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ख़बरदार मिस्टर मोदी, किसान अभी भी बाहर मौजूद हैं!

किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोकने के लिए भाजपा शासित राज्य सरकारों की ओर से ड्रोन, क्रेन, जेसीबी, वाटर कैनन, कंक्रीट बैरियर और हज़ारों सुरक्षाकर्मी तैनात किये गये थे।
 किसान
हरियाणा: राष्ट्रीय राजधानी के रास्ते पर आगे बढ़ रहे किसानों पर पानी के तोपों की बौछार। फ़ोटो:साभार:एआईकेएस फ़ेसबुक पेज

हरियाणा की भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने पंजाब से हरियाणा और हरियाणा से दिल्ली जाने वाली तमाम सड़कों पर हज़ारों पुलिस,रैपिड एक्शन फ़ोर्स (आरएएफ़) और अर्ध-सैन्य कर्मियों को तैनात कर दिया है,किसानों के प्रदर्शन को लेकर यह एक ऐसी प्रतिक्रिया है,जिससे आतंक और अहंकार दोनों की बू आ रही है। यह ऐसी निरंकुश और तानाशाही प्रतिक्रिया थी,जो शायद मोदी सरकार के इशारे पर की गयी,जिसमें माना गया था कि दो लाख किसान हाल ही में संसद के ज़रिये ख़त्म कर दिये गये तीन कृषि सम्बन्धी क़ानूनों के विरोध में दिल्ली पहुंचना चाहते थे।

देश के बाक़ी हिस्सों के कई राज्य गांव की सड़कों की नाकेबंदी और विरोध प्रदर्शनों के गवाह बने,क्योंकि देश भर में किसानों का दो दिवसीय विरोध शुरू हो गया, जिसके साथ दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और अन्य स्वतंत्र संगठनों की तरफ़ से एक दिवसीय आम हड़ताल बुलायी गयी थी।

भाजपा की अगुवाई वाली सरकारों ने भले ही किसानों को बड़ी संख्या में दिल्ली पहुंचने से रोक दिया हो, लेकिन अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) के नेता,हन्नान मुल्ला के मुताबिक़ उनके ख़िलाफ़ 'युद्ध की इस घोषणा' ने इस आंदोलन को खत्म नहीं होने दिया है। दिल्ली की ओर जाने वाले विभिन्न राजमार्गों पर हरियाणा और उत्तर प्रदेश,दोनों ही राज्यों के हज़ारों किसानों ने अपने डेरे डाल दिये हैं, यहां तक कि लाखों किसान अपने-अपने राज्यों में हो रहे विरोध प्रदर्शनों में शामिल हो गये। इससे यही लगता है कि यह लड़ाई लंबी होने जा रही है।

किसानों की भारी सुरक्षा घेरे के साथ झड़प

व्यापक सुरक्षा बंदोबस्त जल्द ही पंजाब-हरियाणा सीमा,और यहां तक कि भाजपा शासित राज्य के भीतर भी टूटकर बिखर गये।

सुबह,लोगों और भोजन, तिरपाल, स्टोव से लदे ट्रकों और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ किसानों की एक विशाल टुकड़ी ने सबसे पहले अंबाला के कई स्तरों वाले घेरे को तोड़ दिया। उन्होंने पुलिस बल को पीछे धकेल दिया और 90 किलोमीटर दूर करनाल की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर पूरे जोश के साथ आगे बढ़ गये। वे कुरुक्षेत्र में एक थकी हुई पुलिस की मौजूदगी में तेज़ी से आगे बढ़ गये और इसके बाद वे फिर करनाल में सुरक्षा बलों की एक कहीं ज़्यादा व्यापक व्यवस्था का सामना कर रहे थे। इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक करनाल में किसानों और सुरक्षा बलों के बीच गतिरोध जारी था। ये सब अपने ही राज्य में आगे बढ़ रहे हरियाणा के किसानों के दस्ते की तरफ़ से अंजाम दिये गये। हरियाणा सरकार केंद्र के उकसाने पर दिल्ली के बड़े लोगों बचाने के लिए अपने ही किसानों के ख़िलाफ़ जंग कर रही है।

इस बीच कुछ घंटों के भीतर ही पंजाब की सीमा पर स्थिति और भी ख़राब और उग्र हो गयी,क्योंकि पंजाब के किसानों के भारी दस्ते ने दिल्ली की तरफ़ जाने वाले राजमार्गों का रुख़ करना शुरू कर दिया। उन्हें अपने देश की राजधानी तक पहुंचने और अपने चुने हुए प्रधान मंत्री को एक संदेश देने के लिए हरियाणा से होकर गुजरना पड़ा, इसके अलावे उनके पास कोई और रास्ता भी नहीं था।

