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दिल्ली हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा की अंतरिम ज़मानत की याचिका पर एनआईए से मांगा जवाब

नवलखा (67) ने याचिका में इस आधार पर अंतरिम जमानत का अनुरोध किया है कि वह उम्र के जिस पड़ाव पर हैं, उसमें कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा अधिक है, ख़ासकर क्षमता से ज्यादा कैदियों वाली जेल में यह ख़तरा और बढ़ जाता है।
 गौतम नवलखा

नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की अंतरिम जमानत याचिका पर शुक्रवार को एनआईए से जवाब मांगा।

नवलखा (67) ने याचिका में इस आधार पर अंतरिम जमानत का अनुरोध किया है कि वह उम्र के जिस पड़ाव पर हैं, उसमें कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा अधिक है, ख़ासकर क्षमता से ज्यादा कैदियों वाली जेल में यह ख़तरा और बढ़ जाता है।

न्यायमूर्ति अनूप जे. भंभानी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मामले की सुनवाई करते हुए एनआईए को नोटिस जारी कर मामले में जवाब मांगा। इस मामले में अदालत ने आगे की सुनवाई के लिए 27 मई की तारीख तय की है।

नवलखा ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के समक्ष 14 अप्रैल को आत्मसमर्पण किया था। वह अभी तिहाड़ जेल में बंद हैं।

एनआईए की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने नवलखा की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय पहले ही उस आधार पर गिरफ्तारी से संरक्षण का अनुरोध ठुकरा चुका है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोविड-19 महामारी के दौरान जेल जाने का मतलब एक प्रकार का मृत्युदंड है।

नवलखा ने कहा कि वह ऐसे समय में तिहाड़ जेल में बंद हैं जब पूरा देश कोविड-19 के ख़तरे से लड़ रहा।

याचिका में दलील दी गयी है, ‘‘ आवेदक कोलोनी पॉलीपोसिस, क्रोनिक गैस्ट्रिटिस और लैक्टोज इंटॉलरेंस से पीड़ित एक वरिष्ठ नागरिक है, जिसे केवल समय पर और नियमित दवा और बहुत नियंत्रित आहार के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ एनआईए हिरासत के दौरान सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर ने उन्हें उच्च रक्तचाप होने की बात भी कही थी, जिससे उनके बीमार होने का ख़तरा और बढ़ जाता है।’’

उच्चतम न्यायालय ने 16 मार्च को नवलखा को तीन सप्ताह के अंदर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था। इसके बाद आठ अप्रैल को कोरोना वायरस का हवाला देते हुए उन्होंने उच्चतम न्यायालय से आत्मसमर्पण करने के लिए समय मांगा था। इस पर शीर्ष अदालत ने उन्हें एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था।

पुणे पुलिस के अनुसार जिले के कोरेगांव- भीमा गांव में 31 दिसंबर, 2017 को एलगार परिषद की बैठक में दिये गये ‘उकसाने वाले भाषणों’ के बाद अगले दिन हिंसा भड़की थी। पुलिस का आरोप है कि इस परिषद का माओवादियों को समर्थन प्राप्त था। हिंसा की इसी घटना के बाद माओवादियों से जुड़ाव और अन्य आरोपों के संबंध में मुम्बई के ‘इकनॉमिक एंड पोलिटिकल वीकली’ जर्नल से जुड़े पत्रकार और कार्यकर्ता नवलखा और कई अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया था ।

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