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एनडीए में भगदड़ शुरू, अपनों के अलावा सहयोगी भी छोड़ रहे हैं बीजेपी का साथ

यूपी के बहराइच से बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले के बाद एनडीए के सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है। उन्होंने मंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया है।
upendra kushwaha

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) नेता उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार को भाजपा की अगुआई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को छोड़ दिया और मोदी सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 

उपेंद्र कुशवाहा ने अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेज दिया है। कुशवाहा ने कहा कि मोदी बिहार के लोगों के साथ किए गए वादों को पूरा करने में असफल रहे हैं।

उपेंद्र कुशवाहा ने मोदी को भेजे गए पत्र में कहा, "बीते 55 महीनों से आपके मंत्रिपरिषद में सेवा करने के दौरान मुझे नजरअंदाज किया गया और आपने मेरे साथ छल किया है।"

उन्होंने कहा, "चुनावों से पहले लोगों से किए गए वादों व सत्ता में आने के बाद जो आपने किया उसमें विरोधाभास है।"

मोदी सरकार में उपेंद्र कुशवाहा मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री थे।

पिछले कुछ दिनों से कयास लगाए जा रहे थे कि उपेंद्र कुशवाहा जल्द ही एनडीए का साथ छोड़ देंगे।
 

कुशवाहा के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) की बिहार राज्य कमेटी ने कहा है कि मोदी सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।

सीपीएम राज्य सचिव अवधेश कुमार की ओर से जारी बयान के मुताबिक एनडीए सरकार के विरूद्ध उभरते जन अंसतोष-जन आक्रोश को देखते हुए केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने इस्तीफा दिया है। अगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा और उनके सहयोगी दलों की बुरी तरह पराजय होने की प्रबल सम्भावना के चलते एनडीए में भगदड़ शुरू हो गई है।

राज्य कमेटी के मुताबिक भाजपा और उसके सहयोगी दलों को परास्त करने, सीपीएम एवं अन्य वाम दलों की ताकत बढ़ाने और केन्द्र में एक वैकल्पिक धर्मनिरपेक्ष सरकार गठित करने के लिए पार्टी बिहार में पूरी उर्जा लगायेगी।

आपको बता दें कि इससे पहले अभी बीती 6 दिसंबर को उत्तर प्रदेश में दलित नेता और बहराइच से बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने बीजेपी पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया।

इतना ही नहीं चुनावी राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी के कई नेताओं ने उसका साथ छोड़ दिया।

बीजेपी के भीतर और बाहर दोनों जगह इन दिनों भगदड़ शुरू हो गई। बीजेपी के नेता उसका साथ छोड़ रहे हैं तो सहयोगी भी किनारा कर रहे हैं। शिवसेना पहले ही अलग मोर्चा खोल चुकी है। मंगलवार को पांच राज्यों के चुनाव परिणाम अगर बीजेपी के खिलाफ आते हैं तो 2019 से पहले तेज़ी से भगदड़ मचनी तय है।

(कुछ इनपुट आईएएनएस)

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