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चीन ने रूस के साथ अपनी 'नो लिमिट' साझेदारी को फिर किया मज़बूत!

शी जिनपिंग की आगामी मॉस्को यात्रा, जिसके अगले महीने होने की संभावना है, वह एक निर्णायक पल वाली यात्रा होगी।
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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के पॉलिट ब्यूरो सदस्य वांग यी से क्रेमलिन, मॉस्को में 22 फरवरी, 2023 को मुलाकात की।

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के पॉलिट ब्यूरो सदस्य और सीपीसी केंद्रीय समिति के विदेश मामलों के आयोग के कार्यालय निदेशक वांग यी की 21-22 फरवरी को होने वाली मास्को यात्रा का 'बड़ा प्रभाव' पहले से ही स्पष्ट हो गया है। यह अभी भी बहुत बड़ी जटिल प्रणाली को प्रभावित कर सकता है।

दोनों पक्ष, एक नए युग में समन्वय की रूस-चीन व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत और विकसित करने और अपनी विदेश नीति के प्रयासों को बारीकी से समन्वयित करने के लिए सहमत हुए हैं; यूक्रेन संकट, जो एक निर्णायक मोड़ पर है, रूस के पक्ष में और झुक गया है; और, महामारी के बाद चीनी कूटनीति समय-समय पर दीर्घकालिक विचार का संकेत दे रही है जो यूरेशिया और एशिया-प्रशांत में 'नियतात्मक अराजकता' पैदा कर सकती है।

वांग यी ने रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पत्रुशेव के साथ-चीन-रूस रणनीतिक सुरक्षा परामर्श के तंत्र के समन्वयक के रूप में-और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठकें कीं।

रूसी बयान में कहा गया है कि, "दोनों पार्टियों ने रूस-चीन संबंधों की वर्तमान स्थिति की सराहाना की, जो अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में आ रहे तेज बदलाव के संदर्भ में गतिशील रूप से बढ़ रहे हैं...उन्होंने विदेश नीति समन्वय को और मज़बूत करने के महत्व को रेखांकित किया...चीनी संबंधों की स्वस्थ, गतिशील प्रगति को बाधित करने के लिए तीसरे देशों के प्रयासों की निरर्थकता पर भी ज़ोर दिया, उन्होंने यह भी दोहराया कि प्रतिबंधों और अन्य नाजायज तरीकों से दोनों देशों के विकास को रोकने की कोशिश की जा रही है।"

वांग यी ने पुतिन को बताया कि, "रूस-चीन संबंध विश्व परिदृश्य में भारी बदलाव की कसौटी पर खरे उतरे हैं और मज़बूत तथा दृढ़ हो गए हैं, एकदम Mount Tai की तरह मज़बूत... हालांकि इसमें संकट और अराजकता अक्सर दोनों सामने आती है, लेकिन उसी समय चुनौतियां और अवसर भी मौजूद होते हैं और यह इतिहास की एक द्वंद्वात्मकता है।"

उन्होंने कहा कि चीन, "रणनीतिक संकल्प को बनाए रखने, आपसी राजनीतिक विश्वास को मज़बूत करने, रणनीतिक समन्वय को मज़बूत करने, व्यावहारिक सहयोग का विस्तार करने और दोनों देशों के वैध हितों की रक्षा करने, विश्व शांति और विकास को बढ़ावा देने में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए रूस के साथ काम करने को तैयार है।"

पुतिन ने दोनों देशों के बीच फल-फूल रहे व्यापार (जो पिछले साल 185 अरब डॉलर तक पहुंच गया था) के लिए वांग यी के प्रति "कृतज्ञता के हार्दिक शब्द" व्यक्त किए। प्रतिबंधों के चलते रूस के लिए, यह एक महत्वपूर्ण मदद है। पुतिन ने "अंतरराष्ट्रीय स्थिति को स्थिर करने के लिए" अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में सहयोग का उल्लेख किया और इसे महत्वपूर्ण बताया। इसके अलावा ज़ोर देकर कहा कि रूस को उम्मीद है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस की यात्रा करेंगे।

