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बांका मदरसा बम विस्फोट मामला: "मदरसों को आतंकवाद का केंद्र बताकर भाजपा सांप्रदायिक नफ़रत फैलाना चाहती है"

बीजेपी इस पूरे मामले को अपने राजनीतिक फ़ायदे के लिए सांप्रदायिक रंग दे रही है और मुस्लिम समाज के प्रति नफ़रत फैला रही है। विपक्ष ही नहीं सत्ता में उसकी सहयोगी और उसके अधीन आने वाला प्रशासन भी उनकी बातों को सिरे से नकारा रहा है।
बांका मदरसा बम विस्फोट मामला
फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

बिहार के बांका में बीते मंगलवार को एक मदरसे में धमाका हुआ है। धमाका इतना तेज़ था कि इससे पूरी इमारत जमींदोज़ हो गई। लेकिन अब इस मामले में राजनीति शुरू हो गई है। ज़ाहिर सी बात है कि मामला मुस्लिम समुदाय से जुड़ा है तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), आरएसएस और उससे जुड़े संगठन इसमें कैसे पीछे रहते। सबसे पहले बिहार की सत्ता में साझेदार और केंद्र की सत्ताधीश भाजपा ने और उसके समर्थक संगठन विश्व हिन्दू परिषद ने इसको लेकर धर्म की राजनीति शुरू की और उन्होंने इसे बड़ी साज़िश बताया और मदरसों को आतंकवाद का केंद्र साबित करने लगे। जबकि अभी तक के पुलिसिया जाँच ने ऐसी किसी भी बात से इंकार किया है। उन्होंने कहा यह देसी बम से हुआ धमाका था और इसके आलावा वहां कुछ और संदिग्ध नहीं मिला है।

अब इसी को लेकर वामपंथी दल माकपा और भाकपा-माले ने सवाल उठाए और कहा कि मदरसों को आतंकवाद का केंद्र बताकर बीजेपी सांप्रदायिक नफरत फैलाना चाहती है। भाकपा-माले के बिहार राज्य सचिव कुणाल ने 'बांका जिले के एक मदरसे में हुए बम विस्फोट के मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग बिहार सरकार से की है। कहा कि तब तक सरकार को धैर्य से काम लेना चाहिए और इस घटना की आड़ में सांप्रदायिक जहर फैलाने वाली ताकतों पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए।'

अब आइए एकबार पूरी घटना और पक्ष विपक्ष के बयान के बीच पुलिसिया जाँच पर एक नज़र डालते हैं -

क्या है पूरा मामला

बिहार के बांका जिले के टाउन थाना के नवटोलिया के एक मदरसे में मंगलवार की सुबह जबरदस्त धमाका हुआ। धमाके के बाद मदरसा पूरी तरह से जमींदोज हो चुका है। धमाका इतना ताकतवर था कि मदरसा का एक हिस्सा सड़क के दूसरे किनारे पर जा गिरा और आसपास के कई घरों में भी दरारें आ गई हैं।

पुलिस की जांच में ये सामने आया है कि ब्लास्ट मदरसे के बगल के कमरे में हुआ था। इस घटना में मदरसे के मौलवी इमाम अब्दुल सत्तार मोबिन की मौत हो गई और करीब चार लोगों के भी जख्मी होने की सूचना है। आजतक ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि 'मदरसे के अंदर के कार्यालय में एक ट्रंक में बम था, जिसमें विस्फोट हुआ है।'

इस मामले के तार दो गांवों के पुराने संघर्ष से भी जुड़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि पिछले कई सालों से पास के गांव मजलिसपुर से इस गांव का विवाद चलता रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ नवटोलिया और मजलिसपुर गांव में हर महीने विवाद होता है, जिसमें दोनों तरफ के कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। अभी 20 दिन पहले भी विवाद हुआ था। विवाद और मदरसे में रखे गए बम को एक साथ जोड़कर पुलिस जांच कर रही है।

बीजेपी और विहिप इसे बड़ी साज़िश बता रहे हैं और इस पूरी घटना के बीच मदरसों पर भी सवाल उठा रहे हैं।

