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चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम शहीद भगत सिंह हुआ,  SFI ने संघर्षों की जीत बताया

आपको सनद रहे आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 93वीं कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भगत सिंह की जयंती के ठीक पहले उन्हें श्रद्धांजलि स्वरूप एक महत्वपूर्ण निर्णय किया गया है। यह तय किया है कि चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम अब शहीद भगत सिंह के नाम पर रखा जाएगा।’’
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह के नाम पर करने की घोषणा की। इसके बाद भगत सिंह को अपना आदर्श मानने वाले लोगों में भारी खुशी थी। जबकि इसके लिए लंबा संघर्ष करने वाले छात्र संगठन स्टूडेंट्स] फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) ने इसे अपने लंबे संघर्ष की जीत कहा।

आपको सनद रहे आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 93वीं कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भगत सिंह की जयंती के ठीक पहले उन्हें श्रद्धांजलि स्वरूप एक महत्वपूर्ण निर्णय किया गया है। यह तय किया है कि चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम अब शहीद भगत सिंह के नाम पर रखा जाएगा।’’

चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा के लोगों को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसकी लंबे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी। शहीद भगत सिंह की जयंती 28 सितंबर को मनाई जाती है।

स्टूडेंट्स  फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI ) की  केंद्रीय कमेटी ने  25 सितंबर 2022 को  चंडीगढ़ एयरपोर्ट  का  नाम भगत सिंह के नाम पर  किए जाने  पर  खुशी जाहिर करते हुए इसे छात्रों-नौजवानों, मजदूरों-किसानों एवं देश के आम  लोगों के संघर्षों की जीत करार दिया है।

SFI की अखिल भारतीय केन्द्रीय कमेटी ने कहा कि आज भले ही कोई एक दल आजादी की पूरी लड़ाई पर अपने एकाधिकार का दावा क्यों न करे, तथा दूसरा दल जिसका आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं रहा है वो भी इस देश के आजादी के इतिहास को बदलने की कोशिश में लगा है पर इनके तमाम कोशिशों के बावजूद आज़ादी की लड़ाई में भगत सिंह और उनके साथियों के बलिदान से इनकार करने की हिम्मत किसी में नहीं है।

भगत सिंह के बलिदान एवं विचारों को केंद्र में रखते हुए SFI हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा की इकाइयों ने 4 जनवरी 2017 को एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर मांग की थी कि भगत सिंह के लेखन को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए, विश्वविद्यालयों में भगत सिंह की कुर्सी स्थापित की जाए तथा चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम भगत सिंह पर रखा जाए।

इन सब मांगों को लेकर SFI द्वारा 21 मार्च 2017 को चंडीगढ़ में एक विशाल रैली का आयोजन किया गया था। जिसको सरकार ने कुचलने की पूरी कोशिश की थी। छात्रों पर लाठीचार्ज किया गया, वाटर कैनन चलाए गए थे। SFI के साथी नरेश कुमार तथा कई साथियों को गंभीर चोटों का सामना करना पड़ा था।

SFI  की  केन्द्रीय  कमेटी ने इसे  एक लंबे संघर्ष का जीत बताया और कहा कि इन्हीं संघर्षों के कारण सरकारों को आरएसएस के एक प्रचारक की जगह चंडीगढ़ के हवाई अड्डे का नाम भगत सिंह के नाम पर रखना पड़ा। ये जीत केवल SFI की जीत नहीं बल्कि हर उस नौजवान की जीत है जो भगत सिंह के सपनों से अपने आप को जोड़ता है, ये समूचे उत्तर भारत के छात्रों और नौजवानों को जीत है। ये भगत सिंह के विचारों की जीत है।
 
SFI  ने अपने बयान में कहा कि अभी भी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। भगत सिंह के लेखन को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए तथा विश्वविद्यालयों में भगत सिंह के नाम की कुर्सी स्थापित हो, इन सारी मांगों को लेकर एसएफआई का संघर्ष जारी रहेगा।

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