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बिहार: मुंगेर की एसपी लिपि सिंह को हटाए जाने की असल वजह क्या है?

विधानसभा चुनावों से ठीक दो दिन पहले दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान चली गोली और उसमें एक व्यक्ति की मौत बिहार पुलिस-प्रशासन की ‘सुशासन’ व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करता है।
लिपि सिंह

बिहार के मुंगेर ज़िले की एसपी लिपि सिंह एक बार फिर अपनी पुलिया कार्रवाई के चलते सुर्खियों में हैं। वजह जिले में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान चली गोली और उसमें एक व्यक्ति की मौत है। लेकिन इस बार उनके एक्शन की तारीफ या प्रशंसा नहीं हो रही बल्कि उनकी तुलना ब्रिटिश राज के जनरल डायर से की जा रही है। पुलिस भले ही अभी जांच के जरिए इस बवाल का सच जानने की कोशिश कर रही है लेकिन घायल लोग पुलिस और एसपी लिपि सिंह पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं।

बता दें कि इस मामले में चुनाव आयोग ने तत्काल प्रभाव से एसपी लिपि सिंह और डीएम राजेश मीणा को हटा दिया है। साथ ही डिविज़नल कमिश्नर असंगबा चुबा आओ को सात दिन में इस मामले की जाँच करने के आदेश दिए हैं।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक बिहार चुनाव के पहले दौर से ठीक दो दिन पहले यानी 26 अक्तूबर सोमवार के दिन दुर्गा मूर्ति विसर्जन के दौरान मुंगेर के पंडित दीन दयाल चौक के पास पुलिस और स्थानीय लोगों में कहासुनी हुई। जिसके बाद वहां गोली चलने की आवाज़ सुनाई दी। जिसमें एक व्यक्ति की मौत सहित कई अन्य लोगों के घायल होने की खबर भी है।

कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस ने लोगों पर लाठीचार्ज किया। फायरिंग भी हुई और 100 से अधिक लोग हिरासत में लिए गए। प्रशासन इस पूरी घटना के लिए असमाजिक तत्वों को जिम्मेदार बता रहा है तो वहीं मृतक के परिवार ने पुलिस पर गोली चलाने का आरोप लगाया है। फिलहाल मामले की जांच जारी है।

प्रशासन क्या कह रहा है?

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक इस घटना के बाद तब के डीएम राजेश मीणा ने बताया कि पुलिस की तरफ से गोलियाँ नहीं चलाई गईं बल्कि असामाजिक तत्वों ने गोली चलाईं जिसमें छह लोग घायल हुए हैं और इसकी जाँच चल रही है।

इस घटना के बाद मीडिया में लिपि सिंह का एक बयान भी सामने आया, जिसमें कहा गया था कि "दुर्गा पूजा के दौरान हुए विसर्जन में कुछ असमाजिक तत्वों ने पथराव शुरू किया जिसमें 20 पुलिसकर्मी घायल हो गए और भीड़ में किसी ने गोली चलाई जिसकी वजह से एक व्यक्ति की मौत हो गई। मगर स्थिति नियंत्रण में है।"

हालांकि सीआईएसएफ ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि मुंगेर पुलिस से इस घटना के संबंध में भारी चूक हुई है। मूर्ति विसर्जन के दौरान श्रद्धालुओं और लोकल पुलिस के बीच विवाद बढ़ने के बाद पुलिस की ओर से स्थिति को काबू में करने के लिए सबसे पहले हवाई फायरिंग की गई।

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इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद मुंगेर के पूर्व एसपी लिपि सिंह पर कार्रवाई हो सकती है क्योंकि घटना के बाद उन्होंने दावा किया था कि उपद्रव कर रहे लोगों की फायरिंग से युवक की मौत हुई थी।

विपक्ष क्या कह रहा है?

