और लोकसभा चुनाव संपन्न होने थे, लेकिन हिंसा और बर्बरता के कारण 19 मतदान केंद्रों में 20 अप्रैल को मतदान हुआ। राज्य में 66 प्रतिशत मत पड़े।

विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं पर विपक्षी उम्मीदवारों पर हमलों में लिप्त होने और कुछ मामलों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को हथौड़ों से नुकसान पहुँचाने का आरोप लगाया है। नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) से चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों ने प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवारों के नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ़ नागालैंड (एनएससीएन) खापलांग और इसाक-मुइवा गुटों के कार्यकर्ताओं के साथ मिलीभगत से ऐसा करने का आरोप लगाया है। एनपीपी के दो कार्यकर्ताओं को कथित तौर पर लोंगदिंग में नागा के सदस्यों द्वारा अपहरण कर लिया गया था। कुछ मामलों में, ईवीएम में ख़राबी पाई गई है और एक मामले में, ईवीएम को वापस करते समय पोलिंग एजेंट दुर्घटनाग्रस्त हो गए और जिसके परिणामस्वरूप ईवीएम ख़राब हो गई।

सत्तारूढ़ भाजपा ने चुनावी दुराचार के सभी आरोपों को ग़लत बताया और इसके बजाय भगवा पार्टी ने कांग्रेस पर उसके समर्थकों को डराने का आरोप लगाया है। बमांग फ़ेलिक्स ने कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं पर चुनाव प्रचार के दौरान उनके वाहन को रोकने और उन पर कुल्हाड़ी से हमला करने का आरोप लगाया है।

अरुणाचल प्रदेश की दो लोकसभा सीटों अरुणाचल पश्चिम और अरुणाचल पूर्व पर पिछले पांच चुनावों में काफ़ी हद तक कांग्रेस और भाजपा के बीच मुक़ाबला देखा गया है। 1998 में गेगॉन्ग अपांग की अरुणाचल कांग्रेस ने दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की थी, अरुणाचल पश्चिम में 23.31 प्रतिशत और अरुणाचल पूर्व में 20.28 प्रतिशत के मार्जिन से जीता गया था। यह राज्य स्तरीय पार्टी अरुणाचल पश्चिम में 2009 के चुनावों तक प्रासंगिक रही, जहाँ वह 1999 और 2004 तक में दो बार उपविजेता रहे। 2009 में, कांग्रेस के टेकम संजोय ने किरन रिजिजू के ख़िलाफ़ 0.94 प्रतिशत के कम अंतर के साथ जीत हासिल की थी। हालांकि, 2014 में, रिजिजू ने 24.64 प्रतिशत के बड़े अंतर से जीत दर्ज की। 1999 के चुनावों के बाद से अरुणाचल पूर्व कांग्रेस और भाजपा के बीच एक प्रतियोगिता की सीट बन गयी।

मणिपुर

मणिपुर के दो लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों- जिनमें इनर(अंदरी) मणिपुर और आउटर(बाहरी) मणिपुर की सीट हैं, को दो चरणों में विभाजित किया गया है। मुख्य रूप से आदिवासी बहुल आउटर मणिपुर सीट पर पहले चरण में मतदान हुआ था। इसके लिए 78.2 प्रतिशत मतदाताओं ने मत डाले। दूसरे चरण के समापन के बाद, मणिपुर में कुल मिलाकर 80 प्रतिशत मत दर्ज किए गए।

पहले चरण में बूथ कैप्चरिंग, मतदाता को धमकी और चुनाव के बाद की हिंसा के आरोप लगे। दूसरे चरण में इनर मणिपुर के चुनावों के साथ आउटर मणिपुर निर्वाचन क्षेत्र के 19 मतदान केंद्रों पर पुन: मत डाले गए। नागा पीपल्स फ़्रंट (एनपीएफ़) ने आरोप लगाया कि ज़्यादातर पुन: मतदान नागा बहुल इलाक़ों में किया गया और इसे नागा के ख़िलाफ़ साज़िश क़रार दिया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा ने लकी रिहा के एक काल्पनिक नाम के तहत पहली सूचना रिपोर्ट (एफ़आईआर) दर्ज की है जिसमें आरोप लगाया गया है कि एनएससीएन (आईएम) मतदाताओं को एनपीएफ़ के लिए वोट करने से रोका गया और उन्हें डराया गया। एक संवाददाता सम्मेलन में, एनपीएफ़ ने रिहा गाँव से लक्कीसोम काशंग नामक व्यक्ति को पेश किया, यह सफ़ाई देने के लिए कि उसका एफ़आईआर से कोई लेना-देना नहीं है।

