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ग्राउंड रिपोर्टः आजमगढ़ में दलित बच्ची से रेप की घटना को दबाने में लगा पुलिसिया सिस्टम, न्याय के लिए भटकता परिवार 

रेप और हत्या की शिकार बच्ची की मां कहती हैं, "रौनापार के थानेदार ने हमें बुलवाया और कहा- जो होना था हो गया। तुम लोग अपनी जुबान बंद रखो। पुलिस के साथ मिलकर रहो। पैसा दिलवा देंगे। ग्राम प्रधान से भी तुम लोगों की मदद करवा देंगे।’’
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उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ ज़िले में हरैया प्रखंड के ग्राम सभा इटौली की एक पुरवा है कुरसौली यादव। बस्ती तक पहुंचने के लिए चकरोड पर बनी एक पक्की सड़क है। बस्ती के बाहर पांचवीं तक के बच्चों के लिए एक प्राइमरी स्कूल है। इसके ठीक सामने करीब पचास कदम पर है मुसहरों की बस्ती। यहां पेड़ के नीचे बैठे उदास लोगों की आंखें उस बच्ची को ढूंढ रही हैं जिसे गांव के ही कुछ दरिंदों ने गन्ने के खेत में ले जाकर बलात्कार किया था। बाद में इलाज के दौरान उस मासूम बच्ची की मौत हो गई। मुसहर बस्ती के लोग अपनी बच्ची की मौत का ग़म भुला नहीं पा रहे हैं।

आजमगढ़ के कुरसौली यादव बस्ती का प्राथमिक विद्यालय

कुरसौली मुसहर बस्ती में सिर्फ पांच कमरे भर हैं, जिसमें न तो दरवाजे हैं और न ही उन पर प्लास्टर लगा है। शायद ये कमरे मुसहर समुदाय के लोगों को रहने के लिए सरकार ने बनवाए थे। कुछ महिलाएं और बच्चे कई दिनों से भूखी गाय को चारा खिलाने के लिए दूब घास काट रहे थे।

कुरथौली में यह है मुसहर समुदाय का घर

मुसहर बस्ती में बरगद के पेड़ के नीचे उदास बैठे थे बच्ची के दादा और दादी। लड़की की मां ने एक गाय पाल रखी थी, जिसे दो-तीन दिनों से चारा नहीं मिल पाया था। बर्तन मांज रही बच्ची की बड़ी बहन अपनी मां को बुलाकर लाती है। बड़ी मुश्किल से वह ये बता पाती हैं कि उनकी बेटी के साथ क्या हुआ?

कुरसौली यादव बस्ती में गन्ने का वह खेत जहां हुआ था बच्ची संग रेप

वह कहती हैं, "हमारी 17 वर्षीय बड़ी बेटी कुछ घरेलू सामान लेने के लिए गांव में एक परचून की दुकान पर गई तो शराब के नशे में धुत बस्ती के युवक दीपक पासवान ने उसके साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी। लौटकर मेरी बेटी ने बताया कि पिछले चार दिनों से दीपक उसके साथ जोर-जबर्दस्ती करने के लिए रास्ता रोक रहा है। मैंने युवक को डाटा और उसकी मां गीता से भी शिकायत की, पर कोई नतीजा नहीं निकला। अलबत्ता युवक ने चेतावनी जरूर दी की रात में वह कांड करेगा और उसे उठा ले जाएगा। यह बात 7 अक्टूबर की शाम की है।"

"जिस रात मेरी छोटी बेटी का अपहरण और रेप हुआ उसी दिन शाम तक दीपक पासवान अपने दोस्तों के साथ प्राइमरी स्कूल के पास बैठा था। रात में हमारी बस्ती तक आने वाले बिजली के तारों को काट दिया गया। पता नहीं कब, दरिंदे हमारे घर में घुसे। बड़ी बेटी हमारे साथ कमरे में सोई हुई थी। वह नहीं मिली तो छोटी बेटी को उठाकर ले गए। हमें तब पता चला जब गांव की कुछ महिलाएं शौच करने के लिए निकलीं।’’

