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उत्तर प्रदेश में मध्याह्न भोजन के अभाव में 8 साल की छात्रा को पानी पीकर मिटानी पड़ी ‘भूख’

राज्य में एक बार फिर से खुलने के बाद से अधिकांश स्कूलों में विद्यार्थियों को मध्याह्न भोजन योजना के तहत भोजन नहीं मुहैया कराया जा रहा है। 
उत्तर प्रदेश में मध्याह्न भोजन के अभाव में 8 साल की छात्रा को पानी पीकर मिटानी ‘भूख’ पड़ी
चित्र साभार: पीटीआई 

उत्तर प्रदेश में लखनऊ के चिनहट ब्लॉक की आठ-वर्षीया आकृति सुमन रोजाना अपने स्कूल इस उम्मीद के साथ जाती है कि मिड डे मील योजना के तहत उसे दोपहर का भोजन खाने को मिलेगा। हालाँकि, सुबह 9:30 बजे जब आकृति के माता-पिता ने खेत मजदूर के तौर पर काम पर जाने से पहले उसे स्कूल छोड़ा तब से लेकर दोपहर 1 बजे तक उसे कोई भोजन नहीं दिया गया। अंत में जाकर भूखी-प्यासी बच्ची को पानी पीकर अपनी भूख मिटानी पड़ी।

आकृति ने न्यूज़क्लिक को बताया “हर दिन, वे कहते हैं कि कल से भोजन दिया जाएगा, लेकिन ये कल कभी नहीं आता।” कुछ विद्यार्थी हैं जो अपने साथ लंचबॉक्स लाते हैं, लेकिन “घर पर पर्याप्त राशन के अभाव के कारण” उसके लिए यह सब कर पाना संभव नहीं है। उसने आगे बताया “मिड डे मील के रसोईया रोज स्कूल आते हैं लेकिन जब उन्हें पकाने के लिए राशन नहीं दिया जाता तो वे वापस लौट जाते हैं। स्कूल ने ड्रेस, जूते और किताबें भी नहीं दी हैं।”

रमेश, जिनके तीन बच्चे यूपी के बाराबंकी के एक सरकारी स्कूल में दाखिला लिए हुए हैं, कहते हैं, “कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब स्कूल बंद था तो हमें या तो राशन या हमारे बैंक खातों में कुछ रकम मिलने की उम्मीद थी, लेकिन हमें कुछ भी नहीं मिला। 1 सितंबर से स्कूल फिर से खुल गए हैं लेकिन विद्यार्थियों को न तो भोजन दिया जा रहा है और न ही उन्हें पुस्तकें ही मिली हैं। स्कूल ने खाना पकाने का कोई इंतजाम नहीं किया है।”

बाराबंकी के एक प्राथमिक विद्यालय में दाखिला पाया हुआ अरुणेश उस समय बेहद उत्साहित था, जब इस बात की घोषणा की गई थी कि 18 महीनों के अंतराल के बाद स्कूल एक बार फिर से खुलने जा रहे हैं। उसने न्यूज़क्लिक को बताया “हम प्रतिदिन एक बार के भोजन पर जिंदा हैं क्योंकि स्कूल से हमें खाने को नहीं मिल रहा है। मैं एक बार फिर से अपने दोस्तों को देखने को लेकर बेहद उत्साहित था और उम्मीद कर रहा था कि मुझे नई-नई किताबें और खाने को पौष्टिक भोजन मिलेगा। हमारे अध्यापक इसका कारण बता पाने में खुद को असमर्थ महसूस कर रहे हैं। भोजन की अनुपलब्धता के कारण मेरे कई दोस्तों ने स्कूल आना बंद कर दिया है।”

योजना के तहत सरकारी और सरकारी सहायता पर चलने वाले स्कूलों में कक्षा एक से लेकर आठ तक के विद्यार्थी छुट्टियों के दिनों को छोड़कर मुफ्त भोजन पाने के हक़दार हैं। लेकिन स्कूल खुलने के बाद पिछले 20 दिनों से उन्हें भोजन नहीं मुहैया कराया जा रहा है। एक अध्यापक ने दावा किया कि खाद्यान्न के अभाव में यह योजना ठप पड़ी हुई है।

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता, वीरेंद्र मिश्रा का इस बारे में कहना है “पूरे उत्तर प्रदेश में यही स्थिति है। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने मिड डे मील योजना के लिए धनराशि आवंटित कर दी थी, लेकिन कोटेदार (राशन वितरक) की लापरवाही के कारण विद्यार्थियों को भोजन नहीं मिल पा रहा है।” उनका आगे कहना था कि “अपने बच्चों को स्कूल भेजने वाले माताओं-पिताओं का मुख्य सरोकार इसकी रहती है क उन्हें भोजन मिले क्योंकि उनमें से अधिकाँश लोग आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग से आते हैं।”

इस बीच, वाराणसी के ककरमत्ता कस्बे में एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय के कई विद्यार्थियों ने स्कूल द्वारा परोसे जाने वाले दोपहर के भोजन को कचरे में फेंक दिया क्योंकि उसमें दुर्गन्ध आ रही थी। कुछ विद्यार्थियों को शक था कि इसे कल रात पकाया गया था।

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार को विशेष तौर पर महामारी के दौरान मिड डे मील योजना की महत्ता की याद दिलाई थी। लखनऊ स्थित एक सामाजिक कार्यकर्ता रमन सिंह ने न्यूज़क्लिक को बताया “हमारी टीम ने लखनऊ, वाराणसी, बाराबंकी, उन्नाव और कानपुर के एक दर्जन से अधिक प्राथमिक विद्यालयों का दौरा किया है और पाया है कि वहां पर या तो मध्याह्न भोजन नहीं परोसा जा रहा है या उनकी गुणवत्ता खराब है। महामारी के दौरान जब 17 महीनों तक स्कूल पूरी तरह से बंद थे तो उस दौरान उन्हें कोई राशन आवंटित किया गया था या नहीं, इसका कोई आंकड़ा नहीं है।” उनका आगे कहना था कि “कई स्कूल मिड डे मील इसलिए भी नहीं मुहैया करा रहे हैं क्योंकि वे कोरोनावायरस की तीसरी लहर की संभावना को लेकर पूरी तरह से निश्चिंत हैं, जिसके दौरान उन्हें फिर से सबकुछ बंद करना पड़ सकता है। इसलिए वे संसाधनों की कमी के बावजूद अधिकरियों से संपर्क करने में हीला-हवाली कर रहे हैं।”

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

8-year-old Student in Uttar Pradesh Quenches her ‘Hunger’ With Water

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