इसके बाद,शंभू बॉर्डर (अंबाला के पास) में सुरक्षा बलों ने अपनी हताशा में जैसे ही किसानों के साथ शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाया,वैसे ही वहां गुरिल्ला युद्ध से मिलती-जुलती झड़पें हो गयीं। शायद उन्होंने भविष्य में होने वाली घटनाओं और पहले वाली टुकड़ी को सुरक्षा बलों द्वारा रोक जाने में मिली नाकामी के बारे में सुन रखा था। या फिर शायद वे आज़ाद इसलिए महसूस कर रहे थे,क्योंकि ये पंजाब के किसान थे। जो भी हो,ड्रोन कैमरों की गूंज और ऊपर और नीचे घूमते क्रेन के साथ सुरक्षा बलों ने उन्हें लाउड स्पीकर पर चेतावनी दी और इसके बाद उनपर पानी के तोपों की बौछारें कर दीं। यह देखते हुए कि प्रदर्शनकारी क्षुब्ध थे,भारी मात्रा में आंसू गैस भी छोड़े जाने लगी।

इसके बाद प्रदर्शनकारी इन अवरोधों को लेकर उग्र हो गये,इसके अलावे प्रदर्शनकारी सुरक्षा बलों के मुक़ाबले बड़ी तादाद में थे। लिहाज़ा,वे धातु के घेरे को तोड़ते हुए आगे बढ़ गये,टूटे हुए बैरिकेड्स को घग्गर नदी में फेंक दिया और पानी के तोपों का डटकर सामना किया। नौजवान अपने बुज़ुर्ग रिश्तेदारों को ट्रक और ट्रैक्टर ट्रॉलियों में रहने के लिए कह रहे थे और ये नौजवान सबसे आगे के मोर्चे पर मुस्तैद थे। प्रदर्शनकारियों और बसों से भरे एक तंग पुल पर पुलिस ने संभावित भगदड़ के ख़तरे से बेखबर रहते हुए आंसू गैस के गोलों को फेंकना जारी रखा।

विभिन्न किसान संगठनों और राजनीतिक दलों ने किसानों को दिल्ली तक पहुंचने से रोकने के लिए भारी बंदोबस्त किये जाने को लेकर हरियाणा की भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की कड़ी निंदा की है।

कार्यकर्ताओं को यूपी और दिल्ली पुलिस ने एंट्री प्वाइंट पर रोका,एमपी पुलिस ने किया गिरफ़्तार

इसी बीच,यूपी-दिल्ली सीमा पर तीनों प्रमुख एंट्री प्वाइंट- नोदा, एनएच 24 और जीटी रोड पर बोर्डर के दोनों ओर पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी गयी थी। हज़ारों किसान उन बैरिकेड्स के यूपी की तरफ़ इकट्ठा हो गये और आख़िरकार उन्होंने सड़कों पर ही आसन जमाने का फ़ैसला कर किया।ग़ौरतलब है कि दिल्ली पुलिस को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नियंत्रित किया जाता है। हालांकि, अंतिम रिपोर्ट के आने तक इन मामलों में  किसी भी तरह के टकराव की ख़बर नहीं थी।

दिल्ली के साथ लगने वाले गुड़गांव बॉर्डर और उत्तर में सिंघू बोर्डर में भी पुलिस की बहुत मज़बूत तैनाती थी, लेकिन उन्हें बहुत दबाव का सामना नहीं करना पड़ा-वहां अब भी प्रदर्शनकारियों को राजमार्गों पर आगे बढ़ने से रोकने और वापस भेजने की कोशिश की जा रही थी।

सत्ता के गलियारों में दहशत की सीमा का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली मेट्रो को दिल्ली की सीमाओं के बाद अपनी सेवाओं को निलंबित करने का निर्देश इस डर से दे दिया गया था कि किसान कहीं राष्ट्रीय राजधानी के बीच पहुंचने के लिए मेट्रो ट्रेनों का इस्तेमाल नहीं कर लें। ऐसी ख़बरें भी थीं कि पुलिस रेलवे स्टेशनों और अंतर्राज्यीय बस स्टेशनों पर भद्दे तरीक़े से जिस-तिस से पूछताछ कर रही थी।

मध्य प्रदेश में कई किसान कार्यकर्ताओं और एकजुटता दिखाने वालों को स्थानीय पुलिस ने दिल्ली जाने से रोकने के लिए गिरफ़्तार कर लिया।

27 नवम्बर को भी विरोध जारी

हालांकि दो दिन चलने वाले इस किसान विरोध प्रदर्शन के साथ दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और अन्य स्वतंत्र महासंघों की तरफ़ से की गयी एक दिन की आम हड़ताल को देखते हुए कई राज्यों में गांव की सड़कों पर किये जा रहे अवरोधक और चल रहे विरोध प्रदर्शन को भी देखा गया है,उम्मीद है कि 27 नवंबर को इस भीड़ में और भी इज़ाफ़ा होगा।

किसान संगठनों का दावा है कि पहले दिन सरकार की दमनकारी कार्रवाइयों ने देश भर के किसानों के असंतोष को भड़का दिया है और यह असंतोष आज सड़कों पर दिखायी देगा।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Beware, Farmers Are Still Out There, Mr.Modi!

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