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मिलादुन्नबी के जलूसों पर हुए हमले संघ परिवार की गहरी साजिश का हिस्सा : माकपा

"भाजपा के विधायक रामेश्वर शर्मा द्वारा फादर और चादर के नए शब्दों की उत्पत्ति ने यह साबित कर दिया है कि भाजपा राज में अल्पसंख्यक समुदाय किस हद तक संघ परिवार के निशाने पर हैं।"
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मध्यप्रदेश के कई शहरों धार, जबलपुर और बड़वानी में ईद मिलादुन्नबी के मौके पर निकाले गए जुलूस के दौरान हिंसा हो गई और इसके बाद पुलिस के साथ झड़प और लाठीचार्ज की खबरें भी आईं।

इन सब जगहों पर ईद मिलादुन्नबी (मिलाद-उन-नबी भी कहते हैं) का जुलूस निकाला जा रहा था। सुबह सबसे पहले धार जिले में बवाल हुआ। यहां जुलूस निकाल रहे लोग और पुलिसबल आमने-सामने आ गए। दोनों के बीच झड़प हो गई। लोगों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की तो पुलिस ने भी लाठियां लेकर लोगों को खदेड़ा। हालांकि अभी ये साफ नहीं है कि पहले लोगों की तरफ से पत्थरबाजी हुई या पुलिस की तरफ से लाठीचार्ज।

इस पूरे मसले को लेकर वामपंथी दल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य इकाई ने एक बयाना जारी कर कहां कि मिलादुन्नबी के अवसर पर मध्य प्रदेश में एक साथ पांच शहरों में हुई साम्प्रदायिक हिंसा के लिए प्रदेश की संघ नियत्रित भाजपा सरकार भी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती है। बल्कि धार में हुई हिंसा के वीडियो फुटेज देखने से तो साफ है कि पुलिस लाठीचार्ज में सिविल कपड़ों में संघ के कार्यकर्ता भी अल्पसंख्यकों पर लाठीचार्ज कर रहे थे।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि भाजपा के विधायक रामेश्वर शर्मा द्वारा फादर और चादर के नए शब्दों की उत्पत्ति कर यह साबित कर दिया है कि भाजपा राज में अल्पसंख्यक समुदाय किस हद तक संघ परिवार के निशाने पर हैं।

माकपा नेता ने कहा है कि यह अचानक ही नहीं है कि आमतौर पर प्रदेश भर में शांति से मनाये जाने वाले त्यौहार पर एक साथ पांच जगह हमले होते हैं। बड़वानी में शाहपुर में शांतिपूर्ण जुलूस पर पत्थर फेंके जाते हैं और सेंधवा में जुलूस निकालने की अनुमति ही प्रशासन नहीं देता है। धार में एक अल्पसंख्यक युवक की दाढ़ी पकड़ कर पुलिस अधिकारी ही खींच रहा है। इतना ही नहीं खंडवा और जबलपुर में भी पुलिस प्रशासन अगर चौकसी बरतता तो इन अप्रिय घटनाओं से बचा जा सकता था।
 
जसविंदर सिंह ने कहा है कि यह घटनायें संघ परिवार की ओर से बढ़ती महंगाई और केंद्र और राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों से जनता में पैदा हो रहे असंतोष से जनता का ध्यान हटाने और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने की साजिश का हिस्सा है। भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा के बयान को भी प्रदेश में 30 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के साथ जोड़ कर देखा जाना चाहिए, मगर हैरत की बात यह है कि चुनाव आयोग भी इस आपत्तिजनक बयान पर संज्ञान नहीं ले रहा है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने पवित्र त्यौहार पर हुए हमलों और हमलों के बाद भी अल्पसंख्यक समुदाय के नागरिकों पर ही पुलिस की कार्यवाही दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं निंदनीय भी है। पार्टी सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों को प्रदेश के साम्प्रदायिक सद्भाव को बचाने और अल्पसंख्यक समुदाय के नागरिकों को रिहा करने की मांग को लेकर आंदोलित होने का आह्वान किया है।

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