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13-14 मई को बिहार प्रलेस का 17वां सम्मलेन, जारी किया पोस्टर

इस बार का सम्मेलन कई सत्रों में होना है। 'नफ़रत की सियासत और लोकमत', "वर्तमान समय में लेखकों के समक्ष सृजनात्मक बाधाएं', 'बिहार की लोकभाषाओं में प्रतिवाद के स्वर' तथा ' इककीसवीं सदी तरक्कीपसंद हिंदी-उर्दू की फ़िक्री बुनियाद'। इसके बाद शाम में कवि सम्मेलन होगा।
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बिहार प्रगतिशील लेखक संघ के सत्रहवें (17वें ) राज्य सम्मेलन के लिए पोस्टर आज कालिदास रंगालय में जारी किया गया। चर्चित कथाकार संतोष दीक्षित, आलोचक व प्राध्यापक सुनीता सृष्टि, कवि सत्येंद्र कुमार तथा अनीश अंकुर ने संयुक्त रूप से जारी किये गए पोस्टर का मुख्य थीम है 'लोकतंत्र पर बढ़ते हमले, हिफ़ाज़त में उठते कदम'। पटना शहर में एक लम्बे वक़्त के बाद बिहार प्रलेस का सम्मेलन हो रहा है।

यह सम्मेलन हर तीन साल पर होता है। राज्य सम्मेलन को राष्ट्रीय सम्मेलन के पूर्व संपन्न कर लेना होता है जो अगस्त माह में मशहूर व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के शहर जबलपुर में होना है।

बिहार प्रगतिशील लेखक संघ का यह राज्य सम्मेलन 13-14 मई को ए. एन. सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान में होगा। इसके उदघाटन में प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव सुखदेव सिंह सिरसा (पंजाब) , अध्यक्ष विभूति नारायण राय (दिल्ली) , राजेंद्र राजन (पूर्व राष्ट्रीय महासचिव प्रलेस), कवि नरेश सक्सेना, कथाकार रणेन्द्र (झारखण्ड) , आलोचक शकील सिद्दीकी (लखनऊ) , सुहेल वाहिद, एस. एन मालाकार (दिल्ली) , मिथिलेश कुमार सिंह ( झारखण्ड प्रलेस), संजय श्रीवास्तव (उत्तर प्रदेश प्रलेस), सुहेल वहीद (लखनऊ), रवीन्द्र नाथ राय (महासचिव, बिहार प्रलेस), सुनीता गुप्ता ( कार्यकारी अध्यक्ष) संतोष दीक्षित आदि प्रमुख है।

ज्ञातव्य हो कि बिहार प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना 1944 में हुई थी। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर उसके स्वागतध्यक्ष थे।

इस बार का सम्मेलन कई सत्रों में होना है। 'नफ़रत की सियासत और लोकमत', "वर्तमान समय में लेखकों के समक्ष सृजनात्मक बाधाएं', 'बिहार की लोकभाषाओं में प्रतिवाद के स्वर' तथा ' इककीसवीं सदी तरक्कीपसंद हिंदी-उर्दू की फ़िक्री बुनियाद'। इसके बाद शाम में कवि सम्मेलन होगा।

इस सम्मेलन में 13 मई को खुला सत्र होगा जबकि 14 मई की दोपहर से सांगठनिक सत्र होगा। जिसके बाद अगले तीन सालों के लिए नई कमिटी का चुनाव होगा।

इस मौके पर राज्य सम्मेलन के लिए बनी स्वागत समिति के जयप्रकाश, राजू कुमार, गौतम गुलाल, बिट्टू भारद्वाज एवं विनीत राय आदि मौजूद थे।

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