लावरोव के साथ वांग यी की बैठक में यूक्रेन पर विशेष रूप से चर्चा हुई, जहां उन्होंने "यूक्रेन संकट के मूल कारणों" और एक राजनीतिक समाधान पर चीन के दृष्टिकोण पर विचार किया। रूसी बयान में कहा गया है कि लावरोव ने "बीजिंग की रचनात्मक नीति की सराहना की और ऊंचे स्तर पर उनके एजेंडे की पुष्टि की।"

गौरतलब है कि मॉस्को से वांग यी के बीजिंग लौटने के एक दिन बाद विदेश मंत्रालय ने 'यूक्रेन संकट के राजनीतिक समाधान पर चीन की स्थिति' शीर्षक से एक बयान जारी किया था। संभवतः, वांग यी ने रूस को पहले से ही इस मामले में संवेदनशील बना दिया था, क्योंकि मॉस्को में विदेश मंत्रालय ने उसी दिन "हमारे चीनी दोस्तों" की प्रशंसा करने में कोई समय नहीं गंवाया।

तटस्थता के सिद्धांतों पर आधारित चीनी बयान स्पष्ट रूप से रूस के पक्ष में झुका हुआ है। नाटो और अमेरिका के साथ बातचीत के अपने दिसंबर 2021 के प्रस्ताव में मास्को द्वारा उजागर किए गए प्रमुख मुद्दों (जिन्हें बाद में नजरअंदाज कर दिया गया) का चीनी बयान में उल्लेख किया गया है।

गौरतलब है कि चीनी बयान ने एकतरफा लगाए गए प्रतिबंधों और रूस के खिलाफ अमेरिका और यूरोपीयन यूनियन के दबावों और अन्य देशों के खिलाफ पश्चिम की "दादागिरी" को दृढ़ता से खारिज कर दिया। कोई आश्चर्य नहीं कि पश्चिमी राजधानियों ने चीनी बयान को हल्के में लिया है और इसे रूस के पक्ष में देखा है।

यूक्रेन में रूसी सैनिक ऑपरेशन की पहली वर्षगांठ पर जारी चीनी बयान में यह तथ्य शामिल है कि मॉस्को के लिए युद्ध अस्तित्वगत ओवरटोन हैं और रूस की हार बिल्कुल अकल्पनीय है क्योंकि यह चीन के खिलाफ वैश्विक रणनीतिक संतुलन को मौलिक रूप से बदल देगा। दिलचस्प बात यह है कि पेत्रुशेव (रूस के सर्वोच्च रैंकिंग वाले सुरक्षा अधिकारी) के साथ वांग यी की बातचीत पर चीनी बयान में इस आशय का एक स्पष्ट संदर्भ है कि "दोनों पक्षों का मानना था कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता का दृढ़ता से बचाव किया जाना चाहिए और यह कि शीत युद्ध की मानसिकता का परिचय, ब्लॉक दुश्मनी और वैचारिक टकराव का विरोध किया जाना चाहिए।

यूक्रेन पर चीनी बयान के ज़रिए बीजिंग में लगातार दो दिनों तक दो प्रमुख विदेश नीति दस्तावेजों को जारी किया गया। 20 फरवरी को जारी पहला दस्तावेज़ अमेरिकी विदेश नीतियों पर एक सीधा हमला है, जिसका शीर्षक है 'यूएस हेजेमनी एंड इट्स पेरिल्स'।

4,080 शब्दों का ये एक बड़ा दस्तावेज़ विचारों और दृष्टिकोणों की वह सच्ची पुनरावृत्ति है जो 2007 के म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में अपने प्रसिद्ध भाषण के बाद से पिछले 15 वर्षों की अवधि के दौरान पुतिन के भाषणों और लेखों में अक्सर व्यक्त होती थी, जहां रूसी नेता ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा समस्याओं पर बात की और एकध्रुवीय दुनिया के पाखंड को भी उजागर किया। ऐसा पाखंड जिसमें "एक ऐसी स्थिति, जिसमें शक्ति का एक केंद्र, निर्णय लेने का एक केंद्र, एक ऐसी दुनिया जिसमें 'एक स्वामी, एक मालिक' है।