कुरथौली गांव का वह खेत जहां बच्ची की लूटी गई थी अस्मत

खून से तलपथ मेरी बच्ची गन्ने के खेत के पास चकरोड के किनारे अर्धनग्न हालत में बेहोश पड़ी थी। कोहराम मचा तो हम और बस्ती के तमाम लोग भागकर पहुंचे। जिस स्थान पर लड़की के साथ रेप किया गया था वहीं उसकी लेगी (नेकर) पड़ी थी। दरिंदों ने धान के खेत के पानी में डुबोकर मारने का प्रयास भी किया था। गन्ने के जिस खेत में बेटी के साथ रेप किया गया था उस जगह को देखकर कोई भी कह सकता है कि उसने दरिंदों से मुकाबला किया होगा।"

गैंगरेप हुआ था?

बताते-बताते बच्ची की मां रो पड़ी। बच्ची का शव इनके घर से क़रीब तीन सौ मीटर दूर स्थित धान और गन्ने के खेत के पास चकरोड पर मिला था। घटना की रात वह घर के बाहर मड़ई में सो रही थी। तड़के वह जिस हालत में खेतों के बीच मिली उसे सुनकर कोई भी सहम जाएगा। 

धान के इसी खेत में इसी जगह बेहोश बच्ची को पानी में डुबोने की कोशिश की गई थी

बच्ची की मां बताती हैं, "उसकी गर्दन और कमर तोड़ दिया गया था। शरीर पर कई जगह खरोंच के निशान थे। गुप्तांग से खून निकल रहा था, होंठ और ज़ुबान नीले हो गए थे, बदन पर ख़राशें थीं और कपड़े गीले थे। यह देखकर हमें पहले ही शक हो गया कि बेटी के साथ "बलात्कार किया गया" है। बच्ची के साथ दुष्कर्म कोई अकेले नहीं कर सकता। अभियुक्त के कुछ और साथी जरूर रहे होंगे।" इससे ज़्यादा बच्ची की मां कुछ और बता पाने की स्थिति में नहीं रहतीं और बिलखने लगती हैं।

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पास खड़ी एक महिला ने बताया, "हम शौच करने खेतों की ओर निकले तो अर्धनग्न बच्ची दिखी। वह बेहोश थी। बच्ची गांव की थी, सो हमने पहचान लिया। बदहवास भागती हुई मैं मुसहर बस्ती में पहुंची और उसके घर वालों को सूचना दी। लड़की का हाल देखकर हर कोई हैरान रह गया। यह घटना 8 अक्टूबर की सुबह चार बजे की है।"

कुरसौली बस्ती की इसी सड़क पर मिली थी बच्ची

कुरसौली गांव के लोग बच्ची को सबसे पहले नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। उसकी हालत काफी चिंताजनक थी। डॉक्टर ने तत्काल जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। वहां से हम आजमगढ़ सदर अस्पताल पहुंचे तो डाक्टरों ने हालत गंभीर बताते हुए किसी दूसरे अस्पताल में ले जाने की बात कह दी। दोपहर बाद परिजन बच्ची को लेकर जीयनपुर स्थित प्राइवेट नर्सिंग होम "लाइफ लाइन अस्पताल" में आ गए। आठ अक्टूबर की रात आठ बजे रौनापार के थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय दल-बल के साथ पहुंचे। तभी मीडिया वाले भी वहां पहुंच गए। बच्ची को लेकर पुलिस फिर आजमगढ़ स्थित महिला अस्पताल गई। रात करीब 1.30 बजे दोबारा जिला अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया।

बच्ची की मां बताती हैं, "हम रेप की बात कहते रहे और पुलिस वाले मिर्गी की बीमारी बताते रहे। अस्पताल में मौजूद पत्रकारों के सामने हमने रौनापार थानाध्यक्ष से साफ-साफ कहा कि मेरी बेटी का अपहरण करके रेप किया गया है। हमने अपनी बेटी का खून से सना वह कपड़ा भी दिया जो घटना के बाद मिला था। पता नहीं, पुलिस ने उस कपड़े का क्या किया? थानाध्यक्ष ने ये कहते हुए हमें डांट-फटकार लगाई कि ज्यादा शोर-शराबा करोगे को तो इलाज नहीं हो पाएगा। हमारी बच्ची मौत के करीब पहुंच गई थी, लेकिन पुलिस ने मेडिकल मुआयना तक नहीं होने दिया।

