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आज़मगढ़; ग्राउंड रिपोर्टः ज़मीन बचाने की लड़ाई में अब तक 25 महिला-पुरुष किसान खो चुके हैं अपनी जान

हवाई अड्डे के लिए भूमि अधिग्रहण के विरोध में चल रहा खिरियाबाग़ आंदोलन पूरे पूर्वांचल के किसानों, नौजवानों और छात्रों का आंदोलन बनने की ओर बढ़ रहा है।
Azamgarh
खिरियाबाग़: आंदोलन जारी है

एक हाथ में अपने डेढ़ बरस के बेटे अंश को पकड़े हुए आरती शर्मा दूसरे हाथ से नारा लिखी हुई तख्ती उठाती हैं, जिस पर लिखा होता है, "हम न अपनी जमीन देंगे, और न ही अपनी जान देंगे।" यह तख्ती इनके पति दीपक शर्मा (32 साल) ने अपनी मौत से कुछ रोज पहले ही बनाई थी। सच्चाई से बेखबर, अंश अपनी मां के आंसू पोंछने की कोशिश करता है, क्योंकि उन्हें अपनी सास मोहा देवी के साथ यूपी के आजमगढ़ जिले के खिरिया बाग में पहुंचना था। मुंदरी हवाई अड्डे के विस्तार के लिए वहां महीनों से भूमि अधिग्रहण का विरोध चल रहा है। नारा लिखी तख्ती को अपने सीने में दबाए आरती कहती हैं, "यह पति की यादों के साथ हमारे संघर्ष को ताकत देता है।"

ग्रेजुएट दीपक शर्मा दिल्ली में एयरकंडीशनर के मैकेनिक थे। खिरियाबाग में भूमि अधिग्रहण का विरोध गर्माने लगा तो वो अपने गांव जिगना करमनपुर लौट आए। उन्होंने कई तख्तियां बनाई, जिस पर संघर्ष को ताकत देने वाले तमाम नारे लिखे थे। इसी तख्ती को लेकर सिर्फ दीपक ही नहीं, उनकी पत्नी आरती, मां मोहा देवी और पिता फुलवास भी आंदोलन-प्रदर्शन में शामिल होने जाने लगे। साथ वह बच्चा भी जो आरती और दीपक के प्यार की आखिरी निशानी है।

डेढ़ वर्षीय बेटे अंश के साथ आंदोलनकारी आरती शर्मा

आरती बताती हैं, " हमारे पति दीपक जब सोने गए तो उन्हें सीने में बहुत दर्द महसूस हुआ। वह अपने अंगों को नहीं हिला सकते थे। हम उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए निकले, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। हम उनके आंदोलन को बीच रास्ते में नहीं छोड़ सकते। वो कहा करते थे कि अगर सरकार हमारी जमीन छीन लेगी तो हम कहां जाएंगे? हमें भीख मांगने के लिए मजबूर किया जा रहा है।"

जिगना जयरामपुर निवासी दीपक शर्मा के पिता फुलवास के पास पहले तीन एकड़ दस बिस्वा जमीन थी। पूर्वांचल एक्सप्रेस का निर्माण शुरू हुआ तो सरकार ने इनकी तीन एकड़ जमीन छीन ली। बची हुई दस बिस्वा जमीन के मंदुरी हवाई अड्डे के विस्तारीकरण की भेंट चढ़ने की आशंका वो काफी चिंतित और परेशान थे। दरअसल, दीपक का परिवार मुफलिसी में जीवनयापन कर रहा है। इनके पिता को एक हजार रुपये पेंशन मिलती है। पेंशन के साथ दस बिस्वा जमीन से ही समूचे परिवार की आजीविका चलती है। दीपक शर्मा अपने पिता के इकलौते चिराग थे। उनकी मौत के बाद पत्नी आरती और बूढ़े मां-बाप की हालत खराब है।

बेसिक टीचिंग सर्टिफिकेट (बीटीसी) पास आरती शर्मा ने शिक्षक बनने का सपना संजोया था, जिसके लिए वो काफी दिनों से तैयारी कर रही थीं। अब वह अपने पति के सपनों को पूरा करने के लिए रोजाना नारेबाजी और प्रदर्शन करने खिरियाबाग जाती हैं। आजमगढ़ का खिरियाबाग वह स्थान है जहां आठ गांवों के हजारों लोग अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।

