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26 नवंबर की हड़ताल के लिए दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा तैयार, कई मज़दूर नेताओं की गिरफ़्तारी
दिल्ली, एनसीआर और हरियाणा के अलग अलग क्षेत्रों के मज़दूर और मज़दूर नेताओं से बात करके हमने इस हड़ताल और इसकी तैयारी के बारे में जाना। इस बीच कई बीजेपी शासित राज्यों में मज़दूर नेताओ की गिरफ्तरियाँ शुरू हो गईं हैं, जिसको लेकर भी मज़दूरों में काफी गुस्सा है।
मुकुंद झा
24 Nov 2020
26 नवंबर की हड़ताल

दिल्ली: देशभर के मज़दूर 26 नवंबर को देशव्यापी हड़ताल पर जाने को तैयार हैं। दिल्ली और उसके आसपास के लगे राज्य हरियाणा और उत्तर प्रदेश जिनका एक बड़ा हिस्सा दिल्ली एनसीआर में आता है। वहां भी इस हड़ताल को लेकर मज़दूरों ने पूरी तैयारी कर ली है। यहां भी बड़ी संख्या में मजदूरों के सड़क पर उतरने की उम्मीद है। इसमें औपचारिक, अनौपचारिक क्षेत्र मज़दूरों के साथ ही सरकारी कर्मचारी, स्कीम वर्कर और बीमा और बैंक कर्मियों के शामिल होने की उम्मीद है।

देशव्यापी हड़ताल में संघ समर्थित भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर बाकी सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियन, स्वतंत्र फेडरेशन और संगठन शामिल हैं। इनकी तैयारी लगातार जारी है। इस बीच कई बीजेपी शासित राज्यों में मज़दूर नेताओ की गिरफ्तरियाँ शुरू हो गईं हैं। जिसको लेकर भी मज़दूरों में काफी गुस्सा है। इस कड़ी में हमने दिल्ली एनसीआर और हरियाणा के अलग अलग क्षेत्रों के मज़दूर नेताओं से बात करके इस हड़ताल की तैयारी के बारे में जाना और यूनियनों के इस हड़ताल को लेकर मज़दूरों की प्रतक्रिया के बारे में भी जाना।

मज़दूरों की हड़ताल क्यों?

देशभर के श्रमिक 21 हज़ार रुपये न्यूनतम वेतन, ठेका प्रथा बंद करने समेत 14 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने को तैयार हैं। यह हड़ताल केंद्र सरकार की मज़दूर विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ हैं, जिसमें नौकरियों की सुरक्षा, रोज़गार सृजन और श्रम क़ानूनों में संशोधन कर उन्हें अब चार लेबर कोड में बदला गया है उसका भारी विरोध है और उसको वापस लेने संबंधित मांगें रखी गई हैं।

मज़दूर नेताओं ने कहा कि इस हड़ताल को सरकार द्वारा बैंक, रेलवे, बीमा, संचार, बिजली पेट्रोलियम सहित सभी सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में बेचने के खिलाफ बताया। मज़दूर संगठन के नेताओं ने कहा, " पूरे देश के पैमाने पर 20 करोड़ से ऊपर कर्मचारी हड़ताल में शामिल होंगे। आज देश का मज़दूर ये हड़ताल करने को मजबूर हुआ है क्योंकि सरकार का अड़ियल रुख नहीं बदला है। सरकार लगातार मज़दूर विरोधी क़दम उठा रही है। मज़दूरों की 21000 रुपये की न्यूनतम वेतन की मांग पूरी नहीं हुई है। श्रम क़ानूनों में मज़दूर विरोधी बदलाव किया जा रहा है।