21 फरवरी को बीजिंग में जारी किए गए दूसरे दस्तावेज़ का शीर्षक 'द ग्लोबल सिक्योरिटी इनिशिएटिव' कॉन्सेप्ट पेपर' है। 3580 शब्दों में, यह चीनी विदेश नीति और मार्गदर्शक सिद्धांतों को रेखांकित करता है और विश्व समुदाय में सहयोग की प्राथमिकताओं पर बल देता है।

चीन की विदेश नीति गियर बदल रही है। यद्यपि यूक्रेन संकट और ताइवान समस्या की तुलना नहीं की जा सकती है, लेकिन बीजिंग जानता है कि रूस को कमज़ोर कर चीन को अलग-थलग करना अमेरिकी रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसलिए, यूक्रेन में युद्ध का परिणाम चीन के लिए बड़े मायने रखता है। दरअसल, यूक्रेन में रूस की हार से चीन को भी तगड़ा झटका लगेगा।

वांग यी की यात्रा इस बात की गवाही देती है कि चीन रूस के साथ एक ऐसे मोड़ पर एकजुटता बढ़ाने को तैयार है जब अमेरिका के साथ संबंधों में सुधार की बची-खुची उम्मीद धराशायी हो गई है और इनमें गिरावट आई है। पिछले हफ्ते म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के इतर वांग यी की बाइडेन के साथ बैठक अच्छी नहीं रही। इस बीच, अमेरिकी अधिकारी कथित तौर पर ताइवान के विदेशमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ बातचीत कर रहे हैं।

राष्ट्रपति बाइडेन ने यूक्रेन में चीन के लिए किसी भी तरह की मध्यस्थ भूमिका को खारिज कर दिया है। सभी बातों को ध्यान में रखते हुए संभावना है कि चीन रूस के लिए अपना समर्थन बढ़ा सकता है। बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सैन्य मदद का रूप ले लेगी। सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्स ने पिछले हफ्ते कहा था कि, "हमें खबर है कि चीनी नेतृत्व घातक उपकरणों के प्रावधान पर विचार कर रहा है। हम नहीं जानते हैं कि अभी तक कोई अंतिम निर्णय लिया गया है, क्योंकि अभी तक हमने घातक उपकरणों के वास्तविक शिपमेंट के साक्ष्य नहीं देखे हैं।"

कल, जब अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन की रविवार की चेतावनी के बारे में पूछा गया कि अगर चीन रूस को घातक सहायता प्रदान करता है तो चीन को इसकी 'वास्तविक कीमत' चुकानी पड़ेगी, इसपर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने सीधा जवाब नहीं दिया और कहा कि, “अमेरिका, चीन-रूस संबंधों पर उंगली उठाने की स्थिति में नहीं है। हम अमेरिका के दबाव या दबाव को स्वीकार नहीं करते हैं।”

दिलचस्प बात यह है कि क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने भी इससे संबंधित सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या रूस ने चीन से अपने विशेष सैन्य अभियान के लिए कोई उपकरण उपलब्ध कराने के लिए कहा था।

शी जिनपिंग की मॉस्को की आगामी यात्रा, जिसके अगले महीने होने की संभावना है, वह एक निर्णायक पल होगा। पश्चिम में बेचैनी की एक स्पष्ट भावना नज़र आ रही है, क्योंकि चीन की विनिर्माण क्षमता अमेरिका और यूरोप की संयुक्त क्षमता से अधिक है। रूस यूक्रेन में बड़े हमले को टाल रहा है और शी की यात्रा लंबित है।

(एम.के. भद्रकुमार पूर्व राजनयिक हैं। वे उज़बेकिस्तान और तुर्की में भारत के राजदूत रह चुके हैं। व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं।)

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

China Reboots ‘no Limit’ Partnership with Russia

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