उपचुनाव नतीजे: ‘INDIA’ vs NDA... फिलहाल ‘इंडिया’ आगे!
कहने को तो 6 राज्यों की सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजे आए हैं मगर सियासी लिहाज़ से ये नतीजे अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के कहानी की शुरुआत हैं। इन नतीजों के ज़रिए इस कहानी के दो सबसे प्रमुख पात्र इंडिया गठबंधन और एनडीए को जनता अपने विश्वास के पैमाने पर कहां रखती है, इसकी तस्वीर थोड़ी-थोड़ी साफ होने लगती है।
इस साफ तस्वीर में सबसे पहले नज़र आता है, उत्तर प्रदेश का घोसी विधानसभा क्षेत्र, यहां भाजपा को इतनी बड़ी हार मिलने वाली है शायद उसे भी यक़ीन नहीं था। क्योंकि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा ने अपनी सरकार उत्तर प्रदेश में दोहरा कर इतिहास रच दिया था। इसके बाद जब मऊ जिले के घोसी उपचुनाव की बारी आई तब इतने वादे परोसे कि आसानी से गिने भी न जा सकें। और बड़ी बात ये कि भाजपा ने प्रत्याशी उस नेता को बनाया जिसे वो समाजवादी पार्टी से तोड़कर ले आए थे यानी दारा सिंह चौहान को। फिर कुछ दिन पहले भाजपा खत्म कर देने की कसम खाने वाले ओम प्रकाश राजभर भी जाकर उन्हीं की गोद में बैठ गए और इस बार सपा को साफ कर देने की कसम खाने लगे। इसके अलावा और बहुत से दांव पेच लगाने के बाद भी जनता ने भाजपा को नकार दिया और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह को चुन लिया।
सुधाकर सिंह ने भाजपा के प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को 42759 हज़ार वोटों से हरा दिया।
इस चुनाव में भाजपा की हार के कई फैक्टर रहे, जिसमें से कुछ प्रमुख हैं, जैसे जनता को अब समझ आ रहा है, कि नेता जनता के विकास की बजाय ख़ुद का फायदा देख रहा है, और जिस पार्टी का ज़ोर चलता है, वो उसी के संग हो चलता है, और इसका ख़ामियाज़ा ओमप्रकाश राजभर को भुगतना पड़ा। वो गांव-गांव से भगाए जाने लगे, उनके ख़िलाफ विरोध प्रदर्शन होने लगे। उन्हीं के समाज के लोगों को उनपर विश्वास नहीं रह गया। दूसरी ओर दारा सिंह चौहान, जिन्होंने इतना झटपट दलबदल किया कि उनके समर्थकों को समझ ही नहीं आया, वो कब किस पाले से किस पाले में चले गए, और जब पता चला तब तक नाराज़गी बहुत ज़्यादा बढ़ चुकी थी। दूसरी ओर सपा के जीतने वाले प्रत्याशी सुधाकर सिंह लोकल घोसी विधानसभा क्षेत्र के ही निवासी हैं। इसके अलावा सबसे प्रमुख ये कि इंडिया अलायंस में शामिल पार्टियों, जैसे कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी खड़ा ही नहीं किया, वामपंथियों ने भी समाजवादी पार्टी को अपना समर्थन दे दिया, अपना दल कमेरावादी जैसी छोटी पार्टियां भी समाजवादी पार्टी के लिए खुलकर प्रचार कर रही थीं। यानी एक तरह से इंडिया गठबंधन की एकता भी इस सीट पर ख़ूब दिखाई दी और नतीजा ये रहा कि एनडीए को हार का सामना करना पड़ा।
भले ही उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट पर भाजपा की हार हुई हो लेकिन त्रिपुरा में हुए बॉक्सनगर और धनपुर विधानसभा, दोनों क्षेत्र में भाजपा ने जीत हासिल कर ली। इस जीत में सबसे खास बात ये है कि बॉक्सनगर सीट पर भाजपा ने एक मुसलमान को अपना प्रत्याशी बनाया था और उसने बढ़िया जीत हासिल की।
भाजपा के तफज़्जल हुसैन ने सीपीएम के मिजान हुसैन को 30,237 वोटों से हरा दिया।