अलबत्ता एक दरोगा और सिपाही को हमारे पास तैनात कर दिया गया, जो लगातार हम पर नजर रखे हुए थे। आजमगढ़ सदर अस्पताल वाले हमारी बच्ची को सिर्फ सुई पर सुई लगाते जा रहे थे। हम रेप की बात उठाते तो अस्पताल में मौजूद दरोगा-सिपाही हमें डाटने लगते थे।"

"हम बलात्कार की बात कहते रहे, लेकिन हमारी नहीं सुनी गई। पुलिस वालों ने हमें बहला-फुसलाकर कहा कि रेप की बात मत बोलो। बीमारी बताओ नहीं तो हम छोड़कर चले जाएंगे। अस्पताल में ही एक सिपाही ने अपने मन-मुताबिक हमारा वीडियो बनवाया। नौ अक्टूबर की रात पुलिस वाले गंभीर हालत में बच्ची को लेकर चक्रपानपुर स्थित मेडिकल कालेज गए, जहां उसने दम तोड़ दिया। बच्ची की मौत के बाद हम बेहोश हो गए। होश आया तब पता चला कि शव को पुलिस वाले पोस्टमार्टम कराने ले गए हैं। दस अक्टूबर की शाम करीब दस मिनट के लिए बच्ची की लाश हमारे घर आई। साथ में बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स भी थी। आसपास किसी को आने-जाने नहीं दिया जा रहा था। गांव के बाहर भी पुलिस फोर्स तैनात थी।"

बच्ची के पिता बताते हैं, "हम अपनी बेटी को दफनाना चाहते थे। हमने फावड़े का इंतजाम भी कर लिया, लेकिन पुलिस वालों ने यहां भी हमारी बात नहीं मानी। करीब दस मिनट बाद ही रौनापार के थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय बच्ची की लाश को लेकर पुरानी सरयू नदी के तीरे भैसाड़ घाट ले गए। भारी पुलिस फोर्स की मौजूदगी में दस अक्टूबर की रात करीब 10.15 बजे पुलिस ने बच्ची का अंतिम संस्कर किया गया। चिता को मुखाग्नि हमारे बड़े बेटे ने दी। चिता भी पुलिस ने लगवाई। लकड़ी और कफन के पैसे भी उसी ने दिए।"

थानाध्यक्ष ने कहा, पैसा दिलवा देंगे

गमजदा बच्ची के परिजन बताते हैं कि हम रौनापार थाना पुलिस को बच्ची के उस कपड़े को सौंप चुके हैं जो जो गन्ने के खेत से बरामद हुए थे। बच्ची की मां ने ‘न्यूजक्लिक’ को बताया कि रौनापार के प्रभारी ने हमें थाने में बुलवाया और कहा, "जो होना था हो गया। तुम लोग अपनी जुबान बंद रखो। पुलिस के साथ मिलकर रहो। पैसा दिलवा देंगे। ग्राम प्रधान से भी तुम लोगों की मदद करवा देंगे। तब हमने कहा- हुजूर, हमें पैसा नहीं, न्याय चाहिए।"   

बच्ची के पिता कहते हैं, "पुलिस महकमा शुरू से ही वारदात को दबाने में जुटा था। हम आजमगढ़ के एसपी सुधीर कुमार सिंह के यहां गुहार लगाने पहुंचे थे। पुलिस वाले चाहते थे कि वह अभियुक्तों से हमें पैसा दिला दें और हम मामले को रफा-दफा कर लें।"

बच्ची के परिजनों को जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट दी गई है उसमें मौत को अप्राकृतिक बताया गया है। घटना के तत्काल बाद पुलिस ने बच्ची का मेडिकल मुआयना नहीं कराया, इसलिए इस मामले में पेंचीदगी ज्यादा बढ़ गई है। आजमगढ़ के एसपी सुधीर कुमार सिंह द्वारा दलित युवके साथ मारपीट के मामले के तूल पकड़ने के बाद रौनापार थाना पुलिस ने आरोपित युवक दीपक पासपान के खिलाफ अपहरण, हत्या, रेप के अलावा पास्को एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

