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डीयू प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद से पूछताछ, मोबाइल फ़ोन ज़ब्त : लोगों ने कहा- असहमति की आवाज़ कुचलने की साज़िश

अपूर्वानंद ने कहा है कि नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ आंदोलनकारियों का समर्थन करने वालों को हिंसा का स्रोत बताना बहुत चिंताजनक है। उन्होंने मांग की है कि पुलिस सही तरीके से जांच करे और किसी बेगुनाह को न फंसाया जाए।
डीयू प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद

दिल्ली हिंसा की जांच कर रही दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद से पांच घंटे तक पूछताछ की और फिर उनका मोबाइल फ़ोन ज़ब्त कर लिया। इससे पहले स्पेशल सेल ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद से बीते सप्ताह शुक्रवार को 3 घंटे तक पूछताछ की थी। अपूर्वानंद से स्पेशल सेल की पूछ्ताछ को लेकर प्रबुद्ध लोगों ने गंभीर सवाल किये हैं और कहा है कि यह विरोध और असहमति की आवाज़ को कुचलने की साज़िश है।

अपूर्वानंद पर कार्रवाई विरोध की आवाज़ों को दबाने की साज़िश !

प्रो. अपूर्वानंद डीयू में हिंदी पढ़ाने के साथ ही कई अखबारों और डिजिटल वेब पोर्टल के लिए लिखते भी हैं। इसके साथ ही वो टीवी पर राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर भी जाते हैं। अपूर्वानंद, मोदी सरकार की कई नीतियों का खुलकर विरोध करते रहे हैं ,चाहे वो कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने का मामला हो या फिर देश में एनसीआर जैसे प्रवधानों को लागू करने का। कई लोगों का यह भी कहना है कि यही वजह हैं कि उन्हें प्रताड़ित करने की कोशिश की जा रही है। इसको लेकर सोशल मीडिया पर कई लोगों ने प्रतिक्रिया देते हुए हैरानी जताई कि सरकार कैसे देश के बुद्धिजीवियों और अपने आलोचकों की आवाज़ को दबाने के लिए पुलिसया दमन का सहारा ले रही है।

कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने भी ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह चौंकाने वाला है लेकिन इसमें आश्चर्य की बात नहीं है। मैं अपूर्वानंद के साथ खड़ा हूं।

पत्रकार कृष्णकांत ने लिखा कि "ये शर्मनाक है। दंगाइयों को अभयदान देकर, सामाजिक कार्यकर्ताओं, अध्यापकों और छात्रों का दमन किया जा रहा है।"

इसके साथ योगेंद्र यादव ,लेखक और राजनीतिक विश्लेषक पुरुषोत्तम अग्रवाल, प्रो. हिलाल अहमद जैसे कई अन्य लोगों ने प्रो. अपूर्वानदं के साथ अपनी एकजुटता जाहिर की और पुलिस के इस कदम की आलोचना की है।

अपूर्वानंद ने क्या कहा?

अपूर्वानंद ने खुद से पूछताछ की पुष्टि करते हुए आज यानी मंगलवार को अपना एक बयान जारी किया। जिसमें उन्होंने कहा कि स्पेशल सेल ने कल (सोमवार) उनसे पांच घंटे तक पूछताछ की और उसके बाद जांच के नाम पर उनके मोबाइल फ़ोन को ज़ब्त कर लिया गया। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ आंदोलनकारियों का समर्थन करने वालों को हिंसा का स्रोत बताना बहुत चिंताजनक है।

उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों के साथ जांच में सहयोग से यह उम्मीद है कि दिल्ली पुलिस एक पूर्ण, निष्पक्ष जांच करेगी। उन्होंने मांग की है कि पुलिस सही तरीके से जांच करे और किसी बेगुनाह को न फंसाया जाए।

उनसे यह पूछताछ उत्तर पूर्व दिल्ली में फरवरी के आखरी सप्ताह में हुई हिंसा के मामले में दर्ज एफआईआर संख्या 59/20 के सिलसिले में हुई।

इससे पहले इसी एफआईआर के तहत जामिया के छात्र मीरान हैदर, सफ़ूरा ज़रगर, पूर्व छात्र शिफाउर्रह्मान खान, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की दो छात्रा देवांगना कलिता, नताशा नरवाल को गिरफ्तार किया गया था जिनमें से सफूरा को दिल्ली उच्च न्यायालय ने मानवीय आधार पर जमानत दी है।

उत्तर पूर्वी दिल्ली में 23 से 26 फरवरी के बीच हिंसा हुई थी, जिसमें 50 से अधिक लोग मारे गए थे और करीब 200 लोग घायल हो गए थे। इस मामले में बीजेपी के कई नेताओं पर भी गंभीर सवाल उठे लेकिन उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस पूरे मामले में एकतरफ़ा कार्रवाई को लेकर पुलिस की भूमिका लगातार सवालों के घेरे में रही है।

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