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कार्टून क्लिक : दिल्ली हिंसा; अब न रोटी चाहिए, न रोज़गार

हिन्दू-मुस्लिम दंगा कराने के दो फायदें हैं एक तो ये कि आप रोज़ी-रोटी भूलकर एक-दूसरे से लड़ने में मशगूल हो जाते हैं और दूसरे ये कि लाशों को न रोटी की ज़रूरत है, न रोज़गार की। जी हां! बात कड़वी है, लेकिन हमारे दौर की यही सच्चाई है।
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आप जान लीजिए कि दिल्ली हिंसा में मरने वालों का सिलसिला अभी रुका नहीं है। ये तादाद शुक्रवार सुबह बढ़कर 39 हो गई है। उत्तर-पूर्व दिल्ली में चार दिन पहले शुरू हुई सांप्रदायिक झड़पों और हमलों में 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इस हिंसा से सबसे ज़्यादा जाफराबाद, मौजपुर, चांदबाग, खुरेजी खास और भजनपुरा इलाके प्रभावित हुए हैं।

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