आरोपित युवक दीपक पासवान को रौनापार पुलिस ने अपनी कस्टडी में रखा अथवा जेल भेज दिया है, यह बताने के लिए वह तैयार नहीं है। अभियुक्त गांव के ही कमलेश पासवान का बेटा है। कमलेश के दो बेटे हैं, जिनमें दीपक बड़ा और नीरज छोटा है। उसे दो बेटियां भी है। दादा कोलकाता के बंदरगाह पर काम करते थे। गांव के बाहरी छोर पर उनके पक्के मकान को देखकर कोई भी कह सकता है कि वो काफी संपन्न हैं। मुसहर बस्ती के लोग बताते हैं कि दीपक पासवान दबंगई करता था। शराब पीकर वह आए दिन गांव में उत्पात मचाता था। दलित वर्ग की लड़कियों के साथ छेड़छाड़ और बदसलूकी भी करता था।

हालांकि अभियुक्त दीपक की मां गीता अपने बेटे को निर्दोष बताती हैं और कहती हैं, "हमारा बेटा बहुत सीधा है। पल्लेदारी-मजूरी करता है। मुसहर बस्ती के लोगों के साथ हमारी कोई दुश्मनी नहीं थी। फिर भी हमें बेवजह फंसाया जा रहा है।" 

हालांकि कुरसौली यादव बस्ती के लोगों को शक़ है कि घटना में दीपक पासवान जरूर शामिल था। घटना की रात जान-बूझकर उसने मुसहर बस्ती की ओर जाने वाले तार को उतारा गया था। रात के अंधेरे में सुनियोजित ढंग से घटना को अंजाम दिया गया। वारदात के तूल पकड़ने के बाद से दीपक पासवान के कुछ दोस्त भूमिगत हो गए हैं। खासतौर पर वे दोस्त जो ठेके पर उसके साथ दारू पिया करते थे।

पहले धमकी दी, फिर कांड रचा

बच्ची की दादी कहती हैं, "हमारी तो समझ में ही नहीं आ रहा है कि ऐसा उसने क्यों किया। गांव का लड़का इतना बड़ा कांड रच सकता है, हम सोच भी नहीं पा रहे हैं। जिन दरिंदों ने इस घटना को अंजाम दिया है, उन्हें इतनी कड़ी सज़ा मिले कि कोई ऐसा अपराध करने की भी न सोचे।" 

कुरसौली गांव के लोगों को जितनी हैरानी बच्ची के साथ हुई निर्ममता से है, उससे कहीं ज़्यादा इस बात पर भी है कि मनबढ़ युवक ने पहले धमकी दी और फिर घटना को दे अंजाम दिया। बच्ची की बड़ी बहन कहती है, "दीपक हमें उठाने आया था, लेकिन हम अपनी मां के पास सोए थे। छोटी बहन बाहर सो रही थी और वह उसे ही उठाकर ले गया।"

बच्ची की मौत के बाद से मुसहर बस्ती में मातम पसरा है। खुद को बच्ची की रिश्तेदार बताने वाली एक बुज़ुर्ग महिला कहने लगीं कि 'वो इतनी प्यारी थी कि पूरी बस्ती उसे प्यार करता था।' 

रौनापार थाना पुलिस का हाल यह है कि घटना के साक्ष्य जुटाने के बजाए फिलहाल वह अपने बचाव में जुटी है। घटना को लेकर आजमगढ़ जिले के लोगों में पुलिस के खिलाफ रोष और गुस्सा है। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय इस घटना पर मीडिया से बातचीत करने से बच रहे हैं।