दीपक शर्मा के माता-पिता

आरती के पास खड़ी उनकी सास मोहा देवी ‘न्यूज़क्लिक’ से कहती हैं, "हमारा बेटा आंदोलन में काफी सक्रिय था। सबके लिए तख्तियों पर नारा लिखा करता था। 22 नवंबर 2022 को टीवी पर आजमगढ़ के सांसद दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ का विवादित बयान सुनकर वो विचलित हो गया था। जमीन-जायदाद को लेकर महीनों से चिंता में डूबे दीपक का शरीर पसीने से लथपथ था। हमें कुछ समझ नहीं आया, बेटे ने किसी डाक्टर के पास ले जाने को कहा लेकिन वह अस्पताल नहीं पहुंच सका। बेटे की बनाई हुई तख्ती हमें आंदोलन के लिए प्रेरित करती है। हम हर रोज अपने बहू के साथ नारा लिखी तख्ती लेकर खिरियाबाग जाते हैं। हमें अपनी जमीन बचानी है और अपने जवान बेटे के सपनों को भी पूरा करना है।"

खिरियाबाग में महीनों पुराना विरोध 'अस्तित्व की लड़ाई' बन जाता है, क्योंकि हाशिए पर आए आठ गांवों के लोग सरकार के कदम का विरोध कर रहे हैं। खिरियाबाग में आजमगढ़ के प्रस्तावित मुंदरी हवाई अड्डे के विस्तार की योजना के विरोध में हजारों के हुजूम ने बीते 26 जनवरी 2023 को तिरंगा यात्रा निकाली थी। इसके लिए बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया था तो महिलाओं ने अपना काम। दिहाड़ी मजदूर, जिन्होंने महीनों से कमाई नहीं की थी, जिन किसानों को अपनी फसलों की निराई स्थगित करने के लिए मजबूर होना पड़ा था, सभी के एक हाथ में तिरंगा था तो दूसरे हाथ की भिंची हुई मुट्ठियां। जुबां पर ‘जय हिंद’ का नारा था तो जमीन को बचाने की चिंता भी।

मुंदरी हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन में महिलाओं की तादाद पुरुषों से ज्यादा है। आंदोलन में शामिल एक महिला नीलम ने ‘न्यूज़क्लिक’ से कहा, ''हमारे परिवार में थोड़ी सी जमीन है। दर्जन भर लोगों की रोजी-रोटी इसी जमीन से चलती है। कमाई का और कोई जरिया नहीं है। क्या हम अपने बच्चों को सड़क पर छोड़ दें।'' गुस्से से आग-बबूला आंदोलनकारी रितिका, ओमप्रकाश भारती, सुनील पंडित, नरोत्तम यादव का कहना था, ''एक इंच जमीन भी नहीं देंगे, चाहे मेरी जान चली जाए। यूपी की योगी सरकार विकास नहीं, जमीन का कारोबार करना चाहती है। हमारे साथ जोर-जबर्दस्ती की गई तो हम खुद को जमीन में गाड़ देंगे।''

खिरियाबाग में मायूसी का माहौल था। आस-पास हजारों किसान मौके पर एकत्र थे। 30 साल का एक युवक व्हीलचेयर पर तख्ती को हैंडल से बांधकर घसीटता जा रहा था। 60 बरस की एक महिला नंगे पांव दौड़ रही थी, जिसके दोनों हाथ में तख्ती थी। पैर कांप रहे थे। फिर भी वह नारा देने पहुंची थी। बेहद गुस्से का इजहार करते हुए उन्होंने न्यूज़क्लिक से कहा, ''यह भाजपा का कैसा विकास माडल है? इसे विकास कहें या विनाश। योगी सरकार हमारी जमीनों को छीनने पर उतारू है। वह हमें अपनी जड़ों से उखाड़ रही है, पर उसके पास हमें बसाने का कोई ठोस कार्यक्रम नहीं है। हमारी जमीन छीन लेंगे तो हम कहां जाएंगे? हम अपनी आखिरी सांस तक लड़ेंगे। हम तब तक नहीं हटेंगे, जब तक योगी बाबा बुलडोजर लाकर हमारे ऊपर नहीं चला देते।”