पौडेल बस्ती के गोरखा समुदाय ने बूथ कैप्चरिंग के साथ-साथ मतदान के बाद की हिंसा को देखा जब एनपीएफ़ के कथित समर्थकों ने मतदाता पर्ची छीन ली और मतदान केंद्र में घुस गए। बाद में, उन्होंने समुदाय के कुछ सदस्यों का अपहरण भी किया, जिन्हें पुलिस के हस्तक्षेप के बाद छोड़ दिया गया था।

इनर मणिपुर भी आरोपों और प्रत्यारोपों से मुक्त नहीं है। दोनों कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने 25 से अधिक मतदान केंद्रों में पुन: मतदान की मांग की है। दोनों पार्टियों ने बूथ कैप्चरिंग का आरोप लगाया है, जबकि सीपीआई उम्मीदवार डॉ. एम. नारा ने प्रॉक्सी वोटिंग के आरोप लगाए हैं। नारा को एक लोकप्रिय उम्मीदवार के रूप में माना जाता है और सहयोगी वाम दलों के अलावा तृणमूल कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) की राज्य इकाइयों ने इन्हें समर्थन किया है। कांग्रेस और भाजपा की राज्य इकाइयों के सदस्य उन्हें सबसे संभावित दावेदार के रूप में देखते हैं।

पिछले पांच लोकसभा चुनावों को देखते हुए, इनर मणिपुर निर्वाचन क्षेत्र में, सीपीआई पिछले तीन चुनावों में लगातार रनर अप के रूप में रही है। सबसे कम मार्जिन 2004 में 11.85 प्रतिशत मतों का था और 2014 में सबसे बड़ा अंतर, 32.41 प्रतिशत मतों का रहा था। जबकि, मणिपुर में सीपीआई ने 1998 में एक बार 0.78 प्रतिशत के मार्जिन के साथ इस सीट को जीता था।

मेघालय 

सेलेसेला विधानसभा क्षेत्र में एक छोटी सी शिकायत के अलावा, मेघालय में शांतिपूर्ण मतदान हुआ है। पहले चरण में दो लोकसभा क्षेत्रों शिलॉन्ग और तुरा में चुनाव हुए। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री, मुकुल संगमा ने तुरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए अपनी विधानसभा सीट से इस्तीफ़ा दिया है। पिछले रुझानों से पता चलता है कि तुरा स्वर्गीय पी.ए. संगमा और उनके परिवार के लिए एक गढ़ रहा है। उनकी बेटी अगाथा संगमा ने भी तुरा से जीत हासिल की थी, जैसा कि उनके बेटे और मेघालय के मुख्यमंत्री, कॉनराड संगमा नया था। वर्तमान में, अगाथा संगमा इस सीट पर एनपीपी के लिए चुनाव लड़ रही हैं। मुकुल संगमा की प्रतियोगिता को एनपीपी के संगमाओं के लिए सीधी चुनौती माना जा सकता है।

इसी तरह, शिलांग सीट पिछले 11 चुनावों में से नौ में सीटें कांग्रेस का गढ़ रही हैं। विंसेंट पाला इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें चुनौती देने के लिए यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) के डॉ. जेमिनो मावथो एनपीपी के नेतृत्व वाले मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस (एमडीए) के गठबंधन से लड़ रहे हैं। विन्सेन्ट पाला को जिताने की उम्मीद करने वाले इस गठबंधन के एक अन्य सदस्य हैं, सैनबोर शुल्लई जिन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा है। मतदान के दिन मतदान केंद्र के अंदर मीडिया से बात करने के लिए शुल्लई मुसीबत में पड़ गई थी। उन पर प्रेस से बात करने से रोकने के लिए पीठासीन अधिकारी के साथ मारपीट करने का भी आरोप है। उस दिन शुल्लई की टिप्पणी भाजपा के नागरिकता संशोधन विधेयक से संबंधित थी, जहाँ उन्होंने कहा कि विधेयक पारित होने से पहले वह प्रधानमंत्री मोदी के सामने आत्महत्या कर लेंगे।

