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कोविड-19: सरकारें छुपा रही हैं कोरोना संक्रमण और मौतों के सही आंकड़े!

भोपाल में सरकारी आकड़ों के मुताबिक़ बृहस्पतिवार को कोरोना से 8 मौतें हुईं, जबकि कोविड-19 प्रोटोकॉल के मुताबिक 108 शवों का अंतिम संस्कार हुआ है। गुजरात उच्च न्ययालय ने भी गुजरात सरकार के कोरोना संक्रमण के आकड़ों पर सवाल उठाए हैं।
कोविड-19: सरकारें छुपा रही हैं कोरोना संक्रमण और मौतों के सही आंकड़े!
Image courtesy : Firstpost

देशभर में कोरोना महामहारी के बीच लगातार मौतों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन इस दौरन सरकारों पर आकड़े छुपाने के गंभीर आरोप लग रहे है। कई सरकारों पर यह आरोप है कि वो राज्य में कोरोना संक्रमण और उनसे होने वाली मौतों के सही आंकड़ों को पेश नहीं कर रही है। इसको लेकर अब राज्य के न्यायलय भी गंभीर सवाल उठा रहे हैं। ताज़ा मामला मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का है। जहाँ सरकारी आंकड़े कुछ और है जबकि श्मशान और क़ब्रिस्तान में आने वाली कोरोना लाशों की संख्या में भारी अंतर है। भोपाल स्थित दो विश्रामघाटों एवं एक कब्रिस्तान में बृहस्पतिवार को 108 शवों का अंतिम संस्कार कोविड-19 प्रोटोकॉल के मुताबिक किया गया, जबकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार उस दिन भोपाल जिले में महामारी से सिर्फ आठ लोगों की मौत हुई है।

भोपाल स्थित इन दो विश्रामघाटों एवं एक कब्रिस्तान के रिकॉर्ड के अनुसार तीनों जगहों पर बृहस्पतिवार को कुल 156 लोगों का अंतिम संस्कार हुआ। इनमें से 108 शवों का अंतिम संस्कार कोविड-19 प्रोटोकॉल के मुताबिक हुआ।

हालांकि, बृहस्पतिवार की शाम जारी प्रदेश सरकार की कोविड-19 बुलेटिन के अनुसार 24 घंटों में भोपाल में सिर्फ आठ लोगों की मौत संक्रमण से हुई थी।

भदभदा विश्राम घाट प्रबंधन समिति के सचिव मम्तेश शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘भदभदा विश्राम घाट में बृहस्पतिवार को कुल 88 शवों का अंतिम संस्कार किया। इनमें से 72 शवों का अंतिम संस्कार कोविड-19 प्रोटोकॉल के मुताबिक किया गया।’’

उन्होंने कहा कि जिन 72 शवों का अंतिम संस्कार कोविड-19 प्रोटोकॉल के मुताबिक किया गया, उनमें से 45 भोपाल के निवासी थे, जबकि 27 अन्य जिलों के थे।

भदभदा विश्राम घाट प्रदेश की राजधानी भोपाल में हिन्दुओं के बड़े श्मशान घाटों में से एक है।

शर्मा ने बताया कि जो लोग अन्य जिलों से भोपाल में इलाज करवाने आते हैं और उपचार के दौरान उनकी मौत हो जाती है, उन सभी का अंतिम संस्कार भोपाल में ही किया जा रहा है। कोविड-19 दिशा-निर्देशों के अनुसार उनके शवों को दूसरे जिलों में नहीं ले जाया जा सकता।

उन्होंने बताया कि पहले भोपाल में भदभदा विश्राम घाट एवं झदा कब्रिस्तान जहांगीराबाद को ही कोविड-19 से मरने वालों का अंतिम संस्कार करने की अनुमति थी, लेकिन इस महामारी से होने वाली मौतों की संख्या में तेजी हो रही वृद्धि के बाद शहर के सुभाष नगर विश्राम घाट में भी संक्रमण से मरने वालों का अंतिम संस्कार किया जाने लगा है।

शर्मा ने बताया कि पहले संक्रमण से मरने वाले 10-12 शव रोजाना भदभदा विश्राम घाट में लाए जाते थे।

वहीं, शहर के सुभाष नगर विश्राम घाट के प्रबंधक शोभराज सुखवानी ने बताया कि उनके विश्राम घाट में बृहस्पतिवार को 51 शवों का अंतिम संस्कार किया गया। उन्होंने कहा कि इनमें से 26 शवों का अंतिम संस्कार कोविड-19 प्रोटोकॉल के मुताबिक किया गया, जिनमें से 21 भोपाल के रहने वाले थे।

झदा कब्रिस्तान जहांगीराबाद के प्रबंधन समिति के अध्यक्ष रेहान गोल्डन ने बताया, ‘‘बृहस्पतिवार को हमारे (मुस्लिम) कब्रिस्तान में 17 शव दफनाये गये। इनमें से 10 को कोविड-19 प्रोटोकोल के मुताबिक दफनाया गया, जिनमें से आठ लोग भोपाल के निवासी थे, जबकि दो अन्य जिलों के रहने वाले थे।’’

भोपाल जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी से कोविड-19 के मौतों के कम आंकड़ों एवं भारी तादात में शवों के बारे में प्रतिक्रिया जानने के लिए फोन पर संपर्क किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।

सरकार कोविड-19 जांच और संक्रमित मरीजों के वास्तविक आंकड़े दे : गुजरात उच्च न्यायालय
 
 गुजरात में कोविड-19 के मामलों में अचानक हुई बढ़ोतरी की पृष्ठभूमि में ईमानदारी और पारदर्शिता पर जोर देते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार आरटी-पीसीआर जांच और संक्रमित लोगों के वास्तविक आंकड़ों को जारी करे।

शुक्रवार को उपलब्ध हुए फैसले की प्रति के मुताबिक गुजरात उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की है कि कोविड-19जांच और संक्रमितों की संख्या को लेकर सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले आंकड़े सही नहीं होने को लेकर आम लोगों की धारणा को दूर करने के लिए पारदर्शिता की जरूरत है।

यह टिप्पणी मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति भार्गव करिया की युगलपीठ ने अपने आदेश में की है।

पीठ, राज्य में हाल के हफ्तों में संक्रमण के बढ़े मामलों पर स्वत: संज्ञान लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।

मामले की पिछली सुनवाई बृहस्पतिवार को हुई थी लेकिन पीठ के आदेश की विस्तृत प्रति अगले दिन उपलब्ध हुई। अब इस मामले की सुनवाई 20 अप्रैल को होगी।

युगलपीठ ने कहा, ‘‘ आरटी-पीसीआर जांच और उसमें संक्रमित मिले लोगों की सही जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए। राज्य को आरटी-पीसीआर जांच के सही नतीजों को जारी करने से झिझकना नहीं चाहिए, अगर आंकड़े सही नहीं दिए जा रहे हैं।’’

न्यायालय ने कहा कि सरकार अचानक बढ़े मामलों के लिए जिम्मेदार नहीं है लेकिन राज्य को सही आंकड़े जारी करने चाहिए ताकि संक्रमितों की वास्तविक संख्या का पता चल सके और लोगों की इस धारणा को दूर किया जा सके कि सरकार द्वारा दिए गए आंकड़े सही नहीं हैं।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

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