हालांकि इस चुनाव में सीपीएम ने भाजपा पर धांधली का आरोप लगाया था। सीपीएम ने चुनाव आयोग पर भी निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए नतीजों को मानने से इनकार कर दिया है। बता दें कि तफज्जल हुसैन ने इस साल फरवरी महीने में हुए विधानसभा चुनाव में इसी सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन तब वो सीपीएम के उम्मीदवार समसुल हक से हार गए थे। जुलाई में सीपीएम विधायक समसुल हक का निधन हो गया और ये सीट खाली हो गई। सीपीएम की ओर से चुनाव लड़ने वाले मिजान हुसैन, समसुल हक के बेटे हैं।
त्रिपुरा की एक और सीट धनपुर विधानसभा में भी 5 सितंबर को वोट डाले गए थे, जहां काउंटिंग में भाजपा के बिंदू देबनाथ ने शुरुआत से ही बढ़त बना रखी थी, 6 राउंट की वोटिंग खत्म होने के बाद बिंदू देबनाथ ने ये चुनाव 18871 वोटों से जीत लिया। जबकि सीपीएम के कौशिक चंद्र दूसरे नंबर पर रहे।
इस सीट पर 5 सितंबर को 83.96 प्रतिशत मतदान हुआ था। धनपुर सीट पर उपचुनाव इसलिए करवाए गए क्योंकि केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक ने इस सीट से विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद से ही ये सीट खाली थी। दोनों सीटों पर जीत के बाद राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के विधायकों की संख्या बढ़ गई है।
त्रिपुरा की दोनों सीटों के साथ-साथ भाजपा ने उत्तराखंड में भी जीत हासिल कर ली है। ये सीट है बागेश्वर विधानसभा। अनुसूचित जाति आरक्षित विधानसभा सीट बागेश्वर पर भाजपा उम्मीदवार पार्वती दास 2405 वोटों से जीत गईं। इस सीट पर कांग्रेस के बसंत कुमार दूसरे नंबर पर रहे हैं।
उत्तराखंड की अनुसूचित जाति आरक्षित विधानसभा सीट बागेश्वर से भाजपा प्रत्याशी पार्वती दास की जीत पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बागेश्वर की जनता का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह विजय मातृशक्ति, युवा शक्ति और वरिष्ठजनों के हमारी सरकार पर अटूट विश्वास का प्रमाण है। इस उपचुनाव में बागेश्वर विधानसभा की जनता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन और राज्य सरकार की नीतियों तथा जन कल्याणकारी योजनाओं पर मुहर लगाई है।
5 सितंबर को इस सीट हुए चुनाव में 55.44 प्रतिशत वोट पड़े थे। इस सीट पर जीतने वाली भाजपा प्रत्याशी पार्वती दास उत्तराखंड के पूर्व परिवहन एवं समाज कल्याण मंत्री और बागेश्वर विधानसभा सुरक्षित सीट से चार बार विधायक रह चुके स्व. चंदन राम दास की पत्नी हैं। चंदन राम दास के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी। इसी खाली सीट पर उपचुनाव हुआ है।
उत्तराखंड के बाद अगर साउथ की ओर चलें तो 5 सितंबर को केरल की पुथुपल्ली विधानसभा सीट पर भी चुनाव हुए थे। इस सीट पर जब काउंटिंग हुई तब कांग्रेस प्रत्याशी चांडी ओमान ने रिकॉर्ड जीत दर्ज कर ली। उन्होंने सीपीएम के जैक सी थॉमसन को 37719 वोटों से हरा दिया।
पुथुपल्ली उपचुनाव पर कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने कहा कि पुथुपल्ली उपचुनाव में शानदार जीत मोदी और पिनाराई विजयन सरकार के लिए एक स्पष्ट संदेश है। भाजपा और सीपीएम दोनों को पुथुपल्ली के लोगों ने उखाड़ फेंका है। केरल में किसी भी उपचुनाव में इतना भारी अंतर नहीं मिला है। संदेश बहुत स्पष्ट है।
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी के निधन के कारण पुथुपल्ली में उपचुनाव कराना जरूरी हो गया था। पुथुपल्ली में मेन मुकाबला कांग्रेस और सत्तारूढ़ सीपीएम के बीच है। कांग्रेस ने ओमन चांडी के बेटे चांडी ओमन को मैदान में उतारा था जबकि सत्तारूढ़ पार्टी सीपीएम ने इस निर्वाचन क्षेत्र से जैक सी. थॉमस को मैदान में उतारा था। कांग्रेस नेता ओमन चांडी ने केरल के 10वें मुख्यमंत्री के रूप में काम किया था। उन्होंने 1970 से 2023 तक राज्य में विधान सभा के सदस्य के रूप में पुथुपल्ली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है।
पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी ज़िले की धुपगुड़ी विधानसभा सीट पर भाजपा को बहुत तगड़ा झटका लगा है, ये सीट टीएमसी ने भाजपा से छीन ली है। पेशे से कॉलेज में प्रोफ़ेसर निर्मल चंद्र रॉय को 96,961 वोट मिले जबकि उनके विरोधी उम्मीदवार भाजपा की तापसी रॉय को 92,648 वोट मिले। इस तरह निर्मल चंद्र रॉय ने भाजपा की तापसी रॉय को 4309 वोटों से हरा दिया।
आपको बता दें कि तापसी रॉय साल 2021 में जम्मू और कश्मीर में हुए चरमपंथी हमले में मारे गए एक सीआरपीएफ जवान की पत्नी हैं। ऐसे में भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाकर इमोशनल कार्ड खेलने की कोशिश की थी।
धुपगुड़ी सीट पर सीपीएम के उम्मीदवार ईश्वर चंद्र रॉय को 13,666 वोट मिले। कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर सीपीएम का समर्थन किया था। तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि धुपगुड़ी के लोगों ने घृणा और कट्टरता की राजनीति के ऊपर विकास की राजनीति को अपनाया। साल 2021 में भाजपा के विष्णु पद राय ने ये सीट जीती थी। 25 जुलाई को उनका निधन हो गया था जिसके पांच सितंबर को यहां उपचुनाव कराए गए, धुपगुड़ी में 78 फीसदी मतदान हुआ था।
5 सितंबर को ही झारखंड की डुमरी विधानसभा में भी मतदान किए गए थे। इस दिन यहां 64.85 प्रतिशत मतदान हुआ था। जिसकी नतीजे आने के बाद ये पता चला है कि जनता ने बेबी देवी के सिर पर जीत का ताज सजाया है। उपचुनाव का मुख्य मुकाबला इंडिया गठबंधन की प्रत्याशी बेबी देवी और एनडीए प्रत्याशी यशोदा देवी के बीच था। दोनों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली। बेबी देवी ने यशोदा देवी को 17153 वोटों से हराया। जीत के बाद बेबी देवी ने कहा वह दिवंगत जगरनाथ महतो के अधूरे कामों का पूरा करेंगी।
शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की मौत के बाद डुमरी विधानसभा की सीट खाली हो गई थी, जिसके बाद से ही डुमरी विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की चर्चा शुरू हो गई थी। 8 अगस्त को उपचुनाव की घोषणा हो गई थी। जिसके बाद पक्ष-विपक्ष अपनी-अपनी जीत का दावा करने लगे। दिवंगत मंत्री के बाद उनकी पत्नी बेबी देवी जनता के समक्ष आईं। जगरनाथ महतो के प्रति जनता का प्यार उपचुनाव में भी दिखा और इस बार लोगों ने बेबी देवी पर अपना भरोसा जताया। लोगों का विश्वास है कि स्वर्गीय जगरनाथ महतो के परिवार से ही कोई उनकी राजनीतिक विरासत को संभाल सकता है।
इन 6 राज्यों की सात विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव सीधे तौर पर इंडिया गठबंधन बनाम एनडीए के बीच पहले मुकाबले के तौर पर देखा जा रहा था, जिसमें फिलहाल इंडिया गठबंधन बढ़त की ओर दिखाई पड़ा रहा है। उसमें भी उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट पर मिली हार भाजपा और उसके गठबंधन एनडीए के लिए बहुत बड़ा झटका है। दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी ने भाजपा से उसी की सीट छीनकर राज्य में आने वाले चुनावों को लेकर एक बड़ा संदेश दे दिया है। फिलहाल ये ज़रूर कहा जा सकता है कि ये उपचुनाव आने वाले लोकसभा चुनावों की तस्वीर ज़रूर दिखा रहे हैं।
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