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बिहार आरआरबी-एनटीपीसी छात्र आंदोलनः महागठबंधन माले नेता ने कहा- ये सरकार लोकतंत्र विरोधी है

"सरकार चाहती ही है कि देश में रोजगार समाप्त हो। पीएम मोदी और उनके मंत्री और पूर्ववर्ती रेल मंत्री पहले कहते रहे हैं कि देश में निजीकरण ज़रुरी है और रोज़गार तो पकौड़ा तलना है। बीजेपी की पकौड़ा तलने की जो राजनीति है उस पर ये भारी पड़ा है।"
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आरआरबी-एनटीपीसी (नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरी) के परिणाम से नाराज अभ्यर्थियों के आंदोलन का समर्थन करते हुए छात्र संगठनों तथा बिहार महागठबंधन के सभी दलों ने शुक्रवार को बिहार बंद का आयोजन किया। पूरे बिहार में इस बंद का असर देखा गया। महागठबंधन के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने ट्रेनें रोकी और सड़क जाम कर प्रदर्शन किया। इस दौरान कई नेताओं को गिरफ्तार भी किया गया। सीपीआइएमएल के विधायक दल के नेता महबूब आलम और विधायक संदीप सौरभ को गिरफ्तार किया गया है। पार्टी ने इनकी गिरफ्तारी की निंदा करते हुए रिहाई की मांग की है।

बिहार की राजधानी पटना में डाकबंगला चौराहे पर प्रदर्शन करते हुए राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने सरकार विरोधी नारे लगाए। 'युवाओं की आवाज को दमन करना बंद करो’, ‘ये सरकार निकम्मी है’, ‘ये सरकार बदलनी है’ जैसे नारे इन नेताओं और कार्यकर्ताओं ने यहां पर लगाए।

डाक बंगला पहुंचने से पहले आइसा के बिहार राज्य अध्यक्ष विकास यादव सहित अन्य छात्र नेताओं व छात्र संगठनों ने पटना विश्वविद्यालय कैंपस से बिहार बंद का जुलूस निकाला और अशोक राजपथ, मखनियां कुआं तथा पटना के विभिन्न इलाकों से गुजरते हुए डाकबंगला चौराहे तक पहुंचा। अन्य दूसरे छात्र संगठनों व पार्टियों का जुलूस भी डाकबंगला पहुंचा और चौराहे पर प्रदर्शन किया।

इस दौरान भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, पालीगंज विधायक संदीप सौरभ और भाकपा-माले के पटना नगर सचिव अभ्युदय डाकबंगला पहुंचे। इन नेताओं ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया। पुलिस के साथ विधायक महबूब आलम व संदीप सौरभ व अन्य बंद समर्थकों की धक्का मुक्की भी हुई। पुलिस ने बल प्रयोग करने की कोशिश की जिसका प्रदर्शनकारियों ने जमकर विरोध किया। डाकबंगला चौराहे से महबूब आलम, संदीप सौरभ व अन्य समर्थकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

गिरफ्तारी से पहले महबूब आलम ने कहा कि यह सरकार अपना हक-अधिकार मांग रहे छात्र-युवाओं पर बर्बर दमन अभियान चला रही है और जब हम उनके समर्थन में आज सड़कों पर है तो हम पर भी जुल्म ढाया जा रहा है। हमारी गिरफ्तारी हो रही है। बिहार की जनता इसका जवाब देगी। आज देश के युवा केंद्र सरकार की असलियत जान चुके हैं। बिहार सरकार ने भी छात्र-युवाओं को लगातार धोखा दिया है।

बिहार के हाजीपुर में सीपीआइ के अमृत गिरी, सीपीआइएमएल के दीनबंधु प्रसाद, सीपीआइएम के राजनारायण सिंह समेत अन्य नेता और कार्यकर्ता प्रदर्शन करते हुए पूरे शहर में मार्च निकाला और गांधी चौक के पास पहुंच कर पीएम नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया और सरकार विरोधी नारे लगाए। वहीं मुजफ्फरपुर शहर में महागठबंधन के नेताओं ने प्रदर्शन किया और छात्रों पर दमनात्मक कार्रवाई रोकने की मांग की।

महागठबंधन के माले नेता रणविजय कुमार ने छात्रों के आंदोलन और आज के बंद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "सरकार चाहती ही है कि देश में रोजगार समाप्त हो। पीएम मोदी और उनके मंत्री और पूर्ववर्ती रेल मंत्री पहले कहते रहे हैं कि देश में निजीकरण जरुरी है और रोजगार तो पकौड़ा तलना है। बीजेपी की पकौड़ा तलने की जो राजनीति है उस पर ये भारी पड़ा है। आज तो लोग पूछ ही रहे हैं कि आप वैकेंसी क्यों नहीं भर रहे हैं? पंचवर्षीय योजना में इसको क्यों लटकाए हुए हैं? आज सरकार के पास छात्रों के सवाल का कोई जवाब नहीं है। ये इधर उधर की बात करते हैं लेकिन मूल प्रश्न जो रोजगार देने का है उस पर ये कुछ नहीं बोल रहे हैं। अभी भी ये सरकार जिद्द पर है। छात्रों की जो मांगें हैं उस पर ये जवाब नहीं दे रहे हैं लेकिन उसको लंबा कैसे ले चला जाए, कैसे उसको छह महीना, साल भर और टरकाया जाए, यही सब चल रहा है। कुल मिलाकर इधर उधर की बात कर लोगों को रोजगार से बाहर किया जाए। यही मकसद है बीजेपी सरकार की। हम इसका खुले तौर पर विरोध करते हैं।"