एसपी ने मारा थप्पड़, बढ़ा विवाद

न्यूजक्लिक द्वारा जुटाई गई पुख्ता जानकारी के मुताबिक रेप, अपहरण और हत्या का यह मामला तब पेंचीदा हुआ जब 13 अक्टूबर को आजमगढ़ एसपी सुधीर कुमार सिंह ने अपने ही दफ्तर के बाहर रमेश वनवासी नामक युवक का कालर पकड़कर थप्पड़ों से पिटाई करनी शुरू कर दी। आजमगढ़ के पंदहा गांव के बलदेव वनवासी कुरसौली आसपास के मुसहर समुदाय के लोगों को साथ लेकर रेप, अपहरण और बलात्कार के मामले में रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए उन्हें अर्जी देने गए थे। बलदेव मुसहर समुदाय के लोगों की नुमाइंदगी करते हैं और उनके हितों की आवाज भी उठाते रहे हैं।

आजमगढ़ के एसपी द्वारा पीटे जाने के बाद गुमसुम बैठा रमेश वनवासी

वह बताते हैं, "हम सभी एसपी के दफ्तर से निकले, उसके कुछ ही देर बाद सुधीर कुमार सिंह भी बाहर आ गए। वह अपनी गाड़ी पर बैठे और चल दिए। आपाधापी में रमेश वनवासी नामक युवक का हाथ एसपी की गाड़ी से छू भर गया, जिससे वह आग-बबूला हो गए। तैश में आकर एसपी ने रमेश का कालर पकड़ लिया और उसे सरेराह धकियाते हुए कई थप्पड़ जड़ दिए। पिटाई करने के बाद पुलिस रमेश को कोतवाली ले गई। हम सभी ने एसपी सुधीर कुमार सिंह के सामने हाथ जोड़े और मिन्नतें भी कीं, लेकिन वह बहुत तैश में थे। उन्होंने रमेश को गिरफ्तार करा लिया और अवैध तरीके से उसे थाना कोतवाली भेज दिया।"

पुलिस हिरासत से छूटने के बाद रमेश ने ‘न्यूजक्लिक’ से कहा, " हम न्याय मांगने गए थे, लेकिन हमारे साथ एसपी ने खुद सबके सामने मारपीट की। कप्तान ने सरेआम गालियां दीं। यह भी कहा- इतना मारूंगा कि ठीक कर दूंगा। हमें सात घंटे तक कोतवाली थाने के लाकअप में बंद रखा गया। संभवत: हमारे साथ मारपीट का वीडियो किसी ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, जिसके बाद पुलिस हमें छोड़ने के लिए तैयार हुई। रिहाई से पहले एसपी ने हमें अपने दफ्तर मे बुलाया और वहीं एक वीडियो मैसेज भी बनवाया। 13 अक्टूबर की शाम पांच बजे उसे रिहा कर दिया गया।"

एसपी ने क्यों बोला झूठ

दलित युवक की सरेराह पिटाई के बाद ट्विटर पर एसपी सुधीर कुमार सिंह ट्रोल होने लगे तो उन्होंने अपनी सफाई में एक वीडियो जारी किया। वीडियो में वह कहते नजर आ रहे हैं,"दलित युवक उनकी गाड़ी के आगे लेट गया था। जो लोग मुझसे मिलने आए थे उन्होंने हमारे ऊपर पत्थर भी चलाए। जिस मामले को लेकर वनवासी समाज के लोग मुझसे मिले थे उसमें वह एफआईआर दर्ज करने का आदेश दे चुके थे। रमेश नामक उत्पाती युवक को सिर्फ हिरासत में लिया गया था, जिसे शाम को छोड़ दिया गया। इस मामले को लोग बेवजह तूल दे रहे हैं और राजनीति कर रहे हैं।"

आजमगढ़ के जहानागंज निवासी राधेश्याम वनवासी एसपी सुधीर कुमार सिंह के आरोपों को मनगढंत और बेबुनियाद बताते हैं। वह कहते हैं, "पहले बच्ची के साथ रेप और हत्या के मामले को छिपाने के लिए पुलिस ने गंदा खेल खेला और बाद में रही सही कसर एसपी ने पूरी कर दी। हमारे साथ एसपी दफ्तर पर 50-60 लोग मौजूद थे। किसी के हाथ में न तो कोई पत्थर था, न लाठी-डंडा। किसी बड़े अफसर से जांच करा ली जाए तो दूध का दूध-पानी का पानी हो जाएगा। अगर रमेश गाड़ी के नीचे लेटा होता तो कोई न कोई तस्वीर तो आई ही होती। हम गांव के लोग हैं। एसपी से झगड़ा नहीं कर सकते।"’

