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कोरोना का प्रसार अब ग्रामीण इलाकों में, बुनियादी ढांचे के अभाव से हालात चिंताजनक!

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अब ग्रामीण और उपनगरीय (Sub urban) क्षेत्रों से अधिक संख्या में संक्रमण के मामले आ रहे हैं। हालांकि, यह महामारी शुरुआत में शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित थी।
कोरोना
Image courtesy: News Nukkad

दिल्ली: देश में कोविड-19 के मामले 42 लाख के आंकड़े को पार कर जाने के साथ इसके ग्रामीण और उपनगरीय क्षेत्रों में फैलने को लेकर भी चिंता बढ़ गई हैं क्योंकि वहां चिकित्सा सुविधाओं के बुनियादी ढांचे का अभाव है। हालांकि, यह महामारी शुरुआत में शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित थी।

विशेषज्ञों ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वायरस महमारी कितनी फैली है, इस बारे में सटीक आंकड़े नहीं हैं लेकिन देश के कोने-कोने में इसके पहुंच जाने को बताने के लिये पर्याप्त संख्या में मामले हैं तथा वहां सामुदायिक स्तर पर संक्रमण भी फैल रहा है।

ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण

महज दो आंकड़े पूरी कहानी बयां कर देते हैं: भारत की 1.3 अरब आबादी का 65 प्रतिशत हिस्सा गांवों में है और ‘हाऊ इंडिया लिव्स’ वेबसाइट के मुताबिक देश में 714 जिलों में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आये हैं, जिससे 94.76 प्रतिशत आबादी खतरे का सामना कर रही है।

विशेषज्ञों के एक समूह ने हाल ही में कहा था, ‘छोटे शहरों और कस्बों के साथ-साथ गांवों से कोविड-19 के मामले आने बढ़ रहे हैं। सीरो-सर्वे में यह खुलासा हुआ कि यह महामारी देश के ज्यादातर हिस्सों में फैल गई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि कोरोना वायरस संक्रमण का प्रसार सामुदायिक स्तर हो रहा है।’

इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन, इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रीवेंटिव ऐंड सोशल मेडिसीन तथा इंडियन एसोसिएशन ऑफ एपीडेमियोलॉजिस्ट्स ने भी यह चिंता जताई है कि छह महीने बाद भी लोगों में सामाजिक बदनामी, डर और भेदभाव की भावना है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों से अधिक संख्या में संक्रमण के मामले आ रहे हैं।’

इसके अलावा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि लॉकडाउन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को झटका लगा है। इसी रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ग्रामीण भारत में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में ग्रामीण अर्थव्यवस्था प्रभावित होने का डर है। ऐसा होगा तो रिकवरी को बड़ा झटका लग सकता है।

एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार अगस्त महीने में कोविड 19 से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की बात करें तो इनमें 26 जिले ग्रामीण क्षेत्रों के थे। आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक के ग्रामीण इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।

ग्रामीण भारत का संकट

इस सच्चाई से भी आंखें नहीं मूंदी जा सकती हैं कि भारत के गांवों और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में बड़े शहरों की तरह अस्पताल एवं प्रयोगशालाओं की सुविधाएं नहीं हैं। विशेषज्ञों ने और अधिक आंकड़ों की जरूरत पर भी जोर दिया है।

अशोका यूनिवर्सिटी के भौतिकी एवं जीवविज्ञान विभाग के प्राध्यापक गौतम मेनन ने ग्रामीण क्षेत्रों पर चर्चा करते हुए कहा, ‘विस्तृत रूप से तुलना करने के लिये अभी भी पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं लेकिन सुनी-सुनाई रिपोर्टों से यह पता चलता है कि जांच की संख्या सीमित है और पर्याप्त रूप से अच्छी भी नहीं है।’

चेन्नई के गणित विज्ञान संस्थान के प्राध्यापक सीताभ्र सिन्हा ने कहा, ‘अभी, ज्यादातर इलाजरत मरीज महानगरीय इलाकों और उसके आसपास में केंद्रित हैं।’

उन्होंने आगाह किया कि ओडिशा जैसे राज्यों में अगले कुछ सप्ताह में मामलों के बढ़ने की दर यदि नहीं थमी तो वहां एक बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। भुवनेश्वर में एक अधिकारी ने कहा कि पूर्वी राज्यों में इस महामारी से अधिक खतरा है क्योंकि वहां 75 प्रतिशत से अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। शहरों की तुलना में गांवों में संक्रमण की दर अधिक होना स्वाभाविक है।

अप्रैल के अंत तक संक्रमण मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों तक सीमित था लेकिन प्रवासी श्रमिकों के सूरत, मुंबई और दिल्ली से अपने घर लौटने के बाद यह महामारी ग्रामीण इलाकों में भी पहुंच गई। पश्चिम बंगाल में भी प्रवासियों के लौटने के साथ कोविड-19 के मामलों में वृद्धि हुई। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह दावा किया। उन्होंने कहा, ‘इससे संक्रमण सामुदायिक चरण में पहुंच गया।’

दक्षिण भारत में तमिलनाडु के स्वास्थ्य सचिव डॉ जे राधाकृष्णन ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को क्रिकेट का ‘टेस्ट मैच’ जैसा बताया। उन्होंने कहा, ‘हम जितनी तत्परता से जांच करेंगे उतनी अधिक संख्या में मामले सामने आएंगे। राज्य में प्रतिदिन करीब 76,500 आरटी पीसीआर जांच की जा रही।’

देश में महामारी से सवार्धिक प्रभावित राज्यों में शामिल महाराष्ट्र में लॉकडाउन के पांचवें महीने की समाप्ति तक राज्य के ग्रामीण इलाकों में नये मामलों और इस महामारी से होने वाली मौत में वृद्धि दर्ज की गई है। राज्य के एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र में 26 अगस्त तक 7,03,823 मामले थे, जिनमें से 5,07,022 (72.03 प्रतिशत) नगर निगम क्षेत्रों (शहरी क्षेत्रों) से थे। इसी तरह, 22,794 मौतें में 76.43 प्रतिशत नगर निगम क्षेत्रों में हुई थी। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। काफी संख्या में लोगों के गांवों की यात्रा करने के चलते वहां भी संक्रमण फैल रहा है और अब कहीं अधिक संख्या में मौतें हो रही हैं।’

आंध्र प्रदेश के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हाल के सप्ताहों में कोविड-19 के 40 प्रतिशत मामले ग्रामीण क्षेत्रों से आये हैं। राज्य के स्वास्थ्य आयुक्त के. भास्कर ने कहा, ‘हम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बुनियादी ढांचा बेहतर कर रहे हैं ताकि वहां ऑक्सीजन सिलेंडर आदि की व्यवस्था हो और मरीजों की संख्या बढ़ने पर भी उन्हें इलाज उपलब्ध हो सके।’

मध्य प्रदेश में अधिकारियों ने अनुमान लगाया है कि वायरस राज्य के 52 में से 51 जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में अपने पैर पसार चुका हे। गुजरात में 97,000 से अधिक मामले केवल सात मुख्य शहरों से सामने आये हैं। गोवा में 50 प्रतिशत मामले ग्रामीण इलाकों से हैं।

हालांकि, उत्तर प्रदेश में अधिकारियों ने कहा कि संक्रमण अभी भी शहर केंद्रित है। निगरानी टीमें और ग्राम निगरानी समिति को सतर्क कर दिया गया है तथा अधिकतम संख्या में जांच करने और संक्रमित मरीजों के संपर्क में आये लोगों का पता लगाने की रणनीति के साथ काम किया जा रहा है।

समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ

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