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बिहार: विधानसभा स्पीकर और नीतीश सरकार की मनमानी के ख़िलाफ़ भाकपा माले का राज्यव्यापी विरोध

भाकपा माले विधायकों को सदन से मार्शल आउट कराये जाने तथा राज्य में गिरती कानून व्यवस्था और बढ़ते अपराधों के विरोध में 3 अप्रैल को माले ने राज्यव्यापी प्रतिवाद अभियान चलाया
bihar protest

बिहार विधान सभा के चालू बजट सत्र में विधान सभा अध्यक्ष द्वारा कार्यस्थगन प्रस्ताव खारिज किये जाने का विरोध कर रहे भाकपा माले विधायकों को सदन से मार्शल आउट कराये जाने तथा राज्य में गिरती कानून व्यवस्था-बढ़ते अपराध, भाजपा- आरएसएस द्वारा सांप्रदायिक उन्माद के सवाल पर नितीश सरकार के समर्पण के विरोध में 3 अप्रैल को भाकपा माले ने राज्यव्यापी प्रतिवाद अभियान चलाया।

जिसके तहत ‘क्रिमिनलाइजेशन, करप्शन और कम्युनिलिज्म’ को लेकर जीरो टोलरेंस का दावा कहाँ गया नितीश कुमार?” “भाजपा-आरएसएस के सामने घुटना टेकना बंद करो” जैसे नारों के साथ राजधानी पटना समेत कई जिलों में विरोध मार्च निकालकर सरकार का पुतला जलाया गया।

सनद हो कि 31 मार्च को बिहार विधान सभा के बजट सत्र के आखिरी दिन सदन की मर्यादा उस समय एक बार फिर तार तार हो गयी जब विपक्ष की ओर से भाकपा माले विधायकों ने कार्यस्थगन प्रस्ताव लाकर नितीश कुमार सरकार से सवाल-जवाब करना चाहा तो कुपित होकर विधान सभा अध्यक्ष ने मार्शल बुलवाकर उन्हें सदन से बाहर निकलवा दिया।

बिहार में गिरती कानून व्यवस्था, बढ़ते अपराध, दलित-पिछड़ों पर सामंती हमले, भाजपा-आरएसएस द्वारा सांप्रदायिक उन्माद भड़काने की बढ़ती घटनाओं तथा जहरीली शराब से हो रही मौत जैसे मुद्दों को लेकर भाकपा माले ने पिछले कई महीनों से राज्य में विरोध अभियान छेड़ा हुआ है। विधान सभा बजट सत्र के दौरान माले तथा सभी विपक्षी विधायक इन मुद्दों पर चर्चा कराये जाने के साथ साथ नीतीश कुमार सरकार से जवाब चाह रहे थे।  

बजट सत्र के दौरान सदन में भी इन मुद्दों पर सरकार का जवाब मांगने के लिए भाकपा माले विधायक दल नेता महबूब आलम ने स्पीकर को कार्यस्थगन प्रस्ताव दिया था। लेकिन स्पीकर ने इस प्रस्ताव को न सिर्फ सिरे से खारिज कर दिया बल्कि कुपित अंदाज़ में किसी को भी कुछ बोलने की इज़ाज़त नहीं दी। विपक्ष और माले के विधायकों ने जब इसका कड़ा विरोध किया तो उन्हें मार्शल बुलवाकर सदन से जबरन बाहर निकलवा दिया गया। इस अलोकतांत्रिक रवैये के विरोध में माले के सभी विधायक सदन की कार्यवाही चलने तक सदन के मुख्य द्वार के सामने बाहर धूप में ही प्रतिवाद धरना में बैठे रहे।  

प्रतिवाद धरना पर पहुँचे मीडियाकर्मियों के समक्ष माले विधायकों ने विधान सभा अध्यक्ष के अलोकतांत्रिक रवैये की तीखी भर्त्सना की। साथ ही आरोप लगाया कि- इसी 23 अप्रैल को जगदीशपुर जाकर नीतीश सरकार और भाजपा के लोग ‘विजय दिवस’ के नाम पर बाबू कुवंर सिंह को सम्मानित करने का ढोंग रचाएंगे लेकिन उन्हीं बाबू कुवंर सिंह के वंशज को पुलिस द्वारा पीट पीटकर मार डालने की बर्बर घटना पर सदन में कोई चर्चा तक नहीं होने दी गयी। जिसका विरोध करने पर स्पीकर ने सभी माले विधायकों को मार्शल बुलाकर सदन से जबरन बाहर निकलवा दिया है।

सदन में यह घटना उस वक़्त घटित हुई जब 31 मार्च को बजट सत्र के आखिरी दिन सदन में जब माले विधायक दल नेता महबूब आलम ने पूरे सदन को भोजपुर के जगदीशपुर में दो दिन पूर्व 1857 के महान स्वतन्त्रता सेनानी नायक वीर कुवंर सिंह के वंशज युवा बबलू सिंह की पुलिस पिटाई से हुई मौत मामले की जानकारी देते हुए इस पर त्वरित संज्ञान लेने की मांग उठायी। 

