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ऐतिहासिक रूप से कम हुए मतदान के साथ अल्जीरियाई संवैधानिक सुधारों को मंज़ूरी

चुनाव कराने वाला संस्था ने लोगों को बाहर जाने और संवैधानिक जनमत संग्रह में भाग लेने से हतोत्साहित करने के लिए COVID -19 महामारी का कारण बताते हुए कम हुए मतदान की व्याख्या करने की कोशिश की।
अल्जीरिया

नेशलन इंडिपेंडेंट इलेक्शन अथॉरिटी (एएनआईई) के प्रमुख मोहम्मद चारफी ने सोमवार 2 नवंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि विचित्र रुप से 23.7% से कम मतदान पर भी अल्जीरिया के लोगों ने संविधान में बदलाव को मंजूरी देने के पक्ष में मतदान किया। इस संवैधानिक जनमत संग्रह का कई ने विरोध था जिसमें अल्जीरिया के लंबे समय से लोकप्रिय सरकार-विरोधी हिरक विरोध आंदोलन शामिल है।

एक साल से अधिक समय से हिरक आंदोलन देश के सरकारी कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार, ग़रीबी, बेरोज़गारी और सामाजिक और क्षेत्रीय प्रभावहीनता और संघर्ष जैसे पुराने मुद्दे जो देश को परेशानी में डाल रहे हैं उससे निपटने के लिए राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक सुधारों की मांग कर रहा है। संवैधानिक परिवर्तनों को सिरे से खारिज करते हुए हिरक आंदोलन ने इस जनमत संग्रह का बड़े पैमाने पर बहिष्कार करने की वकालत की और इसे इसकी मांगों को पूरा करने की बात आती है तो इस परिवर्तन को अपर्याप्त और खोखला क़रार दिया।

विभिन्न मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस जनमत संग्रह में 24 मिलियन से अधिक मतदाता मतदान करने के योग्य थे। ये मतदान कुल गिरे मतदान के 66.8% से पारित हुआ। लेकिन हर 4 पंजीकृत मतदाताओं में से एक से भी कम मतदान कर रहे थे तो इसका स्पष्ट रूप से मतलब था कि सभी योग्य मतदाताओं में से केवल 15.8% ने संवैधानिक सुधारों के पक्ष में मतदान किया। वर्ष 1962 में अल्जीरिया के औपनिवेशिक फ्रांस से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद गिराया गया यह सबसे कम मतदान था। ऐतिहासिक रूप से कम हुए मतदान को हिरक आंदोलन और उसके समर्थकों द्वारा अल्जीरिया के लोगों के अविश्वास और संवैधानिक परिवर्तनों के विरोध का प्रमाण बताया गया।

अल्जीरियन ह्यूमन राइट्स लीग के उपाध्यक्ष सइद सलही कम हुए मतदान को 'हिरक आंदोलन की जीत' के रूप में बताते हुए ट्वीट करते हैं कि वर्तमान राष्ट्रपति अब्देलमजीद तेब्बौने की शासन को अब अपनी विफलता पर ध्यान देना चाहिए और रोडमैप पर पुनर्विचार करना चाहिए।" उन्होंने यह भी ज़ोर देकर कहा कि "लोकतांत्रिक ट्रांजिशन की प्रक्रिया एकमात्र समाधान है" उन्होंने जनमत संग्रह के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न अलोकतांत्रिक,मनमाने और ग़ैरक़ानूनी निर्णयों का जिक्र किया है।

पिछले कुछ महीनों में इस सरकार ने हिरक आंदोलन के सदस्यों, विपक्ष और इनके समर्थकों को निशाना बनाया है। निराधार आपराधिक आरोपों के साथ हिरक आंदोलन के कई प्रमुख लोगों को गिरफ्तार किया गया। यहां तक कि किसी भी व्यक्ति को संवैधानिक परिवर्तन को लेकर प्रचार करने की स्वतंत्रता को लेकर अधिकारियों द्वारा पहले आश्वासन दिए जाने के बावजूद विपक्षी सदस्य को सार्वजनिक सभा करने और प्रचार करने से प्रतबिंधित कर दिया गया था।

संवैधानिक सुधारों में राष्ट्रपति पद को दो कार्यकाल तक सीमित करने, राष्ट्रपति, संसद और न्यायपालिका की शक्तियों का विस्तार करने और अल्जीरिया की सीमाओं के बाहर अल्जीरियाई सेना को युद्धों और सैन्य संघर्षों में हस्तक्षेप करने और भाग लेने की अनुमति देने जैसे परिवर्तन शामिल हैं। विरोध में हिरक आंदोलन और अन्य लोगों ने इस सरकार पर सत्ता हथियाने का आरोप लगाया है जबकि कुछ ने इसे पूरे भूमध्यसागरीय में सबसे अधिनायकवादी संविधान कहा है।”

हालांकि ये सुधार हिरक आंदोलन की कुछ प्रमुख मांगों को पूरा करने में पूरी तरह से विफल है। इसकी मांगों में राष्ट्रीय राजनीति में सेना के हस्तक्षेप की समाप्ति और पूर्व राष्ट्रपति अब्देलअज़ीज़ बाउटेफ़्लिका की पूर्ववर्ती सरकार से संबंधित राजनीतिक और व्यावसायिक अभिजात वर्ग का सरकार के कामकाज में निरंतर मौजूदगी और भागीदारी को समाप्त करना है। 

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