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न्यायालय वरवरा राव की स्थाई चिकित्सा ज़मानत याचिका पर 19 जुलाई को करेगा सुनवाई

उच्चतम न्यायालय भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले के एक आरोपी  वरवरा राव की याचिका पर 19 जुलाई को सुनवाई करेगा। राव की इस याचिका में स्थायी चिकित्सा जमानत संबंधी उनकी अपील को बंबई उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती दी गई है।
Varavara Rao
फाइल फ़ोटो। साभार : द हिन्दू

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले के एक आरोपी  वरवरा राव की याचिका पर 19 जुलाई को सुनवाई करेगा। राव की इस याचिका में स्थायी चिकित्सा जमानत संबंधी उनकी अपील को बंबई उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती दी गई है।

न्यायमूर्ति यू.यू. ललित की अगुवाई वाली पीठ ने मंगलवार को राव की अंतरिम सुरक्षा बढ़ा दी। राव (83) चिकित्सा आधार पर जमानत पर हैं और आज उन्हें आत्मसमर्पण करना था।

पीठ ने कहा, ‘‘पक्षों की ओर से पेश वकीलों के संयुक्त अनुरोध पर, इस मामले को पहले मामले के तौर पर 19 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया जाता है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘ याचिकाकर्ता को जो अंतरिम सुरक्षा दी गयी है वह अगले आदेश तक जारी रहेगी...।’’

आपको बता दें कि इस मामले में वरवरा राव के अलावा पंद्रह अन्य कार्यकर्ताओं, विद्वानों और वकीलों को गिरफ्तार किया गया है। राव की तरह ही मामले में गिरफ्तार किए गए कई अन्य आरोपी भी खराब स्वास्थ्य से जूझ रहे हैं. जबकि एक फादर स्टेन स्वामी की मृत्यु हो चुकी है।

वकील सुधा भारद्वाज, प्रोफेसर शोमा सेन और हेनी बाबू, कार्यकर्ता गौतम नवलखा और आनंद तेलतुम्बड़े ने खराब स्वास्थ्य, उम्र संबंधी बीमारियों और कोरोना का हवाला देकर अदालत का रुख कियाथा  लेकिन कोई राहत नहीं मिली थी

इसी मामले में देश के कई बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, लेखकों सहित सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी हुई है।  हालांकि, किसी भी मामले में पुलिस कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई है। इसमें आनन्द तेलतुम्बड़े , सुधा भारद्वाज, सोमा सेन, अरुण फरेरा, वेरनॉन गोंजाल्विस, फादर स्टेन स्वामी, सुधीर धावले वरवरा राव, रोना विल्सन, गौतम नवलखा, जैसे बुद्धिजीवी भी शामिल हैं। यह सभी, आम लोगों के सम्मानपूर्वक जीने के हक के पक्ष में, कोर्ट से लेकर सड़क तक संघर्षशील रहे हैं। ये लोग स्वास्थ्य-शिक्षा मुफ्त मिले, इसके लिए निजीकरण का विरोध करते रहे हैं और उन आदिवासियों के साथ खड़े हुए जिनकी जीविका के संसाधन को छीन कर पूंजीपतियों के हवाले किया जाता रहा है। इसलिए ये लोग शासक वर्ग के आंखों के किरकिरी बने हुए थे।

सुधा भरद्वाज, सोमा सेन, अरुण फरेरा, वेरनॉन गोंजाल्विस, फादर स्टेन स्वामी, सुधीर धावले, वरवरा राव, रोना विल्सन भीमा कोरेंगांव केस में जून और सितम्बर, 2018 से ही महाराष्ट्र के जेलों में बंद हैं। जबकि उस केस के असली गुनाहगार संभाजी भिडे और मिलिन्द एकबोटे बाहर हैं।

2019 में महाराष्ट्र में सरकार बदलने के बाद केन्द्र सरकार ने इस केस को एनआईए के हाथों में सुपुर्द कर दिया था। 18 माह बाद लम्बी कानूनी प्रक्रिया झेलने के बाद 14 अप्रैल 2020, को गौतम नवलखा और आनन्द तेलतुम्बड़े को एनआईए के समक्ष आत्मसमर्पण करना पड़ा। तब से ही ये दोनों भी जेल में हैं।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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