अब तक 25 लोगों की जानें गई

मंदुरी हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए किसानों से जबरिया छीनी जा रही जमीन के चलते जान गंवाने वालों में सिर्फ जिगना गांव के दीपक शर्मा ही नहीं, इनके समेत 25 और लोग शामिल हैं, जिनमें महिलाएं ज्यादा हैं। पिछले साल अक्टूबर से अब तक ये लोग अपनी जमीन और आजीविका खोने के सदमे और दर्द के चलते अपनी जान खो चुके हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक राजेश आजाद ‘न्यूज़क्लिक’ से कहते हैं, "जमीन-जायदाद के छिन जाने की धुकधकी के चलते 16 फरवरी 2023 को हसनपुर निवासी द्वारिका यादव की पत्नी राधिका और 1 फरवरी 2023 को जमुआ हरिनाथ के कोहित की पत्नी राजदेई की मौत हो गई। इससे पहले 30 जनवरी 2023 को हिच्छनपट्टी की सुदामी की जान चली गई।"

आजाद के मुताबिक, "भूमि अधिग्रहण की धुकधकी और खौफ के चलते जान गंवाने वालों में जमुआ हरिरामपुर की उत्तमा, बल्देव मंदुरी की कालिंदी, गदनपुर के मायक राम, परमादेवी, हिच्छनपट्टी की चंद्रावती, भागवत राम व लल्लन राम, कादीपुर के कुलदीप यादव शामिल हैं। इसी क्रम में जमुआ हरिनाथ की बसंता, राजदेई, सुभाष उपाध्याय, शिवचरन राम, महंगी राम, सीता देवी के अलावा गढ़नपुर की झिनकी देवी और नौमी गौड़, कादीपुर के लोचन यादव, जिगना करमन के लखन राम, जवाहिर यादव व तिलकधारी की जान जा चुकी है। खास बात यह है कि जमीन के चलते जान गंवाने वालों में ज्यादतर लोगों की उम्र सिर्फ 40 से 55 साल के बीच है।"

खिरियाबाग आंदोलन स्थल पर पहुंचे बलिया के पूर्व छात्र नेता निशांत राज किसानों की मौत के सवाल पर ‘न्यूज़क्लिक’ से कहते हैं, " शासन-प्रशासन के गैरकानूनी रवैये के चलते किसानों की जान जा रही है। आमजन के रातों की नींद उड़ गई है। आठ गांवों के लोग चिंता में डूबे हैं और वो घुट-घुटकर जी रहे हैं। खासतौर पर महिलाएं बहुत ज्यादा परेशान हैं और वह घुटन महसूस कर रही हैं। बहुतों को नीद की गोलियां खोकर सोना पड़ पड़ रहा है। हर किसी का एक ही साझा सवाल है, "सरकार हमें उजाड़कर फेंक देगी तो हम कहां जाएंगे? किसानों के पुनर्वास की समस्या हल किए बगैर भूमि अधिग्रहण किया गया तो अनगिनत औरतों के सामने अनैतिक कार्य करने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।"

जमीन-मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा के रामनयन यादव कहते हैं, " मंदुरी हवाई अड्डे पर आज तक एक भी जहाज तक नहीं उतरा है। ऐसे में इसके विस्तार करने के लिए आम गरीबों को जमीन और मकान से बेदखल कर भूमि अधिग्रहण करने की कार्रवाई करने का आखिर औचित्य क्या है? इस पर फौरन रोक लगना चाहिए। किसानों की बिना इजाजत और सहमति लिए हवाई अड्डा के विस्तारीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण करना कानून का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है। चिंता की बात यह है कि सूचना अधिकार अधिनियम के तहत एक तरफ किसानों को यह बताया जा रहा है कि मंदुरी हवाई अड्डे के विस्तारीकरण का मामला अभी शासन स्तर पर विचाराधीन है और दूसरी ओर, आजमगढ़ के कलेक्टर किसानों पर दबाव बनाकर उनकी जमीनें लूट लेना चाहते हैं। जो परियोजना शासन में विचाराधीन है उसके लिए आखिर अवैध तरीके से झूठे सहमति-पत्र पर दस्तखत क्यों कराए जा रहे हैं? कलेक्टर ने झूठी सर्वे रिपोर्ट शासन को क्यों भेजी? कोरा सच यह है कि अडानी और अंबानी जैसे मुनाफाखोरों के दबाव में सरकार किसानों को प्रताड़ित कर रही है। जाहिर है कि अंडानी जैसे पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए झूठी सर्वे रिपोर्ट बनाई गई। एयरपोर्ट के विस्तारीकरण का मामला अगर शासन स्तर पर विचाराधीन तो अवैध तरीके से सहमति-पत्र पर आमजन के दस्तखत क्यों कराए गए? जिन बेईमान पूंजीपतियों ने देश को लूटा है उन्हें किसान-मजदूर अपनी जमीन-जायदाद भला क्यों देंगे? "

क्या है मुंदरी हवाई अड्डा विस्तारीकरण योजना

आजमगढ़ जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर पश्चिम तरफ है मंदुरी हवाई अड्डा। आजमगढ़-अयोध्या मुख्य मार्ग पर स्थित यह अड्डा करीब 104 एकड़ जमीन में बनाया गया है। साल 2005 में यहां पहले हवाई पट्टी थी। नवंबर 2018 तक इसका इस्तेमाल नहीं किया गया। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभाली तो राज्य के हवाई मार्गों को अपग्रेड करने के मकसद से एक महत्वाकांक्षी योजना के तहत हवाई पट्टी के विस्तार का ऐलान किया। अप्रैल 2019 में इसके निर्माण के लिए शासन ने 18.21 करोड़ रुपये का बजट जारी किया। धन मिलने के बाद निर्माण कार्य ने जोर पकड़ा और हवाई अड्डा बनकर पूरी तरह से तैयार हो गया। इस हवाई अड्डे के निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड को नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया था। निर्माण कार्य वाराणसी एयरपोर्ट अथॉरिटी की देखरेख में हुआ।

आजमगढ़ में मंदुरी हवाई अड्डे के विस्तार के लिए जिस इलाके में जमीनों के अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू की गई है वो इलाका तमसा नदी के बेसिन इलाके में आता है। यहां धान, गेहूं के अलावा आलू और उच्च गुणवत्ता वाली दालों की खेती भी होती है। आम और कटहल के लिए भी यह इलाका काफी मशहूर है।

मुंदरी हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के चलते विस्थापन का सामना कर रहे किसानों में 90 फीसदी दलित और अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) के लोग हैं। इनमें करीब 85 फीसदी लोग ऐसे हैं जिनके पास सिर्फ आठ-दस बिस्वा जमीनें हैं। भूमि अधिग्रहण की जद में आने वाले आधे लोग भूमिहीन हैं जो एक-दो बिस्वा जमीन पर किसी तरह से गुजारा कर रहे हैं, जिनके घरों तक पहुंचने के लिए न तो रास्ता है, न ही नाला-खड़ंजा। करीब पांच औसत परिवार के लोगों की सालाना कमाई 9,500 से ज्यादा नहीं है। ब्राह्मणवादी जाति व्यवस्था के तहत दलित और ओबीसी जातियां पदानुक्रम में काफी नीचे हैं, जिसके चलते वो ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर हैं।

प्रशासन का पक्ष

आजमगढ़ के जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज ने माना कि मुंदरी हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए जिले के आठ गांवों- बल्देव मंदुरी, गदनपुर, हिच्छनपट्टी, सौरा, साती, कंधरापुर, मधुबन और कुआं देवचंदपट्टी के हजारों लोग काफी भयभीत और चिंतित हैं। लेकिन इसी के साथ उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को हमारे पास आना चाहिए, हम उनकी सारी शंकाएं दूर कर देंगे।

डीएम के मुताबिक इन गांवों से करीब 270 हेक्टेयर (670 एकड़) भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के तहत सरकार द्वारा किसी भी भूमि का अधिग्रहण करने से पहले एक सामाजिक प्रभाव के मूल्यांकन की सिफारिश करता है। परियोजना की स्वीकृति के बाद, अधिग्रहण के बारे में अधिसूचना आधिकारिक राजपत्र में और कम से कम दो स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित करने के प्राविधान है।

भूमि अधिग्रहण से पहले स्थानीय ग्राम परिषदों के निर्वाचित सदस्यों को तब प्रस्तावित अधिग्रहण के बारे में सूचित किया जाता है, और लोगों की आपत्तियों का निस्तारण करने के बाद कम से कम दो महीने का समय दिया जाता है। भूमि के भौतिक सर्वेक्षण के बाद, अधिग्रहण संबंधी दावों का समाधान किया जाता है और सरकार की ओर से एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है।

'सत्ता का दुरुपयोग'

आजमगढ़ में रिहाई मंच के नाम से आंदोलन चलाने वाले एक्टिविस्ट राजीव यादव ‘न्यूज़क्लिक’ से कहते हैं, " प्रशासन ने 12 अक्टूबर 2022 को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 कानून को तार-तार कर दिया। कायदा-कानून को ताक पर रखकर तमाम प्रशासनिक अफसर सशस्त्र पुलिस के साथ अचानक आधी रात में जमुआ हरिराम में घुस गए और जंजीर व टेप लेकर जमीनों की नापी करने लगे। प्रशासन ने ग्राम प्रधान तक को सूचना नहीं दी। किसानों के विरोध करने पर उनके साथ मारपीट की गई। जुल्म और ज्यादती का पहाड़ तोड़े जाने के बाद से इलाके में उबाल है।"

‘ज़मीन हमारा पहला प्यार’

खिरियाबाग में शाम ढली तो जमुआ हरिराम गांव की 22 वर्षीया सुनीता भारती एक तख्ती पर नारे लिखतीं नजर आईं। जिसका मजमून था, "नारी शक्ति आई है, नई रोशनी लाई है। ‘न्यूज़क्लिक’ से भारती ने कहा, "चूंकि मैं विरोध में सबसे आगे हूं, इसलिए मेरी मां को मेरी शादी की चिंता है। मगर मुझे शादी की परवाह नहीं है। मुझे अपनी जमीन, अपने अधिकारों और सबसे महत्वपूर्ण अपने लोगों को बचाना है। अगर वो हमारी जमीन छीनेंगे तो गर्दिश में जीने से अच्छा यह है कि हम लड़ते-लड़ते क्यों न मर जाएं। हम किसान हैं। जमीन हमारा पहला प्यार है। वे मांग कर रहे हैं कि हम, गरीब से गरीब, अपनी जमीन कुर्बान कर दें। इनका इतना साहस?"

"भूमि अधिग्रहण के मामले में अफसरों ने हमें गफलत में रखा और उन्होंने बताया कि वो बारिश में खराब हुई फसलों की गुणवत्ता की जांच करने आए हैं। आधी रात में आने की वजह पूछे जाने पर वो कोई सटीक जवाब नहीं दे सके। जब मैंने पूछा कि वे जंजीर और मापने के टेप क्यों लाए हैं, तो उप जिलाधिकारी (एसडीएम) ने मेरे साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। झल्लाते हुए एसडीएम यहां तक पूछा, तुम किस जाति की हो? बाद में मुझे घसीटकर पुलिस वैन में ले जाया गया, धमकाया गया, मारपीट की गई और गालियां भी दी गईं। मैं आज उन्हें याद दिलाना चाहती हूं कि डॉ. भीमराम अंबेडकर भी एक दलित ही थे, जिन्होंने भारत को संविधान दिया। प्रशासनिक अफसरों को भारतीय संविधान का ज्ञान होता तो शायद वो हमारे साथ बुरा सलूक कतई नहीं करते।"

सुनीता

परास्नातक की पढ़ाई कर रहीं सुनीता आठ गांवों में इकलौती ऐसी महिला हैं जो अपनी जमीन को बचाने के लिए हर तरह की मनमानी से लड़ने के लिए तैयार हैं। वह कहती हैं, "भारत के पहले कानून मंत्री, भीमराव अंबेडकर जो दलित समुदाय में पैदा हुए थे, लेकिन जाति व्यवस्था के विरोध के चलते अपने अंतिम दिनों में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था। इन्हें देश के संविधान के निर्माता के रूप में जाना जाता है। हम मर-मिट जाएंगे, पर अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे।"

ज़ोर-ज़ुल्म की इंतिहा!

जिगना कर्मनपुर गांव की 46 वर्षीय किस्मती देवी उन सजग आंदोलनकारियों में से एक हैं जो प्रशासन की मनमानी के खिलाफ पुरजोर आवाज उठा रही हैं। वह कहती हैं, "जब ग्रामीणों ने अपनी जमीन की पैमाइश का विरोध किया तो उन्हें पुलिस ने पीटा। उन्होंने एक 65 साल के व्यक्ति का हाथ तोड़ दिया और दूसरे के पैर तोड़ दिए। चार प्रधानों को उठाया गया और उनके ऊपर ड्रग्स सेवन के झूठे आरोप मढ़ दिए गए। हालांकि जिला मजिस्ट्रेट विशाल भारद्वाज सफाई देते फिर रहे हैं कि जमीनों का सर्वेक्षण ड्रोन और आधिकारिक भूमि रिकॉर्ड के माध्यम से किया गया। अगर ऐसा कुछ किया गया है तो वह पूरी तरह से गैरकानूनी है। किसानों के साथ छल और फरेब करने वाले अफसरों के खिलाफ एक्शन होना चाहिए।"

प्रशासन का सभी आरोपों से इनकार

जिला मजिस्ट्रेट विशाल भारद्वाज किसानों के आरोपों से इनकार करते हुए उन्हें "मनगढ़ंत" बताते हैं। वह कहते हैं, "लोग बिना किसी सबूत के यह आरोप लगा रहे हैं। अगर उन्हें कोई आपत्ति और अड़चन है तो वो हमसे बात कर सकते हैं। इलाके का सर्वेक्षण सिर्फ यह पता लगाने के लिए किया गया था कि हवाई अड्डा प्राधिकरण के मास्टर प्लान के अनुसार कितनी, किसकी और किस तरह की जमीन की जरूरत है। हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी की सहमति के बिना किसी की जमीन-जायदाद कतई नहीं ली जाएगी। किसानों को आंदोलन करने की कोई जरूरत नहीं है।"

परियोजना रद्द करने की मांग

खिरियाबाग के आंदोलन में किसान नेता राकेश टिकैत, बड़े बांध विरोधी योद्धा मेधा पाटकर और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता संदीप पांडेय, किसान नेता जगतार सिंह बाजवा, गुरुनाम सिंह चढूनी, अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश सचिव पूर्व विधायक राजेन्द्र यादव, पूर्व विधायक इम्तियाज अहमद, गिरीश शर्मा और विभिन्न संगठनों के नेता अपना समर्थन दे चुके हैं। इस आंदोलन को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) का समर्थन हासिल है।

खिरियाबाग में मौजूद किसान नेता वीरेंद्र यादव, प्रेमचंद्र, नंदलाल और विजय यादव ‘न्यूज़क्लिक’ से कहते हैं, "मंदुरी हवाई अड्डे का विस्तारीकरण विकास के नाम पर विनाश है। यह सरकार द्वारा सत्ता का घोर दुरुपयोग है जो गरीब किसानों की जमीन छीनने की कोशिश कर रही है। गौर करने की बात यह है कि बनारस स्थित लाल बहादुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से मंदुरी हवाई अड्डे की आकाशीय दूरी सिर्फ 41 किमी है। जब पहले से एक एयरपोर्ट मौजूद है तो दूसरे की जरूरत क्यों? "

खिरियाबाग आंदोलन का नेतृत्व करने वाले महेंद्र राय और मुरारी कहते हैं, "किसान-मजदूर मंदुरी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए जमीन देने के लिए तैयार नहीं है। बेहतर होगा कि यह परियोजना रद्द कर दी जाए, अन्यथा आंदोलन चलता रहेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि "जनवरी 2023 में डीएम से वार्ता के बाद खिरियाबाग के लिए निकले रिहाई मंच के नेता राजीव यादव और किसान नेता वीरेंद्र यादव के साथ हथियारबंद लोगों ने न सिर्फ मारपीट की, बल्कि उनका अपहरण करने का प्रयास किया। हमलावर चार बाइक और दो चार पहिया वाहनों पर सवार गुंडों ने बंदूकें तान दी और कहा, 'तुम लोग किसान नेता हो। हम तुम्हें मार देंगे'। दोनों आंदोलनकारियों को जबरिया उठाने की कोशिश की गई तभी आंदोलनकारी महिलाएं मौके पर पहुंच गईं। हाथापाई करने के बाद हमलावर भाग निकले।''

"इससे पहले इन्हीं लोगों को 24 दिसंबर 2022 को वाराणसी शहर से आजमगढ़ तक आयोजित एक मार्च के दौरान हिरासत में लिया गया था। इलाकाई थाना पुलिस में लिखित शिकायत के बावजूद हमलावरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। खिरियाबाग में चल रहे आंदोलन के मद्देनजर प्रशासन से किसानों की तीन दौर की बातचीत हुई, लेकिन वह बेनतीजा रही। पुलिस ने हमलावरों के खिलाफ कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की है।"

आंदोलन से निपटने की ऐसी तैयारी !

भारतीय जनता पार्टी से जुड़े दिनेश लाल यादव "निरहुआ", आजमगढ़ से सांसद हैं। 22 नवंबर 2022 को एक भाषण में उन्होंने कथित तौर पर कहा कि आजमगढ़ के लोगों ने "अपना दिमाग खो दिया है। उनसे निपटने के केवल तीन तरीके हैं। उनके घुटनों को फ्रैक्चर करें, उन्हें जेल में डाल दें या उन्हें मार दें।" निरहुआ के विवादित बयान के बाद से खिरियाबाग के आंदोलनकारियों में जबर्दस्त आक्रोश है। खासतौर पर महिलाएं अपने सांसद को हर रोज कोसती नजर आती हैं।

खिरिया बाग आंदोलन के मुखर समर्थक समाजवादी जनपरिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री अफलातून कहते हैं, "अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे विस्तारीकरण के नाम पर आजमगढ़ के आठ गांवों को उजाड़ने के खिलाफ महीनों से चल रहे आंदोलन से डबल इंजन की सरकार बौखला गई है। इसके बावजूद खिरियाबाग आंदोलन पूरे पूर्वांचल के किसानों, नौजवानों और छात्रों का आंदोलन बनने की ओर बढ़ रहा है, जो मोदी-योगी और अंबानी-अडानी के लिए चुनौती बन सकता है। भाजपा सरकार आंदोलनकारियों को कभी अपने सांसद से धमकी दिलवाती है तो कभी अर्बन नक्सलियों का आंदोलन कहकर इसके नेताओं और समर्थकों को बदनाम करना चाहती है। वह भीमा कोरेगांव की तर्ज पर पटकथा तैयार कर रही है और भविष्य में साजिश रचकर आंदोलनकारियों को जेल भेज सकती है।"

"इसी साजिश के तहत एक अख़बार ने 15 जनवरी 2023 को एक खबर छापी थी, जिसमें झूठा आरोप मढ़ा गया था कि खिरिया बाग आंदोलन अर्बन नक्सलियों के शह और सहयोग से चल रहा है। योगी-मोदी सरकार इस आंदोलन को तोड़ने के लिए अब इन पर अर्बन नक्सल का ठप्पा लगाने के लिए मीडिया में स्टोरी प्लांट करा रही है और गोदी मीडिया भी सरकार के इशारे इस आंदोलन के खिलाफ सक्रिय हो गई है। पूर्वांचल के किसानों को संविधान और लोकतंत्र में भरोसा है। अब हम जन गोलबंदी के आधार पर मोदी-योगी और अंबानी-अडानी के गठजोड़ को दुनिया भर में सामने लाएंगे।"

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

इसे भी पढ़ें-मंदुरी एयरपोर्ट प्रकरण: ‘खेतों में क़ब्रिस्तान बनाकर हम सबको गाड़ दो और हमारी ज़मीन ले जाओ!'

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