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किसान आंदोलन के 90 दिन: सरकार का अड़ियल रुख और किसानों के बुलंद हौसले

आंदोलन भीषण ठंड में शुरू हुआ था जो अब धीरे धीरे गर्मी के मौसम में प्रवेश कर गया है लेकिन किसान के हौसले आज भी बुलंद हैं। किसानों ने अपना आंदोलन तेज करने के लिए 23 से 27 फरवरी के बीच कई कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की है।
किसान आंदोलन

किसान आंदोलन अपने तीसरे माह में प्रवेश कर गया है। यानी इसे 90 दिन हो गए हैं। ये आंदोलन दिल्ली की सीमाओं पर भीषण ठंड में शुरू हुआ था जो अब धीरे धीरे गर्मी के मौसम में प्रवेश कर रहा है लेकिन किसानों के हौसले आज भी बुलंद हैं। दूसरी तरफ सरकार आज भी अपने कृषि कानूनों के वापस न लेने के हट पर अड़ी हुई है। लेकिन किसान आंदोलन रोज नए आयाम गढ़ रहा है और अपने भविष्य के योजनाओ को और मज़बूती से रख रहा है। कल रविवार को पंजाब के बरनाला में किसानों ने एक बड़ी रैली की। इस रैली में बड़ी संख्या में मज़दूर वर्ग के लोग और महिलाएँ शामिल हुईं। इसी के साथ अब किसान संगठन आने वाले दिनों में राजस्थान के किसान बहुल क्षेत्रों में भी महपंचायतों को और तेज़ करने की तैयारी कर रहे हैं। जबकि संयुक्त मोर्चा ने भी अपने भविष्य के कार्यक्रम की घोषणा की है।

आंदोलन का बदलता स्वरूप, बरनाला की ‘‘किसान मजदूर एकता महारैली’ में उमड़ा जनसैलाब

ऐसा लगता है कि सरकार किसानों के हौसले की परीक्षा ले रही है और किसान भी हर अग्निपरीक्षा के लिए तैयार हैं। अब आंदोलन स्थलों की तस्वीर बदलने लगी है जहाँ पहले ठंड से बचने के इंतेज़ाम रजाई और आलाव जलाने के सामान दीखते थे अब वहां गर्मी से बचने के लिए कूलर पंखे दिख रहे हैं। जबकि भीषण गर्मी और ताप से बचने के लिए फूस और चटाई की छत और दीवार तैयार की जा रहीं हैं। प्रदर्शन स्थल पर मौजूद किसान लगतार कह रहे हैं वो जब तक कानूनों की वापसी नहीं होगी वापस नहीं जाएंगे।

दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन (एकता-उग्राहन) और पंजाब खेत मजदूर यूनियन ने साथ मिलकर पंजाब के बरनाला शहर में रविवार को ‘किसान मजदूर एकता महारैली’ की गई।

इस विशाल शक्ति प्रदर्शन के बाद किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (एकता-उग्राहन) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उग्राहन ने कहा कि ये इतिहास में पहली बार है जब फासीवादी और सांप्रदायिक सरकार को चुनौती देने के लिए भारत में इस तरह के बढ़े पैमाने का विरोध किया जा रहा हो।

उग्राहन ने रैली को ऐतिहासिक कहा। उग्राहन के अलावा, बलबीर सिंह राजेवाल, रुल्लू सिंह मनसा और सुखदेव सिंह सहित संयुक्त किसान मोर्चा के कई नेताओं ने भी रैली में भाग लिया।

'दिल्ली पुलिस अगर आपको गिरफ़्तार करने आती है तो उनका घेराव कीजिए'

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का समर्थन कर रहे लोगों को नोटिस जारी किए जाने का आरोप लगाते हुए बीकेयू नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने रविवार को किसानों से कहा कि दिल्ली पुलिस के कर्मी अगर आपके गांवों में गिरफ्तारी करने आते हैं तो उनका शांतिपूर्वक घेराव कीजिए।

बीकेयू (राजेवाल) के नेता ने अमरिंदर सिंह नीत पंजाब सरकार से कहा कि राज्य पुलिस को दिल्ली पुलिस के साथ सहयोग नहीं करना चाहिए।

राजेवाल ने किसानों से कहा कि दिल्ली पुलिस अगर जांच में शामिल होने के लिए उन्हें नोटिस जारी करती है तो उन्हें उनके समक्ष पेश नहीं होना चाहिए और अगर दिल्ली पुलिस के जवान उनकी गिरफ्तारी करने आते हैं तो उनका शांतिपूर्वक घेराव कीजिए। दो दिन पहले हरियाणा बीकेयू के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी ने इसी तरह की अपील की थी।

उन्होंने दावा किया कि केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार किसान आंदोलन से डरी हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि जो लोग दिल्ली की सीमाओं के नजदीक प्रदर्शन स्थल पर ‘लंगर’ चला रहे हैं या किसानों का सहयोग कर रहे हैं उन्हें पुलिस नोटिस जारी कर रही है। राजेवाल ने कहा कि यह पंजाब सरकार के लिए ‘‘परीक्षा का समय है’’ जिसे राज्य पुलिस को कहना चाहिए कि वह दिल्ली पुलिस से सहयोग नहीं करे।

राजस्थान के किसान बहुल इलाकों में होगी कई किसान महापंचायत

केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन के बीच अखिल भारतीय किसान सभा अगले हफ्ते राजस्थान के कृषि बहुल इलाकों में कई किसान महापंचायत आयोजित करने का निर्णय किया है, जिन्हें राकेश टिकैत और अमरा राम समेत कई किसान नेता संबोधित करेंगे।

अखिल भारतीय किसान सभा के एक प्रवक्ता के अनुसार प्रदेश में 22 फरवरी से 26 फरवरी तक लगातार कई किसान महापंचायतें की जाएंगी। उन्होंने बताया कि ऐसी पहली महापंचायत हनुमानगढ़ जिले के नोहर में 22 फरवरी को होगी। प्रवक्ता के अनुसार 23 फरवरी को सरदारशहर (चूरू) व सीकर में, 25 फरवरी को मेंहदीपुर बालाजी (दौसा) व 26 फरवरी को पदमपुर मंडी (गंगानगर) और घड़साना मंडी (गंगानगर) में ऐसी किसान महापंचायत होगी।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी इन महापंचायतों को संबोधित करेंगे। टिकैत ने ट्वीट किया,' किसान आंदोलन को धार देने व संयुक्त मोर्चा के नेताओं को सुनने के लिए आप भी शामिल अवश्य हो।'

ऑल इंडिया किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व विधायक अमरा राम भी इन महापंचायतों को संबोधित करेंगे।

उल्लेखनीय है कि केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में राजस्थान से भी बड़ी संख्या में किसान भाग ले रहे हैं और अलवर के पास शाहजहांपुर बार्डर के साथ कई अन्य जगह पर लगातार धरने पर बैठे हैं।

किसानों ने आंदोलन तेज़ करने के लिए कई कार्यक्रमों की घोषणा की

केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपना आंदोलन तेज करने के लिए 23 से 27 फरवरी के बीच कई कार्यक्रम आयोजित करने की रविवार को घोषणा की।

इस घोषणा से पहले सयुंक्त किसान मोर्चा की जनरल बॉडी की बैठक की गई जिसकी अध्यक्षता अखिल भारतीय किसान सभा के नेता इंदरजीत सिंह ने की और उन्होंने ही प्रेस वार्ता की शुरुआत की। सबसे पहले उन्होंने कीरती किसान यूनियन पंजाब के प्रधान दातार सिंह के निधन पर अफ़सोस व्यक्त किया और उन्हें एक बहादुर साथी बताया। उन्होंने कहा हम उनको क्रांतिकारी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। दातार सिंह का किसान हितों में, विशेषकर इस आंदोलन में, योगदान अतुलनीय है।

उन्होंने यह भी कहा कि वे प्रदर्शन को लंबे समय तक चलाने के लिए जल्द ही नई रणनीति तैयार करेंगे।

प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनके प्रस्तावित कार्यक्रम के तहत 23 फरवरी को ‘पगड़ी संभाल दिवस’ और 24 फरवरी को ‘दमन विरोधी दिवस’ मनाया जाएगा और इस दौरान इस बात पर जोर दिया जाएगा कि किसानों का सम्मान किया जाए और उनके खिलाफ कोई ‘‘दमनकारी कार्रवाई’’ नहीं की जाए।

मोर्चा ने कहा कि 26 फरवरी को ‘युवा किसान दिवस’ और 27 फरवरी को ‘मजदूर किसान एकता दिवस’ मनाया जाएगा।

मोर्चो के नेता दर्शन पाल ने भी सरकार पर ‘‘दमन’’ का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान हुई हिंसा और तोड़फोड़ के मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए 122 लोगों में से 32 को जमानत मिल चुकी है।

सरकार अपने अड़ियल रुख पर कायम

लेकिन इन सबके बीच सरकार लगातार अपने अड़ियल रुख पर कायम है। वो लगातार इन नए विवादित कृषि कानूनों को किसान और कृषि हितैषी बताने में लगी है। रविवार को बीजेपी की राष्ट्रीय बैठक में प्रधानमंत्री के मौजूदगी में किसान कानूनों के समर्थन में एक प्रस्ताव पास किया गया। जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन से नुकसान होता देखे बीजेपी ने अपने बड़े जाट नेताओ को गांव जाने को कहा लेकिन वहां भी उन्हें किसान आईना दिखा रहे हैं। एक टीवी चैनल के रिपोर्ट के मुताबिक रविवार को केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के नेता संजीव बालियान ने तीन गांवों में जाकर खाप के बड़े नेताओं से मिलने का कार्यक्रम बनाया था। लेकिन उन्हें इस दौरान भारी विरोध का सामना करना पड़ा। शामली के एक गांव में तो उन्हें घुसने नहीं दिया गया जबकि एक गांव में जहां उनका कार्यक्रम तय था वहां के भी प्रधान, उनका स्वागत करने के बजाय आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली बॉर्डर पर आए हुए थे। एक गांव में लोग उनसे मिले तो उन्होंने भी उनकी बात सुनने से अधिक किसानों की समस्या उन्हें बताई और कहा इसे सरकार के मुखिया तक पहुंचा दें।

इस सबको देखकर ऐसा लग रहा है कि सरकार अभी भी किसान आंदोलन को समझने में नाकाम है। वो लगातार इसे एक छोटे दायरे में देख रही है जबकि किसान लगातार अपने आंदोलन को तेज़ कर रहे हैं और कभी चक्का जाम, कभी रेल रोको के माध्यम से शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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