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सीटू ने 13 सूत्री मांगपत्र जारी कर देशभर में मनाया 'मांग दिवस'

देश भर में हज़ारों मज़दूरों ने अलग-अलग जगह कोविड नियमों का पालन करते हुए यह प्रदर्शन किए। इस दौरान नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के अब तक महामारी से निपटने के तरीक़ों के ख़िलाफ़ नारे भी बुलंद किए गए। प्रदर्शनकारियों ने कोविड-19 प्रसार के मद्देनज़र केंद्र द्वारा लिए गए नीतिगत फ़ैसलों की भी आलोचना की।
सीटू ने 13 सूत्री मांगपत्र जारी कर देशभर में मनाया 'मांग दिवस'

केंद्रीय मज़दूर संगठन सेंटर फ़ॉर इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) द्वारा अपने 13-सूत्रीय मांगपत्र को लकेर चलाए जा रहे दस दिवसीय राष्ट्रव्यापी अभियान का अंत गुरुवार को हुआ। आज देशभर में सीटू से जुड़ी यूनियनों ने मांग दिवस मनाया।

इस अभियान की शुरूआत 1 जून को हुई थी, इसका उद्देश्य उन मांगों और मुद्दों को प्रमुखता से उठाना था जिसका सामना मज़दूर वर्ग इस कोरोना वायरस माहमारी के दौरान कर रहा है। इसमें स्वास्थ्य और आजीविका से संबंधित समस्याओं को भी उठाया गया।

सीटू के महासचिव तपन सेन ने गुरुवार को न्यूज़क्लिक को बताया, "सीटू के देशव्यापी आह्वान पर मजदूर संगठन सीटू द्वारा देश भर में जिला,ब्लॉक मुख्यालयों,कार्यस्थलों,गांव तथा मज़दूर बस्तियों में घर द्वार पर सीटू कार्यकर्ताओं द्वारा मजदूरों की मांगों पर धरने प्रदर्शन किए गए। इस दौरान देश भर में हज़ारों मजदूरों ने अलग-अलग जगह कोविड नियमों का पालन करते हुए ये प्रदर्शन किए। इस दौरान देश भर में विभिन्न अधिकारियों के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपे गए व मजदूरों की मांगों को पूर्ण करने की मांग की गई। इस दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का ध्यान भी रखा गया और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अब तक महामारी से निपटने के तरीके के खिलाफ नारे भी बुलंद किए गए।" प्रदर्शनकारियों ने कोविड-19 प्रसार के मद्देनजर केंद्र द्वारा लिए गए नीतिगत फैसलों की भी आलोचना की, यूनियन के अनुसार, "ये सरकार कॉर्पोरेट मुनाफे को लोगों के  जीवन से ऊपर रखती है।"

केंद्रीय ट्रेड यूनियन रुपये की नकद सहायता की मांग कर रहा है। सभी गैर-आयकर दाताओं के लिए 7,500, साथ ही अगले 6 महीनों के लिए उन सभी परिवारों को मुफ्त मासिक 10 किलो अनाज, जिन्हें इसकी आवश्यकता है - भले ही उनके पास राशन कार्ड हो या नहीं।

इसके अतिरिक्त, देश में कोविड-19 के प्रसार को प्रतिबंधित करने के लिए, सीटू सभी के लिए मुफ्त वैक्सीन देने की मांग भी कर रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को पहले राष्ट्र को संबोधित किया था और कहा था कि 21 जून से सरकारी सुविधाओं वाले टीकाकेन्द्रो  में सभी वयस्कों के लिए कोविड-19 टीके मुफ्त होंगे। केंद्र 75 प्रतिशत टीके खरीदेगा और उन्हें राज्य सरकारों को देगा जबकि निजी क्षेत्र को शेष 25 प्रतिशत खरीद की अनुमति है।

सेन ने दावा किया कि “मोदी सरकार को अंततः देश में लोगों और राज्य सरकारों और विपक्षी ताकतों के दबाव के कारण पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा। नई टीकाकरण नीति लोगों के संकल्प की जीत है और सत्तारूढ़ सरकार पर दबाव डालना जारी रखने की जरूरत है।"

न्यूज़क्लिक ने इससे पहले सीटू के राष्ट्रव्यापी अभियान के हिस्से के रूप में देश भर में विभिन्न विरोध प्रदर्शनों की रिपोर्ट दी थी। इसमें हरियाणा में निर्माण श्रमिकों और मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा) द्वारा राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन भी शामिल था।

सीटू दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के महासचिव अनुराग सक्सेना ने कहा कि गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी में 40 से 50 स्थानों-श्रमिक कॉलोनियों और कार्य स्थलों पर प्रदर्शन किया गया। उन्होंने कहा, “नोएडा और ग़ाज़ियाबाद में भी कार्यक्रम आयोजित किए गए।”

सक्सेना के अनुसार, पीएम मोदी को संबोधित करते हुए एक ज्ञापन, जिसमें यूनियन की मांगों सम्मलित है, ज़िलों में उप श्रम आयुक्तों को सौंपा गया है।

सीटू हिमाचल प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने एक बयान जारी कर कोरोना से जान गंवाने वालों को सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशनुसार आपदा राहत कोष से तुरंत चार लाख रुपये जारी करने की मांग की है। उन्होंने सभी आयकर मुक्त परिवारों को 7500 रुपये की आर्थिक मदद व प्रति व्यक्ति दस किलो राशन की व्यवस्था करने की मांग की है ताकि कोरोना महामारी से बेरोज़गार हुए लोगों का जीवन यापन सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कोरोना वैक्सीन का सार्वभौमिकरण करने की मांग की है। 

उन्होंने कहा, "हिमाचल प्रदेश की स्थिति भी वस्तुतः देश जैसी है। प्रदेश की आर्थिकी में पर्यटन बहुत ही महत्वपूर्ण साधन है। प्रदेशभर में पर्यटन क्षेत्र से जुड़े होटल, होम स्टे, रेस्तरां, ढाबों, टैक्सी, टूअर एन्ड ट्रेवल, गाइड, कुली, रेहड़ी फड़ी तयबजारी, घोड़े,  फोटोग्राफर, एडवेंचर स्पोर्ट्स, कारोबार से जुड़े दुकानदार व सेल्समैन, निजी स्कूलों के अध्यापक व कर्मचारी, निजी ट्रांसपोर्ट से जुड़े ऑपरेटर व कर्मी पूरी तरह बर्बादी के कगार पर पहुंच चुके हैं। निजी स्कूलों की भारी भरकम फीसों ने इन स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों अभिभावकों को गहरे आर्थिक संकट में डाल दिया है। सरकार की ओर से इन सभी को आर्थिक सहायता दी जाए।

उन्होंने कहा है कि प्रदेश में सबसे ज़्यादा मज़दूर मनरेगा व निर्माण क्षेत्र में कार्यरत हैं। इसलिए मनरेगा में हर हाल में दो सौ दिन का रोज़गार दिया जाए व राज्य सरकार द्वारा घोषित तीन सौ रुपये न्यूनतम दैनिक वेतन लागू किया जाए। हिमाचल प्रदेश कामगार कल्याण बोर्ड से पंजीकृत सभी मनरेगा व निर्माण मज़दूरों को 6 हज़ार रुपये की आर्थिक मदद सुनिश्चित की जाए।

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