बम धमाके पर बीजेपी के कई नेता और मंत्रियों ने एक साथ सवाल उठाए। उन्होंने जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा किया। हालांकि क़ायदे ये काम उन्हें नहीं बल्कि विपक्ष को करना चाहिए था क्योंकि प्रशासन तो शासन के अधीन है और बिहार के शासन पर बीजेपी अपने सहयोगी के साथ काबिज़ है। खैर इस बीच हिंदू संगठन और बीजेपी की परदे के पीछे से सहयोगी विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने मुख्‍यमंत्री को पत्र भी लिखा। उन्होंने बम विस्‍फोट की जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की। बिस्फी से भाजपा विधायक हरि भूषण ठाकुर ने विवादित बयान दिया जो कि बीजेपी के कई नेता मुस्लिम समाज को लेकर देते रहे हैं। उन्होंने कहा है कि ऐसे मदरसों में पढ़कर कोई डाक्टर-इंजीनियर नहीं बनता। सरकार से अनुदान लेकर आतंकी बनाते हैं। उन्होंने कहा कि मस्जिद और मदरसे जैसी जगहों पर आतंकवाद की शिक्षा दी जाती है।

मामला यही नहीं रुका उनके इस ज़हरीले बयान के बाद भी कई अन्य बीजेपी नेताओं ने इसी तरह की भाषा में सवाल उठाए। उसमें प्रदेश प्रवक्ता अरविंद सिंह, पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन के अलावा पार्टी की प्रदेश मंत्री पूनम शर्मा और सिद्धार्थ शंभू ने भी सवाल उठाए और सियासी हमले भी किए। इन नेताओं ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा किया है।

विहिप के प्रांत मंत्री परशुराम कुमार ने बुधवार को इस संबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा। पत्र में पूरे इस घटना को गंभीर साजिश बताया है। कहा है कि राज्य सरकार तत्काल एनआईए या सीबीआइ जांच की सिफारिश करे, ताकि सच्चाई सामने आए। ऐसे अलगाववादियों एवं कट्टरपंथियों ने देश में गृह युद्ध फैलाने की तैयारी तेज कर दी है। अब जरूरत है कि ऐसे तत्वों पर कड़ी निगरानी रखी जाए।

सत्तपक्ष हुआ आमने-सामने

विपक्ष हमला करता उससे पहले ही बीजेपी नेताओं के सांप्रदायिक बयान पर हमला उनके बिहार की सत्ता में लंबे समय से सहयोगी जनता दाल (यूनाइटेड) यानी जेडीयू ने किया। बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और जेडीयू नेता डॉक्टर मुनाजिर हसन ने वीडियो बयान जारी कर कहा, मदरसों को बंद करने की कुछ लोगों की सुनियोजित साजिश है। जो लोग कहते हैं कि मदरसों में आतंकवादी पैदा होते हैं वो किसी एक मदरसे के बारे में उंगली उठाकर कह दें कि इस मदरसे में आतंकवादियों को प्रशिक्षण दिया जाता है, तो मैं आज से राजनीति से सन्यास ले लूंगा।

मुनाजिर हसन ने कहा कि बांका में बम ब्लास्ट की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और मदरसों को बदनाम करने की ये सुनियोजित साजिश है। जो लोग कह रहे हैं मदरसों को बंद किया जाए उन लोगों को मालूम नहीं है कि मदरसे में कितने मासूम, यतीम और गरीब लोग पढ़ते हैं। वे लोग अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने की कोशिश रहे हैं।

इससे पहले बिहार सरकार के एक और सहयोगी व पुर्व सीएम जीतनराम मांझी ने भी बीजेपी के बयानों का विरोध किया था।

माकपा ने कहा- भाजपा कर रही है साम्प्रदायिक उन्माद पैदा करने की कोशिश

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी माकपा ने अपने एक बयान में इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा राजग का बड़ा घटक भाजपा, साम्प्रदायिक उन्माद पैदा करने के लिये बांका मदरसा में बम विस्फोट एवं पूर्णियाँ में दलितों पर अत्याचार का साम्प्रदायीकरण करने में लगा हुआ है। निश्चिय ही इन घटनाओं को अंजाम देने वाले व्यक्तियों के खिलाफ त्वरित कानूनी कार्रवाई होनी चाहिये और उन्हें दण्डित किया जाना चाहिये। लेकिन इन घटनाओं की आड़ में भाजपा को अपनी साम्प्रदायिक राजनीति को थोपने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।

माकपा ने मांग की है कि भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर द्वारा दो धार्मिक समुदायों के बीच कटुता पैदा करने के अपराध में उन्हें गिरफ्तार कर कानूनी कार्रवाई की जाए।

