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बीएचयू: कैंपस में तेज़ी से फैल रहा आंखों का संक्रमण, प्रशासन पर अनदेखी का आरोप!

कुछ डॉक्टर्स इस संक्रमण को 'कंजंक्टिवाइटिस' की बीमारी बता रहे हैं। इन सबके बीच संक्रमित छात्रों का आरोप है कि प्रशासन इस मामले को लेकर कोई पुख़्ता इंतज़ाम नहीं कर रहा है। पेश है ग्राउंड रिपोर्ट :
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बीएचयू के नेत्र रोग विभाग में मरीजों की भीड़

बनारस के काशी हिंदू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू में आंखों का संक्रमण तेज़ी से फैल रहा है। कई छात्र इस संक्रमण के शिकार हो चुके हैं। कुछ डॉक्टर्स इस संक्रमण को 'कंजंक्टिवाइटिस' की बीमारी बता रहे हैं। इन सबके बीच संक्रमित छात्रों का आरोप है कि प्रशासन इस मामले को लेकर लापरवाह है और कोई पुख़्ता इंतज़ाम नहीं कर रहा है। पेश है ग्राउंड रिपोर्ट :

दरभंगा, बिहार के रुपेश कुमार काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में इकोनॉमिक्स के सेकेंड ईयर के स्टूडेंट हैं और वह पिछले एक हफ़्ते से आंख के संक्रमण से पीड़ित हैं। बीएचयू के राजा राम मोहन राय हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहे रुपेश की आंखों में 19 मार्च 2023 को चुभन हुई और फिर तेज़ी से दर्द होने लगा। कुछ ही घंटों बाद इनकी दोनों आंखें लाल हो गईं। अगले दिन वह स्टूडेंट्स हेल्थ सेंटर पहुंचे और डॉक्टरों को दिखाया। वहां से उन्हें दो आई-ड्रॉप दी गई। साथ ही बीएचयू के नेत्र रोग विभाग में विशेषज्ञ चिकित्सकों को दिखाने के लिए परामर्श दिया गया।

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हमसे बातचीत में रुपेश बताते हैं, "बीएचयू के सर सुंदर लाल अस्पताल में हमने डॉक्टरों से संपर्क किया। वहां बताया गया कि हमें 'कंजंक्टिवाइटिस' है। हमें जो दवाएं लिखी गईं, वह बाहर मिलीं। हमारी हालत में ज़्यादा सुधार नहीं है। आंखों का दर्द बरकरार है और दिखाई भी कम पड़ रहा है। कई दिनों से हमें लगातार आंखों पर काला चश्मा चढ़ाकर रहना पड़ रहा है। डॉक्टर हमें ढांढस बंधा रहे हैं कि आठ-दस दिनों में बीमारी चली जाएगी, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।"

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के राजा राम मोहन राय हॉस्टल में सिर्फ़ रुपेश कुमार सिंह ही नहीं, ऐसे स्टूडेंट्स की फेहरिस्त बहुत लंबी है जिनकी आंखें संक्रमण की वजह से लाल हैं और उनमें दर्द व चुभन है। इस हॉस्टल में कुल 228 कमरे हैं, जिसमें क़रीब पांच सौ से अधिक स्टूडेंट्स रहते हैं। इस हॉस्टल में ज़्यादातर स्टूडेंट्स की आंखों पर काले रंग के चश्मे चढ़े हुए हैं। स्टूडेंट्स का मानना है कि महज़ देखने भर से आंखें संक्रमित हो जा रही हैं। फिलहाल आंख की बीमारी से पीड़ित छात्रों की तादाद 70 से 80 बताई जा रही है। हर एक-दो कमरों के बाद कोई न कोई छात्र आई-फ्लू की ज़द में है। दहशत के चलते तमाम छात्र हॉस्टल छोड़कर चले गए हैं। जो हॉस्टल में रह रहे हैं उनमें खौफ़ है और सभी सहमे हुए हैं। आम छात्रों की शिकायत है कि इस बीमारी से पीड़ित स्टूडेंट्स को धुंधला दिखाई पड़ रहा है। रौशनी पड़ते ही आंखों पर दबाव महसूस होता है और पानी निकलने लगता है। कुछ चिकित्सक इस बीमारी को नए तरह का आई-फ्लू बता रहे हैं तो कुछ 'कंजंक्टिवाइटिस'।

