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“दंगा नहीं रोज़गार चाहिए, जुमला नहीं अधिकार चाहिए” : यंग इंडिया

ये मार्च अपने आप में ऐतिहासिक था क्योंकि देश के तमाम युवा और छात्र संगठन पहली बार एक ही मांग को लेकर एक साथ दिल्ली आये।
यंग इंडिया

गुरुवार, 7 फरवरी की सुबह दिल्ली के लाल किला और जामा मस्जिद का नज़ारा एकदम अलग था। हजारों कि संख्या में देश भर के छात्र और युवा अपने लिए अच्छी शिक्षा और रोजगार की मांग को लेकर यंग इंडिया मार्च में शमिल हुए।

मार्च लाल किले से शुरू होकर दिल्ली के संसद मार्ग पर पहुंचा और एक सभा में बदल गया। इस मार्च और सभा में देश के तमाम छात्र और युवा संगठनों के साथ देश के तमाम विश्वविद्यालय के छात्रसंघ नेता और राजनीतिक-सामाजिक दलों के नेता भी शमिल हुए।

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ये मार्च अपने आप में ऐतिहासिक था क्योंकि देश के तमाम युवा और छात्र संगठन पहली बार एक ही मांग को लेकर एक साथ दिल्ली आये। 

इससे पहले 22 जनवरी को यंग इंडिया अधिकार मार्च के समर्थन में दिल्ली के प्रेस क्लब में एक नागरिक सभा (सिटिजन्स सॉलिडेरिटी पब्लिक मीटिंग) आयोजित की गई थी, जिसमें  भारी संख्या में छात्र-नौजवान और अन्य लोग शामिल हुए थे।

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गुरुवार के इस अधिकार मार्च में रेलवे के अप्रेन्टिस कर्मचारी बड़ी संख्या में आये थे। उनका कहना था कि जॉब नहीं तो वोट नहीं। ऑल इंडिया रेलवे एक्ट अप्रेन्टिस एसोसिएशन के उपाध्यक्ष चंदन पासवान ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि जब से भाजपा सरकार आई है तब से हमें नौकरी नहीं मिल रही है जबकि हम डबल स्किल हैं हमने पहले आईटीआई किया उसके बाद हमने एक साल तक रेलवे में काम किया है लेकिन अब हमें सरकार नौकरी नहीं दे रही है जबकि पहले सभी अप्रेन्टिस को नौकरी मिलती थी लेकिन मोदी सरकार अब हमें केवल 20% ही नौकरी दे रही जबकि पहले हमें 100% नौकरी मिलती थी।

छात्र संगठन आइसा की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुचेता डे ने कहा कि अरुण जेटली ट्वीट कर कहते हैं कि देश में बेरोजगारी कोई समस्या  नहीं है अगर है तो कोई आंदोलन क्यों नहीं हो रहा है, आज इसी का जवाब देने हजारों की संख्या में नौजवान दिल्ली आये हैं। हमने जेटली साहब को भी आज आमंत्रित किया है कि वो आएं और युवाओं के इस हुजूम को देखें।

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पंजाब विश्विद्यालय की अध्यक्ष कनुप्रिया ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि संघ और भाजपा देश के कैंपस को जेल में बदल रही है, लेकिन उसी ताकत से छात्र भी उनका प्रतिरोध कर रहे हैं। इसी का उदाहरण हमने देखा पंजाब में। हमारे आंदोलन के आगे प्रशासन को झुकना पड़ा और अब कोई कर्फ्यू टाइम नहीं है। 

आज के मार्च में पूर्वोत्तर से काफी लोग आए थे। असम से आये छात्र नेता रंजीत करमसा ने कहा कि मोदी सरकार ने पूरे उत्तर भारत के लोगों को ठगने का काम किया है। मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण पूरा उत्तर पूर्व जल रहा है लेकिन मोदी सरकार नागरिक संसोधन विधेयक बिल को लागू करने पर अड़ी हुई है। हम इसका विरोध काफी समय से कर रहे हैं। हमने सुना है कि दिल्ली ऊँचा सुनती है इसलिए हम भी आज दिल्ली आये हैं।

