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अनाज मंडी अग्निकांड: करीब साल भर बाद चौथा आरोपी गिरफ़्तार

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अनाज मंडी अग्निकांड के फरार इनामी आरोपित मोहम्मद इमरान को गिरफ्तार कर लिया है। इस हादसे में नौ नाबालिग सहित 45 लोगों की मौत हो गई थी।
अनाज मंडी अग्निकांड

दिल्ली: उत्तरी दिल्ली के अनाज मंडी अग्निकांड के लगभग एक साल बाद मामले में फरार चल रहा चौथे आरोपी मोहम्मद इमरान को गिरफ्तार कर लिया गया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने आरोपित पर 50 हजार रुपये का इनाम रख रखा था। गत वर्ष दिसंबर में लगी आग में नौ नाबालिग सहित 45 लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस ने इस मामले में पहले ही इमारत के मालिक रेहान, उसके मैनेजर फुरकान और मोहम्मद सुहैल नाम के एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार किया था।

अधिकारियों ने बताया कि चौथे आरोपी मोहम्मद इमरान को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया। वह रेहान का भाई और इमारत का आंशिक रूप से मालिक भी है। पुलिस ने बताया कि इमरान घटना के दिन से फरार था।

क्या है पूरा मामला

पिछले साल 8 दिसंबर को दिल्ली की रानी झाँसी रोड की मॉडल बस्ती के अनाज मंडी इलाक़े में भीषण आग लगने से नौ नाबालिगों सहित 45 लोगों की मौत हो गई थी और छह नाबालिगों सहित 21 अन्य घायल हो गए थे। इस घटना ने सबको झकझोर दिया था।

ये पिछले दो दशकों में फ़ैक्ट्री में आग लगने की सबसे बड़ी घटना थी। इसमें लगभग सभी मृतक बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूर थे, जो इमारत के अंदर रहने के साथ-साथ काम भी करते थे।

घटना के बाद सदर बाजार थाने में मामला दर्ज किया गया था जिसे बाद में अपराध शाखा को भेज दिया गया। उसके बाद से इस मामले की जाँच चल रही थी। इसमें पहले ही तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया था। पुलिस ने सभी के ख़िलाफ़ ग़ैर इरादतन हत्या और आग के संदर्भ में लापरवाह रवैया अपनाने से संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया था। जबकि एक आरोपी फ़रार चल रहा था अब उससे भी पकड़ लिया गया है।

अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) बीके सिंह ने बताया, “शनिवार को हमारी टीम को सूचना मिली कि इमरान एक पारिवारिक समारोह में शामिल होने के लिए दिल्ली आ रहा है। आजादपुर के रामेश्वर नगर के पास योजना बनाकर इमरान को पकड़ा गया।”

अधिकारी ने कहा कि जिस इमारत में आग लगी थी, वह संपत्ति संयुक्त रूप से इमरान और उसके भाई रेहान की है और 2007 में खरीदी गई थी। उस समय यह इमारत केवल दो मंजिला ऊंची थी लेकिन बाद में इसे पांच मंजिला बना दिया गया था।

दोनों भाइयों ने इस इमारत को विभिन्न संस्थाओं को किराए पर दिया था और इमारत के अंदर कई छोटी निर्माण इकाइयां चल रही थीं।

उन्होंने कहा, ‘आग लगने की घटना के बाद वह दिल्ली के मेरठ, आगरा, रायपुर, अजमेर और सीलमपुर में अपने रिश्तेदारों के साथ छिपकर रह रहा था।' उन्होंने कहा कि इमरान को आगे की जांच के लिए पांच दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है।

अब भी कुछ अनसुलझे सवाल

अनाज मंडी अग्निकांड में पुलिस ने मकान मालिकों को गिरफ्तार कर लिया लेकिन किसी भी अधिकारी को जो इस घटना के लिए दोषी था उस पर कोई कार्रवाई हुई। इसका जवाब कोई नहीं दे रहा है। जबकि यह सर्वविदित है कि बिना प्रशासन की मिलीभगत के इस तरह का निर्माण या उसमे फैक्ट्री चलाना संभव नहीं है।

बता दें कि आज भी दिल्ली में इस तरह की सैकड़ों अवैध फैक्ट्रियां चल रही हैं जहाँ न तो मज़दूरों की जान की सुरक्षा है और न उनके काम करने की परिस्थिति मानवीय है। इसके बाद भी वो मज़दूर अपनी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे है।

इसके अलावा स्थानीय प्रशासन और दिल्ली पुलिस पर भी कई गंभीर सवाल हैं।

दिल्ली पुलिस की ज़िम्मेदारी किसी भी किस्म के अवैध उद्योग धंधे या कारखानों पर नज़र रखने की है। इसके अलावा फ़ैक्ट्री के इलाक़े में लोकल एडमिनिस्ट्रेशन होता है। वह अपने इलाकों में अवैध तरीक़े से चल रहे कामकाज पर नज़र रखते हैं।

ऐसे मामलों में एमसीडी, दिल्ली सरकार के गृह विभाग के तहत आने वाला दिल्ली फ़ायर डिपार्टमेंट, दिल्ली पुलिस और यहां तक कि दिल्ली सरकार के ही अंतर्गत आने वाला डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन भी ज़िम्मेदार होता है।

मज़दूर संगठन लगातार इसको लेकर सवाल उठाते रहे हैं। वे कहते हैं, “ऐसी घटनाएँ प्रशासन की लापरवाही से होती हैं। अधिकारियों की ज़िम्मेदारी है कि वो फ़ैक्ट्री का इंस्पेक्शन करें और नियमों का लागू कराएं लेकिन अधिकारी भ्रष्ट हैं और प्राय: नियमों के उल्लंघन को नज़रअंदाज़ कर देते हैं।”

यूनियनों की मांग है, “यह ग़ैरक़ानूनी फ़ैक्ट्रियाँ या तो बंद करा दी जानी चाहिए या इन्हें कहीं और शिफ़्ट कर दिया जाना चाहिए। राज्य सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी फ़ैक्ट्री अधिकृत औद्योगिक क्षेत्र के बाहर नहीं चल रही हो।"

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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