"साहब, की गाड़ी के आगे लेटने अथवा पत्थरबाजी करने का आरोप झूठा और गढ़ा हुआ है। एसपी तो यह भी नहीं चाहते थे कि हम रेप और हत्या का मामला दर्ज कराएं, जिससे पुलिस बदनाम हो। हम जब उनसे मिले थे तभी उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया था कि हम भले ही रिपोर्ट लिख लें, पर गिरफ्तारी नहीं करेंगे। खुद लड़की की मां ने एसपी से कहा था कि अगर बलात्कार नहीं हुआ था वह खून से सनी हुई क्यों मिली? उसकी नेकर रक्तरंजित क्यों थी? बालिका का मेडिकल मुआयना क्यों नहीं कराया गया? पुलिस उसे एक के बाद दूसरे अस्पताल में लेकर क्यों घूमती रही? इन बातों को सुनकर एसपी गुस्से में आ गए थे। 

बच्ची के साथ रेप और हत्या के जिस मामले में हम एसपी से मिलने गए थे, उसमें न्याय नहीं मिला तो सड़क पर उतरने के लिए बाध्य होंगे।" कुरसौली मुसहर बस्ती में 14 अक्टूबर को दोपहर में आसपास के लोगों का जमघट लगा रहा। वहां मौजूद दलित समाज के लोगों ने कहा, "आजमगढ़ के एसपी से दलित समाज के लोग तो तभी से खौफ खाते हैं जब उन्होंने पलिया और गोधौरा गांव में तमाम दलितों के घर बुल्डोजर लगाकर ढहवा दिए थे। पलिया गांव तो कुरसौली से नजदीक ही है।"

एसपी द्वारा अकारण की गई पिटाई के बाद से युवक रमेश दहला हुआ है। यह युवक हत्या और रेप की शिकार बच्ची का रिश्तेदार है। रमेश की मां जियनी देवी ने ‘न्यूजक्लिक’ से कहा, "पुलिस हिरासत से लौटने के बाद मेरा बेटा गुमसुम है। आजमगढ़ के पुलिस कप्तान झूठ पर झूल बोले जा रहे हैं। न्याय देने वाले जब हमलावार हो जाएंगे तो हम किसके दरवाजे पर न्याय मांगने जाएंगे? एसपी दफ्तर पर किसी के हाथ में न कोई पत्थर था और न मेरा बेटा उनकी गाड़ी के आगे लेटा। हम छोटे लोग हैं। पुलिस की गाली भी सुन लेंगे, लेकिन बच्ची के साथ रेप और हत्या के मामले में हमें न्याय तो चाहिए ही।"

कुरसौली यादव बस्ती में मुसहर समुदाय के लोगों को ढांढस बंधाने पहुंचीं मानवाधिकार एक्टिविस्ट जयंती राजभर कहती हैं, "पुलिस ने पीड़ित परिवार पर दबाव बनाया कि वो यही कहे कि 'बीमारी' से ही मौत हुई है। एसपी और रौनापार थाना पुलिस की भूमिका को लेकर भी जनाक्रोश है। दलित संगठन और स्थानीय लोग उन अधिकारियों को बर्ख़ास्त करने की मांग कर रहे हैं, जिन्होंने बच्ची का मेडिकल कराने और मामला दर्ज करने में आनाकानी की। पीड़ित परिवार को घंटों एक से दूसरे अस्पतालों में घुमाया गया। रपट दर्ज की गई तो दूसरे आरोपितों को पकड़ने की जरूरत नहीं समझी गई।"  

