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नौकरी तलाशने वालों के लिए बुरी ख़बर, ई-कॉमर्स कंपनियां नहीं देंगी मोटा पैकेज

कंपनियां अब नई हॉयरिंग में लोगों को ज़्यादा सैलरी नहीं देंगी। कंपनियों ने पिछले साल जितनी हाईक दी है, इस बार उससे कम हाईक ही देंगी। इसकी वजह फंडिंग की कमी है। ई-कॉमर्स कंपनियां अब ज़्यादा प्रॉफिट कमाने पर ध्यान दे रही हैं।
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नौकरी तलाश करने वालों के लिए इस बार कुछ अच्छी ख़बर नहीं है। अब ई-कॉमर्स कंपनियों ने अपने हाथ बांध लिए हैं। कंपनियां अब नई हॉयरिंग में लोगों को ज़्यादा सैलरी नहीं देंगी। नवभारत टाइम्स में छपी ख़बर के मुताबिक़, कंपनियों ने पिछले साल जितनी हाईक दी है, इस बार उससे कम हाईक ही देंगी। इसकी वजह फंडिंग की कमी है। ई-कॉमर्स कंपनियां अब ज़्यादा प्रॉफिट कमाने पर ध्यान दे रही हैं। वहीं कई कंपनियां अब कैंपस हायरिंग का भी प्लान बना रही हैं। कैंपस हायरिंग से कंपनियों का ख़र्चा बचेगा।

कैंपस हायरिंग की तैयारी

रिपोर्ट के मुताबिक़, दर्जनों कंपनियां कैंपस हायरिंग की प्लानिंग बना रही है। वहीं जोमैटो, इंडस इंसाइडस और प्रॉकमार्ट का कहना है कि कैंपस हायरिंग का उनका टार्गेट पिछले साल के मुक़ाबले बढ़ा है। पेटीएम और ड्रीम स्पोर्टस के मुताबिक़, वो भी कैंपस हायरिंग करेंगे लेकिन कितने लोगों की हायरिंग करेंगे इस बारे में अभी कुछ प्लान नहीं बनाया है। जानकारों के मुताबिक़, कोरोना काल के बाद से अभी कंपनियों का मुनाफ़ा ज्यादा नहीं बढ़ पाया है। ऐसे में कंपनियां अपना मुनाफ़ा बढ़ाने के ऊपर ज़्यादा ध्यान दे रही हैं। ऐसे में वो नई हायरिंग में फ्रैशर्स को ज़्यादा सैलरी नहीं देने का प्लान बना रही हैं।

कंपनियां मोटा पैकेज देने के मूड में नहीं

इस बार कंपनियां लोगों को मोटा पैकेज नहीं देने के मूड में है। रिपोर्ट के मुताबिक़, एडटेक स्टार्टअप सिंपली लर्न के चीफ एक्जीक्यूटिव कृष्ण कुमार ने बताया कि हम कैंपस हायरिंग कर सकते हैं लेकिन मोटा पैकेज नहीं मिलेगा। वहीं पिछले साल के मुक़ाबले हायरिंग कम होने की भी आशंका है। हायरिंग के लिए वो इंजीनियरिंग कॉलेज के मुक़ाबले बिजनेस कॉलेजों के स्टूडेंटस को लेना ज़्यादा पसंद करेंगे। वहीं जो भी हायरिंग होगी वो रिलेशनशिप सेगमेंट में ज़्यादा होगी। रेजर पे, सिंपली लर्न, कैश करो और नो ब्रोकर कंपनियों के मुताबिक़, इस साल हायरिंग सामान्य या पिछले साल के मुक़ाबले कम रह सकती है।

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