Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

पौधों के धरती पर बचे रहने की वजह बैक्टीरिया से एल्गी में होने वाला 'जीन ट्रान्सफ़र' है

हालिया शोध से पता चला है कि पानी के ज़रिये जीवन की विकास यात्रा के लिए एल्गी (शैवाल) जीनोम में पाए जाने वाले जीन की भूमिका बेहद अहम रही है।
gene transfer
Image Courtesy: New York Times

लगभग डेढ़ अरब साल पहले, पृथ्वी ग्रह बिलकुल ख़ाली था। न कोई पेड़, न कोई इंसान और न ही किसी बड़े जानवर का कोई अस्तित्व था। एकमात्र जीवन रूप में जो उस समय अस्तित्व में था, वे कुछ बैक्टीरिया और कवक (फ़ंगाई) थे।

जब पौधों ने ज़मीन पर अपनी जड़ें पहुँचानी शुरू कीं, तो वे जंगलों, दलदल और झाड़ियों के रूप में विकसित होने लगे। पौधों ने इस गृह को ऑक्सीजन से भर डाला, और नतीजे के तौर पर धरती पर जीवन के अन्य स्वरूपों के अस्तित्व को बनाए रखने की गुंजाईश पैदा हो गई। दूसरे शब्दों में कहें तो पानी के अलावा अब ज़मीन पर जीवन अस्तित्व में आने लगा। ये पौधे ही थे जिन्होंने पृथ्वी की सतह को हमेशा के लिए बदल दिया था।

आज, अकेले पौधे 500 अरब टन कार्बन की मात्रा को धारण किये हुए हैं, जो बाक़ी सभी जीवित जीव-जंतुओं के सम्मिलित कार्बन से कहीं अधिक है। यह पृथ्वी का उच्चतम बायोमास है।

लेकिन सवाल यह है कि धरती पर अपनी जीत हासिल करने के क्रम में पौधे कैसे विकसित हुए? विकासवादी रहस्य को इस बारे में Cell में प्रकाशित एक हालिया शोध से कुछ रोशनी मिलती है। शोध दर्शाता है कि पौधे एल्गी (शैवाल) से विकसित हुए हैं। शैवाल जीनोम के विश्लेषण के आधार पर इस शोध में पाया गया कि इन जीनोम में पाए जाने वाले जीन पानी से जीवन की विकास यात्रा के लिए बेहद महत्वपूर्ण थे। एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू जो इस शोध ने इंगित किया है कि शैवाल जीनों में से कुछ जीन मिट्टी के जीवाणुओं से प्राप्त किए गए थे। और संभवतः ये जीन एक पूर्वज के रूप में तब्दील हो गए, जिन्हें शैवाल और ज़मीन पर उगने वाले पौधों द्वारा साझा किया गया।

स्पाइरोग्लोआ मस्किकोला और मेसोताएनियम एंडलिचेरियनम नामक दो शैवालों को तारतम्य में किया गया और उनके जीनोम का विश्लेषण किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि 22 जीन परिवारों में 902 जीन ऐसे पाए जिन्हें दो शैवाल और ज़मीन पर उगने वाले पौधों ने साझा किया था। ये जीन अन्य शैवालों में अनुपस्थित थे। ये दोनों जीन, जब पौधों के परिवार के दो समूह क़रीब 58 करोड़ साल पहले एक दूसरे से अलग हो रहे थे, उसके ठीक पहले के विकास के निशान हैं।

शोध में यह भी पाया गया कि ये दोनों जीन, जीनों के लिए साझा किये गए जीन परिवारों के कोड थे जो पौधों में सूखते जाने और अन्य तनावों से निपटने में मदद करते हैं। वे जीन मिट्टी के बैक्टीरिया में भी होते हैं और किसी अन्य जीवों में नहीं होते। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि ये जीन शैवाल और ज़मीन पर उगने वाले पौधों के साझा पूर्वज के रूप में स्थानांतरित हो गए, क्योंकि शैवाल और पौधों की तुलना में बैक्टीरिया काफ़ी पहले विकसित हो चुका था।

जर्मनी के जॉर्ज अगस्त यूनिवर्सिटी ऑफ़ गोटिंगेन के एक विकासवादी प्लांट जीवविज्ञानी, जन डे व्रिएस कहते हैं, "यह शोध आरंभिक दौर के पौधों के विकास के क्षेत्र के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है। मिट्टी के बैक्टीरिया के रूप में एक लिंक के रूप में यह एक अतिरिक्त पुरस्कार के समान है।"

फ़्लोरिडा विश्वविद्यालय की एक अन्य पादप विकासवादी जीवविज्ञानी पामेला सोल्टिस ने कहा, "क्षैतिज जीन स्थानांतरण ने हो सकता है कि भूमि को आबाद करने में अपना योगदान दिया हो, जो बेहद रोमांचक है। हालाँकि यह पूरी तरह से स्वीकार्य है कि बैक्टीरिया आपस में जीन का आदान-प्रदान करते हैं। लेकिन और अधिक जटिल जीवों में जीन के हस्तांतरण के उदाहरण अभी भी विवादास्पद बने हुए हैं। यदि यह मामला आगे बढ़ता है, तो यह प्रदर्शित करता है कि विकास के लिए होने वाली यह प्रक्रिया कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है।”

ये निष्कर्ष कई पहलुओं से बेहद अहम हैं। सबसे पहले, यह इस विकसित होते तथ्य में यह योगदान देता है कि आनुवंशिक हेरफेर प्रकृति में होता आया है। पहला यह कि, इस प्रकार के हेरफेर जीवन के विकास और अंततः जलवायु के लिए महत्वपूर्ण हैं। दूसरा, उन्नत और जटिल जीवों में भी जीवाणु जीन का स्थानांतरण हो सकता है।

इस कहानी की शुरुआत 2006 से हुई, जब शोध के क्षेत्र में प्रमुख वैज्ञानिक माइकल मिल्कोनियन, अपने पौधे इकट्ठा करने के अभियन पर निकले थे। वह कोलोन विश्वविद्यालय से 50 किलोमीटर दूर चले गए जहाँ पर वे कार्यरत हैं। मेल्कोनियन ने वहाँ एक असामान्य शैवाल को पाया, जिसका ज़िक्र सिर्फ़ 19वीं शताब्दी के फ़्रांसीसी प्राकृतिक इतिहासकारों के विवरणों में मिलता है।

अब मिल्कोनियन कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ़ अल्बर्टा के एक जेनोमिसिस्ट, गेन का-शू के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जिसका संबंध इस विचित्र शैवाल के जीनोम अनुक्रमण को समझने के साथ-साथ इसके एक क़रीबी रिश्तेदार को समझने से है।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest