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कर्नाटक के मुख्यमंत्री को 75 नागरिकों के समूह ने पत्र लिखा, हालिया घटनाक्रमों पर चिंता जताई

उन्होंने कहा कि हाल में "मुस्लिम, ईसाई और दलित समुदायों पर विभिन्न प्रकार के हमलों" ने कर्नाटक के समावेशी स्वभाव पर गर्व करने वालों को झकझोर कर रख दिया है।
Basavaraj Bommai

बेंगलुरु: प्रसिद्ध हस्तियों सहित 75 लोगों के एक समूह ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को एक खुला पत्र लिखकर कर्नाटक में शांति और विविधता को खतरे में डालने संबंधी "हालिया घटनाक्रम" के बारे में चिंता व्यक्त की है।

उन्होंने बोम्मई से यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया कि हिंसा भड़काने और भय पैदा करने वालों को यह स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि किसी गैरकानूनी व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसा करने वालों को दंडित किया जाएगा।

समूह ने राज्य में 'सर्व जनांगदा शांति थोटा' (विभिन्न समुदायों के लिए शांति का एक बगीचा) की बहाली की आवश्यकता बताई, जिसका कुवेम्पु द्वारा लिखे गए 'नाद गीते' (राज्य गान) में उल्लेख किया गया है।

उन्होंने कहा कि "विशेष समुदायों को अलग-थलग करने और उन्हें उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करने के उद्देश्य से विभाजनकारी कृत्यों की वर्तमान में वृद्धि" न केवल विकास को बाधित करेगी, बल्कि राज्य की प्रतिष्ठा को भी चोट पहुंचाएगी। समूह ने कहा कि इससे प्रगति और नवाचार में बाधा उत्पन्न होगी, उद्यमियों और निवेशकों का विश्वास कम होगा तथा नागरिकों में असुरक्षा, संदेह, भय और आक्रोश बढ़ेगा। समूह ने कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव की बहाली एक महत्वपूर्ण और जरूरी काम है।

हस्ताक्षरकर्ताओं में येलप्पा रेड्डी, भारतीय वन सेवा (सेवानिवृत्त), रविवर्मा कुमार (पूर्व महाधिवक्ता, कर्नाटक), चिरंजीव सिंह (सेवानिवृत्त आईएएस), अजय कुमार सिंह (सेवानिवृत्त आईपीएस), रघुनंदन (सेवानिवृत्त आईएएस) शशि देशपांडे (लेखक), वैदेही (लेखक), गिरीश कसारवल्ली (फिल्मकार) और रामचंद्र गुहा (इतिहासकार) जैसे सेवानिवृत्त नौकरशाह, कलाकार और शिक्षाविद शामिल हैं।

समूह ने दावा किया है कि वे मुख्यमंत्री से मुलाकात का समय लेने की कोशिश कर रहे थे और यह पत्र उन्हें व्यक्तिगत रूप से देना चाहते थे, लेकिन चूंकि ऐसा नहीं हो पाया, इसलिए उन्होंने इसे एक खुले पत्र के रूप में जारी करने का फैसला किया है।

उन्होंने कहा कि हाल में "मुस्लिम, ईसाई और दलित समुदायों पर विभिन्न प्रकार के हमलों" ने कर्नाटक के समावेशी स्वभाव पर गर्व करने वालों को झकझोर कर रख दिया है।

समूह के लोगों ने कहा कि वे राज्य में हालिया घटनाक्रम से व्यथित हैं, जो शांति और विविधता को खतरे में डालने वाला है।

हस्ताक्षरकर्ताओं ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वह राज्य के पुलिस बल को संवैधानिक कर्तव्य का पालन करने का निर्देश दें।

बता दें कि कर्नाटक में बीजेपी की बसवराज बोम्मई सरकार है और बीते दिनों राज्य में हिजाब, हलाल और कारोबार के मुद्दों को लेकर काफी सांप्रदायिक तनाव देखा गया है।

हाल ही में, किताबों में पाठ्यक्रम के "साम्प्रदायिकरण" और "भगवाकरण" के विरोध में कई प्रसिद्ध अकादमिकों, लेखकों और कवियों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पाठ्यपुस्तकों में अपने लेखन और रचनाओं को शामिल करने संबंधी अनुमति वापस ले ली थी।

राज्य सरकार द्वारा गठित एक समिति ने हाल ही में कक्षा 6 से 10 तक की पाठ्यपुस्तकों में संशोधन करते हिए भगत सिंह, टीपू सुल्तान, पेरियार आदि से संबंधित अध्यायों को कथित तौर पर पाठ्यक्रम से या तो हटा दिया था या  उन्हें संक्षिप्त कर दिया था।  यह ऐसा पहला प्रदेश है, जहां हेडगेवार के भाषण को आधिकारिक तौर पर स्कूली पाठ में शामिल किया गया है।

(भाषा इनपुट के साथ)

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