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बीएचयूः फीस बढ़ाने के विरोध में स्टूडेंट्स का केंद्रीय कार्यालय पर प्रदर्शन, हिन्दी विभाग के बाहर धरना

स्टूडेंट्स का कहना है कि बीएचयू के सभी विभागों में मनमाने ढंग से फीस बढ़ाई जा रही है। शिक्षा के मंदिर को व्यावसायिक केंद्र बनाने की कोशिश न की जाए।
BHU
शुल्क वृद्धि के विरोध में प्रदर्शन करते स्टूडेंट्स

वाराणसी के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू)  में सोमवार को स्टूडेंट्स ने फीस वृद्धि के खिलाफ केंद्रीय कार्यालय पर नारेबाजी करते हुए जमकर प्रदर्शन किया। दूसरी ओर, हिन्दी विभाग में पीएचडी में धांधली के खिलाफ स्टूडेंट्स ने धरना दिया और बीएचयू प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए।  

कड़ाके की धूप और जबर्दस्त उमस के बावजूद बीएचयू के केंद्रीय कार्यालय के बाहर छात्रों के एक बड़े समूह ने सोमवार को प्रदर्शन किया। आंदोलनकारी स्टूडेंट्स का कहना है कि बीएचयू के सभी विभागों में मनमाने ढंग से फीस बढ़ाई जा रही है। शिक्षा के मंदिर को व्यावसायिक केंद्र बनाने की कोशिश न की जाए। स्टूडेंट्स ने सेंट्रल ऑफिस का मुख्य गेट बंद करा दिया। आंदोलनकरी अपने हाथ में पोस्टर लिए हुए थे जिसमें लिखा था- रोल बैक फी हाइक, फीस वृद्धि वापस लो, हॉस्टल फीस के नाम पर छात्रों का शोषण बंद करो। प्रदर्शन  की सूचना मिलते ही सेंट्रल आफिस पर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी और प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्य पहुंच गए।

आंदोलनकरी स्टूडेंट्स कहना है कि एडमिशन, शिक्षा शुल्क  से लेकर छात्रावासों की फीस में 50 फीसदी से ज्यादा इजाफा किया गया है। इस सत्र में फीस वृद्धि के खिलाफ दो अगस्त को कुलसचिव को ज्ञापन दिया गया था, मगर कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। फीस वृद्धि के खिलाफ छात्रों ने अब सड़क पर उतरने का मन बना लिया है।

प्रदर्शन के दौरान स्टूडेंट्स विश्वविद्यालय प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे। छात्र नेता अभय प्रताप सिंह ने कहा, "साल 2021-22 के मुकाबले हॉस्टल फीस में दोगुना की बढ़ोतरी हुई है। जो फीस पिछले सत्र में 3650 रुपए थी, उसे बढ़ाकर 5350 रुपये कर दिया गया है। पिछले सत्र में 5000 रुपये फीस की वृद्धि की गई है।

दूसरी ओर, बीएचयू के हिन्दी विभाग में शोध छात्रों के प्रवेश के करीब तीन महीने बाद भी पाठ्यक्रम तय नहीं हो से स्टूडेंट्स काफी नाराज हैं। इस मुद्दे को लेकर उन्होंने हिन्दी विभाग के सामने धरना दिया। स्टूडेंट्स का कहना है कि साहित्य का पाठ्यक्रम ही प्रयोजनमूलक हिंदी के शोधार्थियों को भी पढ़ाया जा रहा है। विभाग में प्रयोजमूलक हिंदी में पीएचडी कर रहे छात्र नील दुबे ने विगत दिवस विभागाध्यक्ष को पत्र और ई-मेल के जरिये प्री पीएचडी कोर्सवर्क के संचालन की मांग की है।

 नील ने बताया कि बीते 11 मई को उन्हें रेट एग्जेंप्टेड श्रेणी में प्रयोजमूलक हिंदी ( पत्रकारिता ) से पीएचडी के लिए प्रवेश मिला था। इसके बाद 18 जुलाई से सत्र 2021 के शोध छात्रों की प्री-पीएचडी कोर्स वर्क संचालन की नोटिस चस्पा की गई थी। जब वह क्लास करने पहुंचे तो पता चला कि उन्हें प्रयोजनमूलक हिंदी पत्रकारिता की बजाय हिन्दी साहित्य का पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है। छात्र ने बताया कि हिंदी साहित्य और प्रयोजनमूलक हिन्दी पत्रकारिता का पाठ्यक्रम बिल्कुल अलग है। जहां हिंदी में साहित्यिक शोध पर जोर होता है, वहीं प्रयोजनमूलक हिन्दी पत्रकारिता में जनसंचार शोध पर। परास्नातक में भी दोनों की कक्षाएं अलग-अलग चलती हैं।

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