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जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष एन साईं बालाजी ने मोदी सरकार को युवा विरोधी छात्र विरोधी बताते हुए कहा कि ये सरकार हर वर्ष 2 करोड़ रोजगार का वादा करके आई थी लेकिन आज पिछले 45 वर्षों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है।इसके साथ ही वो छात्रों पर भी हमले कर रही है। युवा इन सब सवालों का जवाब मांगने दिल्ली आये हैं।

जेएनयू के पूर्व छात्र अध्यक्ष कन्हैया ने अधिकार रैली को संबोधित करते हुए नारा दिया कि दंगा नहीं रोज़गार चाहिए, जुमला नहीं अधिकार चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के इस दौर में इस तरह की एकता की बहुत ज़रूरत है।

कन्हैया ने कहा चुनाव का बिगुल बज चुका है, वैसे मोदी जी जबसे चुनकर आए हैं वे प्रचार ही कर रहे हैं, वे लगातार चुनाव के मोड में हैं, लेकिन ये समय महत्वपूर्ण है क्योंकि मोदी जी का टॉक टाइम खत्म होने वाला है। और वे चाहते हैं कि जो उनकी जुमलेबाज़ी है उसे पांच साल के लिए और रिचार्ज कर दिया जाए...लेकिन उनकी तमाम कोशिशों के बावजूद, ईवीएम पर हमला करने के बावजूद, लोगों के ऊपर गोलियां चलाने के बावजूद, लोगों को जेलों के भीतर डालने के बावजूद, हिन्दुस्तान के भीतर लोकतंत्र की आवाज़ को ये दबा नहीं पाए हैं, लोकतंत्र ज़िंदा है और अपने हक और अधिकार के लिए लोग सड़कों पर उतर रहे हैं।

कन्हैया ने कहा ऐसे दौर में सबसे ज़रूरी बात ये है कि इनके मोदी नहीं तो कौनसवाल का मजबूत जवाब दिया जाए। ...तो इसका जवाब ये है कि मोदी के खिलाफ हिन्दुस्तान के युवा सड़कों पर खड़े हुए हैं। मोदी नहीं तो हम ये विकल्प लेकर हम इस देश में आए हैं।   

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गुजरात के विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने कहा कि मोदी सरकार जुमला सरकार है।  नौजवान अगर मोदी सरकार को ला सकता है वो उसे वापस भी भेज सकता है। अगर मोदी जी सोच रहे हैं कि सीबीआई के दम पर सरकार में वापस आ सकते हैं तो उन्हें हम यह बता दें कि अबकी बार कोई जुमला नहीं चलेगा।

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सभा को संबोधित करते हुए भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने अंतरिम बजट में किसान परिवार के लिए घोषित 6 हज़ार रुपये सालाना की योजना का जिक्र करते हुए कहा कि इस तरह महीने में कुल 500 रुपये और अगर पांच लोगों का किसान का परिवार हो तो प्रति सदस्य के हिस्से प्रति दिन केवल 3 रुपये 30 पैसे आएंगे। उन्होंने कहा कि ये किसानों की मदद नहीं किसानों का अपमान है। 3 रुपये 30 पैसे में आज एक चाय भी नहीं मिलती मोदी जी। इसी तरह उन्होंने मज़दूरों की पेंशन योजना की भी असलियत बताई। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि मोदी सरकार ने किसानों के साथ मज़ाक किया, मज़दूरों के साथ मज़ाक किया और युवाओं के साथ भी मज़ाक कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर मज़दूर-किसान और युवा, देश के सभी लोकतंत्र पसंद, इंसाफ पसंद लोग एक हो जाएंगे तो निश्चित ही इस देश में जो नफरत की खेती हो रही है, लूट और झूठ की खेती हो रही है वो बंद हो जाएगी। उन्होंने कहा कि हम आप सबके साथ इस लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे और मोदी सरकार को जाना होगा।

 

 

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