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आरिफ़ और सारस की दोस्ती: ''वीडियो के वायरल होने से हम लोग बिछड़ गए''

उत्तर-प्रदेश के अमेठी में आरिफ़ और सारस की दोस्ती सोशल मीडिया पर जैसे ही छाई, आरिफ़ की परेशानी बढ़ गई, उनसे सारस को लेकर कानपुर चिड़ियाघर में शिफ़्ट कर दिया गया है और आरिफ़ पर मामला दर्ज कर दिया गया है।
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उत्तर प्रदेश के तराई इलाक़ों में धान की बालियों के बीच लंबी टांगों और लाल गर्दन वाला परिंदा परों को कुछ फैलाए चोंच को आसमान की तरफ़ करके गाना भी गाता है। ये उसकी ख़ुशी ज़ाहिर करने का तरीक़ा है।

सारस की ये ख़ूबसूरत तस्वीरें wildlife Trust of India की एक डॉक्यूमेंट्री का हिस्सा है, सारस के जीवन से जुड़ी तमाम बारीकियों को इस डॉक्यूमेंट्री में पेश किया गया है। इस डॉक्यूमेंट्री को देखकर आम लोगों को समझ में आ सकता है कि सारस एक ऐसा पक्षी है जो भले ही पालतू जीव नहीं होता लेकिन वे इंसानी बस्तियों के क़रीब ही रहता है।

पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया से लेकर मेन स्ट्रीम मीडिया तक दो ही ख़बरें दिख रही हैं एक अतीक अहमद से जुड़ी और दूसरी उत्तर-प्रदेश के अमेठी की जहां आरिफ़ और सारस की दोस्ती सबका ध्यान खींच रही है।

बाइक चलाते आरिफ़ और उनके साथ उड़ते सारस की छोटी सी क्लिप सोशल मीडिया पर जिसने भी देखी इस दोस्ती का मुरीद हो गया। लेकिन इस दोस्ती ने वायरल होते ही एक ट्रैजिक टर्न ले लिया। कुछ ही दिनों में दोस्ती की इस दास्तां ने इतने उतार-चढ़ाव देख लिए कि जिस पर भविष्य में फ़िल्म बन सकती है।

इस मामले में अबतक क्या कुछ हुआ है ये जानने से पहले कुछ बातों का ज़िक्र बेहद ज़रूरी है।

पहला- सारस उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी है

सारस उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी है और बताया जाता है कि किसी भी संरक्षित जानवर (या पक्षी) को रखना ग़ैरक़ानूनी होता है, उसे खिलाना-पिलाना भी ग़ैर क़ानूनी है।

दूसरा- आरिफ़ को मिला नोटिस

वन-विभाग की तरफ़ से आरिफ़ को एक नोटिस मिला जिसमें कहा गया है कि आरिफ ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 2, 9, 29, 51 और 52 का उल्लंघन किया है और इस मामले में उन्हें 2 अप्रैल तक

अपना बयान दर्ज करवाना होगा। ये नोटिस उप प्रभागीय वनाधिकारी गौरीगंज अमेठी की ओर से भेजा गया है।

तस्वीर: notice ( आरिफ़ को वन विभाग की तरफ़ से मिला नोटिस ) 

आरिफ को वन विभाग की तरफ से मिला नोटिस 

नोटिस मिलने पर आरिफ़ ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है।

आरिफ़ पर मुकदमा दर्ज

''वन विभाग की तरफ से नोटिस आया है कि आपके नाम मुकदमा पंजीकृत किया गया है, सारस पक्षी जो मेरा दोस्त बन गया था इसलिए। उसका पैर टूटा हुआ था तो हम घर में लाकर इलाज किए, हम चाहते थे कि वे चला जाए जंगल में अपने परिवार के साथ जाकर रहे लेकिन वो मेरे साथ रहने लगा हमने उसे पाला नहीं था। वो अपनी इच्छा से आता था अपनी इच्छा से जाता था इसमें मेरा क्या कसूर?''

आरिफ़ की प्रतिक्रिया

इस पूरे मामले पर हमने आरिफ़ से बात की, जिस वक़्त हमने आरिफ़ से बात की वे कानपुर चिड़ियाघर से लौटे थे। वे वहां अपने दोस्त सारस से मिलने पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि, ''मुझे मिलने तो नहीं दिया गया, कहा गया कि 15 दिन के लिए सारस को क्वारंटाइन किया गया है, हालांकि हमने CCTV में देखा उस बेचारे को पिंजरे में क़ैद करके रखा गया है''

सवाल: आप सरकार (उत्तर प्रदेश) से कोई अपील करना चाहते हैं?

