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दिल्लीः नगर निगम वार्ड के परिसीमन का काम अक्टूबर के अंत तक होगा पूरा, विपक्ष ने जताई थी आपत्ति

आप ने आरोप लगाया है कि विधानसभा क्षेत्रों में वार्डों की संख्या बदले बिना अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों के अधिकांश वार्डों को डिस्टर्ब किया गया है। उसका कहना है कि यह प्रक्रिया स्पष्ट रूप से राजनीति से प्रेरित लग रही है। मनमाने ढंग से वार्डों की सीमाएं बदली गई हैं।
Municipal Corporation
Image courtesy : Navbharat Times

दिल्ली नगर निगम वार्ड के सीमांकन का काम पूरा होने वाला है और परिसीमन आयोग अगले सप्ताह केंद्र सरकार को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपने के लिए पूरी तरह तैयार है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि परिसीमन प्रक्रिया औपचारिक रूप से अक्टूबर के अंत तक पूरी हो जाएगी। अंतिम परिसीमन रिपोर्ट जमा करने के बाद, गृह मंत्रालय (एमएचए) एक अधिसूचना या आदेश जारी करेगा जिसके साथ ही दिल्ली में नगर निगम वार्ड के परिसीमन की क़वायद पूरी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि परिसीमन की मसौदा रिपोर्ट पर मिली टिप्पणियों और सुझावों के निपटान के बाद रिपोर्ट को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।

हालांकि इस परिसीमन का जो ड्राफ्ट आया था उसे लेकर सभी विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई और इसमें खामियां बताई थी। सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी ने परिसीमन में गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग से मिला था, जबकि वाम दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने पत्र के माध्यम से अपनी आपत्ति दर्ज करवाई। इसी तरह कांग्रेस के नेताओं ने भी अपना विरोध जताया था।

मुख्य विपक्षी आप के विधायकों ने दिल्ली में वार्डों के परिसीमन पर अपने प्रारंभिक सुझाव और आपत्तियां परिसीमन आयोग को सौंप दिए हैं। दुर्गेश पाठक ने बताया कि हमने राज्य चुनाव आयोग से मांग की है कि नगर निगम के चुनाव जल्द से जल्द कराए जाएं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोग एमसीडी पर बीजेपी के भ्रष्ट शासन से मुक्ति चाहते हैं।

आप ने आरोप लगाया है कि विधानसभा क्षेत्रों में वार्डों की संख्या बदले बिना अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों के अधिकांश वार्डों को डिस्टर्ब किया गया है। उसका कहना है कि यह प्रक्रिया स्पष्ट रूप से राजनीति से प्रेरित लग रही है। मनमाने ढंग से वार्डों की सीमाएं बदली गई हैं। इससे अब कुछ वार्डों की आबादी 35 हज़ार से कम है, जबकि कुछ वार्डों में यह 93 हज़ार से अधिक है। इसलिए यह प्रक्रिया तर्कहीन है।

आप का कहना है कि राज्य चुनाव आयोग ने 2011 की जनगणना के आंकड़ों को परिसीमन के लिए बेंचमार्क माना है। इसके मुताबिक़ दिल्ली की आबादी एक करोड़ 64 लाख 18 हजार 663 है। इस आधार पर दिल्ली के 250 वार्डों की औसत जनसंख्या 65 हजार 674 होनी चाहिए थी। लेकिन परिसीमन के ड्राफ्ट ने असमानता की स्थिति पैदा कर दी है।

हालंकी अभी यह केवल ड्राफ्ट था अंतिम रिपोर्ट अभी आनी है। हो सकता है उसमें राजनीतिक दल द्वारा उठाए सवालों को हल किया जाए। लेकिन जैसा की हमने बीजेपी का रवैया देखा है उससे लगता नहीं की बहुत कुछ बदलाव होगा।

केंद्र सरकार ने एमसीडी में सीट की कुल संख्या मौजूदा 272 से कम करके 250 निर्धारित की हैं।

परिसीमन प्रक्रिया में शामिल एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “रिपोर्ट को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया अच्छी गति से आगे बढ़ रही है। लगभग 8-10 टीम मसौदा रिपोर्ट पर आए सुझावों और टिप्पणियों के निस्तारण के काम में लगी हुई हैं। यह जल्द ही पूरा हो जाएगा और अंतिम परिसीमन रिपोर्ट अगले सप्ताह गृह मंत्रालय को भेजी जाएगी। इसके बाद केंद्र परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के संबंध में एक अधिसूचना जारी करेगा।”

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