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गंभीर चूक : आतंकी नहीं पाक छात्र निकले दिल्ली पुलिस के पोस्टर में दिखाए गए युवक

इस मामले में सवाल उठता है कि जो युवक कभी भारत आए ही नहीं उनके आतंकवादी होने और दिल्ली में घुस आने होने की आशंका किस आधार पर बताई गई। जिन सूत्रों और सूचनाओं के आधार पर एडवाइजरी जारी की गई उन सूत्रों की गंभीरता से जांच होनी चाहिए।
delhi police poster
Image Courtesy: India Today

दिल्ली पुलिस और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) की एक गंभीर चूक का मामला सामने आ रहा है। हाल ही में 20 नवंबर को दिल्ली पुलिस ने एक एडवाइजरी जारी करके दो युवकों की तस्वीर जारी की थी, जिसमें दो युवक उर्दू में लिखे एक माइलस्टोन पर खड़े दिखाई दे रहे हैं। जिसमें दिल्ली 360 किलोमीटर और फिरोजपुर 9 किलोमीटर लिखा हुआ है। 
दिल्ली पुलिस द्वारा इन्हें "शक के आधार" पर आतंकवादी कहा गया और दिल्ली के कई इलाकों में पोस्टर चिपकाकर नागरिकों को सावधान रहने की चेतावनी दी गई और किसी भी प्रकार की सूचना मिलने पर पहाड़गंज पुलिस से संपर्क करने की अपील भी की गई।

तस्वीर में नज़र आ रहे युवकों द्वारा सोमवार 26 नवंबर, को पाकिस्तान के फैसलाबाद में एक प्रेस वार्ता की गई। प्रेस वार्ता में युवकों ने दिल्ली पुलिस द्वारा किए जा रहे सभी दावों को खारिज़ कर कहा कि "वह आतंकवादी नहीं बल्कि फैसलाबाद में तालीम-ए-इस्लामिया के छात्र हैं और कभी भारत नहीं गए। उन्होंने कहा कि वह किसी राजनीतिक दल और धार्मिक दल से जुड़े हुए नहीं हैं। वह पाकिस्तान में मौजूद हैं और सबके सामने उपस्थित हैं। "

प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि 11 नवंबर को रायविंड इज्तिमा के दौरान वो लाहौर गए थे और ये तस्वीर उस समय ली गई थी जब वो गांदा सिंध बॉर्डर पर थे। उन्होंने कहा कि वो नहीं जानते कि उनकी यह तस्वीर कैसे दिल्ली पुलिस के पास पहुंची। 

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने यह पुष्टि की है कि तस्वीर में दिख रहे दोनों छात्रों के नाम तय्यब और नदीम हैं। 
जाहिर है जिस प्रकार की भारतीय इंटेलिजेंस और दिल्ली पुलिस द्वारा चूक हुई है उससे रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) और दिल्ली पुलिस की छवि को ठेस पहुंची है। देश की बड़ी संस्थाओं द्वारा इतनी बड़ी चूक कई सवाल उठाती है।

देश के भीतर भी कई ऐसे मामले सामने आते रहे हैं जहां पुलिस द्वारा शक के आधार पर आतंकवादी होने जैसे गंभीर आरोप लगाकर कई नवयुवकों को गिरफ्तार किया गया लेकिन कोर्ट में उनके ऊपर एक भी आरोप साबित नहीं किया जा सका और कोर्ट द्वारा उन्हें बरी किया गया। लेकिन इस सब प्रक्रिया में काफी लंबा समय लगा और ऐसे नौजवानों का भविष्य बर्बाद हो गया।

इस मामले में भी सवाल उठता है कि जो युवक कभी भारत आए ही नहीं उनके आतंकवादी होने और दिल्ली में घुस आने होने की आशंका किस आधार पर बताई गई। इस बारे में दिल्ली पुलिस की ओर से अभी कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं किया गया है। इस बारे में दिल्ली पुलिस के पीआरओ से भी फोन पर बात करने की कोशिश की गई, लेकिन फोन नहीं उठा। इस पूरे मामले में जिन सूत्रों और सूचनाओं के आधार पर एडवाइजरी जारी की गई उन सूत्रों की गंभीरता से जांच होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की गलतियों से बचा जा सके और वैश्विक पटल किसी भी तरह की शर्मिंदगी का सामना न करना पड़े।

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