मुंगेर में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के मौक़े पर गोली चलने से पुलिस के खिलाफ स्थानीय लोगों से लेकर नेताओं और सोशल मीडिया तक में नाराज़गी का माहौल है। लोग पुलिस पर सवाल उठा रहे हैं तो विपक्ष इस घटना की तुलना 'जनरल डायर' के आदेश से कर रहा है।

मालूम हो कि जनरल डायर वो ब्रिटिश अधिकारी था, जिसने 13 अप्रैल, 1919 को बैसाखी के दिन जलियांवाला बाग़ में इकट्ठा हुए लोगों पर गोलियां चलवा दी थीं। अब लिपि सिंह पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने भी पुलिस से ऐसा ही काम करवाया, विसर्जन में इकट्ठा हुए लोगों पर गोलियां चलवा दीं।

इस मुद्दे पर अलग-अलग नेताओं ने ट्वीट करके मामले की आलोचना की है। राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने हाई कोर्ट की निगरानी में जाँच की माँग की। तो वहीं कांग्रेस के महासचिव रणदीप सुरजेवाला और महागठबंधन के अन्य नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पर हमला बोलते हुए सवाल पूछा कि मुंगेर पुलिस को ‘जनरल डायर’ जैसी कार्रवाई करने के आदेश किसने दिए थे।

तेजस्वी यादव ने इस घटना पर अपना विरोध जताते हुए ट्वीट किया, ''महागठबंधन के साथियों संग तानाशाही एनडीए सरकार की गोली से शहीद श्रद्धालुओं को मौन रख श्रद्धांजलि अर्पित की। सीएम बताएं पुलिस को जनरल डायर बन निर्दोषों पर क्रूरतापूर्वक गोली चलाने की अनुमति किसने दी? 10 नवंबर को सरकार बनते ही दोषियों को सख़्त सज़ा निश्चित।''

लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने हैशटैग शर्मनाकनीतीश का इस्तेमाल करते हुए ट्वीट किया, “मुंगेर पुलिस के ऊपर 302 का मुक़दमा दर्ज होना चाहिए। श्रद्धालुओं को गोली मारना नीतीश के तालिबानी शासन को दिखाता है। स्थानीय एसपी को तत्काल सस्पेंड कर 302 के तहत एफ़आईआर दर्ज करवाएं नीतीश कुमार। मृतक के परिवार को 50 लाख रुपए और एक सरकारी नौकरी दे सरकार।”

गौरतलब है कि लिपि सिंह निर्दलीय विधायक अनंत सिंह पर की गई कार्रवाई और अपने सख़्त रवैये के चलते पहली बार 2019 में सुर्खियों में आईं थीं। लिपि सिंह ने अनंत सिंह के पैतृक मकान पर छापा मारकर AK-47 राइफल, 22 जिंदा कारतूस और दो देसी बम बरामद किए थे। तब सोशल मीडिया ने उन्हें एक नया नाम दिया था लेडी सिंघम का।

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इसके बाद 2019 में हुए आम चुनाव के दौरान, अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी ने चुनाव आयोग में लिपि सिंह के खिलाफ शिकायत कर आरोप लगाया कि लिपि अनंत सिंह के करीबियों को जान-बूझकर परेशान कर रही थीं। तब चुनाव आयोग के आदेश के बाद लिपि सिंह का ट्रांसफर एटीएस यानी एंटी टेरेरिज़म स्क्वॉड (आतंक विरोधी दस्ते) में कर दिया गया था। लेकिन चुनाव के बाद इन्हें एक बार फिर बाढ़ एडिशनल एसपी नियुक्त कर दिया गया था।

‘आज तक’ में छपी रिपोर्ट के अनुसार, लिपि सिंह को लेकर ये भी चर्चा हो रही है कि चुनाव के दौरान नेताओं के रिश्तेदार और करीबियों का ट्रांसफर किया जाता है, लेकिन सत्तारूढ़ दल के नेता आरसीपी सिंह की बेटी लिपि सिंह का ट्रांसफर नहीं किया गया।

बता दें कि लिपि सिंह के पिता रामचंद्र प्रसाद सिंह सत्ताधारी पार्टी जनता दल यूनाइटेड के टिकट से राज्यसभा के सांसद हैं। वो उत्तर प्रदेश काडर के आईएएस अधिकारी भी रह चुके हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के क़रीबी माने जाते हैं। लिपि सिंह के पति सुहर्ष भगत भी आईएएस अफसर हैं, वो वर्तमान में बांका के जिलाधिकारी हैं।

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