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कांग्रेस : भारत जोड़ो के बाद ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ पदयात्रा

कन्याकुमारी से चली भारत जोड़ो यात्रा अपने समापन की ओर है, लेकिन कांग्रेस यहीं रुकने वाली नहीं है, पार्टी ने 26 जनवरी से हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा की भी शुरुआत कर दी है।
Haath se Haath Jodo
फ़ोटो साभार: ट्विटर

देश को सबसे ज़्यादा विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री देने वाली राजनीतिक पार्टी कांग्रेस 2014 में सत्ता से बेदख़ल क्या हुई, पूरे कुनबे में सन्नाटा पसर गया। पार्टी के दिग्गज और बड़े नेता एक के बाद एक अपनी सुविधा के मुताबिक दूसरे दल ढूंढने में लग गए और मौका मिलने पर चले भी गए। कहा जाने लगा कि पार्टी का हाल बूढ़े हाथी की तरह हो चुका है, और इनके बचे-कुचे नेताओं ने सोशल मीडिया वाली राजनीति को जन्म दे दिया है, इन लोगों को ज़मीन से कोई सरोकार नहीं रह गया है।

लेकिन इसके ठीक उलट पिछले कुछ महीनों में कांग्रेस ने ये साबित करने की कोशिश की है, कि वो अब भी वजूद में ही नहीं बल्कि सबसे बड़ा विपक्षी दल भी है। उसके नेता, कार्यकर्ता अब भी ज़मीन पर ख़ुद को खपाने का माद्दा रखते हैं।

इसकी शरुआत हुई पिछले साल 5 अगस्त को...जब पूरे देश में, खासकर राजधानी दिल्ली में कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व काले कपड़े पहनकर सड़कों पर उतर आया और महंगाई-बेरोज़गारी के ख़िलाफ ज़बरदस्त प्रदर्शन किया, इस प्रदर्शन में मुख्य तौर पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को आगे रखा गया।

प्रदर्शन इतना प्रभावशाली था कि गृह मंत्री अमित शाह को आगे आकर 5 अगस्त की इस तारीख को राम मंदिर के शिलान्यास से जोड़ना पड़ा।

इसके बाद राहुल गांधी का कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक 3500 किलोमीटर तक पैदल चलना...उम्मीद हार चुके देशभर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जान फूंका गया, यानी जो कांग्रेस दिल्ली, राजस्थान और छत्तीसगढ़ तक सिमटकर रह गई थी, अचानक पूरे देश में सक्रिय हो गई।

ऐसे में सवाल होने लगे कि राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा तो कर ली...अब आगे क्या?

तो इसका जवाब कांग्रेस ने ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ पदयात्रा के ऐलान के ज़रिए दिया।

इस यात्रा के ज़रिए कांग्रेस के कार्यकर्ता राहुल गांधी का संदेश घर-घर तक पहुंचाएंगें। क्योंकि इसी साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में इस यात्रा के ज़रिए तीन महीने में 10 लाख मतदान केंद्रों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा कांग्रेस इस यात्रा को 2.5 लाख ग्राम पंचायत और 6 लाख गावों के साथ हर राज्य में ले जाएगी।

वैसे तो राहुल की भारत जोड़ो यात्रा ने राष्ट्रीय तौर पर भाजपा को एक चुनौती दी है और टूट चुके कार्यकर्ताओं को फिर से जोड़ा है, लेकिन ये कहना भी गलत नहीं होगा कि 'हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा' असल में लोगों को पार्टी से जोड़ने का काम कर सकती है।

यही कारण है कि इस यात्रा की ज़िम्मेदारी हर राज्य में वहां के प्रशासन को दी गई है। इस यात्रा को कांग्रेस का डोर-टू-डोर कैंपेन भी कहा जा सकता है।

इस साल 9 विधानसभा और अगले साल लोकसभा चुनाव को कांग्रेस हल्के में लेने वाली नहीं है, इसके संकेत पार्टी मीडिया प्रभारी पवन खेड़ा ने दे दिए हैं। उन्होंने कहा, "30 जनवरी को भारत जोड़ो यात्रा के समापन का मतलब यह नहीं है कि काम खत्म हो गया है, यात्रा का पहला चरण खत्म हो जाएगा, लेकिन उसके बाद भी यात्रा का मकसद जारी रहेगा। हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के तहत कांग्रेस कार्यकर्ता देश के छह लाख गांवों में राहुल गांधी का संदेश और कांग्रेस पार्टी का संदेश लेकर जाएंगे। राहुल गांधी के पत्र और कांग्रेस की चार्जशीट में वह सार है, जो लोगों ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी को बताया था।"

