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बिहार: शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल, शिक्षक अभ्यार्थियों का धरना जारी!

अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर शिक्षक अभ्यर्थी राजधानी पटना में 18 जनवरी से धरना दे रहे हैं। इन अभ्यर्थियों का आरोप है कि काउंसलिंग कर नियुक्ति पत्र देने में सरकार जानबूझ कर देरी कर रही है।
बिहार: शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल, शिक्षक अभ्यार्थियों का धरना जारी!

"बिहार की शिक्षा व्यवस्था युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रही है और इसमें तभी सुधार आएगा जब सभी सरकारी अधिकारी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजना शुरू करेंगे।"

ये टिप्पणी बीते साल फरवरी में पटना हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर चिंता जाहिर करते हुए की थी। हालांकि हाईकोर्ट की फटकार के बाद भी बिहार के सरकारी शिक्षा तंत्र की तस्वीर तस की तस बनी हुई है। आलम ये है शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी अब ‘19 लाख रोजगार’ का वादा करने वाली नीतिश सरकार के बस के बाहर की बात नज़र आ रही है।

आपको बता दें कि बिहार सरकार ने साल 2019 में 94,000 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति का फैसला लिया था। इन पदों को भरने की प्रक्रिया में पास कर चुके अभ्यर्थियों की मेरिट लिस्ट भी जारी हो चुकी है। लेकिन अब सरकार काउंसलिंग कर इन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दे रही है। इस आंदोलन को विपक्ष का भी पूरा साथ मिल रहा है।

अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर शिक्षक अभ्यर्थी राजधानी पटना में 18 जनवरी से धरना दे रहे हैं। इन अभ्यर्थियों का आरोप है कि काउंसलिंग कर नियुक्ति पत्र देने में सरकार विलम्ब कर रही है। इस धरने में भारी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं, जो इस कड़कड़ाती ठंड में पटना के रेलवे स्टेशन पर ठेरा डाले हुई हैं।

क्या कहना है अभ्यार्थियों का?

मुजफ्फरपुर से आए 27 साल के आशीष कहते है कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था का हाल पूरे देश में किसी से छिपा नहीं है। बावजूद इसके प्राथमिक शिक्षकों के इतने ज्यादा पद रिक्त होने के बावजूद सरकार इन पदों पर कोई नियुक्ति नहीं कर रही है जबकि बिहार में प्रतिभाशाली युवाओँ की कोई कमी नहीं है।

आशीष के अनुसार विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र साल 2019 में बहाली की प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन सरकार समय बढ़ाती रही। हम लोग आवेदन पर आवेदन करते रहे। करीब दो साल लग गए मेरिट लिस्ट निकालने में। लेकिन अब जब सरकार दोबारा सत्ता में आ गई और चुनाव बीत गए तो फिर से टालमटोल कर रही है।

शिक्षा विभाग नहीं दे रहा कोई जवाब!

मधुबनी से पटना आईं आशा सिंह बताती हैं कि वो बीते कई दिनों से पटना के रेलवे स्टेशन पर रात गुजार रही हैं, क्योंकि उनके पास यहां ठहरने का कोई स्थान नहीं है। धरना स्थल पर भी अनुमति केवल 10 बजे सुबह से शाम 4 बजे तक की है। इसलिए ज्यादातर महिलाएं स्टेशन पर ही रात गुजारती हैं।

आशा कहती हैं कि हमारी बस सरकार से इतनी मांग है कि जल्द से जल्द काउंसलिंग कर हमें नियुक्ति पत्र दे दें। हम पहले ही बहुत इंतजार कर चुके हैं, अब और सब्र बाकी नहीं है। हम लोग कई बार शिक्षा विभाग में जा चुके हैं, लेकिन शिक्षा विभाग नियुक्ति पत्र को लेकर कोई जवाब नहीं दे रहा है। इसलिए सरकार तक अपनी आवाज़ पहुंचाने का अब धरना ही एक रास्ता है।

शिक्षक अभ्यर्थियों पर पुलिस का लाठीचार्ज!

मालूम हो कि 19 जनवरी को शांतिपूर्ण धरने पर बैठे शिक्षक अभ्यर्थियों पर पुलिस द्वारा लाठी चार्ज की खबरें भी सामने आईं। खबरों के मुताबिक दोपहर के समय पुलिस ने अचानक धरनास्थल को घेर लिया और दोनों तरफ के गेट को बंद कर लाठी चलाना शुरू कर दिया। यहाँ तक कि महिलाओं और विकलांगों को भी नहीं छोड़ा गया। इस पूरे मामले में 9 शिक्षक अभ्यर्थियों को गिरफ्तार कर 500 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा कर दिया गया।

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मांगें मानी जाने तक आंदोलन जारी रहेगा!

धरने पर बैठे शिक्षक अभ्यर्थियों का कहना है कि अब आंदोलन तब तक जारी रखेंगे जब तक कि उनकी मांग नहीं मान ली जाती है। सरकार उनके नियोजन के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा लेती, तब तक वे डटे रहेंगे।

बिहार टीईटी सीटीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी संघ के सौरभ कुमार के मुताबिक शिक्षा विभाग से उन्हें 27 जनवरी  के बाद नियोजन होने का आश्वासन दिया गया है। हालांकि सौरभ का कहना है कि अब आश्वासन से हमारा आंदोलन नहीं रुकेगा।

बिहार में प्राथमिक शिक्षकों की भारी कमी

गौरतलब है कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था सड़क से लेकर सदन तक अक्सर चर्चा में रहती है। कभी स्कूल का खस्ता हाल, तो कभी शिक्षकों का आंदोलन। कभी कई सालों तक डिग्रियों का इंतजार, तो कभी नियुक्ति की मांग। हालांकि बावजूद इसके सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगती। सरकार की ओर से स्थिति सुधारने की कोई सकारात्मक पहल नज़र नहीं आती।

खुद सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देशभर में सबसे ज्यादा करीब 3 लाख शिक्षकों के पद बिहार में पद ख़ाली हैं। प्राथमिक शिक्षकों की आखिरी नियुक्ति साल 2015 में की गई थी। इसके करीब चार  साल बाद दोबारा नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन ये प्रक्रिया एक बार फिर अधर में लटकती हुई दिख रही है।

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