छत्तीसगढ़ :'संविदा नियमितीकरण रथयात्रा' के 15 दिन पूरे, सरकार पर वादाख़िलाफ़ी कर नई भर्तियां करने का आरोप!

छत्तीसगढ़ में हज़ारों संविदा कर्मचारी अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर सड़कों पर हैं। बीते 16 मई से प्रदेश में 'संविदा नियमितीकरण रथ यात्रा' जारी है, जो राज्य के सभी 33 जिलों से होकर गुजरेगी। फिलहाल ये रथ यात्रा सरगुजा और बिलासपुर डिवीजन में पूरी हो चुकी है, जिसके अंतर्गत अब तक लगभग 14 जिले कवर हो चुके हैं। अब आगे ये यात्रा दुर्ग और रायपुर संभाग के लिए निकलेगी। इस रथयात्रा के दौरान ज़िले के सभी संविदा कर्मी 1 दिन की छुट्टी लेकर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं और कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप रहे हैं।
बता दें कि छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी संघ के नेतृत्व में आयोजित ये रथयात्रा 21 जून तक चलेगी और इसका समापन राजधानी रायपुर में होगा। जिसके बाद भी अगर सरकार इन संविदा कर्मियों की मांगों को नहीं मानती तो ये आगे तालाबंदी कर बड़े आंदोलन को भी तैयार हैं। महासंघ के अनुसार रायपुर में एक विशाल प्रदर्शन की भी योजना है और इसके आगे इस विरोध-प्रदर्शन को अनिश्चितकालीन आंदोलन का रूप दिया जाएगा।
सरकार वादा पूरा करे, क्योंकि 'अब नहीं तो कब'?
महासंघ के प्रदेश सचिव श्रीकांत लास्कर ने न्यूज़क्लिक को बताया कि इस रथयात्रा में कृषि, स्वास्थ्य, श्रम और पंचायत ग्रामीण विकास सहित सभी विभागों के सभी संविदाकर्मी शामिल हैं, जिन्हें सरकार ने नियमित करने का वादा किया था। क्योंकि अब सबका धैर्य समाप्त हो चुका है, इसलिए उनकी मांग है कि आने वाले मानसून सत्र में प्रस्तुत अनुपूरक बजट में अनिवार्य रूप से नियमितीकरण का अपना वादा सरकार पूरा करे, क्योंकि 'अब नहीं तो कब'?
श्रीकांत लास्कर के मुताबिक संविदाकर्मियों की ये रथयात्रा 15 मई से शुरू होनी थी, लेकिन प्रशासन की अनुमति नहीं मिलने के चलते इसकी शुरुआत16 मई से हुई और तब से ये लगातार जारी है। लेकिन बीते 15 दिनों में न तो उन्हें सरकार की ओर से कोई आश्वासन मिला है, न ही किसी नेता या मंत्री से उनकी मुलाकात हुई है। उल्टा सरकार ने अपने वादे के खिलाफ जाकर कुछ विभागों में सीधी भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू कर की है, जिस से आने वाले समय में संविदा कर्मियों की नौकरी ही खतरे में पड़ गई है।
नई भर्तियों से पुराने संविदाकर्मियों की नौकरी ख़तरे में
यात्रा में शामिल कई कर्मचारियों ने न्यूज़क्लिक को बताया कि वो बीते लंबे समय से अपने विभागों में काम कर रहे हैं और अब उनकी आयु भी अधिक हो चुकी है को बताया कि वो बीते लंबे समय से अपने विभागों में काम कर रहे हैं और अब उनकी आयु भी अधिक हो चुकी है, जिससे वो सरकार की सीधी भर्ती उम्र योग्यता से पहले ही बाहर हो गए हैं। ऐसे में उनके सामने अब रोज़गार का नया संकट खड़ा हो गया है। क्योंकि सीधी भर्तियों की प्रक्रिया पूरी होते ही उन्हें नौकरियों से निकालना शुरू कर दिया जाएगा। जबकि प्रदेश की मौजूदा कांग्रेस सरकार ने अपने घोषणापत्र में कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का वादा किया था। इसके बाद 14 फरवरी 2019 को भी इन कर्मचारियों के मंच पर मुख्यमंत्री ने आकर यह घोषणा की गई थी कि, यह वर्ष किसानों का है अगला वर्ष आप कर्मचारियों का होगा।
कुछ कर्मचारियों ने सरकार को चेताते हुए कहा कि अब मुख्यमंत्री बघेल के पास ज्यादा समय नहीं है, इसलिए अगर जल्द ही वो नियमतिकरण की ओर कोई कदम नहीं उठाते तो उनकी सरकार गिरना तय है। क्योंकि प्रदेश में फिलहाल 54 सरकारी विभागों में करीब 45 हजार संविदा कर्मी तैनात हैं, जो सरकार का एक बड़ा वोट बैंक हो सकते हैं। ये सभी कर्मचारी अब सिर्फ आश्वासन के भरोसे भी घर लौटने को तैयार नहीं हैं। इनका साफ तौर पर कहना है कि सरकार कोई ठोस कदम उठाए, नहीं तो जल्द ही सभी सभी कर्मचारी अनिश्चितकालीन आंदोलन पर जाने को मजबूर होंगे, जिससे सभी विभागों में तालाबंदी की नौबत आ सकती है।
गौरतलब है कि इस साल के आखिर में छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में सत्ताधारी कांग्रेस और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को संविदा कर्मचारियों से नई चुनौती मिल रही है। इससे पहले राज्य में पंचायत सचिवों का अनिश्चितकालीन धरना देखने को मिला था, जो सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे थे। वहीं बजट से पहले प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मी और अन्य विभागों के कर्मचारी भी अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन और हड़ताल कर चुके हैं। ऐसे में आगामी चुनावों में कांग्रेस के लिए सत्ता का रास्ता उसके वादों और इरादों में उझलता नज़र आता है।
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