सभी नेताओं ने एक बात पर जोर दिया कि आज मज़दूर अपनी नौकरी को लेकर सबसे असुरक्षित हैं क्योंकि हाल के दिनों फैक्ट्री मालिकों ने माहमारी का बहाना बनाकर बड़ी संख्या में मज़दूरों को बाहर निकाल दिया और सरकार ने भी आपदा में अवसर का नारा देकर श्रम कानूनों में मज़दूर विरोधी और मालिक परस्त बदलाव किए। इसलिए मज़दूरों का इस माहमारी में सड़कों पर उतरकर विरोध करना आवश्यक हो गया है। नेताओं ने यह भी दावा किया यह हड़ताल एक ऐतिहसिक हड़ताल होगी। हालंकि सभी ने यह भी माना की महामारी के कारण उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

दिल्ली, हरियाणा और राजधानी से सटे उत्तर प्रदेश के इलाकों में हड़ताल की तैयारियों पर एक नज़र डालते है।

दिल्ली हड़ताल के लिए कितनी तैयार?

दिल्ली में लगभग 31 औद्योगिक क्षेत्र हैं, जहाँ हज़ारों की संख्या में मज़दूर काम करते हैं। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली से बड़ी संख्या में बड़े उद्योगों का पलायन हुआ है, अब दिल्ली पहले की तरह निर्माण का हब नहीं रहा है। इसके साथ ही दिल्ली में बड़ी संख्या में निर्माण मज़दूर और रेहड़ी पटरी वाले हैं, जिनकी इस हड़ताल में बड़ी भूमिका रहने की उम्मीद है। इसबार ट्रेड यूनियनों ने असंगठति क्षेत्र को लेकर विशेष अभियान भी चलाया है। क्योंकि इस महामारी से अगर सबसे अधिक कोई प्रभावित हुआ है तो वो हैं ये असंगठित मज़दूर। इसके साथ ही सरकारी सेवा के कर्मचारी भी इस हड़ताल में शामिल होंगे और आवश्यक सेवा में लगे कर्मचारी काम का बहिष्कार न करके काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। जबकि दिल्ली जल बोर्ड के कर्मचारी और डीटीसी कर्मचारी भी अपने अपने मुख्यालय पर प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं।

सेंट्रल ट्रेड यूनियन सीटू दिल्ली इकाई के सचिव सिद्धेश्वर शुक्ला ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि इसबार दिल्ली के मज़दूर बड़ी संख्या में इस हड़ताल में शामिल होंगे क्योंकि वो सरकार के मज़दूर नीतियों से परेशान हो चुके हैं। उन्होंने कहा महामारी को ध्यान में रखते हुए हमने यह निर्णय लिया है कि हमारा यह विरोध प्रदर्शन विकेन्द्रित होगा और पूरे दिल्ली में हम अलग-अलग समूह में प्रदर्शन करेंगे।

उन्होंने हड़ताल की तैयारियों पर बात करते हुए कहा कि सभी सेंट्रल ट्रेड यूनियन और स्वतंत्र फेडरेशन संयुक्त कन्वेंशन कर इस हड़ताल को सफल बनाने का प्रयास कर रहे हैं। हम सभी औद्योगिक क्षेत्रो में अपनी अपनी शक्ति के साथ संयुक्त रूप से प्रचार कर रहे हैं और जिस क्षेत्र में जो यूनियन है उसको वहां के नेतृत्व की जिम्मेदारी दी है और बाकी यूनियन उसकी सहयोगी की भूमिका में हैं।

इसके आलावा निर्माण मज़दूर हर जिले और अपने कार्य क्षेत्र में धरना-प्रदर्शन और चक्का जाम करेंगे। जबकि रेहड़ी पटरी वाले दिल्ली सचिवालय पर प्रदर्शन करेंगे।

शुक्ला ने कहा आज संगठित क्षेत्र के श्रमिकों में भी भारी असुरक्षा की भावना है कि कब उन्हें हटा दिया जाएगा यह नहीं पता और वो इसके लिए लड़ भी नहीं सकेंगे क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार ने श्रम कानूनों में भी मज़दूर विरोधी बदलाव किए हैं। और आज का मज़दूर जागरूक है उसके पास सड़क पर उतरने के आलावा कोई विकल्प नहीं रहा है।