माले ने भी की कड़ी निंदा

भाकपा माले ने कहा कि उक्त घटना की आड़ में भाजपा अपने चरित्र के मुताबिक सांप्रदायिक नफरत फैलाने के अभियान में लग गई है। उसके विधायक हरिभूषण ठाकुर सहित कई नेताओं ने मदरसों को आतंक का केंद्र बताने जैसा आपत्तिजनक बयान दिया है। किसी एक मदरसे में किसी कारण हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के आधार पर किसी खास संप्रदाय को टारगेट करने और घृणा व उन्माद फैलाने की भाजपाई साजिश को बिहार की अमनपसंद जनता कभी स्वीकार नहीं करेगी।

कुणाल ने बीजेपी पर सवाल उठाते हुए कहा मुस्लिम समुदाय से जुड़ी हर घटना को आतंकवाद की कार्रवाइयों से जोड़ने वाली भाजपा का खुद कई बार आतंकी कनेक्शन उजागर हो चुका है। हम सब मालेगांव बम विस्फोट जैसे आतंकी कांड के गवाह रहे हैं, जिसकी मुख्य आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भाजपा ने भोपाल संसदीय सीट से टिकट देकर लोकसभा तक पहुंचाने का काम किया है। जम्मू-कश्मीर के डीएसपी देविंदर सिंह के बयान के बाद भाजपा नेता तारीक अहमद मीर के आतंकियों के साथ संबंध होने के सबूत पाए गए थे। अभी हाल में कोलकाता में बीजेपी दफ्तर के पास 51 क्रूड बम पाए गए। पहले भी कई दफा वहां से बम बरामद हुए हैं। इस तरह भाजपा नेताओं के आतंकी कनेक्शन के हजार सबूत हमारे पास मौजूद हैं।

माले राज्य सचिव ने कहा कि इस घटना की एनआईए जांच की कोई जरूरत नहीं है। वहां की पुलिस ने किसी भी प्रकार के आतंकी कनेक्शन की बात नहीं स्वीकार की है। सरकार को एक उच्चस्तरीय जांच टीम का गठन करना चाहिए और मामले की निष्पक्ष जांच करानी चाहिए।

इस बीच माले ने बताया कि 12 जून को पार्टी की राज्य कमिटी के सदस्य एसके शर्मा के नेतृत्व में भाकपा-माले का भी एक जांच दल घटनास्थल का दौरा करेगा।

क्या कहती है पुलिसिया जांच

पुलिस का कहना है कि धमाका बम से हुआ है। लेकिन बम कहां से आया, कैसे फटा इसके बारे में पुलिस अभी जांच कर रही है। बीजेपी नेताओं द्वारा इस मामले को आतंकी साज़िश बताए जाने को लकेर जो कुछ कहा गया उसे खुद गुरुवार को वहां के डीएम और एसपी ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए ख़ारिज़ कर दिया और बताया कि इसमें किसी प्रकार की कोई आतंकी साजिश नहीं है और विस्फोट हुआ बम शक्तिशाली नहीं था। पुलिस ने एक देसी बम का विस्फोट बताया है न कि IED बम का।

डीएम सुहर्ष भगत और एसपी ने कहा कि मदरसे में देशी बम फटा था। उसका कोई आतंकी कनेक्शन नहीं है। मदरसा रजिस्टर्ड भी नहीं था और ना ही उसमें फटा बम शक्तिशाली था। जिला प्रशासन के मुताबिक 'देशी बम एक कनटेंनर में रखा था और उसी में विस्फोट हुआ। बिहार पुलिस ने सारे एंगल से मामले की छानबीन कर ली है। किसी IED का सुराग नहीं मिला है।'

एसपी ने कहा कि विस्फोट में मारे गए इमाम मौलाना अब्दुल मोमिन अंसारी की अलमारी से 1.65 लाख रुपये बरामद किए गए हैं। उन्होंने कहा कि कोई अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद नहीं हुए हैं और अलग-अलग एंगल पर जांच की जा रही है।

पुलिसिया जाँच ने भी उन सवाल को ख़ारिज़ किया जिसे बीजेपी और उसके सहयोगी उठा रहे है। इसके बाद विपक्ष के उन बातों को बल मिलता है की बीजेपी इस पूरे मामले को अपने राजनीतिक फ़ायदे के लिए सांप्रदायिक रंग दे रही है और मुस्लिम समाज के प्रति नफ़रत फैला रही है। विपक्ष ही नहीं सत्ता में उसकी सहयोगी और उसके अधीन आने वाला प्रशासन भी उनकी बातों को सिरे से नकारा रहा है।

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