मिज़ोरम 

मिज़ोरम ने पहले चरण में अपने एकमात्र लोकसभा सीट के लिए 61.29 प्रतिशत का मतदाता दर्ज किए।  विधानसभा चुनावों की तरह, ब्रू मतदाता का मुद्दा फिर गर्मा गया। मिज़ो नागरिक समाज ने चुनावों का बहिष्कार करने की धमकी दी कि अगर एक बार फिर त्रिपुरा में रहने वाले विस्थापित ब्रूस को मिज़ोरम-त्रिपुरा सीमा के साथ विशेष बूथों पर अपना वोट डालने की अनुमति देने के लिए विशेष प्रावधान नही किए जाते तो वो चुनावों का बहिष्कार कर देंगे। हालांकि, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और मतदान शांतिपूर्ण तरीक़े से हुआ।

अकेली महिला उम्मीदवार ने एक मंच से यह प्रचार किया कि उसे चुनाव लड़ने के लिए दिव्य निर्देश मिले हैं। इस बीच, भाजपा के केंद्रीय नेत्रत्व ने निरुपम चकमा को मैदान में उतारकर अपनी राज्य इकाई को नाराज़ कर दिया। राज्य इकाई ने चकमा प्रत्याशी के रूप में उम्मीदवार देने को मिज़ो के ख़िलाफ़ साज़िश करने की आशंका व्यक्त की है। कारण यह है कि नागरिकता संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ आंदोलन जब ऊंचाई पर था, बिल के ख़िलाफ़ मिज़ोरम का मक़सद चकमा समुदाय से उद्देश्य था जिसे मिज़ोस का मानना है कि वे बांग्लादेश से हैं। मिज़ो नेशनल फ़्रंट (एमएनएफ़) ने भारतीय प्रसारण और कार्यक्रम सेवा के पूर्व अधिकारी और दूरदर्शन के पूर्व महानिदेशक सी लालसरंगा को मैदान में उतारा है। एमएनएफ़ ने पिछले साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को क़रारी शिकस्त दी थी।

भ्रष्टाचार विरोधी संगठन से राजनैतिक विरोधी पार्टी मिज़ोरम (PRISM) की पहचान और स्थिति के लिए पीपल्स रेप्रेज़ेंटेशन ने भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त सदस्य टीबीसी लालवेंचुंगा को मैदान में उतारा है। लालवेंचुंगा को  'अलगाव' की बात करने पर अच्छी मात्रा में कवरेज मिला, हालांकि उनकी टिप्पणी नागरिकता संशोधन विधेयक के दायरे से मिज़ोरम के संबंध में थी।

पिछले पांच चुनावों से निकाले गए मिज़ोरम के मतदान की वरीयता कोई निश्चित रुझान प्रदर्शित नहीं करती है। 1998 और 1999 के चुनावों में, यहाँ से स्वतंत्र उम्मीदवार जीते थे। जबकि 1998 में कांग्रेस उपविजेता थी, 1999 में, उपविजेता एक और स्वतंत्र उम्मीदवार था। वास्तव में, 1999 से, स्वतंत्र उम्मीदवार उपविजेता बने हुए हैं। 2004 में, एमएनएफ़ ने जीत हासिल की, जिसके बाद, कांग्रेस ने दो बार जीत हासिल की।

नागालैंड 

कांग्रेस की राज्य इकाई ने आरोप लगाया है कि उप मुख्यमंत्री वाई पैटन ने कई मतदाता पर्ची के साथ मतदान केंद्र में प्रवेश करते समय आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया और भाजपा का पट्टा भी साथ लिया हुआ था। हालांकि, रिटर्निंग ऑफ़िसर ने नागालैंड के किसी भी बूथ में पुन: मतदान का आदेश नहीं दिया है। इस घटना के अलावा, मतदान शांतिपूर्ण रहा है। पूर्व प्रतिद्वंद्वियों में नागा पीपल्स फ़्रंट (एनपीएफ़) ने राज्य में कांग्रेस के साथ सहयोग किया, और कांग्रेस उम्मीदवार केएल चिशी को समर्थन दिया। नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक पीपल्स पार्टी (एनडीपीपी) के नेतृत्व वाले पीपुल्स डेमोक्रेटिक एलायंस (पीडीए) ने तोखेहो येप्थोमी को मैदान में उतारा है। अन्य दो उम्मीदवार एनपीपी के हेइथुंग तुंगो और निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. एमएम थ्रोम्वा कोन्याक हैं।