जवाब: मेरी सरकार से यही अपील है कि उसको पिंजरे में क़ैद न रखा जाए। उसे आज़ाद कर दिया जाए, उसे कहीं भी ले जाकर आज़ाद कर दिया जाए। चाहे तो वहां ले जाकर छोड़ दिया जाए जहां दूसरे सारस हों, जहां तालाब का इलाक़ा हो, कहीं भी, या फिर हमारे यहां जिस तालाब और खेतों में वो रहता था उसे वहीं ले जाकर आज़ाद कर दिया जाए। हमें वो नहीं चाहिए, हमने उसे पाला नहीं था, वे मेरा दोस्त था, आज़ाद हो जाएगा तो जहां उसका मन करेगा जाएगा, मन करेगा तो हमसे मिलने भी आ सकता है। हम बस यही चाहते हैं कि उसे आज़ाद कर दिया जाए वो स्वयं की इच्छा से जहां चाहे वहां रहे।

सवाल: क्या आपको इस बात का मलाल है कि आपने एक सारस की जान बचाई और बदले में आपके लिए मुश्किलें बढ़ गईं?

जवाब: हमें थोड़ा तो दुख है कि उसका पैर टूटा था हमने वो सब कुछ किया जो इंसानियत के नाते किया जाना चाहिए था, लेकिन नोटिस आ गया, लेकिन चलिए ठीक है कोई बात नहीं ऊपर वाले को जो मंजूर हो, देखा जाएगा।
सवाल: सारस आपके पास इतने लंबे समय से था, आपके साथ ही खा-पी रहा था, क्या आपको इस बात का इल्म नहीं था कि वाइल्डलाइफ लॉ भी होता है?

जवाब: नहीं, नहीं हमको नहीं मालूम था। हम गांव के रहने वाले हैं, खेती-किसानी करते हैं। हां पढ़ाई की है पर वाइल्डलाइफ लॉ के बारे में मुझे ज़रा सा भी नहीं पता था, हालांकि हमें किसी बात का डर नहीं है क्योंकि हमने उसे कभी बांधा नहीं था, न ही हमने उसे जबरन रखा था, न ही उसे किसी जंजीर में बाधा था, न ही हमने उसे कहीं बंद किया था। वो हमेशा ही आज़ाद रहता था, जब उसे भूख लगती थी मेरे दरवाज़े पर आ जाता था। मैं उसे खाने के लिए दे देता था फिर वो मेरे घर के आगे ही बहुत से पेड़-पौधे लगे हैं आम, अमरूद, बेल, अनार के उसी में घूमा करता था और रात को भी वहीं आकर रहा करता था, दिन में वो खेतों में चला जाता था। यहीं आस-पास घूमा करता था।

सवाल: क़रीब एक साल से सारस आपके साथ रह रहा था, एक वीडियो वायरल हुआ और आपकी परेशानी बढ़ गई। आपको लगता है फ़ायदे की जगह नुक़सान हो गया?

आरिफ़ का जवाब: वीडियो के वायरल होने से हम लोग बिछड़ गए, लेकिन मुझे ऊपर वाले और अपने दोस्त पर यक़ीन है कि वो जैसे ही आज़ाद होगा मेरे पास आ जाएगा।

वहीं इस मामले पर हमने कानपुर चिड़ियाघर के PRO विश्वजीत सिंह तोमर से भी बात की और मीडिया रिपोर्ट में चल रहे उन दावों के बारे में पूछा जिनमें कहा जा रहा था कि सारस ने 40 घंटे से खाना नहीं खाया और वो बेहद उदास है और उसमें डिप्रेशन के लक्षण दिखाई दे रहे हैं।

तस्वीर: kanpur ( कानपुर चिड़ियाघर में सारस)
कानपुर चिड़ियाघर में सारस 

कानपुर चिड़ियाघर में कैसा है सारस?

विश्वजीत सिंह तोमर ने बताया कि डॉक्टरों के मुताबिक़ सारस इस वक़्त पूरी तरह से स्वस्थ है, लेकिन 25 मार्च, जिस दिन उसे लाया गया था उस दिन वो बहुत उदास दिखाई दे रहा था। रही बात खाने की तो वो फिलहाल पका हुआ खाना ज़्यादा पसंद कर रहा है, लेकिन कोशिश की जा रही है कि वो जल्द से जल्द अपनी पुरानी फूड हैबिट पर लौट आए तो उसे आज़ाद कर दिया जाएगा। अभी सारस को 15 दिन के लिए क्वारंटाइन किया गया है।

