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गार्गी कॉलेज जैसी घटनाएं होना बेहद ख़तरनाक लेकिन इनपर चुप्पी और भी बड़ा अपराध!

"यूथ फ़ेस्ट और म्यूजज़िकल प्रोग्राम के दौरान लड़के जान-बूझ कर लड़कियों को यहां-वहां टच करते हैं, आपके क़रीब आने की कोशिश करते हैं लेकिन जब आप शिकायत करेंगे तो आपसे ही सवाल पूछे जाएंगे, आपको ही सलाह दी जाएगी कि आख़िर आपको वहाँ जाने की ज़रूरत ही क्या है।"
Gargi College
Image courtesy: India Today

दिल्ली विश्वविद्यालय का गार्गी कॉलेज इन दिनों सुर्खियों में है। कॉलेज के एक फ़ेस्ट के दौरान छात्राओं पर हुए यौन हमले ने पुलिस और प्रशासन पर सुरक्षा को लेकर दर्जनों सवाल खड़े कर दिए हैं। मामला सड़क से लेकर संसद तक पहुंच चूका है, सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सीबाआई जांच की मांग हुई तो वहीं अब डीयू प्रशासन ने भी महिला सुरक्षा के मद्देनज़र सभी कॉलेजों को पारदर्शी निगरानी तंत्र बनाने और दो हफ़्ते में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश जारी किए हैं। लेकिन छात्राओं का सवाल अभी भी बना हुआ है कि आख़िर बार-बार लड़कियों के साथ हो रही ऐसी घटनाओं पर डीयू प्रशासन लापरवाई बरतने के बाद चुप्पी कैसे साध लेता है?

दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले अलग-अलग कॉलेजों की छात्राओं का कहना है कि अक्सर फ़ेस्ट और दूसरे कार्यक्रमों के दौरान उनके साथ छेड़खानी की घटनाएँ होती रहती हैं। प्रशासन से शिकायत के बावजूद ना तो उस पर कोई कार्रवाई होती है और ना ही उसे संज्ञान में लिया जाता है। उल्टा आगे से कार्यक्रम ना करवाने की धमकी दे दी जाती है।

न्यूज़क्लिक ने इस संबंध में कुछ छात्राओं से बातचीत कर इस मामले की गंभीरता को समझने की कोशिश की।

क्या है पूरा मामला : गार्गी कॉलेज छेड़छाड़ मामला : छात्राओं का प्रदर्शन, पुलिस ने दर्ज की एफ़आईआर

लेडी श्रीराम कॉलेज की खुशबू कहती हैं, "मुझे लगता है ये बातें डीयू के हर फ़ेस्ट में दोहराई जाती हैं। गार्गी की घटना का स्तर बड़ा था और वो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गई, फिर भी कई दिन लग गए तब जाकर प्रशासन और पुलिस पर दबाव बन पाया। जिसके बाद अब कार्रवाई हो रही है। लड़कियों के लिए समाज, प्रशासन और पुलिस ने छेड़खानी- अभ्रदता को सामान्य मान लिया है।"

डीयू के ही मैत्रेयी कॉलेज की आकांक्षा बताती हैं, "अक्सर हमें कपड़ों और चाल-चलन से जज किया जाता है। अगर आप किसी अभ्रदता की शिकायत करेंगे तो प्रशासन और पुलिस सबसे पहले आपको जज करना शुरू कर देगा। यूथ फ़ेस्ट और म्यूजज़िकल प्रोग्राम के दौरान लड़के जान-बूझ कर लड़कियों को यहां-वहां टच करते हैं, आपके क़रीब आने की कोशिश करते हैं लेकिन जब आप कम्प्लेन्ट करेंगे तो आपसे ही सवाल पूछे जाएंगे, आपको ही सलाह दी जाएगी कि आख़िर आपको वहाँ जाने की ज़रूरत ही क्या है।"

गार्गी कॉलेज की लड़कियों ने भी प्रिंसिपल प्रोमिला कुमार से इस यौन हमले की शिकायत की, लेकिन लड़कियों का आरोप है कि प्रिंसिपल ने उन्हें ही फटकार लगाते हुए कहा कि 'इसी वजह से मैं फ़ेस्ट ऑर्गनाइज़ करना पसंद नहीं करती। तुम्हीं लोगों को फ़ेस्ट चाहिए होते हैं।' ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि क्या सुरक्षा के तमाम वादों और दावों के बीच आज भी समाज में पुलिस और प्रशासन पर पितृसत्ता की सोच हावी है?