गंभीर होती जा रही स्थिति

आंखों में संक्रमण की ज़द में आने वाले ज़्यादातर स्टूडेंट्स पूर्वांचल और बिहार के ग्रामीण इलाक़ों के हैं। कुछ आंखों के संक्रमण से पीड़ित हैं तो कुछ इस बीमारी के चलते बुख़ार की चपेट में आ गए हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने कई परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं। राजा राम मोहन राय हॉस्टल में तेज़ी से फैली यह बीमारी अब दूसरे हॉस्टलों में पहुंचती जा रही है। छात्रों में हड़कंप की स्थिति है और वे ये नहीं समझ पा रहे हैं कि यह बीमारी 'कंजंक्टिवाइटिस' है या फिर कुछ और। फिलहाल बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स की आंखों पर चश्में चढ़े दिख रहे हैं। ऐसे स्टूडेंट्स को देखते ही उनके दूसरे साथी दूरी बनाते नज़र आ रहे हैं।

बीएचयू में हेरिटेज मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहे सिलीगुड़ी के स्टूडेंट सुजीत इंद्रजीत बताते हैं, "आंख की बीमारी के चलते हम लिख-पढ़ नहीं पा रहे हैं। आंखें लाल हैं और हर वक़्त पानी गिरता रहता है। इस बीमारी ने ऐसे वक़्त पर हमला बोला है जब हमें अपना सिलेबस पूरा करने की चिंता है।"

बिहार के मुज़फ्फरनगर के निशांत कुमार और मऊ के आशुतोष की आंखों में संक्रमण है। निशांत कहते हैं, "हमारी दोनों आंखों में दर्द, जलन और चुभन है। हम कुछ भी लिख-पढ़ नहीं पा रहे हैं।"

कुछ ऐसी ही स्थिति एथलीट आशुतोष की है। वह कहते हैं, "हमारी बॉक्सिंग की प्रैक्टिस प्रभावित हो रही है। बीएचयू प्रशासन की चुप्पी ने हमारी चिंताओं को बढ़ा दिया है। अभी तक हम सभी का प्रॉपर इलाज शुरू नहीं हो सका है।"

पटना के प्रांजल कुमार को 'कंजंक्टिवाइटिस' के साथ बुख़ार भी है। वह कहते हैं, "कंजंक्टिवाइटिस एक संक्रामक बीमारी है। डॉक्टरों ने हमें अपने साथियों से मिलने और उनका कोई सामान साझा करने से मना किया है। जब से बीमारी ने हमला बोला है, हमें धुंधला दिख रहा है। ज़्यादा रौशनी के कारण आंखों से पानी निकलने लगता है।"

मध्य प्रदेश के अशोक डाबी, बीएचयू में राजनीति शास्त्र के फाइनल इयर के स्टूडेंट हैं। इन्हें भी इस कथित कंजंक्टिवाइटिस की समस्या है। दूसरे छात्रों की तरह अशोक भी बेहद परेशान हैं। कुछ ऐसा ही हाल आज़मगढ़ के शुभम और गोरखपुर के अजय यादव का है। दोनों स्टूडेंट्स राजनीति शास्त्र की पढ़ाई कर रहे हैं। इसके अलावा एक अन्य छात्र रोहित राय की हालत गंभीर होने पर साथी छात्रों ने उन्हें सर सुंदर लाल अस्पताल में भर्ती कराया है। बलिया के मूल निवासी रोहित इतिहास विषय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं। बीमारी को देखते हुए बीएचयू प्रशासन ने फिलहाल इतिहास की परीक्षाएं स्थगित कर दी है।

"हमें भगवान भरोसे छोड़ दिया"

