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अंतिम एनआरसी से बाहर हुए हिंदू बंगालियों की संख्या सार्वजनिक करेगी असम सरकार: हिमंत

असम भाजपा के वरिष्ठ नेता और वित्तमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि राज्य सरकार ने एनआरसी की अंतिम सूची से बाहर हुए हिंदू बंगालियों का जिलेवार आंकड़ा वर्तमान विधानसभा सत्र में पेश करने का निर्णय किया है।
NRC
Image courtesy:DD News

पहले असम और फिर पूरे देश में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की वकालत कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ही चाहती है कि असम में लागू हुआ एनआरसी रद्द हो जाए और फिर से ये प्रक्रिया हो। जबकि करीब छह साल में यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पूरी हुई। इसके अलावा असम सरकार जल्द से जल्द नागरिकता संशोधन कानून भी चाहती है। दरअसल बीजेपी जिस मंशा से एनआरसी चाहती थी वो असम में पूरी नहीं हुई। और अब असम सरकार एनआरसी से बाहर हुए हिंदू बंगालियों की सूची जारी करने जा रही है। इसके पीछे की मंशा पर भी कई सवाल हैं।  

राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को इसके वर्तमान स्वरूप में खारिज करने का केंद्र से अनुरोध कर चुके असम भाजपा के वरिष्ठ नेता हिमंत बिस्व सरमा ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य सरकार ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अंतिम सूची से बाहर हुए हिंदू बंगालियों का जिलेवार आंकड़ा वर्तमान विधानसभा सत्र में पेश करने का निर्णय किया है।

असम के वित्तमंत्री सरमा ने दावा किया कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने राज्य में तीन वर्ष पहले राष्ट्रीय नागरिक पंजी प्रक्रिया के अद्यतन की प्रक्रिया में ‘‘भारी अनियमितता’’ पायी है।

उन्होंने विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम उन हिंदू बंगाली व्यक्तियों के आंकड़े विधानसभा के वर्तमान सत्र के दौरान देंगे जो (एनआरसी से बाहर किये जाने के बाद फॉरनर्स ट्रिब्यूनल में) विभिन्न जिलों में आवेदन कर रहे हैं। हम पहले यह आंकड़ा नहीं दे सके क्योंकि एनआरसी तैयार नहीं हुआ था। अब हमारे पास जिलेवार आंकड़ा है।’’

राज्य विधानसभा का शीतकालीन सत्र बृहस्पतिवार को शुरू हुआ और यह छह दिसम्बर को समाप्त होगा।

विभिन्न वर्गों की ओर से यह आरोप लगाया गया है कि 31 अगस्त को प्रकाशित अंतिम एनआरसी में बड़ी संख्या में हिंदुओं को बाहर कर दिया गया है और इसमें 19 लाख से अधिक आवेदनकर्ता छोड़ दिये गए हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 20 नवम्बर को राज्यसभा में घोषणा की थी कि असम में एनआरसी अद्यतन करने की प्रक्रिया भारत के बाकी हिस्से के साथ नये सिरे से चलायी जाएगी। उसी दिन सरमा ने कहा था कि राज्य सरकार ने शाह से एनआरसी को उसके वर्तमान स्वरूप में खारिज करने का अनुरोध किया है।

सरमा ने बृहस्पतिवार को कहा कि असम के लोगों ने नहीं बल्कि केवल एआईयूडीएफ और कांग्रेस विधायकों के एक वर्ग ने मांग की है कि एनआरसी को रद्द नहीं किया जाना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय की निगरानी वाली एनआरसी अद्यतन प्रक्रिया का उद्देश्य अवैध प्रवासियों की पहचान करना था जिसमें अधिकतर पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) से हैं। यह प्रक्रिया असम में संचालित की गई जहां पड़ोसी देश से 20वीं सदी की शुरूआत से ही लोगों का प्रवेश हो रहा है।

सरमा ने कहा कि देशव्यापी एनआरसी की एक साझी अनंतिम तिथि होनी चाहिए नहीं तो लोग एक राज्य में खारिज होने के बाद दूसरे राज्य से भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का प्रयास करेंगे।

भाजपा नेता ने कहा, ‘‘नये एनआरसी में 1971 अनंतिम वर्ष हो सकता है या उसमें पूरी तरह से एक नयी अंतिम समयसीमा हो सकती है। लेकिन पूरे भारत के लिए जो भी समय की अंतिम समयसीमा हो वह असम पर भी लागू होनी चाहिए। हमें 1971 से पहले किसी भी वर्ष से कोई आपत्ति नहीं है।’’

शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस और एआईयूडीएफ के सदस्यों ने राज्य सरकार के एनआरसी खारिज करने के कदम और विवादास्पद नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन किया।

सरमा ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री नागरिकता संशोधन विधेयक पर विभिन्न समूहों एवं कांग्रेस की प्रदेश इकाई सहित अन्य पार्टियों, पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ शुक्रवार और शनिवार को बैठकें करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं उम्मीद करता हूं कि नागरिकता संशोधन विधेयक संसद के वर्तमान संत्र के दौरान पारित हो जाएगा...मैं उम्मीद करता हूं कि नागरिकता संशोधन विधेयक आएगा। असम में हमें नागरिकता संशोधन विधेयक चाहिए...असम के लोगों के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक जरूरी है।’’

सरमा ने कहा कि कैग ने करीब तीन वर्ष पहले एनआरसी कार्यालय एवं उसकी गतिविधियों का निरीक्षण किया था और राज्य सरकार को ‘‘भारी अनियमितता और विसंगतियों’’ के बारे में सूचित किया था।

मंत्री ने कहा कि यद्यपि लोगों के बीच भ्रम से बचने के लिए मुख्यमंत्री और उन्होंने उस समय निर्णय किया था कि एनआरसी प्रक्रिया पूरी होने तक रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं करेंगे।

उन्होंने एनआरसी को अद्यतन करने की इस वृहद कवायद में कथित अनियमितता की राशि का खुलासा नहीं किया। अंतिम एनआरसी 31 अगस्त को प्रकाशित हुई थी। तब एनआरसी समन्वयक प्रतीक हजेला थे।

इस बीच एक एनजीओ ‘असम पब्लिक वर्क्स’ (एपीडब्ल्यू) ने हजेला के खिलाफ सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई में एक शिकायत दी है जिसमें दस्तावेज अद्यतन करने की प्रक्रिया में सरकारी धनराशि के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है।

असम समझौते को लेकर एक सवाल पर उन्होंने कहा कि जिन्होंने समझौता तैयार किया था वे इस पर बोलेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किये थे। और क्या आपने हस्ताक्षर किये थे? समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले किसी से भी मशविरा नहीं किया गया था। प्रफुल्ल महंत ने हस्ताक्षर किये थे इसलिए वह समझौते को लेकर प्रतिबद्ध हैं। हिमंत बिस्व सरमा ने उस पर हस्ताक्षर नहीं किये थे, इसलिए मैं उसे लेकर प्रतिबद्ध नहीं हूं। समझौते को स्वीकार करने का विधानसभा में कोई प्रस्ताव नहीं था।’’

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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