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बिहार : रामनवमी की आड़ में सांप्रदायिक उन्माद और दमन के ख़िलाफ़ प्रतिवाद !

सभा को संबोधित करते हुए माले नेताओं ने भाजपा-आरएसएस पर तीखा आरोप लगाते हुए कहा कि अभी जो सांप्रदायिक तनाव के हालात बिहार में बनाये जा रहे हैं, दरअसल वह 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति को अमल लाने की क़वायद का ही हिस्सा है।
CPI-ML

 रामनवमी से पूर्व की अनुमानित आशंकाओं के बिलकुल अनुरूप बिहार प्रदेश के कई इलाके “राजनीति विशेष” के संगठनों और उसकी “हुड़दंगी टोली” की सुनियोजित कारस्तानियों से अशांत बनाये जा चुके हैं। जिसमें सासाराम की स्थिति काफी असामान्य व तनावपूर्ण बनी हुई है तो नालंदा जिला में भी कमोबेश ऐसे ही हालात की ख़बरें हैं।

दोनों ही इलाके पुलिस छावनी में तब्दील किये जा चुके हैं और वहां इंटरनेट सेवा लगातार बंद है। हालांकि मीडिया अपनी ख़बरों में वहां की स्थितियों के बारे में लगातार यही बताने की कोशिश कर रही है कि मानो वहां युद्ध छिड़ा हुआ है और दो समुदाय के लोग मरने-मारने को तुले हुए हैं। जबकि ज़मीनी सच्चाई में मामला ठीक उलटा है। एक समुदाय (अल्पसंख्यक) के मोहल्ले-घरों पर दूसरे समुदाय (बहुसंख्यक) की “संगठित हुड़दंगी टोली” ही उन्माद ढाए हुए है और लोग डरे-सहमे हुए अपने-अपने घरों में क़ैद हैं। मिल रही सूचनाओं में “शांति-सुरक्षा” बहाल करने गयी पुलिस कई स्थानों पर एकतरफा ढंग से हुड़दंगी-हमलावरों को मनमानी करने की छूट दिए हुए है और इसका विरोध कर रहे पीड़ितों को ही “शांति भंग करने” के आरोप में सीधे जेल भेज दे रही है।

2 अप्रैल’23 के 11:30 बजे रात की ही बात है कि, "लगातार कई फोन आये जिसमें भारी घबराहट भरी आवाज़ में बताया गया कि जो सासाराम पुलिस दो दिन पहले रामनवमी की आड़ में उन्मादी हुड़दंगियों के सामने मौन खड़ी तमाशायी बनी हुई थी, इस समय गुंडों की तरह पेश आ रही है। मुस्लिम मुहल्लों के घरों में घुस घुसकर पीट रही है। घर में रखे टीवी तोड़ रही है और विरोध कर रही महिलाओं तक को नहीं बख्श रही है। कुछ कीजिये, हमें बचाईये, इतनी रात में ही कई लोग अपने घरों को छोड़कर भाग रहे हैं। अभी उन इलाकों में दिन में भी किसी के भी आने-जाने पर पूरी तरह से रोक लगी हुई है।"

अभी चंद दिनों पहले ही जब मैं सासाराम स्थित शेरशाह सूरी के ऐतिहासिक स्थल के भ्रमण पर गया था तो लौटते समय पुराना बाज़ार के उसी इलाके ( जहां रामनवमी के नाम पर इस बार “उन्माद का बेलगाम सियासी खेल हुआ) से गुजरते हुए अचानक से मेरी नज़र दो भड़कीले बैनरों पर पड़ी जो सड़क के ऊपर बीचो बीच टांगे गए थे। उनपर लिखा था, “युद्ध रामनवमी समिति”। साथ चल रहे सथियों से मैंने कहा कि, “खेला” का संकेत दिया जा रहा है, देखिएगा रामनवमी के समय यहां ज़रुर कुछ घटित होना है।

और उस दिन की आशंका पूरी तरह सच साबित हो गयी। माहे रमज़ान के पाक़ महीने में धार्मिक उन्माद का कुचक्र रचकर ऐतिहासिक सासाराम नगरी को रामनवमी महोत्सव के नाम पर दहशतज़दा बना ही दिया गया। सोशल मीडिया के कई वीडियो में ये साफ़ दिख रहा है कि किस तरह से उन्मादी-हुडदंगी एक समुदाय के घरों पर पत्थर चला रहें हैं और गरीबों की झोपड़ियों में आग लगाई जा रही है। मौके पर तैनात हथियारबंद पुलिस वहां तमाशायी बनी चुपचाप खड़ी है। बाद में पूरे सासाराम और आसपास के इलाके में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गयी जो अभी भी जारी है। सासाराम शहर के एक्टिविष्ट साथियों ने उन्माद की रात ही फोन पर बताया कि आपकी आशंका बिलकुल सही साबित हुई।