एसपी ने उड़ाईं कानून की धज्जियां

सामाजिक कार्यकर्ता और बलात्कार की घटनाओं के ख़िलाफ़ काम करने वाली जयंती यह भी कहती हैं, "13 अक्टूबर को अपराह्न 3.30 बजे रौनापार थाने में रेप, हत्या, अपहरण और अन्य संगीन धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई। उसके कुछ ही देर बाद एसपी सुधीर कुमार सिंह ने विशाखा गाइडलाइन का घोर उल्लंघन करते हुए लड़की और उसकी मां की पुलिस द्वारा पेशबंदी में तैयार की गई वीडियो क्लीप जारी कर दी। 

एसपी ने दलितों को सरेराह गालियां दीं तो उनके खिलाफ मारपीट, धमकी और दलित एक्ट के तहत मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया? एसपी ने खुद अपने दफ्तर के ट्विटर हैंडिल से बच्ची और उसकी मां का वीडियो वायरल कराया है। रेप के मामले में कोर्ट की कानून की धज्जियां उड़ाने वाले पुलिस कप्तान के खिलाफ क्या योगी सरकार कोई कार्रवाई करेगी? "

रेप और हत्या की शिकार बच्ची के परिजनों का आरोप है, "जब तक वह जिंदा रही, रौनापार थाना पुलिस ने पीड़ित परिवार पर दबाव बनाने का काम किया। मदद करने की बजाय पुलिस सिर्फ पेशबंदी में जुटी रही। पुलिस ने उन्हें यह कहने पर मजबूर किया कि वो यही कहें कि लड़की को मिर्गी आती है और वह बीमार है। घटना का साक्ष्य मिटाने में वह कोई कसर नहीं छोड़ रही  है।"

गांव छोड़ना चाहता है परिवार

आजमगढ़ की कुरसौली यादव की मुसहर बस्ती में तीन सगे भाई और उनका परिवार रहता है। तीनों के पिता और उनकी मां अलग रहते हैं। इनकी आंखों की रोशनी जा चुकी है। मोतियाबिंद का आपरेशन कराने के लिए पैसे नहीं हैं। लाठियों के सहारे थोड़ा बहुत चल-फिर लेते हैं। कुरसौली गांव में यादव, मुस्लिम, ब्राह्मण, पासवान और अन्य छोटी जातियों के लोग रहते हैं। जिस युवक पर रेप और हत्या का आरोप लगा है, उसका परिवार काफी दबंग माना जाता है। लड़की के पिता कहते हैं, "  हम सुरक्षित नहीं है। लगता है कि हम यहां रह नहीं पाएंगे। यहां अपना भविष्य नहीं बना पाएंगे। परिवार के सभी लोग गांव छोड़कर कहीं बाहर जाकर बसना चाहते हैं।

मेहनत-मजूरी करके परिवर का गुजारा करने वाले मृत लड़की का बड़ा भाई कहता है, "हमें नहीं लगता कि हम अपनी ज़िंदग़ी को यहां कभी पटरी पर ला पाएंगे। हमें इस गांव से निकलना है, लेकिन हम अभी नहीं जानते कि हम कहां जाएंगे और हमें सिर छुपाने के लिए कहां जगह मिलेगी। इस गांव में अब हमारा कोई रोजगार नहीं है, कुछ नहीं हैं। एक ना एक दिन हमें अब ये गांव छोड़कर जाना ही है।"

आक्रोश और गुस्से से तप रहा आजमगढ़

कुरसौली यादव बस्ती की घटना को लेकर जिले भर में आजमगढ़ के पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार सिंह और रौनापार थाना पुलिस के प्रति आक्रोश है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव समेत सैकड़ों लोगों ने एसपी समेत पुलिस के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। कांग्रेस के सगड़ी इलाके के प्रभारी अजित राय ने कहा, "समाज के दबे और कुचले वर्ग के लोगों को इंसाफ़ के लिए कितना संघर्ष करना पड़ता है वो इस घटना से उजागर होता है। सिर्फ़ दलित ही नहीं, महिलाओं के उत्पीड़न की जब बात आती है तो सरकारी तंत्र का रवैया एक जैसा ही होता है। पीड़ित परिवार की सुरक्षा और मुआवज़ा मिलना चाहिए, नहीं तो पार्टी आंदोलन शुरू करेगी।"

