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भीमा कोरेगांव मामला: गौतम नवलखा के केस की सुनवाई से हटे जस्टिस एस रविंद्र भट

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी गौतम नवलखा को तलोजा जेल से स्थानांतरित करने और घर में नजरबंद रखने की याचिका पर जस्टिस एस रविंद्र भट ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है
Gautam Navlakha

भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपी गौतम नवलखा को तलोजा जेल से स्थानांतरित करने और घर में नजरबंद रखने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एस रविंद्र भट ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। अब इस याचिका पर दूसरी बेंच सुनवाई करेगी। नवलखा ने याचिका खारिज करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है। नवलखा ने स्थानांतरण की मांग के लिए बुनियादी चिकित्सा आवश्यकताओं की कमी का हवाला दिया।
 
CJI ललित ने इसके बजाय मामले को जस्टिस केएम जोसेफ के सामने रखा, और कथित तौर पर कहा, “जस्टिस भट (इस अपील) को नहीं सुन सकते। इस मामले को न्यायमूर्ति भट की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध नहीं किया जाना है। यह मामला मेरे और जस्टिस केएम जोसेफ के सामने सूचीबद्ध हुआ था। हम इस मामले को न्यायमूर्ति जोसेफ की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करेंगे।
 
अप्रैल 2022 में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवलखा की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें अनुरोध किया गया था कि उन्हें भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में लंबित मुकदमे में नजरबंद रखा जाए। इसके बजाय, जस्टिस सुनील बी शुक्रे और गोविंदा ए सनप की खंडपीठ ने तलोजा सेंट्रल जेल के अधीक्षक को निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता को चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाएं।
 
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 15 आरोपियों के खिलाफ सत्रह ड्राफ्ट (प्रस्तावित) आरोपों की एक सूची प्रस्तुत की थी, जिसमें देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का गंभीर आरोप शामिल है। 15 आरोपी हैं- वरवर राव, आनंद तेलतुंबडे, गौतम नवलखा, वर्नोन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज, रोना विल्सन, शोमा सेन, सुधीर धवले, सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, हनी बाबू, रमेश गाइचोर, ज्योति जगताप और सागर गोरखे।
 
एनआईए के आरोपों का दावा है कि आरोपी व्यक्ति एक प्रतिबंधित संगठन, सीपीआई (माओवादी) के सदस्य हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य एक क्रांति के माध्यम से जनता सरकार यानी लोगों की सरकार की स्थापना करना है, जो सशस्त्र संघर्ष के जरिए सत्ता को जब्त करने की प्रतिबद्धता द्वारा समर्थित है।  

साभार : सबरंग 

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