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हिमाचल: अंबुजा सीमेंट की फैक्ट्री स्थानीय लोगों के लिए बनी जान का खतरा?

स्थानीय लोगों ने शिकायत की है कि सीमेंट फैक्ट्री में होने वाली आवाज़ और ट्रकों की आवाजाही व हॉर्न की तेज़ आवाज़ ने उनका जीवन नर्क बना दिया है|
हिमाचल प्रदेश

हिमाचल के सोलन ज़िले की एक सीमेंट फैक्ट्री का मामला इस तथ्य का प्रमाण है कि यह फैक्ट्रियाँ न सिर्फ इनमें काम करने वाले मज़दूरों बल्कि आस-पास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैंI सोलन में अंबुजा सीमेंट की एक फैक्ट्री राउरी गाँव के नज़दीक स्थित हैI इस गाँव की 60% से ज़्यादा आबादी को साँस की बीमारी है; पीड़ितों में ज़्यादा संख्या बच्चों की हैI 

 इसी मुद्दे पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने हिमाचल प्रदेश में मौजूद गुजरात अंबुजा सीमेंट लिमिटेड की सीमेंट इंडस्ट्री के संबंध में पूरी विस्तृत रिपोर्ट के लिए दोबारा एक टीम गठित कर चार हफ्तों में स्वास्थ्य जाँच और प्रदूषण संबंधी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है।

सीपीएम के नेता और जिला परिषद सदस्य  श्री राम किशन ने बताया कि अंबुजा सीमेंट  का पहला संयंत्र 1991 में लगा थाI उस समय भी इसका विरोध किया गया था क्योंकि इसके लिए अधिग्रहित ज़मीन का सही मुआवज़ा नहीं दिया गया था और न ही लोगों का पुनर्वास किया गया थाI

इसका दूसरा संयंत्रसंयंत्र 2008 में लगाया गयाI  इस बार भी ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया के दौरान सही मुआवज़ा नहीं दिया गयाIसंयंत्र

स्थानीय  लोगों ने शिकायत की है कि सीमेंट फैक्ट्री में होने वाली आवाज़ और ट्रकों की आवाजाही व हॉर्न की तेज़ आवाज़ ने उनका जीवन नर्क बना दिया है|  पूरा गाँव शिमला उच्च न्यायालय के पूर्व आदेश के आधार पर पुनर्वास योजना के तहत दूसरी जगह पर जमीन और घर की सुविधा चाहता है|

 इस नए  संयंत्र के सन्दर्भ में स्थिति इसलिए और भी भयावह हो जाती है क्योंकि इसे सभी नियम कानून को ताक पर रख  रिहायशी इलाके से महज़ 20 मीटर की दूरी पर बनाया गया है| फैक्ट्री के कारण वहाँ कम्पन रहता हैI

 इस गाँव में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसे इस संयंत्र के कारण किसी न किसी बीमारी न हुई हो, किसी को दमा है तो किसी को त्वचा रोग |

राम किशन ने कहा कि “अब तो इसने यहाँ के पशुओं को भी अपने चपेट में ले लिया है| इस सीमेंट फैक्ट्री के कारण वहाँ के आस-पास का चारा भी ज़हरीले हो गया है| जिसे खाने से पशु बीमार हो रहे हैं और कईयोंकी मौत भी हो चुकी है”|

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि    ने 28 जून 2017 को  राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में शिमला  के इंदिरा गाँधी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की ओर से फाइल की गई रिपोर्ट में साफतौर दिख रहा कि सीमेंट फैक्ट्री की वजह से ध्वनि और वायु प्रदूषण बड़े स्तर पर फैल रहा है|

 इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव आदि का अलग से कोई उल्लेख नहीं किया गया था, इसलिए दोबारा स्वास्थ्य जाँच के लिए समीति गठित की जा रही है|

 अंबुजा कर्मचारी यूनियन के प्रधान लक्षी राम के अनुसार यहाँ सिर्फ पर्यावरण के नियमों का ही उल्लंघन नहीं हो रहा बल्कि श्रम कानूनों का भी मखौल  उड़ाया जा रहा है| अभी कुछ महीने पहले ही सुरक्षा कानूनों की अनदेखी के कारण कंपनी में कार्यरत एक कर्मचारी, इंद्रदेव, की कन्वेयर बेल्ट में आ जाने से मौत हो गई। 

प्रधान लक्षी राम के अनुसार  इन्द्रदेव कश्लोग स्थित माइन प्वाइंट पर अकेले ड्यूटी करता था। जिस स्थान पर उसकी डयूटी थी वहाँ एक नहीं बल्कि एक से अधिक कर्मचारियों की ज़िम्मेदारी बनती थी, लेकिन इंद्रदेव मजबूरी में वहाँ अकेले ही नौकरी कर रहा था। यूनियन के प्रधान ने बताया कि कंपनी ने छोटे कर्मचारियों की संख्या कम कर दी है  और जिस कारण एक कर्मचारी को दो कर्मचारियों के बराबर कार्य करना पड़ रहा है| जिससे ऐसे हादसे होने का डर बना रहता है। अगर उसके साथ एक कर्मचारी भी और होता तो उनकी जान बच सकती थी।

जिला सोलन के दाड़लाघाट के इसी सीमेंट फैक्ट्री में कुछ माह पहले एक गंभीर हादसे में दो कर्मचारियों की मौत हो गई थी जबकि एक ज़ख्मी हुआ था| उन पर गर्म लावा गिर गया था| इस हादसे ने अंबुजा सीमेंट फैक्ट्री में सुरक्षा मानदण्ड पर सवाल खड़ा कर दिया हैऔर सरकार के उन अफसरों पर भी जिन्होंने फैक्ट्री को सुरक्षा  के सम्बन्ध में एनओसी जारी किया था|

 

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