एनपीएफ़ के लिए, कांग्रेस घोषणापत्र ने सौदे को सील कर दिया क्योंकि कांग्रेस ने पूर्वोत्तर परिषद को मज़बूत करने के साथ-साथ आफ़्स्पा की समीक्षा का वादा किया है। पूर्व में भाजपा के साथ गठबंधन किए जाने के बावजूद, एनपीएफ़ ने नागरिकता संशोधन विधेयक को पुनर्जीवित करने और अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने के वादों के चलते उससे नाता तोड़ लिया है। एनपीएफ़ का तर्क है कि अगर जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति ख़तरे में पड़ सकती है, तो नागालैंड का प्रतिष्ठित 371ए  भी ख़तरे में जा सकता है।

2004 से, एनपीएफ़ और कांग्रेस के बीच नागालैंड में लड़ाई लगातार जारी है, जिसमें एनपीएफ़ का ऊपरी हाथ रहा है। हालांकि, नेफ़ियू रियो के एनपीएफ़ से बाहर निकलने और एनडीपीपी की स्थापना के कारण, परिणाम बहुत अधिक अनिश्चित हो सकते हैं।

सिक्किम 

सिक्किम विधानसभा और लोकसभा दोनों के लिए पहले चरण के मतदान में गया था। राज्य में 69 प्रतिशत  मतदाताओं के साथ मतदान दो क्षेत्रीय दलों, सत्तारूढ़ सिक्किम डेमोक्रेटिक फ़्रंट (एसडीएफ़) और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) के बीच है। अकेली लोकसभा सीट की बजाए विधानसभा सीट के मामले में यह प्रतियोगिता सबसे तेज़ महसूस की जा रही है। एसकेएम शुरू में भाजपा के साथ गठजोड़ करता दिखाई दिया था, हालांकि, चुनाव से ठीक पहले, दोनों अलग हो गए। हालांकि कहावत यह है कि यह केवल एक दिखावा है।

1994 में, एसडीएफ़ का वोट शेयर उसके इतिहास में सबसे कम रहा था, फिर भी उसने 32 में से 19 सीट जीत कर सरकार बनायी थी और उसे 42 प्रतिशत मत मिला था। 2009 के चुनावों में पार्टी की सबसे बड़ी सफ़लता ये रही कि उन्होंने 32 विधानसभा सीट लड़ी और सभी सीटों को 65.91 प्रतिशत वोट हासिल कर जीत लिया था। इस समय, नौ पार्टियाँ मैदान में हैं, जिनमें से केवल कांग्रेस ही सभी 32 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस को 27.64 प्रतिशत वोट मिले थे। 2014 के विधानसभा चुनावों में, एसडीएफ़ को लगभग 55 प्रतिशत वोट प्राप्त होने के बावजूद, एसकेएम से उसे 10 सीटों का नुक़सान हुआ था, जिसे लगभग 40 प्रतिशत वोट मिले थे। एसडीएफ़ द्वारा प्राप्त सबसे कम वोट शेयर 1994 में 42 प्रतिशत थे और 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उस चुनाव में उपविजेता एसएसपी थी जिन्हें लगभग 35 प्रतिशत वोट और 10 सीटें मिली थीं।

लोकसभा चुनावों के संदर्भ में, एसडीएफ़ को लोकसभा सीट के लिए, 1999 में – 52 प्रतिशत से कम वोट कभी नहीं मिला है। हालांकि, 2014 निश्चित रूप से पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था क्योंकि तब एसडीएफ़ को अपना अगला सबसे कम वोट शेयर प्राप्त हुआ था। 1999 में, सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री, नर बहादुर भंडारी की सिक्किम संग्राम परिषद (एसएसपी) ने लगभग 42 प्रतिशत वोट प्राप्त किए, जिसके कारण कांग्रेस ही मैदान में एकमात्र अन्य पार्टी थी। 2014 में, कांग्रेस और भाजपा दोनों के लड़ने के बाद भी, एसकेएम लगभग 40 प्रतिशत वोट लेने में कामयाब रही थी। एसडीएफ़, हालांकि 53.74 प्रतिशत वोट के साथ और 25.3 प्रतिशत के बहुमत के साथ जीत गयी थी।

