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नागरिकता कानून; पूर्वोत्तर का हाल : असम से लेकर मेघालय-मिजोरम तक जारी है विरोध

असम और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में कर्फ्यू और रोक के बावजूद लगातार प्रदर्शन जारी हैं। कई इलाकों में इसी बीच कर्फ्यू में ढील भी दी गई है।
north0-east protest

विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक के पारित होने के बाद पूरे देश में इस कानून का विरोध हो रहा हैं। लोग सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस कानून का सबसे तेज़ विरोध भारत के उत्तर पूर्व राज्यों में देखने को मिल रहा है। असम और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में लगातार प्रदर्शन जारी हैं। उत्तर पूर्व छात्र संगठन ने पूरे उत्तर पूर्व भारत बंद का आह्वान भी किया। उधर, सरकार ने शनिवार को कई इलाकों में कर्फ्यू में ढील दी है। असम के डिब्रूगढ़ और मेघालय की राजधानी शिलांग में कर्फ्यू में ढील दी गई। लेकिन स्थति अब भी गंभीर बनी हुई है, लोग लगातार अलग माध्यमों से विरोध प्रदर्शन कर रहें हैं। उत्तर पूर्व के राज्यों के क्या स्थिति है, इसकी पूरी जानकारी नहीं आ पा रही है, क्योंकि सरकार ने कई में इलाकों इंटरनेट बंद कर रखा है। फिर भी जो रिपोर्ट सामने आ रही है उसके माध्यम से वहां कि स्थति को समझने की कोशिश करते हैं।

असम

असम राज्य सीएबी जो अब कानून बन गया है के खिलाफ सबसे अधिक  आक्रमकता से विरोध कर रहा है। इस वजह से राज्य के कई हिस्सों में लगातार तीसरे दिन भी कर्फ्यू जारी था। ANI की एक रिपोर्ट के अनुसार, CRPF के साथ भारतीय सेना के छब्बीस बटालियन राज्य में तैनात किए गए हैं।

गुवाहाटी में, शुक्रवार को ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) द्वारा सामूहिक भूख हड़ताल की गई थी। मीडिया से बात करते हुए एक प्रदर्शनकारी ने कहा “सीएबी असम के लोगों द्वारा कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह हमारे राज्य की भाषा और संस्कृति को खत्म कर देगा। इसलिए, हर कोई अधिनियम का विरोध करने के लिए सामने आया है।”

गुवाहाटी में विरोध प्रदर्शन के दौरान दो लोगों की मौत भी हुई है। आरोप है कि सुरक्षा बलों की गोली से उनकी जान गई। जान गंवाने वाले 17 वर्षीय ईसाई लड़के को दफनाने के दौरान स्थिति तनावपूर्ण हो गई। कुछ स्थानीय लोगों ने उसे ‘शहीद’ कहा।

बताया जाता है कि हाटीगांव में रहने वाला सैफ स्टेफोर्ड लतासिल मैदान से लौट रहा था और उस दौरान नामगढ़ के पास उसे गोली लगी जिसके बाद बृहस्पतिवार को उसकी मौत हो गई। लतासिल मैदान में गायक ज़ुबीन गर्ग ने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों की समर्थन में प्रस्तुति दी थी।
 
स्टेफोर्ड के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि चार पहिया गाड़ी पर आए कुछ लोगों ने देर शाम नामगढ़ में लोगों के समूह पर गोलीबारी कर दी, जिसमें वह गंभीर रूप से जख्मी हो गया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि घटना की जांच की जा रही है।

सीएबी के खिलाफ प्रदर्शनों के मद्देनजर गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ में लगाए गए कर्फ्यू में कुछ घंटों की ढील दी गई है।

अधिकारियों ने बताया कि गुवाहाटी में सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई है। वहीं डिब्रूगढ़ में सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक ढील दी गई। उन्होंने बताया कि पुलिस लोगों को इस ढील की जानकारी देने के लिए लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल कर रही है।

इस दौरना दिसपुर, उजान बाजार, चांदमारी, सिलपुखुरी और जू रोड सहित कई स्थानों पर दुकानों के बाहर लंबी कतारें नजर आईं। ऑटो-रिक्शा और साइकिल-रिक्शा सड़कों पर नजर आएं लेकिन बसें अब भी नदारद रहीं। शहर में पेट्रोल पंप भी खोल दिए गए हैं, जहां वाहनों की लंबी कतारें दिखीं।

हालांकि, स्कूल और कार्यालय अब भी बंद हैं।

कई जानकारों का कहना है कि असम में अपने इतिहास में सबसे हिंसक दौरों में एक से गुजर रहा है।  