एक जख़्मी सारस का किसान को मिलना, उसका इंसान के साथ लगाव और उसकी फूड हैबिट में बदलाव एक रिसर्च का टॉपिक हो सकता है। सारस न सिर्फ़ उत्तर-प्रदेश का राजकीय पक्षी है बल्कि कुछ धर्मों के लिए ये एक पवित्र पक्षी भी माना जाता है, इससे जुड़ी कई तरह की मान्यताएं भी है, एक सारस में आया ये बदलाव कितना सामान्य है और इसे कैसे देखा जाना चाहिए इसपर हमने डॉ.समीर कुमार सिन्हा से बात की। डॉ. कुमार wildlife Trust of India (NCR) में काम करते हैं।

वे कहते हैं कि इस बात को यूं समझिए कि ''जिस तरह से गौरैया इंसानों के आस-पास रहती है लेकिन पालतू नहीं होती, उसी तरह सारस भी इंसानी बस्तियों के क़रीब ही रहते हैं। ये ज़्यादातर वेटलैंड(wetland) इलाक़ों में रहता है, जो गांव से लगे होते हैं या फिर गांव के बीच में होते हैं। चूंकि अब वेटलैंड धीरे-धीरे कम हो रहे हैं तो ये चावल या धान के खेतों में भी रहते हैं।''

उनसे मैंने कई सवाल किए जिस पर उन्होंने अपनी प्रतिक्रियाएं दी जो नीचे दिए गए हैं :

सवाल: इस बात में कितनी सच्चाई है कि सारस एक ही पार्टनर के साथ रहता है और पार्टनर के मर जाने या बिछड़ जाने पर वे दूसरा पार्टनर नहीं बनाता?

जवाब: ये सिर्फ़ एक मान्यता है, ऐसा लोग मानते हैं, लेकिन ऐसा है नहीं, हमें ऐसी स्टडी मिलती है जिसमें तीन सारस भी साथ में रहते हैं, वैज्ञानिक के.एस. गोपी सुंदर (K.S Gopi Sundar) ने इसपर काम किया है।

तस्वीर: sarus ( साभार: Knocksense India)

सारस, फोटो साभार: Knocksense India 

सवाल :कहां पाया जाता है सारस?

जवाब : सारस भारतीय उपमहाद्वीप, साउथ ईस्ट एशिया और ऑस्ट्रेलिया में ज़्यादातर पाया जाता है। ये दुनिया में सबसे लंबा उड़ने वाला परिंदा है। बात करें हमारे देश की तो डॉ. कुमार बताते हैं कि भारत में ज़्यादातर सारस यूपी में मिलते हैं, यूपी सरकार के मुताबिक़ 16 से 17 हज़ार सारस होने चाहिए, बाकी थोड़ी-थोड़ी संख्या में ये मध्य प्रदेश में, गुजरात और राजस्थान में भी दिखते हैं, साथ ही यूपी से सटे बिहार वाले हिस्से में भी मिलते हैं तो हम क़रीब 18 से 19 हज़ार के बीच इनकी संख्या कह सकते हैं। (ये अनुमानित आंकड़े हैं)

सवाल: आरिफ़ के पास जो सारस है उसकी फूड हैबिट बदल गई है, वो घर का पका या फिर उबला खाना खाने लगा है तो क्या वो दोबारा अपनी फूड हैबिट पर लौट जाएगा?

जवाब: देखिए ऐसा तो नहीं है कि उसने हमेशा से यही खाना खाया है, उसे अपनी पुरानी खाने-पीने की आदत के बारे में पता है, लेकिन फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता।

सवाल: सारस और इंसान के बीच ऐसी Bonding पर क्या कहना है?

जवाब: देखिए सारस और इंसान के बीच ऐसी Bonding पहले कभी दिखी हो या नहीं लेकिन जानवरों के साथ इंसानों की Bonding दिखती रही है। अगर हम हाथी जैसी बड़ी चीज़ पाल सकते हैं तो ये कोई बड़ी बात नहीं है। आप घर में तोता या दूसरी चिड़िया भी तो पालते हैं। लेकिन सवाल है कि सारस को पालना है कि नहीं? तो इसका जवाब है, नहीं। हमें ऐसा नहीं करना है, ये जितनी आज़ादी से रहें उतना बेहतर है।

शायद हमारे इकोसिस्टम के लिए सबसे ज़रूरी इसी बात को समझने की है कि हमें जीवों को ऐसा माहौल देना है जहां वे आज़ादी और सुरक्षित माहौल में रह सकें, वहीं आरिफ़ के मुताबिक उन्होंने सारस को कभी भी पालतू नहीं बनाया और न ही ऐसी कोशिश की। वो बिल्कुल आज़ाद माहौल में रह रहा था और जब चाहे आ जा रहा था। लेकिन क्या उनकी इस सफाई से कुछ फायदा होगा और उनकी मुश्किलें कम होगी?

इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ?

कैसे आरिफ और सारस की दोस्ती चर्चा में आई और कैसे उस पर सियासत भी शुरू हो गई ये भी समझ लेते हैं।

अखिलेश यादव, आरिफ़-सारस की दोस्ती देखने पहुंचे थे

आरिफ़ और सारस की दोस्ती के वीडियो जैसे ही वायरल हुए सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ख़ुद को रोक नहीं पाए और वे इस दोस्ती को क़रीब से देखने पहुंच गए। अखिलेश यादव ने दोस्ती देखी, मुलाक़ात की तस्वीरें लीं और उन तस्वीरों के साथ कुछ सवाल उठाते हुए 6 मार्च को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया।

अचानक वन-विभाग पहुंचा आरिफ़ के घर

कुछ दिन तक सब ठीक रहा लेकिन 21 मार्च को अचानक वन विभाग के अधिकारियों ने आरिफ़ से सारस ले लिया, और दोनों के बिछड़ने की इमोशल तस्वीरें एक बार फिर सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी। वन विभाग आरिफ़ से सारस लिया समसपुर पक्षी विहार ले गया। और इसके बाद ख़बर आई कि सारस गायब हो गया है लेकिन बाद में समसपुर पक्षी विहार से कुछ दूरी पर वो मिल गया।

क्या दोस्ती पर सियासत शुरू हो गई?

जैसे ही आरिफ़ से वन-विभाग ने सारस को ले लिया अखिलेश यादव ने न सिर्फ़ सोशल मीडिया पर उत्तर-प्रदेश की सरकार को घेरा बल्कि बाकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की जिसमें आरिफ़ भी दिखाई दिए।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि, ''इनसे सारस केवल इसलिए छीन लिया गया क्योंकि मैं इनसे मिलने चला गया, इन्हें बधाई देने चला गया।''

इसके बाद भी अखिलेश यादव इस मुद्दे पर लगातार सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं।

कानपुर चिड़ियाघर भेजा गया सारस

समसपुर से एक बार सारस के गायब हो जाने के बाद प्रशासन ने सारस को कानपुर चिड़ियाघर शिफ़्ट कर दिया, जहां उसे 15 दिन के लिए अलग क्वारंटाइन किया गया है। जिस जगह सारस को रखा गया है वो एक पिंजरा है। यहां डॉक्टरों की देखरेख में सारस को रखा गया है।

हालांकि आरिफ़ ने कहा कि, ''हमें सियासत से कोई मतलब नहीं है, हम बस इतना जानते हैं कि हमने सारस को पालतू नहीं बनाया था वे हमें जख़्मी हालात में मिला था और उसे हम इंसानियत के नाते ले आए थे। अब वो हमारा दोस्त बन गया तो इसमें हमारी क्या ग़लती है? हालांकि आरिफ़ की ये दलील क़ानून की पेचीदगी से नहीं बच सकती क्योंकि सारस उत्तर-प्रदेश का राजकीय पक्षी और दूसरा वाइल्ड लाइफ़ क़ानून इसकी इजाज़त नहीं देता।

लेकिन एक सवाल ये भी है कि ये क़ानून इसलिए बनाए गए हैं जिनकी वजह से ये जीव(पक्षी) सुरक्षित और संरक्षित रहें, लेकिन अगर ज़ख्मी हालत में मिले सारस को कुछ हो जाता तो उस वक़्त किसकी जवाबदेही होती?

हाल ही में ऑस्कर पुरस्कारों का ऐलान हुआ जिसमें एक फ़िल्म ने अवार्ड जीता और दूसरी फ़िल्म को नॉमिनेशन मिला, इन दोनों ही फ़िल्मों की खासियत थी कि ये वाइल्ड लाइफ से जुड़ी थी और इन दोनों में ही इंसान और जानवरों और परिदों के बीच के संबंधों को बहुत ही ख़ूबसूरती से बयां किया गया था, समझाया गया था लेकिन क्या इन जीवों को लेकर बनी समझ और क़ानूनी बारीकियां के बारे में भी लोगों का जागरूक होना ज़रूरी है?

लेकिन सवाल ये भी है कि किसी ज़ख्मी जीव की मदद करते वक़्त पहले इंसानियत को देखना होगा या फिर क़ानून की किताबों को खंगालना होगा? और क्या दोस्ती भी अब नियम क़ानूनों के दायरे में ही करनी होगी?

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