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कोरोना संकट : सुबह 7 से 10 बजे सोशल डिस्टेन्सिंग का फॉर्मूला फेल

लोगों की आशंकाएं ज्यादा गहरी हैं। वे डरे हुए हैं। सरकार के आश्वासनों पर भरोसा करना उनके लिए मुश्किल हो रहा है। मुश्किल ये भी है कि कोरोना से बचाव के जरूरी निर्देशों की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है। सुबह 7 से 10 बजे की छूट के बीच हमारा सिविल सेंस बमुश्किल ही कहीं दिखाई दे रहा है।
कोरोना संकट

शहर की मुख्य सब्जी मंडी से लेकर मोहल्लों के नज़दीक लगी मंडियों में आम दिनों से ज्यादा भीड़ उमड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिनों के लॉक डाउन की घोषणा की, तो अनिश्चितता से घिरे लोग कोरोना से बचाव के सभी उपाय भूल गए। सबसे ज्यादा ज़रूरी, एक-दूसरे से दूरी है। सोशल डिस्टेन्सिंग का ये फॉर्मुला सुबह 7 से 10 के बीच नहीं दिखाई दे रहा। जैसे कोरोना वायरस ने भी इस समय लोगों को छूट दे दी है कि मैं दस बजे बाद आउंगा तब तक अपने सारे काम निपटा लो।

सुबह चौराहों पर जाम, दुकानों पर उमड़ रही भीड़

देहरादून के रायपुर क्षेत्र के एक चौराहे पर ट्रैफिक जाम की स्थिति बन रही थी। परचून की वो दुकानें जहां आमतौर पर इक्का-दुक्का लोग ही दिखाई देते थे, इन तीन घंटों में काउंटर पर लोग उमड़े नज़र आ रहे थे। आस-पास की ज्यादातर दुकानों पर यही स्थिति थी। सड़क किनारे एक मेडिकल स्टोर पर इतनी तादाद में लोग जमा थे कि भीड़ सड़क तक पहुंच रही थी। बहुत कोशिश करने पर वो इतना डिस्टेंस बना पा रहे थे कि हवा उनके बीच से गुज़र सके। 6 नंबर पुलिस पर लगनेवाली सब्ज़ी मंडी लोगों से अटी पड़ी थी।

कॉलोनी की एक दुकान पर सब्जी सप्लाई करने वाला बंदा आता है और दुकानदार को बताता है कि बाज़ार में आलू की आवक कम हो गई है, बचे-खुचे आलू 40 रुपये किलो से कम में न बेचना। दुकानदार हंसता है कि आलू बचे ही कहां हैं। तभी एक महिला दस किलो के आटे का पैकेट मांगती है, दुकानदार न में सिर हिलाता है। महिला निराश होकर आगे बढ़ जाती है। एक तरफ घरेलू सिलेंडर कतार में लगाकर लोग खड़े हैं।

राज्य सरकार लगातार कह रही है कि आवश्यक सामाग्री की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। जरूरत से ज्यादा सामान लेने की कोई जरूरत नहीं। लेकिन लोगों की आशंकाएं ज्यादा गहरी हैं। वे डरे हुए हैं। सरकार के आश्वासनों पर भरोसा करना उनके लिए मुश्किल हो रहा है। मुश्किल ये भी है कि कोरोना से बचाव के जरूरी निर्देशों की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है। सुबह 7 से 10 बजे की छूट के बीच हमारा सिविल सेंस बमुश्किल ही कहीं दिखाई दे रहा है।

सामुदायिक संक्रमण से बचने के लिए दूरी है जरूरी

मंगलवार रात को इटली सरकार ने बेवजह घर से बाहर निकलने वालों पर जुर्माने की रकम 206 यूरो (17,098 रुपये) से बढ़ाकर 3000 यूरो (करीब 2 लाख 49 हजार रुपये) कर दी। ताकि लोगों को उनके घरों में रोका जा सके। जिस बीमारी का इलाज अभी ढूंढ़ा नहीं जा सका है, उससे बचाव का रास्ता ही ज्यादा सुरक्षित विकल्प है।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने गणितीय विश्लेषण के आधार पर अनुमान जताया है कि सबसे खराब स्थिति में 34.8 करोड़ भारतीय नोवल कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं और सात लाख से अधिक मौतें हो सकती हैं। सामुदायिक संक्रमण सबसे बड़ा खतरा है। जिससे बचने के लिए हर जरूरी उपाय किये जाने चाहिए। तो 7-10 की छूट के दौरान बन रहे हालात इन डरों को और पुख्ता कर रहे हैं। यहां सरकार जुर्माना लगाए, इससे बेहतर है कि हम थोड़ा सिविल सेंस दिखाएं।