इटावा के छात्र आदर्श भदौरिया ने कहा, "हमें भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। दावा किया गया था कि हॉस्टल में कैंप लगाकर छात्रों का इलाज किया जाएगा। पहले पीएम नरेंद्र मोदी के बनारस दौरे के चलते हमारे इलाज में कोताही बरती गई, बाद में हमारी बातों को अनसुना कर दिया गया। हॉस्टल में आज तक कोई जांच टीम नहीं आई। पीड़ित छात्रों की दवाएं, छात्र सेवा स्वास्थ्य संकुल से मिलनी चाहिए, लेकिन बाहर बाज़ार से ख़रीदनी पड़ रही हैं। मेडिकल कैंप नहीं लगाए जाने से बीमारी तेज़ी से फैलती जा रही है। हॉस्टल का हर तीसरा छात्र 'कंजंक्टिवाइटिस' बताए जानी वाली इस बीमारी से पीड़ित है। यह गिन पाना मुश्किल है कि कितने छात्रों को इस बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया है।"

बलिया के शंकर चौबे बीएचयू में एमसीपीआर के स्टूडेंट हैं और वह बीएचयू प्रशासन के रवैये से बेहद दुखी हैं। वह कहते हैं, "स्टूडेंट्स दवा कराएं या पढ़ाई करें। परीक्षाएं सिर पर हैं और बीमारी का समुचित इलाज तक नहीं किया जा रहा है। देशभर से स्टूडेंट्स के फोन आ रहे हैं। राजा राम मोहन राय हॉस्टल में रहने वाले सभी स्टूडेंट्स के परिजन परेशान हैं। बीमारी से पीड़ित किसी स्टूडेंट की प्रॉपर जांच आज तक नहीं हुई। सिर्फ़ एक एडवाइज़री नोटिस निकाला गया कि हमें क्या करना है और क्या नहीं करना है।"

राजा राम मोहन राय हॉस्टल में रहकर अर्थशास्त्र की पढ़ाई कर रहे चंदौली के नियामताबाद के अभिषेक कुमार पिछले चार दिन से बीमार हैं। वह कहते हैं, "कंजंक्टिवाइटिस एक संक्रामक बीमारी होने के कारण बीएचयू के बाक़ी हॉस्टल में भी तेज़ी से फैलती जा रही है। एलबीएस हॉस्टल के क़रीब आधा दर्जन स्टूडेंट्स भी इस बीमारी की चपेट में हैं। ट्रैवेल एंड टूरिज़्म से स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे निशांत मिश्र भी इसी संक्रमण से पीड़ित हैं। कई छात्रों का कहना है कि इस संक्रमण के कारण प्लेसमेंट पर भी काफ़ी असर पड़ा है।

इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अमरनाथ पासवान, राजा राम मोहन राय हॉस्टल के वार्डन हैं। वह कहते हैं, "स्थिति चिंताजनक, मगर नियंत्रण में है। कंजंक्टिवाइटिस की इस बीमारी की उम्र ज़्यादा लंबी नहीं होती। कुछ ही दिनों में पीड़ित छात्र ठीक हो जाएंगे। घबराने की ज़रूरत नहीं है। जल्द ही स्थिति सुधर जाएगी। पीड़ित छात्रों के समुचित इलाज के लिए हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं। पीड़ित छात्रों को बीएचयू छात्र सेवा स्वास्थ्य संकुल से दवाएं दिलवाई गईं हैं। जिन्हें दिक्कत ज़्यादा है उन्हें सर सुंदर लाल हॉस्पिटल भेजा जा रहा है।"

आरोप है कि बीएचयू प्रशासन इन सवालों पर कोई पुख़्ता जवाब नहीं दे रहा है कि यह संक्रमण सिर्फ़ बीएचयू के हॉस्टलों में तेज़ी से क्यों फैल रहा है और इसे रोकने के लिए कारगर इंतज़ाम क्यों नहीं किया जा रहा है? छात्र ये भी आरोप लगा रहे हैं कि यह कहकर मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है कि कंजंक्टिवाइटिस की उम्र ज़्यादा नहीं होती और लू के थपेड़ों के साथ यह बीमारी लापता हो जाएगी।

"नज़रें मिलाने से नहीं फैलती बीमारी"