यानी पवन खेड़ा के मुताबिक भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी को जो शिकायतें या कमियां मिली हैं, उसे लेकर वो प्रधानमंत्री को एक लेटर लिखेंगे, जो कार्यकर्ता घर-घर तक पहुंचाएंगे।

कहा ये भी जा रहा है कि महिला पदयात्रा का भी आयोजन किया जाएगा और इसकी ज़िम्मेदारी पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी की होगी। प्रियंका गांधी भारत जोड़ो यात्रा के संदेश को फैलाने के लिए हर राज्य की राजधानी में महिला सदस्यों के साथ पैदल मार्च और रैलियों का नेतृत्व करेंगीं।

क्योंकि राज्य स्तर पर 'हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा' की जा रही है, ऐसे में छत्तीसगढ़ में इस यात्रा की शुरुआत हो चुकी है। ये यात्रा राज्य के 307 ब्लॉक संगठनों में एक साथ शुरू की गई है। पहले दिन लगभग तीन हज़ार किलोमीटर की पदयात्रा पूरी की गई। यह पदयात्रा पूरे दो महीने तक चलेगी, हर दिन प्रत्येक ब्लॉक में 10 किलोमीटर पदयात्रा करने का लक्ष्य रखा गया है। भिलाई और दुर्ग में इस यात्रा को लेकर कांग्रेसी काफी उत्साहित दिख रहे हैं। यात्रा के दौरान वो लोग मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं और जनता से किए गए वादों को पूरा करने की प्रतिबद्धता को भी जन-जन तक पहुंचा रहे हैं।

इसके अलावा कांग्रेस के मुताबिक वो केंद्र में बैठी नरेंद्र मोदी सरकार की आठ सालों की वादा खिलाफी, नाकामी, बढ़ती महंगाई, गिरती अर्थव्यवस्था, बेरोज़गारी, ईंधन की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ भाजपा के आरक्षण विरोधी चरित्र को भी उजागर करेगी। वहीं कांग्रेस नेतृत्व के मुताबिक वे जनता को बताएंगें कि किस तरह मोदी सरकार जनता को ठगने का काम कर रही है।

दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस सक्रिय हो गई है। यहां भी कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी से 'हाथ से हाथ जोड़ो' कार्यक्रम की शुरुआत कर दी है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जोगिंदर नगर विधानसभा क्षेत्र से इस कार्यक्रम की शुरुआत की। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और सांसद प्रतिभा सिंह ने जोगिंदर नगर पहुंचकर कांग्रेस के 'हाथ से हाथ जोड़ो' कार्यक्रम में हिस्सा लिया और इस यात्रा को हरी झंडी दिखाई।

इस दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के हाथ से हाथ जोड़ो कार्यक्रम के तहत 26 जनवरी से 26 मार्च तक उनके राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी का संदेश घर-घर तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह से कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा से नफरत को दूर भगा रहे हैं ठीक इसी प्रकार हाथ से हाथ जोड़ो कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस पार्टी प्रदेशवासियों को एकजुट करेगी।

इसी तरह राजस्थान में भी 'हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा' की शुरुआत हो गई है और राहुल गांधी के संदेश को घर-घर पहुंचाने की कवायद शुरु हो गई है। हालांकि यहां कई जिलों में पार्टी के अध्यक्ष ही नही हैं, तो कहा जा रहा है कि पुरानी टीमों के साथ ही फिलहाल इस अभियान को आगे बढ़ाया जाएगा।

आपको बता दें कि इस साल यानी 2023 में राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन दोनों राज्यों को पिछली बार कांग्रेस ने जीता था लेकिन बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ करीब आधे विधायक भाजपा में चले गए और मध्यप्रदेश की सरकार गिर गई। हालांकि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार चल रही है लेकिन यहां भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच कुछ ठीक नहीं रहता। ऐसे में 'हाथ से हाथ जोड़ो अभियान' पार्टी को एकजुट रखने में मदद कर सकता है।

दूसरी ओर छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में भी विधानसभा चुनाव होने हैं।

यानी अगर इन राज्यों में कांग्रेस की 'हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा' सफल हो जाती है तो अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में ये पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकता है।

अब देखना ये होगा कि कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' और 'हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा' के बाद फिर कौन सी यात्रा निकलती है और इससे पार्टी को क्या फायदा हो सकता है।

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