हरियाणा के श्रमिक और स्कीम वर्कर भी हड़ताल के लिए तैयार

हरियाणा भी आज देश के विनिर्माण उद्योग के हब के रूप में उभरा है। वहां मुख्यत ऑटो मोबाईल सेक्टर का मैन्युफक्चरिंग हब है। वो कोरोना महामारी के पहले से ही आर्थिक मंदी से जूझ रहा है। जिस कारण वहां बड़े स्तर पर छंटनी और वेतन कटौती से मज़दूर परेशान हैं। फरीदाबाद और गुड़गांव के कई उद्योगों के मज़दूर पिछले कई समय से विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं। लेकिन इस बार उम्मीद की जा रही है कि काम की असुरक्षा के कारण शायद उतनी बड़ी संख्या में मज़दूर इस हड़ताल में शामिल न हों परन्तु फिर भी सेंट्रल ट्रेड यूनियन नेताओं ने दावा किया है कि जिस जगह उनकी यूनिट है वो पूरी तरह से हड़ताल में शमिल होंगे और कोशिश करेंगे की बाकी मज़दूर भी इस हड़ताल का हिस्सा बने।

इसके साथ ही हरियाण में बड़ी संख्या में ईंट भट्टे हैं, जहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूर लगभग बंधुआ मज़दूरों की तरह काम करते हैं। वो भी काफी परेशान हैं क्योंकि उन्हें न न्यूनतम वेतन मिलता है और न ही कोई सुरक्षा है पिछले कुछ समय में वो भी सीटू से संबंधित लाल झंडा भट्टा मज़दूर यूनियन के तहत संगठित हुए हैं और वो भी इस हड़ताल में शामिल होंगे। इसके साथ ही पूरे हरियणा में निर्माण मज़दूर भी हड़ताल को लेकर लगतार तैयारी में है इसको लेकर अलग-अलग इलाकों में मीटिंग हो रही है।

इसके साथ ही स्कीम वर्कर, आंगनवाड़ी और आशा कर्मियों और सर्व कर्मचारी संघ जो राज्य में सरकारी कर्मचारियों का संयुक्त मंच ने भी 26 को पूर्ण हड़ताल का आह्वान किया है।

सीटू के राज्य महासचिव जय भगवान ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि हरियणा का मज़दूर और श्रमिक वर्ग सरकार के नीतियों के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि वो लोग लगातार पूरे राज्य में मज़दूरों के बीच में जागरूकता अभियान और छोटी-छोटी नुक्कड़ सभा कर रहे हैं। मज़दूरों को जागरूक करने के लिए वो नाटक और गीतों का भी सहारा ले रहे हैं।

वो आगे कहते हैं कि पूरा श्रमिक वर्ग भी हमारी मांगों से सहमत है परन्तु असुरक्षा की वजह से औद्योगिक श्रमिक हड़ताल में शामिल होने को लेकर हिचक रहे हैं। परन्तु राज्य के बाकी श्रमिक एकजुट होकर सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं।

नोएडा और गाजियाबाद में भी हड़ताल की तैयारी अंतिम दौर में

नोएडा एक मिक्स औद्योगिक क्षेत्र है। यहां गारमेंट्स, ऑटो मोबाईल और आईटी सेक्टर के बड़े उद्योग हैं। जबकि गाजियाबाद काफी पुराना औद्योगिक क्षेत्र है जहां कई सरकारी पीसीयू भी हैं जबकि वहां कई पुराने उद्योग हैं जैसे एटलस कंपनी जो मंदी के कारण हाल ही बंद हुई है।

