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आज़ादी के 75 साल: एक अगस्त से सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ किसानों-मज़दूरों का देशव्यापी अभियान

शुक्रवार  को मज़दूर संगठन सीटू , किसान संगठन एआईकेएस , और खेत मज़दूर संगठन   एआईएडब्ल्यूयू ने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्र सरकार की "जनविरोधी" नीतियों के ख़िलाफ़ 1अगस्त से 15 दिन का "संयुक्त देशव्यापी अभियान" शुरू करने का एलान किया।
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फाइल फ़ोटो।

देश कि राजधानी मे मज़दूर , किसान और खेत मज़दूर यूनियन एक साथ आए और एक साझे संघर्ष का एलान किया। शुक्रवार को मज़दूर संगठन सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू), किसान संगठन अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस), और खेत मज़दूर संगठन अखिल भारतीय खेत मज़दूर यूनियन (एआईएडब्ल्यूयू) ने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने केंद्र सरकार की "जनविरोधी" नीतियों के खिलाफ  1 अगस्त, 2022 से 15 दिन का "संयुक्त देशव्यापी अभियान" शुरू करने का ऐलान किया। 
 
ये संयुक्त आंदोलन मोदी सरकार के द्वारा चले जा रहे अभियान को देखते हुए शुरू किया गया। जिसमें केंद्र सरकार ने देश कि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव के नारे के साथ एक अभियान चलाया है, जिसमें वो अपनी उपलब्धि को बता रही है। जबकि किसान- मज़दूर संगठनों का कहना है ये सरकार मज़दूरों और लोगों द्वारा स्वाधीनता आंदोलन मे  कुर्बानी देकर हासिल किए गए अधिकारों को कुचल रही है। हम इस अभियान के तहत इसका पर्दाफाश करेंगे।

प्रेस कॉन्फ्रेंस को पूर्व लोकसभा सांसद और एआईकेएस के महासचिव हन्नान मौल्ला, पूर्व राज्यसभा सांसद और सीटू के महासचिव तपन सेन और एआईएडब्ल्यूयू के महासचिव बी वेंकट ने संबोधित किया।

मौल्ला के अनुसार, "मौजूदा मोदी सरकार मे श्रमिकों, किसानों, खेत मज़दूरों, कारीगरों और मेहनतकश लोगों के सभी वर्गों की स्थिति लगातार खराब हो रही है। इन्होंने कोरोना के दौरान लोगों के स्वास्थ्य, जीवन और आजीविका की रक्षा के लिए उपाय करने के बजाय, लोगों पर अधिक बोझ डालने के अवसर के रूप में  महामारी का उपयोग किया है।"

उन्होंने कहा, "लोगों को कोई राहत देने के बजाय, इन्होंने(मोदी सरकार) विदेशी कंपनियों सहित बड़े कॉरपोरेट्स को 'प्रोत्साहन' और रियायतें प्रदान करने के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग किया है और उन्हें बड़ी संपत्ति अर्जित करने में मदद की है।"

मौल्ला ने वर्तमान में देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के गंभीर संकट की ओर इशारा किया। उन्होंने ऑल्ट न्यूज़ के मोहम्मद जुबैर के हालिया मामले का उदाहरण देते हुए कहा, "पत्रकार, बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता, मानवाधिकार कार्यकर्ता सभी को परेशान किया जा रहा है। उनपर लगातार हमला किया जाता है, गिरफ्तार किया जाता है और गैर ज़मानती धाराओं मे  जेल में डाल दिया जाता है। असहमति के स्वर को बुलडोज किया जा रहा है।"

उन्होंने कहा कि खासकर भाजपा शासित राज्यों में इस दौरान दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं पर हमले बढ़े हैं, जो हमारे मेहनतकश वर्ग का  एक बड़ा हिस्सा हैं।

मौल्ला ने सत्ताधारी दल के नारे का तीखा विरोध करते हुए कहा कि सरकार की नीतियों ने 75वीं वर्षगांठ समारोह अमृत महोत्सव नहीं बल्कि मेहनतकशों के लिए इसे सरकार ने "ज़हर" में बदल दिया है।

तपन सेन ने भी इस पहलू पर जोर दिया, भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र सरकार पर अपनी सांप्रदायिक और ध्रुवीकरण बयानबाजी, दंगों और "बुलडोजर" के माध्यम से देश की नसों में जहर डालने का आरोप लगाया।

सेन ने केंद्र की नीतियों के आर्थिक पहुलाओं पर बात कही। उन्होंने कहा कृषि उपकरणों सहित सभी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है। मज़दूरों की वास्तविक मजदूरी में कमी आई है। किसानों के लिए कृषि, विशेष रूप से गरीब किसानों के लिए अव्यवहारिक हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में नरेगा मे कार्य दिवसों में गिरावट आई है। मोदी सरकार ने किसानों को उनकी  आय को दोगुना करने के बहुप्रचारित वादे पर पूरी तरह से झांसा साबित हुआ  है, आय दोगुनी तो छोड़िए कृषि आय में भारी गिरावट आई है। जबकि मनरेगा के काम की मांग बढ़ गई है लेकिन सरकार ने योजना के लिए बजट का आवंटन कम कर दिया है।"

सेन ने आगे कहा "बेरोजगारी खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। लाखों सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम बंद हो गए हैं, जिसके परिणाम स्वरूप करोड़ों नौकरियों का नुकसान हुआ है। मोदी सरकार द्वारा घोषित सभी रियायतों और प्रोत्साहनों के बावजूद, निजी क्षेत्र में कोई नया रोजगार सृजन निवेश नहीं आ रहा है।"  

उन्होंने इस कार्यक्रम कि जरूरत पर कहा कि  सीटू, एआईकेएस और एआईएडब्ल्यूयू ने नवउदारवादी नीतियों के साथ-साथ आरएसएस निर्देशित मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के सांप्रदायिक विभाजनकारी एजेंडा के खिलाफ एक मजबूत देशव्यापी प्रतिरोध विकसित करने के लिए संयुक्त अभियान और कार्रवाई कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है।

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह अभियान श्रमिकों, किसानों और खेत मज़दूरों  की प्रमुख आम मांगों पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें महंगाई , रोजगार, सभी के लिए स्वास्थ्य, आवास, मुफ्त शिक्षा, न्यूनतम मजदूरी, एमएसपी और सुनिश्चित सरकारी खरीद,  छोटे किसानों के लिए ऋण माफी, राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन सहित निजीकरण को रोकना और श्रम संहिताओं को समाप्त करना शामिल है। यह अभियान सभी वर्गों के लोगों से अपनी एकता बनाए रखने और सभी प्रकार के  सांप्रदायिक विभाजनकारी ताकतों को जोरदार ढंग से हराने का आह्वान करेगा।

इस अभियान का समापन 14 अगस्त की शाम को जिला मुख्यालयों पर व्यापक संयुक्त लामबंदी और विरोध कार्यक्रमों और देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ होगा।

इसके अलावा तीनों संगठन 8 अगस्त, 2022 को 'भारत छोड़ो' दिवस के उपलक्ष्य में लोगों को लामबंद करेंगे और जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेंगे। इस अभियान के आगे बढ़ाते हुए सीटू, एआईकेएस, और एआईएडब्ल्यूयू 5 सितंबर को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में एक संयुक्त राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करेंगे ताकि भविष्य के अभियान और कार्रवाई कार्यक्रमों को चाक-चौबंद किया जा सके।

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