Lok Sabha 2019
elections 2019
Northeast Phase 1
Northeast Phase 2
Arunachal Pradesh
manipur
meghalaya
MIZORAM
Nagaland
SIKKIM

Trending

भारत में "Anti Conversion Law" का इतिहास
जो निधि राज़दान के साथ हुआ, वो साइबर फ्रॉड आपके साथ भी हो सकता है!
क़रीब दो महीने पूरे, 60 ज़िंदगियां गुज़रीं, 9 दौर की बातचीत ख़त्म: प्रदर्शन कर रहे किसान उम्मीद की तस्वीर हैं
कोविड टीकाकरण शुरू, किसानों को डराने का हथकंडा भी!
कोविड-19 के ख़िलाफ़ भारत में शुरू हुआ विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान
घरेलू श्रम के मूल्य पर फिर छिड़ी बहस

Related Stories

घरेलू हिंसा
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
पांच राज्यों में 30 फीसदी से अधिक महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार
15 December 2020
देश के 22 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के मुताबिक, पांच राज्यों की 30 फीसदी से अधिक
भाजपा
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
11 राज्यों की 59 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा 40 से ज्यादा सीटों पर आगे
10 November 2020
दिल्ली: भाजपा ने 11 राज्यों की 59 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए मंगलवार को शुरू हुई मतगणना में बढ़त बना ली है। चुनाव आयोग की वे
उपचुनाव
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
10 राज्यों की 54 सीटों पर हुआ उपचुनाव: मप्र की 28 सीटों के लिए 68 फ़ीसदी से ज़्यादा मतदान
03 November 2020
आज बिहार विधानसभा के लिए दूसरे दौर की वोटिंग के अलावा 10 राज्यों में 54 अन्य विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव में वोट डाले गए। ये चुनाव सत्तारूढ़ भाजपा

Pagination

  • Next page ››

बाकी खबरें

  • Anti Conversion Law
    न्यूज़क्लिक टीम
    भारत में "Anti Conversion Law" का इतिहास
    17 Jan 2021
    देश के तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश ने धर्मांतरण रोधी कानून बनाया है जिसके विभिन्न प्रावधानों को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों एवं राजनीतिक दलों की अलग-अलग राय है।यह कानून…
  • मंजु प्रसाद :  कोमल रंगांकन के साथ एंद्रिय संयोजन
    श्याम कुलपत
    मंजु प्रसाद :  कोमल रंगांकन के साथ एंद्रिय संयोजन
    17 Jan 2021
    डॉ. मंजु के चिंतन में "प्रकृति और मानव व्यवहार" में स्त्री प्रकृति का सादृश्य है। मंजु के चित्रों में प्रकृति एक वस्तु (ऑब्जेक्ट) है जबकि उनके भूदृश्य (लैंडस्कैप) चित्रों में सबजेक्ट (विषय) हैं।   
  • माना कि राष्ट्रवाद की सब्ज़ी भी चाहिए/ लेकिन हुज़ूर पेट में रोटी भी चाहिए
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    माना कि राष्ट्रवाद की सब्ज़ी भी चाहिए/ लेकिन हुज़ूर पेट में रोटी भी चाहिए
    17 Jan 2021
    ‘इतवार की कविता’ में आज पढ़ते हैं संजीव गौतम के नए ग़ज़ल संग्रह ‘बुतों की भीड़ में’ से कुछ चुनिंदा ग़ज़लें जो हालात-ए-हाज़रा का आईना हैं।
  • cartoon
    डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    ...लो जी, फिर नई तारीख़
    17 Jan 2021
    जब तारीख़ ही देनी है तो एक बार में ही अगली सारी तारीख़ें दे दो। सरकार को अगली सारी की सारी तारीख़ें एकमुश्त ही दे देनी चाहिएं। उन्नीस के बाद फिर बाईस को, बाईस के बाद अट्ठाइस को।
  • अर्नब गोस्वामी
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    क्या अर्नब गोस्वामी को बालाकोट एयर स्ट्राइक की जानकारी पहले से थी?
    17 Jan 2021
    स्ट्राइक से तीन दिन पहले कथित लिखित सामग्रियां गोस्वामी को पार्थो दासगुप्ता से यह बताते हुए दिखाती हैं कि "कुछ बड़ा" होने वाला है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें