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बीएचयू : संघ का झंडा हटाने पर डिप्टी चीफ प्रॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज, दिया इस्तीफा

डिप्टी चीफ प्रॉक्टर किरण दामले ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, "मुझे नहीं पता था कि वो आरएसएस का झंडा है। अयोध्या फैसले के चलते पूरे इलाके में धारा 144 लागू थी, जब मैं मैदान में गई तो वहां किनारे एक ऑरेंज कलर का झंडा लगा था, मैंने कुछ बच्चों से पूछा भी कि किसका झंडा है, जब मुझे नहीं पता लगा तो मैंने अपने चपरासी को बोलकर झंडा उतरवा लिया।
BHU
Image courtesy: Facebook

मिर्जापुर के बरकछा स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के राजीव गांधी दक्षिण परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का झण्डा हटाए जाने पर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। इस मामले में आरएसएस के जिला कार्यवाहक चंद्रमोहन की शिकायत पर देहात कोतवाली में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में डिप्टी चीफ प्रॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

देहात कोतवाली निरीक्षक अभय सिंह ने बताया कि पुलिस को दी गई तहरीर के अनुसार राजीव गांधी दक्षिण परिसर के मैदान में मंगलवार 12 नवंबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य शाखा लगाकर योगाभ्यास कर रहे थे।

उन्होंने दर्ज मामले के आधार पर बताया कि इस बीच डिप्टी चीफ प्रॉक्टर किरण दामले वहाँ पहुंच गईं और आरएसएस का झंडा उखाड़ दिया तथा उसे लेकर चली गईं। झंडा लगाने का विरोध करते हुए डिप्टी चीफ प्रॉक्टर ने कहा कि "ध्वज नहीं लगेगा, आप योग कर सकते हैं।"

क्या है पूरा मामला?

साउथ कैंपस में मंगलवार, 12 नवंबर सुबह कुछ छात्र स्टेडियम में संघ का ध्वज लगा कर योगाभ्यास कर रहे थे। इस बीच, डिप्टी चीफ प्रॉक्टर प्रो. किरण दामले भ्रमण करते हुए वहां पहुंचीं। उन्होंने संघ का ध्वज हटाकर अपने कार्यालय में रखवा दिया। इससे नाराज छात्र धरने पर बैठ गए। जानकारी होते ही नगर विधायक रत्नाकर मिश्र व आरएसएस के जिला कार्यवाह चन्द्रमोहन भी मौके पर पहुंच गए।

खबरों के अनुसार संघ के सदस्यों ने झंडा उखाड़ने का विरोध किया और इसे झंडे का अपमान बताया तथा प्रशासनिक भवन के सामने धरने पर बैठ गए। उनकी मांग थी कि डिप्टी चीफ प्रॉक्टर इस्तीफा दें और उन लोगों को अगले दिन से ध्वज लगाकर योगाभ्यास करने दिया जाए। छात्रों ने डिप्टी चीफ प्रॉक्टर पर झंडे का अपमान करने के साथ ही अपने साथ दुर्व्यवहार करने का भी आरोप लगाया।

घटना की जानकारी होने पर आरएसएस के सह प्रांत कार्यवाह सोहन मौके पर पहुंचे और कार्रवाई की मांग करने लगे। थोड़ी देर में ही नगर विधायक रत्नाकर मिश्र भी मौके पर पहुंच गए और दोनों ने कार्रवाई की मांग की।मामला बढ़ते देख डिप्टी चीफ प्रॉक्टर ने इस्तीफा दे दिया और झंडा हटाने पर माफी मांगी।

इसके बाद संगठन के जिला कार्यवाहक चंद्रमोहन की तहरीर पर देहात कोतवाली पुलिस ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया।

देहात कोतवाली निरीक्षक ने कहा कि धाराएं धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने से जुड़ी हैं । मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और जांच की जा रही है

डिप्टी चीफ प्रॉक्टर किरण दामले ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, "मुझे नहीं पता था कि वो आरएसएस का झंड़ा है। अयोध्या फैसले के चलते पूरे इलाके में धारा 144 लागू थी, जब मैं मैदान में गई तो वहां किनारे एक ऑरेंज कलर का झंड़ा लगा था, मैंने कुछ बच्चों से पूछा भी की किसका झंडा है, जब मुझे नहीं पता लगा तो मैंने अपने चपरासी को बोलकर झंड़ा उतरवा लिया। जिसके बाद कुछ बच्चे आए और उन्होंने कहा कि झंड़ा आरएसएस का है, जिस पर मैंने कहा कि ठीक है आप मेरे ऑफिस से ले लिजिएगा। जिसके बाद कुछ छात्रों ने विरोध किया तो मैंने इस्तीफा भी दे दिया। जिसके बाद मामला शांत हो गया।"

किरण ने आगे बताया कि बाहरी लोग इस मामले को तूल दे रहे हैं। संस्थान के छात्रों के मन में कोई शिकवा नहीं है। उन्होंने कहा कि मैंने किसी के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया और नाही मेरी किसी की भावनाओं को आहत करने की कोई मंशा थी।

इस संबंध में साउथ कैंपस की आचार्य प्रो. रमादेवी निम्नापल्ली ने बताया, ‘विश्वविद्यालय का माहौल पूरी तरह शांत है। किरण दामले ने जानबूझ कर नहीं झंड़ा हटवाया था। कुछ बाहरी तत्व और मीडिया बेवजह मामले को बढ़ा रहे हैं। 12 नवंबर को केवल आधे-एक घंटे के छात्रों के प्रदर्शन के बाद मामला डिप्टी प्रोक्टर के इस्तीफे के बाद शांत हो गया था। तब से परिसर में सब-कुछ सामान्य है'।

उन्होंने आगे कहा कि मामले को राजनीतिक तूल न दिया जाए। यह विश्वविद्यालय परिसर का मामला है। विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले से निबटने में सक्षम है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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