लेकिन सिविल सेंस के साथ ज़रूरी है सरकार का भरोसा। कि वो सामान कि किल्लत नहीं होने देगी। और घर-घर तक राशन-पानी पहुंचेगा और किसी को भूखा नहीं सोने दिया जाएगा। यह सबकुछ इतनी जल्दी में और अचानक हुआ है कि लोग सिर्फ़ डरे हुए हैं और कुछ समझ नहीं पा रहे हैं।

 श्रीनगर बेस अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मचारी नाराज़

स्वास्थ्य के मोर्चे पर उत्तराखंड में स्थितियां बेहद खराब हैं। देशभर के सरकारी अस्पतालों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। लेकिन कोरोना के विषम समय में यही सरकारी अस्पताल और यहां के डॉक्टर इस युद्ध जैसे मोर्चे पर डटे हुए हैं। दिक्कत ये है कि संदिग्ध मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों के पास खुद के बचाव के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण मौजूद नहीं है। देशभर से इस तरह की शिकायतें आ रही हैं। पौड़ी के श्रीनगर बेस अस्पताल से भी ऐसी खबरें मीडिया में आई हैं। यहां के स्वास्थ्य कर्मचारी कहते हैं कि हम काम करने से मना नहीं कर रहे हैं। लेकिन हमारी सुरक्षा के लिए जरूरी इंतज़ाम यहां नहीं हैं। व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण पर्याप्त नहीं हैं। मास्क भी इतने नहीं है कि स्वास्थ्य कर्मचारी बदल सकें। सेनिटाइज़र, इन्फ्रारेड थर्मामीटर तक उपलब्ध नहीं हैं। पहाड़ के इस सबसे बड़े अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड के साथ 100 बेड का क्वारनटाइन वार्ड भी बनाया गया है। स्वास्थ्य कर्मचारियों को चिंता है कि यदि उन्हें कुछ होता है तो क्या सरकार उनके परिवार का ध्यान रखेगी।

बजट पास कराने के लिए आज विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कोरोना वॉरियर्स के साथ स्वास्थ्य कर्मचारियों, सफाई कर्मचारियों और मीडिया के लोगों का जीवन बीमा कराने की घोषणा की।

राज्य में चार कोरोना पॉजीटिव मामलों में से एक की रिपोर्ट आज नेगेटिव आई है।

कोरोना को देखते हुए अस्थायी डॉक्टरों की भर्ती का फैसला

मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में राज्य के चार सरकारी मेडिकल कॉलेज (दून मेडिकल कालेज, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज और अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज) को कोरोना के इलाज के लिए आरक्षित करने का फैसला लिया गया है। इसके अलावा राज्य के सभी ऐसे निजी अस्पताल और निजी मेडिकल कालेज जिनकी बेड क्षमता 100 या 100 से अधिक है, वहां 25 प्रतिशत बेड कोरोना वाइरस से संक्रमित संदिग्ध रोगियों के इलाज के लिए आरक्षित किया गया है।

डॉक्टरों की सख्त कमी से जूझ रहे राज्य ने अस्थायी तौर पर डॉक्टरों की भर्ती का भी फ़ैसला लिया है। दस दिनों के भीतर 314 डॉक्टरों की नियुक्ति कर दी जाएगी। इनके चयन की प्रक्रिया पहले से ही जारी थी। इसके अलावा 562 नए पदों पर डॉक्टरों भर्ती के आदेश किये गये हैं।

कॉन्ट्रैक्ट पर तीन महीने के लिए डॉक्टरों की भर्ती के लिए श्रीनगर, हल्द्वानी और दून मेडिकल कॉलेज के विभागाध्यक्षों को अधिकार दिया गया है। जिलाधिकारी भी अपने स्तर से तीन महीने के लिए डॉक्टरों की भर्ती कर सकते हैं।

फिलहाल राज्य के अलग-अलग अस्पतालों में कुल 933 आइसोलेशन बेड कोरोना वायरस मरीजों के लिए आरक्षित है। सभी 13 जिलों में क्वारेंटाइन के लिए 1,384 बेड की व्यवस्था की गई है। वर्ष 2011 की जनगणऩा के मुताबिक राज्य की आबादी 1.01 करोड़ है। आबादी के लिहाज़ से मौजूदा स्थिति देख लीजिए। इस समय सोशल डिस्टेन्सिंग बरतने में ही समझदारी है।

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