बीएचयू के सर सुंदर लाल चिकित्सालय के नेत्र रोग विभाग में बड़ी संख्या में इस संक्रमण से पीड़ित छात्र पहुंच रहे हैं। 24 मार्च 2023 को ओपीडी में पीड़ितों का उपचार कर रहे प्रो.आरपी मौर्य ने हमसे बात करते हुए कहा, "कंजंक्टिवाइटिस या पिंक-आई आंखों में होने वाला एक इंफेक्शन है। इसके संक्रमण से आंखों में भयानक दर्द जैसे परेशानी हो सकती है। ठंड के दिनों में ऐसे मामले बढ़ जाते हैं। थोड़ी सी भी गड़बड़ी होने पर आपको कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे आपकी दिनचर्या प्रभावित हो सकती है। 'आंख-आना' जिसे मेडिकल भाषा में कंजंक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) भी कहते हैं, इसमें आंखों के 'कंजंक्टिवा' में सूजन हो जाती है। इसका कारण बैक्टीरिया, वायरस, एलर्जी, फंगी के अलावा शैम्पू, लेंस और डस्ट भी हो सकता है। यह 'एक्यूट' और 'क्रोनिक' हो सकता है। सामान्य तौर पर कंजंक्टिवाइटिस एक से दो हफ़्ते तक रहता है। गंभीर मामलों में यह इंफेक्शन चार हफ़्ते से अधिक समय तक रह सकता है।"

इसके अलावा वो बताते हैं, "आंखों से जुड़ी इस समस्या को लेकर समाज में कई अवधारणाएं मौजूद हैं जिसमे से एक यह है कि अगर आप कंजंक्टिवाइटिस से ग्रसित व्यक्ति की आंख में देखते हैं, तो यह आपको भी हो जाता है। लेकिन यह सच नहीं है। वायरल कंजंक्टिवाइटिस अत्यधिक संक्रामक होता है। यह मुख्य रूप से संक्रमित आंखों के संपर्क से फैलता है। इसके वायरस आंसू, और रेस्पिरेटरी डिस्चार्ज में भी मौजूद होते हैं, जिससे दूषित हाथ आपको इससे ग्रसित कर सकते हैं। कंजंक्टिवाइटिस किसी ऐसे व्यक्ति को देखने से नहीं फैलता है जिसे यह बीमारी है। यह मुख्य रूप से हाथ के संपर्क से फैलता है। आपको केवल संक्रमित व्यक्ति की आंखों के संपर्क से यह बीमारी होने का ख़तरा होता है। आंखों का गुलाबी होना, आंखों में जलन या चुभन होना, पलकों पर पश का स्त्रावित होना, खुजली होना और पानी आना, कॉन्टैक्ट लेंस से असहज महसूस करना, पलकों का चिपकना आदि कंजंक्टिवाइटिस के प्रमुख लक्षण हैं।"

प्रो. मौर्य कहते हैं, "इस बीमारी से होने वाली सूजन और सूखेपन से कुछ हद तक राहत के लिए आप कोल्ड कंप्रेस और आई-ड्रॉप का उपयोग कर सकते हैं। इसके साथ ही आंखें ठीक होने तक आपको कॉन्टेक्ट लेंस पहनने से बचना चाहिए। इसके अलावा घर से बाहर या धूल में निकलने से पहले चश्मा पहनना फायदेमंद होता है। कंजंक्टिवाइटिस से पीड़ित व्यक्ति आंखों को गंदे हाथों से न छुएं, आंखों को पोछने के लिए साफ़ तौलिये या वॉशक्लॉथ का इस्तेमाल करें। दूसरे का वॉशक्लॉथ इस्तेमाल न करें। अपने तकिए के कवर को बार-बार बदलें। काजल जैसे ब्यूटी प्रोडक्ट को शेयर न करें। आंखों को ठंडे पानी से धोएं।"

कुछ लोग कंजंक्टिवाइटिस को ठीक करने के लिए घरेलू उपचार करते हैं। फिटकरी, धनिया के पानी से आंखों को धोना अथवा शहद डालना घातक हो सकता है, क्योंकि बाज़ार में ये चीज़े शुद्ध नहीं मिल पाती है। कंजंक्टिवाइटिस से पीड़ित व्यक्ति विशेषज्ञ चिकित्सक से इलाज कराएं। घरेलू दवाएं अथवा नुस्ख़े इस्तेमाल न करें। ज़्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। अगर काम पर जाने में असहज महसूस कर रहे हों तो एक-दो दिन आराम करें"

(लेखक बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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