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8 जनवरी हड़ताल : दिल्ली एनसीआर में व्यापक असर

आज की इस हड़ताल में सरकार से श्रमिक विरोधी, जनविरोधी, राष्ट्र विरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग की गई। मज़दूरों ने नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ चल रहे विरोध में भी अपना समर्थन दिया।
delhi strike

आज 8 जनवरी को अखिल भारतीय ट्रेड यूनियनों, स्वंतत्र फ़ेडरेशनों एवं कर्मचारी संगठनों के केंद्रीय आह्वान पर दिल्ली-एनसीआर में बैंकों की विभिन्न शाखाओं, नगर निगम और साथ ही औद्योगिक मज़दूर, घरेलू कामगार महिलाएँ और विश्विद्यालय के छात्र और शिक्षक सभी कर्मचारी अपनी मांगों के साथ हड़ताल पर रहे। 

सुबह से ही मज़दूर नेताओं और यूनियनों ने औद्योगिक क्षेत्र में जाकर मज़दूरों से काम का बहिष्कार करने की अपील की और उसके बाद मज़दूरों ने एकत्रित होकर औद्योगिक क्षेत्रों में रैली भी की। इस सब में सबसे बड़ी बात यह थी कि सुबह मौसम के ख़राब होने के बाद भी मज़दूरों और अन्य आंदोलनकारियों के उत्साह में कोई कमी नहीं थी। भारी बरसात में भी पटपड़गंज और झिलमिल, ओखला साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र में देशव्यापी हड़ताल को लेकर जुलूस निकालते हुए श्रमिकों को 21 हज़ार रुपये न्यूनतम वेतन, ठेका प्रथा बंद करने समेत 16 सूत्रीय मांगों को लेकर मज़दूरों ने हड़ताल की।

यह हड़ताल केंद्र सरकार की मज़दूर विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ की गई, जिसमें नौकरियों की सुरक्षा, रोज़गार सृजन और श्रम क़ानूनों में संशोधन बंद करने से संबंधित मांगें रखी गई थीं।

मज़दूर नेताओं ने आज की ये हड़ताल सरकार द्वारा बैंक, रेलवे, बीमा, संचार, बिजली पेट्रोलियम सहित सभी सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में बेचने के खिलाफ़ बताया। मज़दूर संगठन के नेताओं ने कहा, "आज पूरे देश के पैमाने पर 20 करोड़ से ऊपर कर्मचारी हड़ताल पर हैं। आज देश का मज़दूर ये हड़ताल करने को मजबूर हुआ है क्योंकि लगातार कई चक्र की वार्ताओं के बाद भी इस सरकार ने अपना अड़ियल रुख नहीं बदला है। सरकार लगातार मज़दूर विरोधी क़दम उठा रही है। मज़दूरों की 21000 रुपये की न्यूनतम वेतन की मांग पूरी नहीं हुई है। श्रम क़ानूनों का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है।"

इस हड़ताल में शामिल बैंक के कर्मचारियों ने कहा कि वर्किंग कंडीशन काफ़ी जटिल बना दी गयी है। बैंकों का मर्जर करके कर्मचारियों को कम किया जा रहा है।

साहिबाबाद के औद्योगिक क्षेत्र में हमने कई कंपनियों के मज़दूरों से बात की सभी ने एक बात कही कि मज़दूरों का न्यूनतम वेतन बहुत कम है। कुछ ही दूर दिल्ली में जहाँ मज़दूरों को 14 हज़ार न्यूनतम वेतन मिलता है वहीं साहिबाबाद में मज़दूर 7 हज़ार में काम करने को मजबूर हैं।

साहिबाबाद में स्थित सेंट्रल इलक्ट्रोनिक जो एक पब्लिक अंडर टेकिंग कंपनी है। जो देश के लिए रक्षा उत्पाद बनाती है। सीईएल मज़दूरों ने आज 100% हड़ताल का दावा किया। सेंट्रल इलक्ट्रोनिक की मज़दूर यूनियन ने कहा, "सरकार इस सरकारी कंपनी को कौड़ियों के दाम पर बेचना चाहती है जबकि पिछले कई सालों से यह कंपनी मुनाफ़े में है। सरकार पता नहीं क्यों 350 करोड़ की संपत्ति वाले उद्योग को मात्र 50 करोड़ में बेचने को तैयार हैं। क्यों? इसका जवाब उनके पास नहीं है।"

साहिबाबाद के एक अन्य उद्योग अनुपम प्रोडक्ट्स के कर्मचारी भारी बारिश में भी कंपनी गेट के बाहर एक प्लास्टिक के नीचे खड़े रहे। इस फ़ैक्टरी ने कुछ दिनों पहले ही मज़दूर यूनियन को टारगेट करते हुए कई मज़दूर नेताओं को बर्ख़ास्त कर दिया था। ये मज़दूर उनकी बहाली के लिए भी संघर्ष कर रहे थे।

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इसके आलावा दिल्ली एनसीआर के तमाम औद्योगिक क्षेत्र चाहे वो ओखला हो या फिर वज़ीरपुर, या फिर पटपड़गंज औद्योगिक क्षेत्र सभी में हड़ताल का असर देखने को मिला।

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इसके साथ ही गुरुग्राम मानेसर बावल इंडस्ट्रियल बेल्ट में देशव्यपी हड़ताल के समर्थन में सैंकड़ो कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। इससे कई ऑटोमोबाइल कारखानों में उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। अधिकतर प्रमुख कारख़ाने पूर्ण रूप से बंद रहे।

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इसके अलावा दिल्ली में छात्रों ने भी अपने अपने कैंपसों में प्रदर्शन किया है। जामिया तो पिछले कई दिनों से सड़कों पर है लेकिन उसने आज अपने मंच से मज़दूरों की हड़ताल का समर्थन किया। इसके साथ ही डीयू में भी बड़ी संख्या में छात्र निकले और ख़ुद को मज़दूरों के आंदोलन के साथ जोड़ा।

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दिल्ली में आईटीओ के शहीदी पार्क में मज़दूरों ने एकत्रित होकर विरोध प्रदर्शन किया। इसमें सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के शीर्ष नेता मौजूद थे।

आज की इस हड़ताल में सरकार से श्रमिक विरोधी, जनविरोधी, राष्ट्र विरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग की गई। मज़दूर-कर्मचारियों के अधिकार सुनिश्चित करने और उनके मांगें पूरी करने के अलावा आज की हड़ताल में मज़दूरों ने सीएए के ख़िलाफ़ चल रहे विरोध में भी अपना समर्थन दिया। और हाल ही में जेएनयू में हुई हिंसा पर भी सरकार से गंभीर सवाल किए।

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