दैनिक अखबार ‘जनसंदेश टाइम्स’ के लिए क्राइम रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार उमेश राय कहते हैं, "आजमगढ़ में पुलिसिया ज्यादतियों की कहानी रोजमर्रा की बात है। यहां पुलिस जुल्म की कोई न कोई कहानी रोज सामने आ रही है। बीते दिनों को याद कीजिए। चार मई 2021 की शाम आजमगढ़ के जहानागंज इलाके की करीब पांच सौ आबादी वाली गोधौरा दलित बस्ती में पुलिस एसपी सुधीर कुमार की मौजूदगी में खाकी ने जो नंगा नाच किया उसके खौफ से लोग अब तक नहीं उबर पाए हैं। इन दलितों का कुसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने पुलिस और प्रशासन की मनमानी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। 

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बाद में करीब ढाई सौ पुलिस कर्मियों ने दलित बस्ती में पहुंचकर फायरिंग, लूटमार, तोड़फोड़ और आगजनी की। महिलाओं की इज्जत पर भी डाका डाला गया। आतताई खाकी वर्दी वाले महिलाओं के आभूषण ही नहीं, उनकी बकरियां, मुर्गे, बत्तख, बटेर तक लूटकर ले गए। पुलिस जुल्म की दूसरी बड़ी घटना 29 जून की शाम आजमगढ़ के रौनापार थाना क्षेत्र के पलिया गांव में हुई। बुल्डोजर लेकर पहुंचे एसपी सुधीर कुमार सिंह ने यहां कई दलितों के घर ढहवा दिए। पुलिस वालों ने जमकर लूटमार की। महिलाओं के कपड़े फाड़े गए और गुप्तांगों पर हमले भी किए गए। डाक्टरी कराने पहुंचे दलितों को अस्पताल से भगा दिया गया। क्या ऐसी घटनाओं से पुलिस और योगी सरकार का माथा ऊंचा होता है? "

पत्रकार उमेश यहीं नहीं रुकते। बताते हैं, "10 अक्टूबर को आजमगढ़ जिले के जीयपुर थाना क्षेत्र के लाटघाट कस्बे के दलित चिकित्सक डा. शिवकुमार को फकत इस बात के लिए गिरफ्तार कर लिया गया कि दलित होकर उन्होंने करणी सेना के कृत्यों पर प्रतिक्रिया स्वरूप टिप्पणी कैसे कर दी? आजमगढ़ में पुलिस कितनी निष्ठुर है, यह उस घटना से पता चलता है जब रेप की शिकार महिला ने थाने में आत्महत्या कर ली। ताजा लोमहर्षक घटना कुरसौली की है। वारदात की पड़ताल करने से पता चलता है कि कोई एक व्यक्ति अकेले बच्ची के साथ इस तरह रेप नहीं कर सकता। उन सभी आरोपितों को पकड़ा जाना चाहिए जो घटना के बाद से भूमिगत हैं। रौनापार थाना पुलिस वारदात को दबाने में जुटी है।"

उमेश कहते हैं, "हमारे पास वह वीडियो मौजूद है जिसमें बच्ची की मां बता रही हैं कि 10 अक्टूबर को थाने में बुलाकर दरोगाओं ने उन्हें पैसे का लालच दिया था। पीड़ित परिवार पर अभी भी दबाव बनाया जा रहा है कि इस मामले में किसी से कुछ न कहें। कांड करने वालों से कुछ पैसा दिला देंगे। यह सब देख-सुनकर लगता है कि आजमगढ़ पुलिस का ढांचा नहीं बदला गया तो आने वाले दिनों में नतीजे भयावह होंगे। मौजूदा समय में आजमगढ़ के अधिसंख्य थानों पर सवर्ण थानेदार नियुक्त हैं। दलितों और पिछड़ों को भी नियुक्ति मिलनी चाहिए। बेहतर यह होगा कि नफरत का बीच बोने वाले अफसर अब आजमगढ़ से विदा ही कर दिए जाएं, अन्यथा जातियों को निशाना बनाकर झूठी कहानियां गढ़ने वाले पुलिस अफसर ही योगी सरकार को ले डूबेंगे।"

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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