उन्होंने कहा, "बिहार-यूपी से आंदोलन शुरू हुआ। यहां तो डबल इंजन की सरकार है। ये अब उलटे एफआइआर कर रहे हैं। ये धमकाने और फंसाने की बात कर रहे हैं। ये सरकार लोकतंत्र विरोधी सरकार है जिसके बारे में हमलोग शुरू से कहते आ रहे हैं। ये लोकतंत्र और संविधान को मानने वाले लोग नहीं हैं। ये लोग आमजन की पीड़ा को समझने वाले लोग नहीं हैं। ये टाटा-बिड़ला-अंबानी के परिवार की सरकार है। इनके हित का जो कानून होगा उसके बारे में किसी को खबर नहीं होगी और वह पास हो जाएगा लेकिन पहले से विधिवत सिस्टम में जो चीजें हो उसको वो खत्म कर रहे हैं जो देश के अंदर सबसे बड़ी विडंबना है। जो डेमोक्रेटिक इंस्टिट्यूशन है उसे समाप्त करके वे कंपनी राज स्थापित कर रहे हैं। आज पूरे देश के नौजवान और छात्र इस बात को समझ गए हैं। इंटरव्यू में युवा बोल रहे हैं आज आप हमको सड़क पर लाए हैं अब आप सड़क पर आ जाइएगा। ये मोदी सरकार को चेतावनी है कि अब आपके सड़क पर आने के दिन आ गए हैं।"

बता दें कि एक दिन पहले महागठबंधन के सभी दलों आरजेडी, सीपीआइएम, सीपीआइएमएल, सीपीआइ और कांग्रेस ने छात्रों के आंदोलन का समर्थन करते हुए बिहार बंद को सफल बनाने का आह्वान किया था।

ज्ञात हो कि आरआरबी एनटीपीसी की परिणाम की घोषणा के बाद इस परीक्षा के अभ्यर्थियों ने परिणाम में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया पर आंदोलन शुरू किया था। अभ्यर्थियों का कहना है कि उनके द्वारा सोशल मीडिया पर लाखों लाख ट्वीट और रिट्वीट किया गया लेकिन सरकार ने इसे अनसुना कर दिया जिसके बाद हमलोगों ने सड़कों पर उतरने का फैसला किया। बता दें कि इस महीने की 14 तारीख को परिणाम की घोषणा की गई थी जिसके बाद अभ्यर्थियों ने सोशल मीडिया पर कैंपेन शुरू कर दिया था।

अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार द्वारा उदासीनता के बाद हमें रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ा। उनका कहना है कि रेलवे ने घोषणा के अनुसार परिणाम जारी नहीं किया है। अभ्यर्थियों का कहना है कि बोर्ड ने विज्ञापन के अनुसार परिणाम नहीं जारी किया साथ ही एक ही छात्र का कई क्षेत्रीय बोर्ड में चयन किया गया। इसके साथ साथ स्कोरकार्ड और कट-ऑफ तैयार करने में भी गड़बड़ी की गई है। ज्ञात हो कि 35000 से अधिक पदों पर भर्ती के लिए रेलवे ने वर्ष 2019 में नोटिफिकेशन जारी किया था। वर्ष 2019 में जारी किए गए विज्ञप्ति के अनुसार परीक्षा दिसंबर 2020 से जुलाई 2021 तक कुल सात चरणों में आयोजित की गई थी।

ज्ञात हो कि आरआरबी एनटीपीसी के तहत 35000 से अधिक पदों पर भर्ती के लिए अब तक केवल सीबीटी-1 परीक्षा का आयोजन किया गया है। इसमें सफल हुए उम्मीदवार 14 फरवरी, 2022 से 18 फरवरी, 2022 तक होने वाली एनटीपीसी सीबीटी-2 की परीक्षा में भाग लेने की घोषणा की गई थी।

बता दें कि अभ्यर्थियों ने भारी संख्या में बिहार की राजधानी पटना और आरा में रेलवे ट्रैक पर गत सोमवार यानी 24 जनवरी को प्रदर्शन किया था। दूसरे दिन यानी मंगलवार को नालंदा, बक्सर, नवादा समेत अन्य स्टेशनों पर उन्होंने रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन किया। धीरे धीरे बिहार के अन्य जगहों पर उनका प्रदर्शन शुरु हो गया। अभ्यर्थियों की मांग को देखते हुए बिहार महागठबंधन के सभी दलों ने अभ्यर्थियों के आंदोलन का समर्थन कर दिया। अभ्यर्थियों ने सोमवार को राजेंद्र नगर टर्मिनल समेत अन्य स्टेशनों पर घंटों प्रदर्शन किया था।

प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों का कहना है कि रेलवे ने तीन साल बाद परिणाम घोषित किया उसके बाद भी इसमें गड़बड़ी की गई। अभ्यर्थियों ने रेलवे द्वारा परिणाम में सुधार न किए जाने पर आंदोलन जारी रखने की बात कही थी। साथ ही इन अभ्यर्थियों का कहना है कि रेलवे ने पहले विज्ञापन में ग्रुप-डी में दो परीक्षा लेने की बात नहीं कही थी लेकिन अब विज्ञापन में दी गई सूचनाओं से मुकर रहा है। उनका कहना है कि रेलवे अब ग्रुप-डी में दो परीक्षाओं के आयोजन की बात कह रहा है जो कि गलत है।

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