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कोरोना अपडेट:  एक महीने में संक्रमित मरीज़ों की संख्या में 11 लाख से ज़्यादा का इज़ाफ़ा

1 जुलाई से 1 अगस्त की तुलना करें तो अब हम एक दिन में साढ़े 18 हज़ार मामलों से 57 हज़ार से ज़्यादा नए मामलों पर पहुंच गए हैं और इस एक महीने में 5,85,493 से 16,95,988 की कुल संख्या पर।
corona Update

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शनिवार, 1 अगस्त की सुबह आठ बजे जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों में कोरोना के तीसरे दिन भी रिकॉर्ड 57,118 नए मामले सामने आए। इसी के साथ देश भर में अब कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज़ों की संख्या 16,95,988 हो गयी।

इसी तरह एक महीना पहले 1 जुलाई को जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछली 24 घंटों में नए मामलों की संख्या 18,653 थी और कुल मरीज़ों की संख्या 5,85,493 हो गयी थी।

अब ज़रा इन आंकड़ों की तुलना करें तो ज़मीन-आसमान का फ़र्क़ समझ में आता है। अब हम एक दिन में साढ़े 18 हज़ार से 57 हज़ार से ज़्यादा नए मामलों पर पहुंच गए हैं और इस एक महीने में 5,85,493 से 16,95,988 की कुल संख्या पर। यानी केवल जुलाई के एक महीने में 11 लाख से ज़्यादा संक्रमण का आंकड़ा बढ़ गया।

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हालांकि इस दौरान ठीक होने वालों का आंकड़ा भी बढ़ा। स्वास्थ्य मंत्रालय की ताज़ा जानकारी के अनुसार अभी तक 64.52 फीसदी यानी 10,94,374 मरीज़ों को ठीक किया जा चुका है, लेकिन संक्रमण के कारण अभी तक 36,511 मरीज़ों की मौत भी हो चुकी है। इसी के साथ देश में कुल सक्रिय मामलों की संख्या बढ़ कर 5,65,103 हो गयी है।

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पहली जुलाई के आंकड़ों के मुताबिक 59.43 फीसदी यानी 3,47,979 मरीज़ों को ठीक किया जा चुका था, और संक्रमण के कारण 17,400 मरीज़ों की मौत भी हो चुकी थी। और देश में कुल सक्रिय मामलों की संख्या बढ़ कर 2,20,114 हो गयी थी।

इसी तरह अगर दो महीने पीछे चलें मतलब जून में तो हम देखते हैं कि पहली जून को जारी आंकड़ों के मुताबिक 31 मई सुबह 8 बजे से लेकर 1 जून सुबह 8 बजे तक कुल 8,392 नये मामले दर्ज किये गये थे और कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज़ों की कुल संख्या 1,90,535 हो गयी थी। उस समय स्वस्थ होने वालों की दर 48.19 थी।

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इसी तरह पहली मई को संक्रमण के 1,993 नये मामले सामने आये और 73 लोगों की मौत दर्ज की गई। उस समय संक्रमित मरीज़ों की कुल संख्या 35,043 हो गयी थी। हालांकि ठीक होने की दर महज़ 25.37 फ़ीसदी ही थी।

इससे पहले पहली अप्रैल को भारत के आंकड़ें इस तरह नहीं मिल रहे थे। हालांकि जनता कर्फ़्यू 22 मार्च को लग चुका था और देशव्यापी लॉकडाउन 24-25 मार्च की मध्यरात्रि 12 बजे से लागू हो गया था, लेकिन उस समय तबलीगी जमात और प्रवासी मज़दूरों को ही विलेन बनाने की कोशिशें चल रही थीं। ख़ैर हम इस लेख में इसके विस्तार में नहीं जाएंगे।

लेकिन तब से तुलना करें तो तब आंकड़ें कुछ दहाई से सैकड़ों में आने शुरू हुए और फिर कुछ हज़ारों में लेकिन आज जब हम चार महीने बाद अध्ययन करते हैं तो देखते हैं कि अब हर दिन आंकड़ों में 50-55 हज़ार से ज़्यादा का इज़ाफ़ा हो रहा है।

हालांकि यह भी सच है कि कुल संक्रमण के मामले इस तुलना में इसलिए भी बढ़े हुए दिखाई देते हैं क्योंकि हमने टेस्टिंग बढ़ाई है, लेकिन इसका मतलब यह भी है कि अगर हम अपनी टेस्टिंग और बढ़ाएं तो संक्रमण का आंकड़ा और भी बढ़ा हुआ मिलेगा।

पहली जुलाई को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार तब तक कुल 88,26,585 सैंपल की जांच की गयी थी, जिनमें से 2,17,931 सैंपल की जांच उस समय बीते 24 घंटों में हुई थी।

जबकि ICMR द्वारा 1 अगस्त को जारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक कुल 1,93,58,659 सैंपल की जांच की गयी, जिनमें से 5,25,689 सैंपल की जांच बीते 24 घंटों में हुई।

इस प्रकार साफ होता है कि टेस्टिंग बढ़ने से संक्रमण के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं, लेकिन ये कोई नुकसान की बात नहीं बल्कि फायदे की बात है क्योंकि सही जांच से ही हमें सही स्थिति पता चल पाएगी। इसलिए टेस्ट से डरने या घटाने की बजाय इसे बढ़ाने की ज़रूरत है ताकि सही तस्वीर हमारे सामने हो, जब समस्या या बीमारी सही रूप में हमारे सामने होगी तभी हम उससे निपटने का सबसे कारगर तरीका भी ढूंढ सकेंगे। ज़्यादा से ज़्यादा टेस्टिंग करके संक्रमित लोगों को क्वारंटीन करना ही, सही इलाज देना ही इस संक्रमण पर काबू पाने का अभी तक का सबसे अच्छा इलाज माना गया है। इसलिए जानकारों ने हमेशा पूरे देश को लॉकडाउन में डालने की बजाय हमेशा संक्रमण के दायरे को चिह्नित कर उचित इलाज और सुविधाएं मुहैया कराने की बात कही है।

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