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दंतेवाड़ाः एनएमडीसी प्लांट में स्थानीय युवाओं को नौकरी देने की मांग को लेकर प्रदर्शन

दंतेवाड़ा ज़िले के बचेली में स्थित एनएमडीसी प्लांट में स्थानीय युवाओं को नौकरी देने की मांग को लेकर प्लांट के आसपास गमावाड़ा, भांसी, नेरली, धुरली समेत 12 पंचायत के लोगों ने प्रदर्शन किया।
NMDC plant
फ़ोटो साभार: दैनिक भास्कर

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा ज़िले में क़रीब 12 पंचायत के ग्रामीणों ने नौकरी की मांग को लेकर एनएमडीसी प्लांट के पास धरना दिया। इस धरने में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और युवा मौजूद रहे। बचेली स्थित एनएमडीसी चेकपोस्ट के पास किए गए धरने में प्रदर्शनकारियों ने एनएमडीसी प्रबंधन से लेबर सप्लाई के काम में स्थानीय युवाओं को रोज़गार देने की मांग की। उनकी लंबे समय से मांग थी कि इस प्लांट में स्थानीय लोगों को ही भर्ती किया जाए। आंदोलन कर रहे लोगों ने मांगें पूरी न होने पर प्रदर्शन तेज़ करने की चेतावनी दी है। फ़िलहाल प्रबंधन की ओर से ग्रामीणों को कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है।

ज्ञात हो कि ग्रामीणों के प्रदर्शन के चलते गुरुवार, 8 सितंबर को एनएमडीसी प्लांट में काम पूरी तरह ठप रहा। गुरुवार को हुए धरना प्रदर्शन के चलते रात में जो कर्मचारी प्लांट में काम कर रहे थे वे अंदर ही फंसे रहे। वहीं सुबह की शिफ्ट में आने वाले कर्मचारियों को प्लांट में भीतर नहीं जाने दिया गया।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ कि दंतेवाड़ा ज़िले के बचेली में स्थित एनएमडीसी प्लांट में नौकरी देने की मांग को लेकर प्लांट के आसपास गमावाड़ा, भांसी, नेरली, धुरली समेत 12 पंचायत के प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि एनएमडीसी में लौह उत्खनन के चलते हमारा गांव लाल पानी से प्रभावित हो गया है। किसी तरह की कोई खेती नहीं होती है जिससे रोज़गार का संकट है। उनका कहना है कि इससे कई वर्षों से हमें परेशानियां का सामना करना पड़ रहा है। वहीं इस प्लांट में बाहरी लोगों को नौकरी दी जा रही है लेकिन स्थानीय लोगों को नहीं रखा जा रहा है। नौकरी देने की मांग लंबे समय से की जा रही है लेकिन प्रबंधन की ओर से उस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लोगों की मांग है कि लेबर सप्लाई काम में हर गांव के स्थानीय 10-10 लोगों की भर्ती की जाए।

उधर एनएमडीसी के ख़िलाफ़ स्थानीय लोगों द्वारा किए गए प्रदर्शन को देखते हुए कलेक्टर विनीत नंदनवार भी बचेली पहुंचे गए। यहां वे एनएमडीसी के अधिकारियों के साथ बैठक की। युवाओं के मद्देनज़र प्लांट के अधिकारियों की ओर से जल्द ही मामले का समाधान निकालने की बात कही जा रही है लेकिन रोज़गार को लेकर कोई बात सामने नहीं आई है। स्थानीय लोगों ने साफ़ तौर पर अधिकारियों से कह दिया है कि रोज़गार देने का आज ही निर्णय हो अन्यथा ये भीड़ बढ़ती जाएगी और प्रदर्शन कर रहे लोगों में से कोई भी व्यक्ति यहां से नहीं उठेगा।

बता दें कि इस धरना प्रदर्शन से पहले 20 अगस्त को भी स्थानीय लोगों ने अपनी मांगों को लेकर दिन भर आंदोलन किया था। ग्रामीणों का कहना है कि एनएमडीसी ने हम लोगों को आश्‍वासन दिया था जल्द ही इन मांगों पर विचार कर स्थानीय लोगों को काम में प्राथमिकता दी जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

प्रदर्शन कर रहे लोगों की मांग है कि प्लांट के लाल पानी से प्रभावित गांवों के लोगों को एनएमडीसी में स्थानीय लोगों को ठेका श्रमिक के तौर पर रखा जाए। उनका कहना है कि ठेका श्रमिकों को एनएमडीसी द्वारा मज़दूरी के रुप में नक़द 457 रुपये के साथ 100 रुपये का कूपन भी दिया जाता है जिससे बचेली में कहीं भी मज़दूर ख़रीदारी कर सकते हैं। इसके साथ ही ठेका श्रमिकों के बच्‍चों के लिए मुफ़्त पढ़ाई और स्वास्थ्य सुविधा की भी व्यवस्था है।

ज्ञात हो कि क़रीब छह साल पहले एनएमडीसी के खदान विस्तार के लिए वन काष्ठागार में शुरू हुई लोक सुनवाई में नाम मात्र के लोग ही पहुंचे थे। इसको लेकर हंगामा खड़ा हो गया। इस सुनवाई में क़रीब 8 लोगों ने अपनी आपत्ति दर्ज करवाते हुए कुछ सझाव दिए थे कि अचानक वहां प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों ने पहुंचकर विरोध कराना शुरू कर दिया। उस दौरान उन्होंने फ़र्ज़ी लोक सुनवाई बंद करने के नारे लगाए थे। ग्रामीणों का आरोप था कि लोक सुनवाई के नाम पर एनएमडीसी के रेलवे कॉलोनी और मुंडरा कैंप इलाक़े में रहने वाले अस्थाई मज़दूरों को लाकर बैठाया गया है। उनका आरोप था कि ऐसे बाहरी लोग जन सुनवाई में बैठे थें जिनका वास्तव में समस्या से कोई लेना देना नहीं था।

बता दें कि 3 सितंबर 2003 को इस प्लांट की आधारशिला रखी गई थी। 11 पंचायतों के 13 गांवों की क़रीब 2100 एकड़ से अधिक ज़मीन अधिग्रहित की गई थी। इस प्लांट का निर्माण वर्ष 2011 से शुरू हुआ था।

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