असम टीवी चैनल का दावा, सुरक्षाबल कार्यालय में घुसे तथा कर्मचारियों को पीटा।

असम के निजी टीवी चैनल ‘प्राग न्यूज’ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शनों के बीच केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों सहित अन्य सुरक्षाबलों के कर्मी चैनल के कार्यालय में घुस गए और कर्मचारियों की डंडों से पिटाई की ।

मेघालय

मेघालय की राजधानी शिलांग में 48 घंटे के इंटरनेट बंद के साथ कर्फ्यू लगा दिया गया था। राज्य में भी, विवादास्पद कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन देखा गया था। बिगड़ती स्थिति के कारण, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की शिलांग में उत्तर-पूर्व पुलिस अकादमी की यात्रा रद्द कर दी गई है।

शिलॉन्ग में लगाए गए कर्फ्यू में  शनिवार को सुबह 10 बजे से शाम सात बजे तक ढील दी गई।
 
पूर्वी खासी हिल्स की जिला उपायुक्त एम डब्ल्यू नोंगबरी ने बताया कि राज्य की राजधानी में कई स्थानों पर कुछ दुकानें और कार्यालय खुले हैं।

नोंगबरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ कानून - व्यवस्था की स्थिति बेहतर होने के बाद कर्फ्यू में ढील दी गई है।’’

उन्होंने बताया कि शहर में सुबह से यातायात सामान्य है और पिछले 12 घंटे में किसी भी अप्रिय घटना होने की कोई खबर नहीं है।

इस बीच, राज्य सरकार ने क्षेत्र में ‘इनर लाइन परमिट’ (आईएलपी) लागू करने के मद्देनजर एक प्रस्ताव लाने के लिए विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाने का फैसला लिया है।

वहीं मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा की अगुवाई में राज्य के एक प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और उन्हें पड़ोसी राज्य असम की मौजूदा स्थिति के कारण यहां हो रही आवश्यक वस्तुओं की कमी के बारे में अवगत कराया।
 
मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय ने शुक्रवार को यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि जो लोग “विभाजनकारी लोकतंत्र” नहीं चाहते हैं, वह उत्तर कोरिया चले जाएं। रॉय ने यह अपने एक  ट्वीट में कहा। उनका ये ट्वीट प्रदर्शनकारियों के राजभ‍वन पहुंचने से कुछ घंटे पहले आया।

प्रदर्शनकारियों ने जब सुरक्षा का उल्लंघन करने की कोशिश की, तो उन पर लाठीचार्ज किया गया था, जिसमें कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। हाथापाई में दो पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।

प्रदर्शनकारी राज्यपाल से मांग कर रहे थे कि वह बाहरी लोगों के राज्य में प्रवेश पर अनिवार्य पंजीकरण के लिए प्रस्तावित अध्यादेश को अपनी सहमति दें और साथ ही केंद्र राज्य में इनर लाइन परमिट को लागू करें।

मणिपुर और नागालैंड

सीएबी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे नगा छात्र संघ (एनएसएफ) द्वारा आहूत छह घंटे के बंद के बीच नगालैंड के कई हिस्सों में शनिवार को स्कूल, कॉलेज और बाजार बंद रहे और सड़कों से वाहन नदारद रहे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।उन्होंने बताया कि उन इलाकों से अब तक कोई अप्रिय घटना सामने नहीं आई है, जहां सुबह छह बजे से बंद शुरू हुआ है।

प्रदर्शनकारी परीक्षाओं में शामिल होने जा रहे छात्रों, ड्यूटी पर जा रहे चिकित्सा कर्मियों, मीडिया कर्मियों और शादियों में शामिल होने जा रहे लोगों को सड़कों से जाने दे रहे हैं।

राज्य की राजधानी कोहिमा में भी बंद के कारण अधिकतर व्यावसायिक प्रतिष्ठान नहीं खुले, जिससे पूरा क्षेत्र सुनसान पड़ा रहा।

एनएसएफ के उपाध्यक्ष डिएवी यानो ने नए नागरिकता कानून की निंदा करते हुए कहा कि इसमें पूर्वोत्तर के लोगों की भावनाओं का ध्यान में नहीं रखा गया।

एनएसएफ ने एक बयान में कहा, ‘‘ एनएसएफ की आपातकालीन कार्यकारी परिषद की शुक्रवार को आयोजित बैठक में पारित प्रस्ताव के अनुसार नगा इलाकों में 14 दिसंबर को सुबह छह बजे से दोपहर 12 बजे तक छह घंटे के बंद का आह्वान किया गया है।’’