2 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्री को यहां आना था, जो मौजूदा तनावपूर्ण हालात के कारण रद्द कर दिया गया। जिसके लिए प्रदेश भाजपा व उसके नेता-प्रवक्ताओं ने सारा ठीकरा नीतीश सरकार पर फोड़ते हुए आरोप लगाया है कि, राज्य सरकार का प्रशासन “कानून-व्यवस्था बहाली” में इस क़दर फेल है कि उनके शीर्ष नेता तक को अपना दौरा रद्द करना पड़ा।

इस पूरे प्रकरण पर त्वरित संज्ञान लेते हुए भाकपा माले ने दोनों ही जिलों के प्रभावित इलाकों में अपने विधायकों व कार्यकर्त्ताओं की टीम भेजकर “शांति बहाली मार्च” निकाला और वहां के मौजूदा ज़मीनी हालात की जानकारी इकठ्ठी की।

प्राप्त ज़मीनी जानकारियों की रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए माले ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि, उसने पूर्वनियोजित ढंग से “रामनवमी पूजा और जुलूस की आड़ में अल्पसंख्यक विरोधी सांप्रदायिक उन्माद-लूटपाट और दमन का कुचक्र रचा है”।

2 अप्रैल को राजधानी पटना सहित कई स्थानों पर भाकपा माले द्वारा भाजपा संचालित अल्पसंख्यक विरोधी उन्माद के खिलाफ प्रतिवाद प्रदर्शित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए माले नेताओं ने कहा कि, बिहार की कुर्सी से हटाये जाने से बौखलाई भाजपा-आरएसएस के सुनियोजित कुचक्र के तहत ही बिहार को अशांत बनाया जा रहा है। रामनवमी के जुलूस की आड़ में बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद् व भाजपा की सोची-समझी चाल को अमलीजामा पहनाते हुए बिहारशरीफ और सासाराम समेत राज्य के कई हिस्सों में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ सांप्रदायिक उन्माद-हिंसा-लूटपाट और उलटे मुसलामानों पर ही पुलिसिया दमन चलाया जा रहा है।

प्रतिरोध सभा को संबोधित करते हुए माले नेताओं ने भाजपा-आरएसएस पर तीखा आरोप लगाते हुए कहा कि, अभी जो सांप्रदायिक तनाव के हालात बिहार में बनाये जा रहे हैं, दरअसल वह 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति को अमल लाने की कवायद का ही हिस्सा है। गृहमंत्री अमित शाह का अभी का बिहार दौरा भी इसी के लिए है। इसी का भयावह परिणाम है कि रामनवमी जुलूस के नाम पर 10 से 12 साल के बच्चों तक को जुटाकर उन सबों के हाथों में हथियार थमाकर मुसलमानों के खिलाफ नफरती नारे लगवाए गए। हुड़दंगियों की नाबालिगों की टोलियों से उन्मादी-नफरती नारे लगवाते हुए मस्जिदों-मदरसों इत्यादि पर संगठित हमले करवाए गए।

कार्यक्रम के माध्यम से बिहार की जनता से पुरज़ोर अपील की गयी कि वे भाजपा-आरएसएस की नफ़रत-विभाजन की राजनीति को खारिज़ करें। कमरतोड़ महंगाई व बेरोज़गारी थोपने वाली भाजपा की साजिशों से बचें और सदियों से जारी देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब को एकजुट ताक़त से बुलंद करें।

सोशल मीडिया के मंचों से राज्य के सीएम नीतीश कुमार से यह भी सवाल किए जा रहे हैं कि मौजूदा महागठबंधन सरकार का प्रशासन और पुलिस का रवैया क्या अब भी वैसा ही रहेगा, जैसा भाजपा गठबंधन के शासन काल में था? क्योंकि कई इलाकों से मिल रही ताज़ा ख़बरों में मुस्लिम समाज के लोगों का सबसे बड़ा आरोप बिहार पुलिस के आचरण एकतरफा और बहुसंख्यकपरस्त है।

बहरहाल नीतीश कुमार की महागठबंधन सरकार को भाजपा-आरएसएस की हर चुनौतियों का जवाब देकर जनता का भरोसा तो जीतना ही होगा।     

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