विपक्ष के भी कई विधायक उक्त घटना पर तीखा रोष प्रकट करते हुए विधान सभा अध्यक्ष से सरकार से बयान देने की मांग करने लगे। लेकिन अध्यक्ष ने कोई संज्ञान नहीं लेते हुए किसी को कुछ भी नहीं बोलने दिया।  

वीर कुवंर सिंह के वंशज बबलू सिंह की मां पुष्पा सिंह ने मीडिया को दिए बयान में पुलिस पर उनके बेटे को पीट पीटकर हत्या कर देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि गत 30 मार्च की रात पुलिस की सीआईटी टीम ने उनके पुत्र को घर से उठा लिया और बुरी तरह से मारा पीटा। पिटाई से मरणासन्न हालत में उसे स्थानीय अस्पताल के गेट के बाहर रखकर सभी पुलिस वाले फरार हो गए। काफी देर तक उनका पुत्र उसी अवस्था में वहां पड़ा रहा। बाद में अस्पताल के कुछ कर्मचारियों की नज़र पड़ी तो उसे इलाज के लिए भर्ती किया गया लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी और उसे नहीं बचाया जा सका। सुबह में कुछ स्थानीय पत्रकारों को घटना की जानकारी हुई तो मामले का सबको पता चला।    

परिजनों ने यह भी आरोप लगाया है कि अस्पताल में भी बबलू सिंह का समय पर सही इलाज नहीं होने से उसकी मौत हो गयी। उधर घटना की खबर फैलते ही सारे परिजन और आम लोग अस्पताल परिसर में जुटने लगे। बबलू की मौत से आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए काफी हंगामा किया। अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज दिखलाने की मांग करते हुए सभी लोग ये जानना चाह रहे थे कि वे कौन लोग थे जो बबलू सिंह को मरणासन्न अवस्था में वहाँ छोड़कर भाग गए। अस्पताल के डॉक्टर द्वारा यह बताये जाने पर कि वहाँ का सीसीटीवी कैमरा खराब है तो लोग और भड़क गए।

बबलू सिंह की मौत से आक्रोशित उनकी मां पुष्पा जी और सारे परिजन शव को लेकर सड़क जाम करते हुए धरना में बैठ गए। और बबलू की हत्या के दोषी पुलिस को अविलम्ब गिरफ्तार करने की मांग को लेकर जिला कलक्टर और एसपी को बुलाने लगे। बबलू सिंह की मां पुष्पा जी ने मीडिया को यह भी बताया कि उनका पुत्र लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाता रहा है इसीलिए साजिश के तहत पुलिसवालों ने उनके बेटे को पीट पीट कर मार डाला है।

उक्त जघन्य काण्ड की खबर सुनते ही भाकपा माले के कई स्थानीय और वरिष्ठ नेतागण घटनास्थल पर पहुंचकर धरना में शामिल हो गए।    

पूर्व विधायक व माले नेता चन्द्रदीप सिंह ने इस जघन्य हत्याकांड को भोजपुर की गौरवशाली परम्परा पर कलंक बताया और पुलिस पर मामले को रफा दफा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जंगलराज का विरोध का दावा करने वाले जदयू-भाजपा का शासन खुद ‘जल्लाद राज’ का पर्याय बन गया है। जिसका प्रत्यक्ष सबूत है कि बाबू कुंवर सिंह जैसे देश के महान शहीद के वंशज को भी नितीश कुमार की पुलिस पीट पीटकर मार दे रही है। उधर घटना के विरोध में पूरे क्षेत्र में लोगों में काफी आक्रोश फ़ैल गया है और जगह जगह लोग विरोध प्रदर्शन कर रहें हैं। जगदीशपुर के सभी दुकानदारों ने घटना के विरोध और शोक में पूरा बाज़ार बंद रखा।  

फिलहाल ख़बरों के अनुसार जगदीशपुर स्थित बाबू कुवर सिंह किले में तैनात सीआईटी के तीन पुलिस के जवानों और उनके रसोईये पर मारपीट और हत्या का मुकदमा दर्ज़ हुआ है। जिसमें से रसोइया ने थाने में जाकर सरेंडर कर दिया है।

खबर यह भी है कि 23 अप्रैल को बाबू कुंवर सिंह सिंह के सम्मान में आयोजित होने वाले बिहार सरकार द्वारा आयोजित ‘विजय दिवस’ कार्यक्रम के प्रचार हेतु भाजपा के केन्द्रीय मंत्री समेत कोई बड़े नेता इलाके का फेरा लगा रहें हैं। इस कार्यक्रम में अमित शाह और राजनाथ सिंह के आने का भी खूब प्रचार किया जा रहा है।  

वहीँ, राष्ट्र के शहीद महानायक बाबू कुवंर सिंह के वंशज बबलू सिंह को नीतीश सरकार की पुलिस द्वारा पीटकर मार डाले जाने के सवाल पर बबलू सिंह की मां व सभी परिजन दोषियों को सजा दिलाने की मांग पर अड़े हुए हैं। तो दूसरी ओर, भाकपा माले समेत क्षेत्र की व्यापक जनता भी अपने शहीद नायक के वंशज की हत्या के खिलाफ नीतीश सरकार और भाजपा नेताओं को घेरने के मूड में हैं।

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