बयान में कहा गया है, ‘‘यह बंद संसद में विवादास्पद कैब पारित किए जाने के खिलाफ नगा लोगों के असंतोष को दर्शाने के लिए आहूत किया गया है। यह विधेयक पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों के हितों एवं भावनाओं के खिलाफ है। ’’ एनएसएफ ने मणिपुर, असम और नगालैंड में अपनी सभी इकाइयों से इस बंद के मद्देनजर सभी आवश्यक कदम उठाने को कहा है।

त्रिपुरा

विवादास्पद विधेयक पारित किए जाने के बाद, त्रिपुरा के लोग संशोधनों के विरोध में सड़कों पर उतर आए। त्रिपुरा में आंदोलन का नेतृत्व सभी क्षेत्रीय आदिवासी दलों के समूह जेएमएसीएबी ने किया था।
 
हालांकि हिंसा की कोई ताजा घटना की सूचना नहीं है। लेकिन राजधानी, अगरतला में शैक्षिक संस्थानों और कार्यालयों को बंद रखा गया है।

अब तक,  गुरुवार दोपहर को 48 घंटे की नाकेबंदी खत्म होने के बाद त्रिपुरा में 24 घंटे के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है।
 
अरुणचल प्रदेश

संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में जारी है, अरुणाचल प्रदेश में शुक्रवार को छात्रों की यूनियनों ने अपनी परीक्षा का बहिष्कार करते हुए शहरों में सड़कों पर प्रदर्शन किया, कानून को तत्काल रद्द करने की मांग की।

राजीव गांधी विश्वविद्यालय छात्र संघ (RGUSU) और छात्र संघ NERIST (SUN) के नेतृत्व में हजारों आंदोलनकारियों ने, पहाड़ी इलाके में लगभग 30 किमी की दूरी तय करते हुए, यूनिवर्सिटी से राजभवन तक मार्च किया।

स्थानीय लोग, असमिया समुदाय के लोगों के साथ, अरुणाचल प्रदेश में विवादास्पद कानून के विरोध में रैली में भी शामिल हुए, उनमें से अधिकांश ने केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ नारे लगाए।

आंदोलनकारियों ने राज्यपाल बीडी मिश्रा को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें कहा गया कि राज्य में संशोधित अधिनियम को लागू नहीं किया जाएगा।

मिजोरम

यहाँ अन्य उत्तर पूर्व राज्यों से स्थति थोड़ी सामन्य है क्योंकि केंद्र सरकार  नए विधेयक में उन्हें राहत दी हैं। लेकिन राज्य में कई जगह पर लोग समूह में प्रदर्शन  कर रहे हैं।

ज़ोरम रिवोल्यूशन मूवमेंट (ZRM) के बैनर तले युवाओं के एक समूह ने शुक्रवार को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के विरोध में धरना-प्रदर्शन किया। यह विरोध सत्तारूढ़ मिज़ो नेशनल फ्रंट के कार्यालय के सामने मिज़ो ह्नम रन और एज़ावल में वनपा हॉल के सामने आयोजित किया गया था ।
 
आंदोलन के दौरान, प्रदर्शनकारियों ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम का विरोध करते हुए नारे लगाए और नए कानून का कथित रूप से समर्थन करने के लिए मिजोरम सी० लालसरंगा से लोकसभा सदस्य के इस्तीफे की मांग की। प्रदर्शनकारियों में से अधिकांश विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों से आए छात्र थे।

 

विरोध के दौरान, एमएनएफ के कार्यकर्ताओं के साथ झड़प के बाद कम से कम 53 शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने  हिरासत में ले लिया।
 
युवा समूह के एक नेता ने कहा कि उन्होंने देश के बाकी हिस्सों खासकर पूर्वोत्तर के लोगों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया।

उन्होंने कहा कि वे नए कानून का विरोध करते हैं क्योंकि यह "असंवैधानिक" है और संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।

इन सबके अलाव पूरे उत्तर पूर्व में कम से कम 106 यात्री ट्रेनें या तो रद्द कर दी गईं।
 
इसके अलावा गृह मंत्रालय से संबद्ध संसदीय समिति की यात्रा 18-21 दिसंबर के दौरान होने वाली थी जिसे कानून व्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर स्थगित कर दिया गया है। समिति के अध्यक्ष और सदस्य मेघालय में शिलांग और असम के गुवाहाटी जाने वाले थे। समिति के अध्यक्ष आनंद शर्मा ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘ स्थायी समिति वहां के घटनाक्रम को लेकर चिंतिंत है और उसने 18-21 दिसंबर की अपनी प्रस्तावित यात्रा स्थगित कर दी है।’’

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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