महिला अधिकारों के क्षेत्र में कार्यरत ग़ैर सरकारी संगठन अनहद की सृष्टी ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, "महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा एक गंभीर मुद्दा है। फिर चाहे वो सड़क पर हो या घर में, लेकिन हैरानी है कि शिक्षण संस्थानों में भी पुलिस और प्रशासन की पनाह में छात्राएं सुरक्षित नहीं हैं। शिकायत आने के बावजूद प्रशासन पूरे मामले पर चुप्पी साध लेता है। क्या हम यहाँ हर बार किसी बड़ी घटना होने का इंतज़ार करते हैं? बच्चियों को अपनी आवाज़ सुनाने के लिए भी प्रदर्शन करना पड़ा, क्या हम वाक़ई देश की राजधानी में हैं?"

बता दें कि गार्गी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के लिये याचिका पर विचार से इंकार कर दिया है। चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने याचिकाकर्ता वकील मनोहर लाल शर्मा से कहा कि उन्हें इसके लिये दिल्ली हाई कोर्ट जाना चाहिए। शर्मा ने इस याचिका का उल्लेख करते हुए शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया था।

इस संबंध में वकिल आर्शी जैन कहती हैं, "सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही का एक प्रोसेस है। ये मामला एक विशेष जगह से जुड़ा हुआ है, जो दिल्ली प्रदेश के अंदर आता है इसलिए इस पर सुनवाई का पहला अधिकार भी दिल्ली हाई कोर्ट का ही है। हालांकि अगर सुप्रीम कोर्ट चाहे तो इसकी सुनवाई कर सकता था या स्वत: संज्ञान भी ले सकता था लेकिन यहां पहले से कई मामले लंबित पड़े हैं और बेहतर हैं चीज़े एक तय प्रक्रिया के अनुसार ही हों।"

इस मामले में छात्राओं ने दिल्ली पुलिस पर भी यह आरोप लगाया गया है कि जब रविवार 9 फ़रवरी को ही यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा था, तब भी साउथ दिल्ली पुलिस ने जांच कराना ज़रूरी नहीं समझा। पुलिस क्यों कॉलेज प्रशासन की एफ़आईआर का इंतज़ार कर रही थी? छात्राओं के साथ बद्तमीज़ी पुलिस की मौजूदगी में हुई, फिर पुलिस द्वारा आख़िर कोई क़दम क्यों नहीं उठाया गया?

गार्गी कॉलेज की एक छात्रा ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "इस बार कॉलेज ने बाउंसर की तैनाती की थी। सुरक्षा बल भी वहाँ थे लेकिन वे सब देख रहे थे। मेरी दोस्त जिसके साथ छेड़छाड़ हुई है, उसने सुरक्षाकर्मियों से मदद की गुहार लगाई लेकिन वह हिला तक नहीं। सुरक्षा के मद्देनज़र कॉलेज ने इस साल पुरुष आगंतुकों के लिए पास व्यवस्था लागू की थी। लेकिन कई लोग बिना पास के भी घुस आए, आख़िर पुलिस और प्रशासन क्या कर रहे थे?"

उधर, मामले के तूल पकड़ने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने गार्गी कॉलेज की घटना को लेकर सभी प्रिंसिपल्स को परामर्श जारी कर छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है। डीयू ने 10 फ़रवरी को जारी परामर्श में कॉलेजों को दो सप्ताह के भीतर छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने के लिए भी कहा है। डीयू ने गार्गी कॉलेज में हुई घटना की निंदा करते हुए पुलिस से इस घटना में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का अनुरोध किया है। परामर्श में कहा गया है कि डीयू ने कॉलेज की प्राचार्य से इस मामले में की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट भी मांगी है।

ग़ौरतलब है कि गार्गी कॉलेज में 4 से 6 फ़रवरी के बीच एक एनुअल फ़ेस्ट हुआ। फ़ेस्ट के आख़िरी दिन 6 फ़रवरी को सिंगर ज़ुबिन नौटियाल के कार्यक्रम के दौरान कुछ लड़के कॉलेज में गेट और बैरिकेड फांदकर अंदर घुस आए। आरोप है कि उन्होंने लड़कियों से बद्तमीज़ी की, छेड़छाड़ जैसी घटनाएं हुईं। इस घटना से संबंधित कई पोस्ट सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हो रहे हैं।

एक पोस्ट के मुताबिक, जो लड़के कॉलेज में घुसे वो नशे में थे और ‘जय श्री राम’ के नारे लगा रहे थे। इसके बाद 10 फ़रवरी को छात्राओं ने बड़ा विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद मामले पर एफ़आईआर दर्ज हुई। 

फ़िलहाल छात्राएँ इस घटना के लिए कॉलेज प्रशासन और पुलिस पर आरोप लगा रही हैं, साथ ही उनके इस्तीफ़े की मांग भी कर रही हैं।

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