साहिबाबाद में स्थित सेंट्रल इलक्ट्रॉनिक जो एक पब्लिक अंडर टेकिंग कंपनी है। वह देश के लिए रक्षा उत्पाद बनाती है। सीईएल मज़दूरों ने सौ फीसद हड़ताल का दावा किया है। कंपनी की मज़दूर यूनियन ने कहा, "सरकार इस सरकारी कंपनी को कौड़ियों के दाम पर बेचना चाहती है जबकि पिछले कई सालों से यह कंपनी मुनाफ़े में है। सरकार पता नहीं क्यों 350 करोड़ की संपत्ति वाले उद्योग को कौड़ी के भाव में बेचने को तैयार हैं। क्यों? इसका जवाब उनके पास नहीं है।"

इसके साथ ही नोएडा और गाजियाबाद के मज़दूरों की एक बड़ी मांग है वेतन। उनका कहना है कि वो दिल्ली से सटे हैं परन्तु वेतन दिल्ली से आधा भी नहीं मिलता है।

सीटू दिल्ली-एनसीआर के उपाध्यक्ष और नोएडा के मज़दूर नेता गंगेश्वर दत्त शर्मा ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि मोदी व योगी सरकार द्वारा श्रम कानूनों को समाप्त करने व फैक्ट्री मालिकों द्वारा मजदूरों की छंटनी/ नौकरी से निकाले जाने को न रोकने, वेतन में बढ़ोतरी न करने के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल को सफल बनाने के लिए ट्रेड यूनियनों के कार्यकर्ता जी जान लगाकर व्यापक पैमाने पर अभियान चला रहे हैं, जिसके तहत नोएडा में अलग-अलग इलाकों प्रचार किया और जगह-जगह नुक्कड़ सभा व पर्चा वितरण कर मजदूरों/ कर्मचारियों से हड़ताल में बढ़-चढ़कर शामिल होने की अपील की गई है। प्रचार अभियान के दौरान मजदूरों ने ट्रेड यूनियन नेताओं को आश्वासन दिया कि वे उस दिन हड़ताल पर रहकर सरकार को अपना विरोध दर्ज कराएंगे।

हड़ताल से पहले ही मज़दूर नेताओं की गिरफ़्तारी

हड़ताल से पहले ही उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस मज़दूर नेताओं पर दबाव डाल रही है कि वो सड़क पर न उतरें। जबकि हरियाणा की बीजेपी सरकार ने एक कदम आगे बढ़ते हुए मज़दूर नेताओ की गिरफ़्तारी करनी शुरू कर दी है। जिसको लेकर वहां मज़दूरों में काफी गुस्सा है, कई मज़दूर नेताओं सहित आज 24 नवंबर की सुबह चार बजे फ़तेहाबाद के रतिया से अखिल भारतीय खेत मजदूर नेता और जिला पार्षद रामचन्द्र सहनाल को उनके घर से तथा झज्जर सीटू के सहसचिव व अखिल भारतीय किसान सभा के नेता रामचन्द्र यादव को उनके घर से पुलिस ने उठा लिया है।

सीटू हरियाणा राज्य कमेटी ने इस प्रकार की दमनात्मक कार्यवाही की कड़े शब्दों में निंदा की है। सीटू ने तमाम जिला कमेटियां, यूनियनों की कमेटियों, नेतृत्वकारी साथियों व तमाम सदस्यों से अपील की है कि वो इन दमनात्मक कार्रवाईयों के खिलाफ आज यानी मंगलवार को ही तमाम जिलों में प्रदर्शन करें।

मज़दूर नेताओं का कहना है कि आंदोलन के इन दो योद्धाओं को गिरफ्तारी से एक बात तो साफ हो चुकी है कि सरकार ने किसान-मजदूर आंदोलन से घबराकर ये कदम उठाया है। लेकिन सरकार चाहे कितना ही दमन और गिरफ्तारी का सहारा ले, अब ये काफिला रुकने वाला नहीं है। उनके मुताबिक अब तानाशाही-दमनकारी कदम का एक ही जवाब है कि पूरी ताकत के साथ सड़कों पर उतरो और दमन के विरोध में अपनी आवज़ को बुलंद करो।

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